प्रकरण क्र.सी.सी./14/50
प्रस्तुती दिनाँक 10.02.2014
श्रीमती लोकेश्वरी देशमुख ध.प. स्व. कौशल प्रसाद देशमुख, आयु-32, वर्ष, निवासी-ग्राम धरमी, तह. गुण्डरदेही, जिला-बालोद (छ.ग.) - - - - परिवादिनी
विरूद्ध
1. प्रबंधक, जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक मार्यादित, जिला अस्पताल के सामने, जी.ई.रोड, दुर्ग, तह. व जिला-दुर्ग (छ.ग.) एवं
शाखा प्रबंधक, शाखा कार्यालय-सेवा सहकारी समिति कर्यादित कचांदुर, तह. गुण्डरदेही, जिला-बालोद (छ.ग.)
2. इफको टोकियो जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमि., एस.ए.व्ही.-ई.5118 प्रथम तल, अरेरा कालोनी, शाॅपिंग काॅम्पलेक्स, बी.एस.एन.एल. आफिस के पास, बिटान मार्केट, भोपाल (म.प्र.)
- - - - अनावेदकगण
आदेश
(आज दिनाँक 12 मार्च 2015 को पारित)
श्रीमती मैत्रेयी माथुर-अध्यक्ष
परिवादिनी द्वारा अनावेदकगण से बीमा दावा राशि 5,00,000रू. मय ब्याज, मानसिक कष्ट क्षतिपूर्ति, वाद व्यय व अन्य अनुतोष दिलाने हेतु यह परिवाद धारा-12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अंतर्गत प्रस्तुत किया है।
(2) प्रकरण में निर्विवादित तथ्य है कि अनावेदक क्र.2 द्वारा अनावेदक क्र.1 के नाम पर अभिकथित जी.पी.ए. बीमा पालिसी जारी की गयी थी।
परिवाद-
(3) परिवादिनी का परिवाद संक्षेप में इस प्रकार है कि अनावेदक क्र.1 के माध्यम से अनावेदक क्र.2 के द्वारा परिवादिनी के पति कृषक मृतक स्व.कौशल प्रसाद देशमुख के जीवन पर जी.पी.ए. बीमा पाॅलिसी जारी की गई थी। मृतक दिनंाक 26.06.13 को धान बुवाई के लिए धान लेकर अपने खेत जा रहा था, परंतु रास्ते में वाहन मेटाडोर पलट जाने से मृतक बीमाधारक कौशल प्रसाद की मृत्यु उक्त दुर्घटना मे हो गई। परिवादिनी के द्वारा अनावेदक क्र.1 के माध्यम से आवश्यक दस्तावेज सहित क्लेम फार्म प्रस्तुत किया गया, जिस पर अनावेदक क्र.2 के द्वारा दि.05.12.13 को पत्र के माध्यम से परिवादिनी का क्लेम दावा मोटर व्हीकल अधिनियमों के उल्लंघन तथा दुर्घटना कारित वाहन के परमिट तथा इंश्योरेंस न होने के कारण निरस्त करने की सूचना प्रदान की गई। परिवादिनी के पति मृतक की आकस्मिक सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो जाने से अब परिवादिनी का कोई सहारा नहीं है तथा उसपर तीन तीन बच्चे उम्र क्रमशः 16 वर्ष, 14 वर्ष एवं 12 वर्ष भी मृतक पर आश्रित थे। अनावेदकगण द्वारा बीमा दावा राशि का भुगतान न कर घोर सेवा में कमी एवं व्यवसायिक कदाचरण का कृत्य किया गया है। अतः परिवादिनी को अनावेदकगण से बीमा दावा राशि 5,00,000रू. मय 12 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज सहित व मानसिक संताप क्षतिपूर्ति एवं वाद व्यय व अन्य अनुतोष दिलाया जावे।
जवाबदावाः-
(4) अनावेदक क्र.1 का जवाबदावा इस आशय का प्रस्तुत है कि मृतक बीमाधारी का दावा प्रपत्र अनावेदक क्र.1 के माध्यम से अनावेदक क्र.2 को प्रेषित किया गया था, जिसे दि.05.12.13 को अनावेदक क्र.2 के द्वारा निरस्त कर दिया गया। परिवादिनी के द्वारा अनावेदक क्र.2 पर गलत आधार पर दावा निरस्त करने का आरोप लगाया गया है ऐसी स्थिती में अनावेदक क्र.1, परिवादिनी को किसी प्रकार की क्षतिपूर्ति राशि अदा करने के लिए उत्तरदायी नहीं है। अतः प्रस्तुत परिवाद निरस्त किया जावे।
(5) अनावेदक क्र.2 का जवाबदावा इस आशय का प्रस्तुत है कि अनावेदक क्र.2 के द्वारा परिवादिनी के दावे के निराकरण के दौरान यह पाया कि अपराधिक प्रकरण के अनुसार वाहन में चालक के अलावा तीन अन्य व्यक्तियों के साथ मृतक ट्राली में बैठकर सफर कर रहा था, जो कि मोटर व्हीकल एक्ट का उल्लंघन था। मृतक के द्वारा उक्त घटना को स्वयं आमंत्रित किया गया। घटना के दौरान वाहन चालक के पास वैध वाहन चालन अनुज्ञप्ति नहीं थी तथा वाहन की परमिट, फिटनेस तथा बीमा नहीं था। वाहन चालक उक्त वाहन को तेज रफ्तार से लापरवाहीपूर्वक चला रहा था और उसने वाहन को पलट दिया। मृतक की मृत्यु सामान्य परिस्थतियों के अंतर्गत नहीं हुई है, उक्त मृत्यु दुर्घटनात्मक स्वरूप की न होने एवं बीमा शर्तों के अंतर्गत न आने से परिवादिनी के दावे को दि.05.12.2013 को निरस्त किया गया है। इस प्रकार अनावेदक क्र.2 के द्वारा किसी प्रकार सेवा में कमी नहीं की गई, परिवादिनी का दावा सव्यय निरस्त किया जावे।
(6) उभयपक्ष के अभिकथनों के आधार पर प्रकरण मे निम्न विचारणीय प्रश्न उत्पन्न होते हैं, जिनके निष्कर्ष निम्नानुसार हैं:-
1. क्या परिवादिनी, अनावेदकगण से बीमा दावा राशि 5,00,000रू. मय ब्याज प्राप्त करने की अधिकारी है? हाँ
2. अन्य सहायता एवं वाद व्यय? आदेशानुसार परिवाद स्वीकृत
निष्कर्ष के आधार
(7) प्रकरण का अवलोकन कर सभी विचारणीय प्रश्नों का निराकरण एक साथ किया जा रहा है।
फोरम का निष्कर्षः-
(8) परिवादिनी का तर्क है कि मृतक बीमाधारक कौशल प्रसाद की मृत्यु वाहन मेटाडोर पलट जाने से उक्त दुर्घटना मंे हो गई। परिवादिनी के द्वारा अनावेदक क्र.1 के माध्यम से आवश्यक दस्तावेज सहित क्लेम फार्म प्रस्तुत किया गया, किन्तु अनावेदक क्र.2 बीमा कंपनी के द्वारा दि.05.12.13 को परिवादिनी का बीमा दावा मोटर व्हीकल अधिनियमों के उल्लंघन तथा दुर्घटना कारित वाहन के परमिट तथा इंश्योरेंस न होने के कारण निरस्त कर दिया। इस प्रकार अनावेदकगण द्वारा बीमा दावा राशि का भुगतान न कर घोर सेवा में कमी एवं व्यवसायिक कदाचरण का कृत्य किया गया है।
(9) अनावेदक क्र.1 का तर्क है कि परिवादिनी की पति की दुर्घटना में दि.26.06.2013 को मृत्यु होने के उपरांत भी बीमा राशि अनावेदक क्र.2 द्वारा परिवादिनी को नहीं दिया है तो उसके लिए अनावेदक क्र.2 जवाबदार है अनावेदक क्र.1 नहीं, ऐसी स्थिति में परिवादिनी द्वारा अनावेदक क्र.1 के विरूद्ध संस्थित परिवाद निरस्त किया जावे।
(10) प्रकरण का अवलोकन करने पर हम यह पाते है कि मृतक का अभिकथित बीमाकृत होना निर्वाविदित है। प्रकरण में संलग्न एनेक्चर पी.5, एनेक्चर पी.8 एवं एनेक्चर पी.15 से सिद्ध होता है कि मृतक बीमाधारक की मृत्यु मेटाडोर के नीचे दबने से दुर्घटना स्थल पर ही मृत्यु हो गई, इस प्रकार मृतक की मृत्यु दुर्घटनात्मक स्वरूप की थी, इसके विपरित अनावेदक बीमा कंपनी की ओर से मृतक की मृत्यु दुर्घटनात्मक स्वरूप की नहीं होने के संबंध में कोई दस्तावेजी साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है न ही उक्त दस्तावेजों का खण्डन किया गया है।
(11) अनावेदक बीमा कंपनी द्वारा मोटर व्हीकल एक्ट का उल्लंघन होने, वाहन चालक के पास वैध वाहन चालन अनुज्ञप्ति नहीं होने तथा वाहन की परमिट, फिटनेस तथा बीमा नहीं होने से अनावेदक को कोई लाभ नहीं पहुंचता है, क्योंकि मृतक द्वारा वाहन में बैठकर जा रहा था तथा वाहन के पलट जाने से वाहन के नीचे दबने से दुर्घटना स्थल पर ही मृतक की मृत्यु हो गई। इस प्रकार परिवादिनी को बीमा दावा राशि प्राप्त करने हेतु वंचित नहीं किया जा सकता, क्योंकि अभिकथित बीमा होना निर्विवादित है। यह एक सामाजिक चेतना का विषय है कि किस प्रकार बीमा कंपनी ग्राहकों को बीमा पालिसी देकर अपना व्यापार तो बढ़ा लेती हैं, परंतु जब क्लेम देने का अवसर आता है तो बिना दस्तावेजों का सूक्ष्मता से अध्ययन किये बीमा दावा खारिज कर देती हंै, जैसा कि इस प्रकरण में हुआ है। अनावेदक ने कहीं भी सिद्ध नहीं किया है कि उसके द्वारा अभिकथित परमिट, फिटनेस प्राप्त करने हेतु पत्राचार किया। अनावेदक ने मृतक का बीमा होना स्वीकार किया है, परंतु अनावेदक क्र.2 ने इस तथ्य को नजरअन्दाज कर दिया है कि परिवादी एक ग्रामीण परिवेश की महिला है एवं ज्यादा शिक्षित भी सिद्ध नहीं है, अतः ऐसे प्रकरणों में अनावेदक को उच्च सेवाओं की नीति अपनानी थी।
(12) उपरोक्त विवेचना से हम यह निष्कर्षित करते हैं कि परिवादिनी के पति मृतक बीमाधारी की दुर्घटना में दि.26.06.2013 को मृत्यु उपरांत अनावेदकगण द्वारा परिवादिनी का बीमा दावा राशि का भुगतान न करना परिवादिनी के प्रति घोर सेवा में निम्नता एवं व्यवसायिक कदाचरण को सिद्ध करता है।
(13) अतः उपरोक्त संपूर्ण विवेचना के आधार पर हम परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद स्वीकार करते है और यह आदेश देते हैं कि अनावेदक क्र.1 एवं 2 संयुक्त एवं अलग-अलग रूप से, परिवादी को आदेश दिनांक से एक माह की अवधि के भीतर निम्नानुसार राशि अदा करेंगे:-
(अ) अनावेदक क्र.1 एवं 2 संयुक्त एवं अलग-अलग रूप से, परिवादी को बीमा राशि 5,00,000रू. (पांच लाख रूपये) प्रदान करेंगे।
(ब) अनावेदक क्र.1 एवं 2 संयुक्त एवं अलग-अलग रूप से, परिवादी को उक्त राशि पर परिवाद प्रस्तुती दिनांक 10.02.2014 से भुगतान दिनांक तक 9 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज भी प्रदान करें।
(स) अनावेदक क्र.1 एवं 2 संयुक्त एवं अलग-अलग रूप से, परिवादी को वाद व्यय के रूप में 5,000रू. (पांच हजार रूपये) भी अदा करेंगे।