न्यायालय - जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम, दुर्ग
समक्ष -
अध्यक्ष - श्रीमती मैत्रेयी माथुर,
सदस्य - श्रीमती शुभा सिंह,
प्रकरण क्र.सी.सी./14/70
प्रस्तुती दिनाँक 22.02.2014
तेजराम साहू आ.स्व. प्रेमलाल साहू, आयु-38 वर्ष, निवासी-ग्राम रमतरा, पोस्ट तार्री, तहसील-गुरूर, जिला-बालोद (छ.ग.) - - - - परिवादी
विरूद्ध
1. प्रबंधक, जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक मर्यादित, जिला अस्पताल के सामने, जी.ई.रोड, दुर्ग (छ.ग.) एवं शाखा प्रबंधक, शाखा कार्यालय, सेवा सहकारी समिति मर्यादित गुरूर, तह. गुरूर, जिला - बालोद (छ.ग.)
2. फ्यूचर जनरल इंश्यारेंस कंपनी लिमि., पंजीकृत व प्रधान कार्यालय-इंडिया बुल्स फायनेंस सेंटर, टावर, 3-6, फ्लोर सेनापति बापत मार्ग, एल्फिन स्टोन, वेस्ट मुंबई- महाराष्ट्र 400013, एवं ब्रांच आफिस-502, अवानी सिग्नेचर पंचम तल 91/ए, पार्क स्ट्रीट कोलकाता-700016, एवं शाखा प्रबंधक, शाखा कार्यालय-विवेकानंद आश्रम के पास शाॅप नं.8-1, ब्लाक मारूति बिजनेस पार्क, नियर घुप्पड़ पेट्रोल पंप के पास, जी.ईं.रोड, रायपुर (छ.ग.)
- - - - अनावेदकगण
आदेश
(आज दिनाँक 24 फरवरी 2015 को पारित)
श्रीमती मैत्रेयी माथुर-अध्यक्ष
परिवादी द्वारा अनावेदकगण से व्यक्तिगत समूह जनता दुर्घटना बीमा दावा राशि 5,00,000रू. मय ब्याज, मानसिक क्षति, वाद व्यय व अन्य अनुतोष दिलाने हेतु यह परिवाद धारा-12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अंतर्गत प्रस्तुत किया है।
परिवाद-
(2) परिवादी का परिवाद संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी के पिता ग्राम रमतरा, जिला बालोद में कृषक थे, जिनके जीवन पर अनावेदक क्र.1 द्वारा अनावेदक क्र.2 के माध्यम से व्यक्तिगत समूह जनता दुर्घटना बीमा पाॅलिसी वर्ष 2011 में जारी की गई थी। दिनंाक 12.10.12 को परिवादी के पिता की मृत्यु पानी में डूबने से हो गई। परिवादी के द्वारा अनावेदक क्र.1 के माध्यम से अनावेदक क्र.2 को क्लेम प्रपत्र सह वांछित दस्तावेज प्रेषित किए गए, किंतु अनावेदक क्र.2 के द्वारा दिनांक 01.03.13 को परिवादी का दावा इस आधार पर निरस्त कर दिया गया कि घटना दिनंाक को बीमाधारी की आयु 80 वर्ष थी एवं बीमा कव्हर 70 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों हेतु प्रदान नहीं किया जाता है। इस प्रकार अनावेदकगण ने परिवादी को बीमा दावा राशि प्रदान न कर सेवा कमी की गई। अतः परिवादी को अनावेदकगण से व्यक्तिगत समूह जनता दुर्घटना बीमा दावा राशि 5,00,000रू. मय ब्याज, मानसिक क्षति, वाद व्यय व अन्य अनुतोष दिलाया जावे।
जवाबदावाः-
(3) अनावेदक क्र.1 का जवाबदावा इस आशय का प्रस्तुत है कि स्व.प्रेमलाल साहू के द्वारा अनावेदक की शाखा गुरूर में खाता खोलते समय आयु का उल्लेख नहीं किया गया था, चूंकि समस्त खातेदारों की बीमा प्रीमियम की राशि उनके बचत खाते से काटकर एकमुश्त अनावेदक क्र.2 को भेजी गई थी, इसलिए अनावेदक क्र.1 किसी प्रकार से जवाबदार नहीं है। बीमाधारी के बीमा संबंधी दस्तावेज अनावेदक क्र.1 के माध्यम से अनावेदक क्र.2 को भेजे गए थे, अनावेदक क्र.2 के द्वारा परिवादी का दावा दिनंाक 01.03.13 को निरस्त कर दिया गया। अनावेदक क्र.1 के द्वारा किसी प्रकार सेवा में कमी नहीं की गई है अतः प्रस्तुत दावा निरस्त किया जावे।
(4) यद्यपि अनावेदक क्र.2 का जवाबदावा का सत्यापन नहीं है, फिर भी अनावेदक क्र.2 का जवाबदावा इस आशय का प्रस्तुत है कि परिवादी उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आता है। बीमा शर्तो के अनुसार बीमित व्यक्ति को बीमा के समय 18 से 70 साल की आयु के बीच का होना था, परंतु बीमित व्यक्ति 80 साल से अधिक उम्र का होना पाया गया, इसीलिए उसका बीमा दावा खारिज किया गया और इन कारणों से अनावेदक क्र.2 द्वारा सेवा में निम्नता नहीं की गई है।
(5) उभयपक्ष के अभिकथनों के आधार पर प्रकरण मे निम्न विचारणीय प्रश्न उत्पन्न होते हैं, जिनके निष्कर्ष निम्नानुसार हैं:-
1. क्या परिवादी, अनावेदकगण व्यक्तिगत समूह जनता दुर्घटना बीमा दावा राशि 5,00,000रू. मय ब्याज प्राप्त करने का अधिकारी है? हाँ
2. अन्य सहायता एवं वाद व्यय? आदेशानुसार परिवाद स्वीकृत
निष्कर्ष के आधार
(6) प्रकरण का अवलोकन कर सभी विचारणीय प्रश्नों का निराकरण एक साथ किया जा रहा है।
फोरम का निष्कर्ष:-
(7) प्रकरण के अवलोकन से यह स्पष्ट है कि मृतक का बीमा अनावेदक क्र.1 के माध्यम से हुआ था। उक्त बीमा व्यक्तिगत समूह जनता दुर्घटना बीमा से संबंधित था, क्योंकि मृतक कृषि कार्य करता था। दिनांक 12.10.2012 को मृतक की पानी में डूबने से मृत्यु हो गई थी, तत्पश्चात् बीमा दावा प्रस्तुत किया गया, परंतु उक्त बीमा दावा इस आधार पर खारिज हो गया कि बीमा केवल 18 साल से 70 साल की आयु के बीच के व्यक्तियों का होता था और चूंकि मृतक बीमा के समय करीब 80 साल का था, इसलिए बीमा दावा स्वीकार करने के आधार नहीं थे।
(8) प्रश्न यह उत्पन्न होता है कि क्या बीमा प्रीमियम राशि प्राप्त करते समय और बीमा संबंधी दावा भरके पालिसी देते समय अनावेदकगण को मृतक की आयु का ज्ञान होना वांछित था या नहीं? बहुत ही स्वाभाविक है कि मृतक के बीमा संबंधी दस्तावेज, बीमा पालिसी देने के पहले भरे गये होंगे, जिसमें बीमित व्यक्ति की आयु के संबंध में विवरण मांगे गये होंगे और इस स्थिति में हम अनावेदक क्र.1 के इस तर्क से सहमत नहीं है कि बीमित व्यक्ति ने खाता खोलते समय उम्र का उल्लेख नहीं किया, यदि अनावेदक क्र.1 ने खाता खोलते समय बीमित का पूर्ण विवरण विशेष तौर पर आयु संबंधी विवरण नहीं लिया और बीमा प्रीमियम की राशि काटकर उसे बीमित व्यक्ति का दर्जा दिया तो निश्चित रूप से अनावेदक क्र.1 सेवा में निम्नता का दोषी है।
(9) इसी प्रकार अनावेदक क्र.2 ने बीमित व्यक्ति का पूर्ण विवरण प्राप्त किये बिना ही अपने आक्रामक व्यवसायिक नीति के चलते बीमित व्यक्ति की आयु देखे बिना, बीमित व्यक्ति का बीमा कर दिया तो यह स्वयमेव ही अनावेदक क्र.2 की सेवा में निम्नता है।
(10) इस प्रकार जब व्यक्ति से बीमा प्रीमियम राशि अनावेदकगण ने प्राप्त की और बीमा भी कराया तो उस स्थिति में बाद में अब अनावेदकगण इस बचाव का आधार नहीं ले सकते हंै कि बीमित व्यक्ति 70 साल से ज्यादा उम्र का था। अतः बीमा दावा स्वीकार नहीं किया जा सकता। अनावेदकगण को पहले से ही पूर्ण जांच कर बीमा संबंधी कार्यवाही करनी थी और यदि बीमा शर्तों के विरूद्ध अनावेदकगण ने ही मृतक का बीमा किया था तो अब वे परिवादी को बीमा दावा राशि देने के लिए बाध्य हैं।
(11) फलस्वरूप हम परिवादी का दावा स्वीकार किये जाने योग्य पाते हैं और यह निष्कर्षित करते हैं कि अनावेदकगण ने बीमा दावा निरस्त कर सेवा में निम्नता की है और वे संयुक्त एवं अलग-अलग रूप से परिवादी को बीमित राशि मय ब्याज देने के लिए जिम्मेदार है।
(12) फलस्वरूप हम परिवादी का दावा स्वीकार करने का समुचित आधार पाते हैं।
(13) अतः उपरोक्त संपूर्ण विवेचना के आधार पर हम परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद स्वीकार करते है और यह आदेश देते हैं कि अनावेदक क्र.1 एवं 2 संयुक्त एवं अलग-अलग रूप से, परिवादी को आदेश दिनांक से एक माह की अवधि के भीतर निम्नानुसार राशि अदा करेंगे:-
(अ) अनावेदक क्र.1 एवं 2 संयुक्त एवं अलग-अलग रूप से, परिवादी को बीमा दावा राशि 5,00,000रू. (पांच लाख रूपये) अदा करेंगे।
(ब) अनावेदक क्र.1 एवं 2 संयुक्त एवं अलग-अलग रूप से, परिवादी को उक्त राशि पर परिवाद प्रस्तुती दिनांक 22.02.2014 से भुगतान दिनांक तक 12 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज भी प्रदान करें।
(स) अनावेदक क्र.1 एवं 2 संयुक्त एवं अलग-अलग रूप से, परिवादी को वाद व्यय के रूप में 2,000रू. (दो हजार रूपये) भी अदा करेंगे।