/जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम,जांजगीर चांपा छ0ग0/
प्रकरण क्रमांक सी.सी./2013/08
प्रस्तुति दिनांक 15/02/2013
पूनम चंद अग्रवाल,
प्रोपराईटर आर.के.प्रिंटर्स,सक्ती,
तहसील सक्ती
जिला जांजगीर चांपा छ0ग0 ......आवेदक/परिवादी
// विरूद्ध//
प्रबंधक,
के.एम.आई. व्यवसाय टेकेनालाॅजी प्राइवेट लिमिटेड,
1008,दालामल हाउस
नरिमन पाइंट
मुंबई 400021 ........अनावेदक/विरोधी पक्षकार
/// आदेश///
(आज दिनांक 20/02/2015 को पारित)
1. आवेदक पूनम चंद अग्रवाल, प्रोपराईटर आर.के.प्रिंटर्स,सक्ती,
ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 12 के अंतर्गत यह परिवाद अनावेदक प्रबंधक, के.एम.आई. व्यवसाय टैक्नालाॅजी प्राइवेट लिमिटेड,मुंबई के विरूद्ध सेवा में कमी के आधार पर पेश किया है और अनावेदक से क्रय किये गये त्रुटियुक्त मशीन के स्थान पर नई मशीन अथवा विकल्प में क्षतिपूर्ति सहित 3,50,000/.रु0 की राशि दिलाए जाने का निवेदन किया है ।
2. परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि आवेदक दिनांक 21.02.2012 को अनावेदक के पास से 2,75,000/.रु0 में के.एम.डिजिटल प्रिंटर क्रय किया, जिसका इंस्टालेशन कंपनी के इंजीनियर द्वारा दिनांक 28.03.2012 को सक्ती आकर किया गया । यह कहा गया है कि उक्त मशीन स्थापना दिनांक से ही निर्माण त्रुटि होने के कारण बार-बार बंद हो रही थी, जिसकी शिकायत करने पर अनावेदक कंपनी के इंजीनियर द्वारा दुकान आकर बार-बार सुधार किया गया, किंतु मशीन में निर्माण त्रुटि होने के कारण उक्त त्रुटि दूर नहीं हो पाई। अतः आवेदक उक्त त्रुटि के कारण व्यवसायिक क्षति एवं मशीन की कीमत, मानसिक क्षतिपूर्ति आदि विभिन्न आधारों पर त्रुटियुक्त मशीन के स्थान पर नयी मशीन अथवा 3,50,000/.रु0 की राशि क्षतिपूर्ति के रूप में दिलाए जाने हेतु यह परिवाद पेश किया है ।
3. अनावेदक कंपनी जवाब पेश कर यह तो स्वीकार किया कि आवेदक उनके पास से प्रश्नाधीन मशीन क्रय किया, किंतु इस बात से इंकार किया है कि उसमें कोई निर्माण त्रुटि थी । आगे कथन किया है कि आवेदक द्वारा मशीन क्रय करने के उपरांत दिनांक 21.03.2013 को काॅपी की क्वालिटी एवं एम.आई.सी. के संबंध में शिकायत की गई थी, जिसका निराकरण करते हुए उनके इंजीनियर द्वारा मशीन के बोर्ड एवं लेजर यूनिट को बदल कर मशीन चालू कंडीशन में प्रदान कर दी गई थी। यह भी कहा गया है कि अगर मशीन में कोई निर्माण त्रुटि होती तो आवेदक द्वारा शिकायत एक वर्ष बाद नहीं की गई होती । यह भी कहा गया है कि उनकी कंपनी द्वारा आवेदक को मशीन में कोई वारंटी प्रदान नहीं की गई थी । साथ ही कहा गया है कि उनके टैक्स इनवाईस में इस बात का स्पष्ट उल्लेख है कि किसी भी प्रकार की विवाद की स्थिति उत्पन्न होने पर उसका निपटारा मुंबई स्थित न्यायालय के अंतर्गत होगा, फिर भी आवेदक जानबूझकर इस फोरम में परिवाद प्रस्तुत किया है जो क्षेत्राधिकार से बाधित है । अंत में यह भी कहा गया है कि उनके मध्य मशीन के रखरखाव एवं सुधार कार्य के संबंध में कोई सर्विस अनुबंध निष्पादित नहीं हुआ था । साथ ही कहा गया है कि आवेदक द्वारा मशीन का उपयोग व्यवसायिक कार्य में लापरवाहीपूर्वक किया गया। अतः इस आधार पर भी उसका परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत पोषणीय नहीं है । उपरोक्त आधारों पर अनावेदक कंपनी द्वारा आवेदक के परिवाद को निरस्त किये जाने का निवेदन किया गया है ।
4. उभय पक्ष अधिवक्ता का तर्क सुन लिया गया है । प्रकरण का अवलोकन किया गया।
5. देखना यह है कि क्या आवेदक अनावेदक कंपनी के विरूद्ध वांछित अनुतोष प्राप्त करने का अधिकारी है ?
सकारण निष्कर्ष
6. आवेदक द्वारा अनावेदक कंपनी से प्रश्नाधीन के.एम.डिजिटल प्रिंटर्स मशीन क्रय किये जाने का तथ्य मामले में विवादित नहीं है । यह भी विवादित नहीं है कि अनावेदक कंपनी द्वारा उक्त मशीन के संबंध में आवेदक को कोई वारंटी नहीं दी गई थी ।
7. आवेदक का कथन है कि उसके द्वारा अनावेदक के पास से मशीन क्रय करने उपरांत उसकी स्थापना दिनांक 28.03.2012 से ही निर्माण त्रुटि होने के कारण मशीन बार-बार बंद हो जा रहा था, जिसकी शिकायत पर अनावेदक कंपनी का इंजीनियर उसके दुकान आकर उक्त निर्माण त्रुटि दूर करने का प्रयास किया, किंतु मशीन की त्रुटि दूर नहीं हो पाई और दिनांक 29.09.2012 से वह पूर्णतः बंद हो गई । अतः उसने अनावेदक द्वारा निर्माण त्रुटि युक्त मशीन विक्रय करने के आधार पर उसके बदले नई मशीन अथवा विकल्प में क्षतिपूर्ति राशि दिलाए जाने हेतु यह परिवाद पेश करना बताया है, किंतु अपने परिवाद के समर्थन में आवेदक द्वारा प्रश्नाधीन मशीन के निर्माण त्रुटि को साबित करने के लिए कोई प्रतिवेदन अथवा किसी विशेषज्ञ की रिपोर्ट दाखिल नहीं किया गया है, जबकि इस तथ्य को मामले में प्रमाणित करने का भार आवेदक पर ही था। अतः युक्तियुक्त प्रमाण के अभाव में आवेदक का यह कथन स्वीकार किए जाने योग्य नहीं पाया जाता, जिसका कहना है कि प्रश्नाधीन मशीन में स्थापना दिनांक से ही निर्माण त्रुटि रही ।
8. अनावेदक अपने जवाब में इस बात से इंकार किया है कि उसके द्वारा आवेदक को विक्रित प्रिंटर मशीन में कोई निर्माण त्रुटि थी, बल्कि कहा गया है कि इस संबंध में आवेदक द्वारा उससे कभी भी कोई शिकायत नहीं की गई। साथ ही प्रकट किया गया कि आवेदक उनके पास दिनांक 21.03.2013 को मशीन की कापी क्वालिटी एवं एम.आई.सी. के संबंध में शिकायत किया था, जिसे उनके सर्विस इंजीनियर द्वारा दिनांक 22.03.2013 को मशीन का बोर्ड तथा लेजर यूनिट बदलकर चालू हालत में आवेदक को उसकी पूर्ण संतुष्टि पर प्रदान कर दिया था। तत्संबंध में उसने आवेदक को जाॅब कार्ड पर हस्ताक्षर करना भी कहा है, किंतु ऐसा कोई जाॅब कार्ड उसके द्वारा मामले में पेश नहीं किया गया है, फलस्वरूप इस संबंध में अनावेदक का कथन भी मामले में स्वीकार किए जाने योग्य नहीं पाया जाता ।
9. अनावेदक की ओर से उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 11 का हवाला देते हुए यह भी कहा गया है कि इस फोरम के क्षेत्राधिकार के अंतर्गत न तो उनका निवास स्थान है न ही वह व्यवसाय करता है और न ही कोई शाखा कार्यालय स्थित है और न ही कोई वादकारण उत्पन्न हुआ। इस प्रकार इस फोरम को प्रश्नगत प्रकरण सुनवाई का क्षेत्राधिकार प्राप्त नहीं, किंतु इस संबंध में अनावेदक अपने जवाब में इस बात से इंकार नहीं किया है कि उनके द्वारा मशीन बिक्री उपरांत उसकी स्थापना इस फोरम के क्षेत्राधिकार के अंतर्गत सक्ती में नहीं किया गया था। ऐसी दशा में यह नहीं माना जा सकता कि प्रश्नगत मामले का वादकारण इस फोरम के क्षेत्राधिकार के अंतर्गत सक्ती में उत्पन्न नहीं हुआ। अतः इस संबंध में अनावेदकगण की उठायी गई आपत्ति निरस्त की जाती है।
10. अनावेदक की ओर से एक आपत्ती यह भी उठाई गई है कि आवेदक आर.के. प्रिंटर्स फर्म का मालिक है और फोटो कापी तथा प्रिंटिंग का व्यवसाय करता है। उसने अपने परिवाद पत्र की कण्डिका 4 तथा 7 में मशीन में खराबी होने के कारण अपने व्यवसायिक हानि का भी उल्लेख किया है। इस प्रकार उसने यह अभिकथित करते हुए कि आवेदक द्वारा प्रश्नाधीन मशीन व्यवसायिक उदेश्य के लिए क्रय किया गया था, फलस्वरूप उसकी स्थिति उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत उपभोक्ता का नहीं होना भी प्रकट किया, और आवेदक के परिवाद को इस आधार पर निरस्त किये जाने का निवेदन किया है अनावेदक के इस आपत्ति का कोई विरोध आवेदक की ओर से मामले में नहीं किया जा सका है, साथ ही उसने अपने परिवादपत्र में प्रश्नाधीन मशीन क्रय करने के उदेश्य को भी प्रकट नहीं किया है, जो इस बात को जाहिर करता है कि उसने प्रश्नाधीन मशीन अनावेदक से व्यवसायिक लाभ अर्जित करने के लिए क्रय किया था । ऐसी स्थिति में आवेदक की हैसियत उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आता । फलस्वरूप उक्त आधार पर आवेदक का परिवाद प्रचलन योग्य नहीं पाया जाता।
11. उपरोक्त विवेचना उपरांत हम इस निष्कर्ष पर पहुॅचते हैं कि प्रश्नगत मामले में आवेदक की स्थिति उपभोक्ता की नहीं। अतः उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत उसका परिवाद प्रचलन योग्य भी नहीं माना जा सकता। परिणामतः आवेदक का परिवाद निरस्त किया जाता है।
12. उभय पक्ष अपना अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
(अशोक कुमार पाठक) (श्रीमती शशि राठौर) (मणिशंकर गौरहा)
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