प्रकरण क्र.सी.सी./14/180
प्रस्तुती दिनाँक 15.05.2014
श्रीमती ममता ठाकुर पति स्व.नरेश ठाकुर, आयु-33 वर्ष, स्थायी निवासी -ग्राम-जरवाय, पोस्ट सुरडुंग, जिला-दुर्ग (छ.ग.) वर्तमान पता -293/एच, रिसाली सेक्टर, भिलाई नगर, तह. व जिला-दुर्ग (छ.ग.)
- - - - परिवादी
विरूद्ध
1. शाखा प्रबंधक, फ्यूचर जनरली इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमि. कार्यालय-शाॅप क्र.3, मारूति बिजनेंस पार्क, जी.ई.रोड, रायपुर, धुप्पड़ पेट्रोल पंप के बाजू में, तहसील व जिला-रायपुर,
रजिस्टर्ड कार्यालय-फ्यूचर जनरली इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमि, इंडिया बुल्स फायनेंस, सेंटर टाॅवर 6वां फ्लोर, सेनापति भवन मार्ग, एलफिनस्टोन (वेस्ट) मुंबई 400013, शाखा कार्यालय-502, अवनी सिग्नेचर, 5वां फ्लोर, 91-ए, पार्क स्ट्रीट, कोलकाता-700016,
2. जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक मर्यादित, दुर्ग, तह. व जिला - दुर्ग (छ.ग.) - - - - अनावेदकगण
आदेश
(आज दिनाँक 23 मार्च 2015 को पारित)
श्रीमती मैत्रेयी माथुर-अध्यक्ष
परिवादी द्वारा अनावेदक से जी.पी.ए. बीमा पाॅलिसी के तहत बीमा राशि 5,00,000रू. मय ब्याज, मानसिक कष्ट हेतु 50,000रू., वाद व्यय व अन्य अनुतोष दिलाने हेतु यह परिवाद धारा-12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अंतर्गत प्रस्तुत किया है।
परिवाद-
(2) परिवादी का परिवाद संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादिनी के पति स्व.नरेश कुमार कृषक थे, जिनका बीमा अनावेदक क्र.2 के माध्यम से अनावेदक क्र.1 बीमा कंपनी से जे.पी.ए.बीमा पाॅलिसी के अंतर्गत किया गया था। दिनंाक 11.08.2013 को परिवादिनी के पति नरेश कुमार का शव देशी शराब भट्टी, रूआबांधा के पास बगल में पाया गया, जिसकी रिपोर्ट थाने मे दर्ज कराई गई तथा मृतक का पोस्ट मार्टम कराया गया, चिकित्सक के द्वारा मृत्यु का कारण गला घोटने से बताया गया। परिवादिनी के द्वारा अनावेदक क्र.2 के माध्यम से अनावेदक क्र.1 को क्लेम फार्म सहित अन्य दस्तावेज दि.26.12.13 को प्रेषित किया गया था। अनावेदक क्र.1 के द्वारा दिनंाक 25.04.14 को परिवादिनी का दावा मृतक का घटना के समय नशे के प्रभाव में होने के कारण बीमा शर्तों के उल्लंघन के आधार पर निरस्त कर सेवा में कमी की गई, जिसके लिए परिवादिनी को अनावेदकगण से बीमा राशि 5,00,000रू. मय ब्याज, मानसिक कष्ट क्षतिपूर्ति राशि 50,000रू., वाद व्यय व अन्य अनुतोष दिलाया जावे।
जवाबदावाः-
(3) अनावेदक क्र.1 का जवाबदावा इस आशय का प्रस्तुत है कि परिवादी स्वच्छ हाथों से नहीं आया है, मामला उपभोक्ता विवाद का नहीं है और न ही परिवादी उपभोक्ता है। उक्त मामला आर्बीट्रेटर से निष्कर्षित होना था। मृतक की पोस्टमार्टम रिपोर्ट से स्पष्ट है कि मृतक के पेट में 250 मिली लीटर शराब थी, जो कि बीमा शर्तों का स्पष्ट उल्लंघन है और इन आधारों पर अनावेदक बीमा कंपनी द्वारा परिवादी का बीमा दावा अस्वीकार कर परिवादी के प्रति किसी प्रकार की सेवा में निम्नता नहीं की है।
(4) अनावेदक क्र.2 का जवाबदावा इस आशय का प्रस्तुत है कि परिवादिनी का पति नरेश कुमार ठाकुर अनावेदक क्र.2 बैंक का खाताधारी तथा सदस्य था। अनावेदक क्र.2 ने अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया है। अनावेदक क्र.2 द्वारा किसी भी प्रकार से सेवा में कमी नहीं किया है, परिवादी को अनावेदक क्र2 से कोई शिकायत नहीं है। परिवादी द्वारा अनावेदक क्र.2 को कोई नोटिस नहीं दी है। मृतक के मृत्यु के कारण के परिपेक्ष्य में साबित करने का भार परिवादी पर है। अनावेदक क्र.2 के विरूद्ध परिवाद निरस्त किया जावे।
(5) उभयपक्ष के अभिकथनों के आधार पर प्रकरण मे निम्न विचारणीय प्रश्न उत्पन्न होते हैं, जिनके निष्कर्ष निम्नानुसार हैं:-
1. क्या परिवादी, अनावेदकगण से जी.पी.ए.बीमा पाॅलिसी अंतर्गत देय बीमा राशि 5,00,000रू. राशि मय ब्याज प्राप्त करने का अधिकारी है? नहीं
2. क्या परिवादी, अनावेदकगण से मानसिक परेशानी के एवज में 50,000रू. प्राप्त करने की अधिकारी है? नहीं
3. अन्य सहायता एवं वाद व्यय? आदेशानुसार परिवाद खारिज
निष्कर्ष के आधार
(6) प्रकरण का अवलोकन कर सभी विचारणीय प्रश्नों का निराकरण एक साथ किया जा रहा है।
फोरम का निष्कर्षः-
(7) परिवादी का तर्क है कि अनावेदक बीमा कंपनी ने हत्या का मामला होते हुए भी शराब का सेवन किया था, इस आधार पर बीमा दावा खारिज कर सेवा में निम्नता की है।
(8) अनावेदक का तर्क है कि परिवादी स्वच्छ हाथों से नहीं आया है, मामला उपभोक्ता विवाद का नहीं है और न ही परिवादी उपभोक्ता है। उक्त मामला आर्बीट्रेटर से निष्कर्षित होना था। मृतक की पोस्टमार्टम रिपोर्ट से स्पष्ट है कि मृतक के पेट में 250 मिली लीटर शराब थी, जो कि बीमा शर्तों के अनुसार बीमा दावा अस्वीकार करने में अनावेदक बीमा कंपनी ने कोई सेवा में निम्नता नहीं की है।
(9) प्रकरण का अवलोकन करने पर हम यह पाते है कि एनेक्चर-9 शव परीक्षण रिपोर्ट में मृतक के पेट में 250 मिली लीटर शराब पाई। अनावेदक द्वारा एनेक्चर डी.1 बीमा पालिसी प्रस्तुत की गई है, जिसके अनुसार यदि शराब का सेवन किया गया है और दुर्घटना एल्कोहनिक इन्फलूऐंस के दौरान होती है तो बीमा राशि देय नहीं है।
(10) इस प्रकरण में मृतक की हत्या की गई है, मृत्यु का कारण गला घोटना पाया गया है, परंतु पोस्टमार्टम रिपोर्ट एनेक्चर-9 अनुसार मृतक के पेट में 250 मिली लीटर शराब पाई गई है, इस स्थिति में हम परिवादी को इस बिन्दु का लाभ नहीं दे सकते हैं कि चूंकि मृतक की मृत्यु गला घोटने से हुई इै, इसलिए 250 मिली लीटर जैसी मात्रा का सेवन करना नजर अंदाज किया जा सकता है।
(11) फलस्वरूप यदि अनावेदक बीमा कंपनी ने 250 मिली लीटर शराब का सेवन करने के आधार पर परिवादी का बीमा दावा खारिज किया है तो उसे सेवा में निम्नता एवं व्यवसायिक दुराचरण नहीं माना जा सकता है, फलस्वरूप हम परिवादी द्वारा प्रस्तुत न्यायदृष्टांत:-
1) हिमाचल प्रदेश रोड ट्रांसपोर्ट कारपोरेशन लिमिटेड विरूद्ध न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड प्प् (2007) सी.पी.जे. 287 एवं
2) मंडा सवरना विरूद्ध ए.आई.सी. आफ इंडिया एवं अन्य प्ट (2006) सी.पी.जे. 135 (एन.सी.)
का लाभ देना उचित नहीं पाते हैं।
(12) फलस्वरूप परिवादी का दावा स्वीकार करने का समुचित आधार नहीं पाते हैं, अतः दावा खारिज करते हैं।
(13) प्रकरण के तथ्य एवं परिस्थितियों को देखते हुए पक्षकार अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।