Uttar Pradesh

StateCommission

A/1857/2016

Arun Kumar - Complainant(s)

Versus

Manager Farrukhabad Cold Storage - Opp.Party(s)

R.D. Kranti

03 Sep 2020

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1857/2016
( Date of Filing : 20 Sep 2016 )
(Arisen out of Order Dated 08/08/2016 in Case No. C/98/2014 of District Allahabad)
 
1. Arun Kumar
S/O Late sri Sharda Prasad R/O Vill. Madipur/ Kalyanpur Post Katara Gulabsingh Police Station Mauima Distt. Allahabad
...........Appellant(s)
Versus
1. Manager Farrukhabad Cold Storage
2- Shllakhana Teliarganj Allahabad
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN PRESIDENT
 HON'BLE MR. Vikas Saxena JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 03 Sep 2020
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखन

अपील संख्‍या-1857/2016

(सुरक्षित)

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, इलाहाबाद द्वारा परिवाद संख्‍या 98/2014 में पारित आदेश दिनांक 08.08.2016 के विरूद्ध)

Arun Kumar Son of late Sharda Prasad, Resident of Village Madipur/Kalyanpur, Post Office Katara gulabsigh, Police Station Mauima, District Allahabad.

                              ..................अपीलार्थी/परिवादी

बनाम

Farrukhabad Cold Storage (P) Ltd., Address-2-Shilakhana, Teliarganj, Allahabad through its Manager.

                                ...................प्रत्‍यर्थी/विपक्षी

समक्ष:-

1. माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष।

2. माननीय श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य।

3. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री आर0डी0 क्रान्ति,                               

                           विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री योगेन्‍द्र सिंह,                               

                          विद्वान अधिवक्‍ता।

दिनांक: 21.09.2020

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

परिवाद संख्‍या-98/2014 श्री अरूण कुमार बनाम मैनेजर, फर्रूखाबाद कोल्‍ड स्‍टोरेज प्रा0लि0 तेलियरगंज, इलाहाबाद में जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, इलाहाबाद द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 08.08.2016 के विरूद्ध यह अपील धारा-15  उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्‍तर्गत राज्‍य आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत की गयी है।

जिला फोरम ने  आक्षेपित   निर्णय   व   आदेश   के  द्वारा  

 

-2-

परिवाद अंशत: स्‍वीकार करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया है:-

''परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत यह परिवाद विपक्षी के विरूद्ध अंशत: आज्ञप्‍त किया जाता है। विपक्षी को यह निर्देश दिया जाता है कि वह इस आदेश के दो माह के अन्‍तर्गत परिवादी को नीलाम की गई आलू की धनराशि 23,377/-रू0 से 4,320/-रू0 किराया घटाते हुए 19,057/-रू0 मय 6 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्‍याज परिवाद दाखिल करने की तिथि से वास्‍तविक भुगतान की तिथि तक का अदा करें।

वाद व्‍यय पक्षकार स्‍वयं वहन करेंगे।''

जिला फोरम के निर्णय से परिवादी सन्‍तुष्‍ट नहीं है। अत: उसने यह अपील राज्‍य आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत कर जिला फोरम द्वारा पारित आदेश संशोधित करते हुए परिवाद पत्र में याचित अनुतोष प्रदान करने का निवेदन किया है।

अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी/परिवादी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री आर0डी0 क्रान्ति और प्रत्‍यर्थी/विपक्षी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री योगेन्‍द्र सिंह उपस्थित आये हैं।

हमने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय व आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन  किया है। 

अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्‍त सुसंगत तथ्‍य इस प्रकार हैं कि अपीलार्थी/परिवादी ने प्रत्‍यर्थी/विपक्षी के विरूद्ध परिवाद जिला फोरम के समक्ष इस कथन के साथ प्रस्‍तुत किया है कि उसने  90  पैकेट

 

-3-

आलू, जिसमें प्रत्‍येक पैकेट में 56 कि0ग्रा0 आलू था, प्रत्‍यर्थी/विपक्षी के कोल्‍ड स्‍टोरेज में नियत किराये पर रखा था। कोल्‍ड स्‍टोरेज में रखा गया आलू उच्‍च कोटि की गुणवत्‍ता का था और स्‍वस्‍थ प्रकृति का था, परन्‍तु जब उसने अपनी रसीद संख्‍या-273/9 के माध्‍यम से कोल्‍ड स्‍टोरेज में रखा आलू निकलवाया तो पता चला कि आलू में बड़े-बड़े अंकुरण हो गये हैं और सड़न भी पैदा हो गयी है। तब उसने प्रत्‍यर्थी/विपक्षी से शिकायत की तो प्रत्‍यर्थी/विपक्षी ने आश्‍वासन दिया कि उसका आलू कोल्‍ड स्‍टोरेज में सुरक्षित है, जब वह निकलवाने आयेगा तब तक आलू के खराब हो जाने की क्षति के सम्‍बन्‍ध में कोल्‍ड स्‍टोरेज के मालिक से बात कर आलू खराब होने की क्षति के आंकलन के बाद उसे क्षतिपूर्ति दी जायेगी। उसके बाद दिनांक 08.11.2013 को जब अपीलार्थी/परिवादी रसीद संख्‍या-272/9 का आलू निकलवाने कोल्‍ड स्‍टोरेज गया और सैम्‍पल के लिए दो पैकेट आलू निकलवाया तो पाया कि आलू पहले के आलू से भी ज्‍यादा खराब हो चुका है। तब उसने निकाले गये आलू के सैम्‍पल को सुरक्षित रखने को कहा और पूर्व की क्षति की पूर्ति          हेतु कहा। इस पर प्रत्‍यर्थी/विपक्षी के कोल्‍ड स्‍टोरेज ने अपनी असमर्थता व्‍यक्‍त की और उसे बताया गया कि कोल्‍ड स्‍टोरेज के मालिक ने कहा है कि जो किराया निर्धारित है उसे क्षतिपूर्ति के रूप में माफ कर दीजिये, परन्‍तु अपीलार्थी/परिवादी ने कहा कि प्रति पैकेट 800/-रू0 की हानि उसे हो रही है और उसका आलू कोई क्रय करने को तैयार नहीं है। आलू का बाजार भाव 2000/-रू0 के स्‍थान

 

-4-

पर 1000/-रू0 प्रति पैकेट का प्रस्‍ताव उसे प्राप्‍त हो रहा है। इस पर भी प्रत्‍यर्थी/विपक्षी ने उस पर दबाव बनाया कि वह अपना आलू कोल्‍ड स्‍टोरेज से तुरन्‍त निकाल ले अन्‍यथा निर्धारित समय की समाप्ति के बाद आलू निकालकर सार्वजनिक नीलामी कर दी जायेगी और जो पैसा आयेगा उसे उपलब्‍ध करा दिया जायेगा। अत: मजबूरन अपीलार्थी/परिवादी ने आलू निकलवा लिया, परन्‍तु कोल्‍ड स्‍टोरेज में रखे आलू खराब होने के कारण अपीलार्थी/परिवादी को अपने खेतों की बुआई के लिए मंहगे दामों पर आलू क्रय करना पड़ा।

परिवाद पत्र के अनुसार अपीलार्थी/परिवादी का कथन है कि प्रत्‍यर्थी/विपक्षी की लापरवाही के कारण उसका आलू क्षतिग्रस्‍त हुआ है और उसे मानसिक रूप से क्षति हुई है, जिससे उसे करीब 1,20,000/-रू0 क्षति उठानी पड़ी है। अत: उसने परिवाद जिला फोरम के समक्ष प्रस्‍तुत कर निम्‍न अनुतोष चाहा है:-

अ. यह कि विपक्षी ने परिवादी को 90 पैकेट आलू के रख रखाव में हुई क्षति व कृषि कार्य प्रभावित होने के कारण मानसिक कष्‍ट भी उठाना पड़ रहा है तथा विपक्षी के स्‍टोर के रखाव में की गई कमी के कारण व लापरवाही के कारण परिवादी को मु0 1,20,000/-रूपया क्षति पूर्ति के रूप में दिलाया जावे।

ब. यह कि व्‍यय परिवादी को विपक्षी से दिलाया जावे।

स. यह कि अन्‍य अनुतोष जो मान‍नीय न्‍यायालय उचित समझे परिवादी को विपक्षी से दिलाया जावे।

जिला फोरम के  समक्ष  प्रत्‍यर्थी/विपक्षी  ने  लिखित  कथन

-5-

प्रस्‍तुत किया है और कहा है कि अपीलार्थी/परिवादी ने व्‍यवसायिक उद्देश्‍य से मार्च, 2013 में उसके कोल्‍ड स्‍टोरेज में रसीद                 संख्‍या-273/9 से 42 पैकेट और रसीद संख्‍या-272/9 से 48 पैकेट कुल 90 पैकेट आलू रखा था। कोल्‍ड स्‍टोरेज में आलू निकासी की अन्तिम तिथि 31 अक्‍टूबर होती है जो बाद में 30 नवम्‍बर तक कर दी गयी थी।

लिखित कथन में प्रत्‍यर्थी/विपक्षी की ओर से कहा गया है कि अपीलार्थी/परिवादी ने आलू व्‍यवसायिक उद्देश्‍य से रखा था। अत: वह धारा-2 (1) (डी) उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्‍तर्गत उपभोक्‍ता की श्रेणी में नहीं आता है।

लिखित कथन में प्रत्‍यर्थी/विपक्षी की ओर से कहा गया है कि अपीलार्थी/परिवादी आलू की खरीद फरोख्‍त का कार्य करता है। आलू की निकासी के समय सही बाजार भाव न मिलने के कारण उसने 46 पैकेट आलू नहीं निकाला।

लिखित कथन में प्रत्‍यर्थी/विपक्षी की ओर से कहा गया है कि यदि आलू खराब थी तो उसकी शिकायत लाइसेंसिंग अथॉरिटी/जिला उद्यान अधिकारी से क्‍यों नहीं की गयी।

लिखित कथन में प्रत्‍यर्थी/विपक्षी की ओर से कहा गया है कि अपीलार्थी/परिवादी की नोटिस दिनांक 11.11.2013 का जवाब उसने दिनांक 04.12.2013 को पंजीकृत डाक से दिया है और उसे यह अवगत कराया है कि कोल्‍ड स्‍टोरेज का सीजन समाप्‍त हो गया है। निकासी की अन्तिम तिथि भी बीत गयी है। अत: वह अपना  आलू

 

-6-

निकाल ले अन्‍यथा आलू की नीलामी कर दी जायेगी, परन्‍तु वह आलू लेने नहीं आया तब बचे हुए पैकेट की सार्वजनिक नीलामी की सूचना उसे प्रेषित की गयी और उसके अवशेष 46 बोरी आलू की नीलामी जिला उद्यान अधिकारी के प्रतिनिधि के समक्ष नियमानुसार की गयी है। उसके अवशेष 46 पैकेट आलू की नीलामी 24,139/-रू0 में हुई है, जिसमें खर्च काटने के बाद 23,377/-रू0 वास्‍तविक धनराशि प्राप्‍त हुई है, जिसकी सूचना अपीलार्थी/परिवादी को दी गयी है, परन्‍तु वह यह धनराशि लेने नहीं आया है।

लिखित कथन में प्रत्‍यर्थी/विपक्षी की ओर से कहा गया है कि अपीलार्थी/परिवादी सूचना के बाद भी आलू लेने नहीं आया है। अत: उसकी आलू की नीलामी विधि के अनुसार प्रत्‍यर्थी/विपक्षी के कोल्‍ड स्‍टोरेज ने की है। प्रत्‍यर्थी/विपक्षी के कोल्‍ड स्‍टोरेज की सेवा में कोई कमी नहीं है और न ही कोई अनुचित व्‍यापार पद्धति अपनाई गयी है।

     जिला फोरम ने उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍यों

पर विचार करने के उपरान्‍त यह माना है कि प्रत्‍यर्थी/विपक्षी कोल्‍ड स्‍टोरेज की सेवा में कोई कमी नहीं है। प्रत्‍यर्थी/विपक्षी ने अपीलार्थी/परिवादी के 46 पैकेट अवशेष आलू की नीलामी उ0प्र0 कोल्‍ड स्‍टोरेज अधिनियम, 1976 के प्राविधान के अनुसार की है। इसके साथ ही जिला फोरम ने यह माना है कि अपीलार्थी/परिवादी आलू की नीलामी से प्राप्‍त धनराशि 23,377/-रू0 से 4,320/-रू0 की कटौती कर अवशेष धनराशि 19,057/-रू0 मय ब्‍याज पाने  का

 

-7-

अधिकारी है। अत: जिला फोरम ने परिवाद अंशत: स्‍वीकार करते हुए तद्नुसार आदेश पारित किया है, जो ऊपर अंकित है।

अपीलार्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि प्रत्‍यर्थी/विपक्षी के कोल्‍ड स्‍टोरेज की लापरवाही के कारण अपीलार्थी/परिवादी का आलू क्षतिग्रस्‍त हो गया था, जिससे आलू बाजार मूल्‍य पर कोई लेने को तैयार नहीं था और इसी कारण आलू नीलामी में बाजार मूल्‍य से कम दर पर मात्र 23,377/-रू0 में बिका है। आलू प्रत्‍यर्थी/विपक्षी के कोल्‍ड स्‍टोरेज की सेवा में कमी के कारण खराब हुआ है और उसके मूल्‍य में हृास आया है। अत: अपीलार्थी/परिवादी, प्रत्‍यर्थी/विपक्षी से आलू का बाजार मूल्‍य पाने का अधिकारी है, परन्‍तु जिला फोरम ने अपने आक्षेपित निर्णय में इस बिन्‍दु पर विचार नहीं किया है। अत: जिला फोरम द्वारा पारित आदेश दोषपूर्ण है। अत: अपील स्‍वीकार कर जिला फोरम द्वारा पारित आदेश संशोधित करते हुए परिवाद पत्र में अपीलार्थी/परिवादी द्वारा याचित अनुतोष प्रदान की जाये।

प्रत्‍यर्थी/विपक्षी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय तथ्‍य और साक्ष्‍य के अनुकूल है। प्रत्‍यर्थी/विपक्षी कोल्‍ड स्‍टोरेज की सेवा में कोई कमी नहीं रही है और आलू खराब नहीं हुआ है। आलू का बाजारू मूल्‍य कम होने के कारण अपीलार्थी/परिवादी स्‍वयं आलू लेने नहीं आया है। अत: नियत समय के बाद उसे आलू लेने हेतु नोटिस भेजी गयी है फिर भी वह नहीं आया है तब  उ0प्र0  कोल्‍ड  स्‍टोरेज  अधिनियम, 1976  के

 

-8-

प्राविधान के अनुसार जिला उद्यान अधिकारी के प्रतिनिधि की उपस्थिति में आलू की नीलामी की गयी है। प्रत्‍यर्थी/विपक्षी कोल्‍ड स्‍टोरेज की सेवा में कोई कमी नहीं है। अपील बल रहित है और निरस्‍त किये जाने योग्‍य है।

हमने उभय पक्ष के तर्क पर विचार किया है।

प्रत्‍यर्थी/विपक्षी के कोल्‍ड स्‍टोरेज में अपीलार्थी/परिवादी द्वारा रसीद संख्‍या-273/9 से 42 पैकेट और रसीद संख्‍या-272/9 से              48 पैकेट कुल 90 पैकेट आलू, जिसमें प्रत्‍येक पैकेट में 56 किलो आलू था, रखा जाना अविवादित है। प्रत्‍यर्थी/विपक्षी के कोल्‍ड स्‍टोरेज में रखे गये आलू से 44 पैकेट आलू अपीलार्थी/परिवादी द्वारा निकाला जाना भी उभय पक्ष को स्‍वीकार है। विवाद मात्र 46 पैकेट आलू का है। अपीलार्थी/परिवादी का कथन है कि उसका यह आलू खराब हो गया था। इस कारण उसने आलू प्राप्‍त नहीं किया। प्रत्‍यर्थी/विपक्षी कोल्‍ड स्‍टोरेज का कथन है कि आलू का बाजारू मूल्‍य कम होने के कारण अपीलार्थी/परिवादी ने अपना अवशेष                  46 पैकेट आलू जो प्रत्‍यर्थी/विपक्षी के कोल्‍ड स्‍टोरेज में रखा था प्राप्‍त नहीं किया है। अपीलार्थी/परिवादी ने आलू खराब होने की कोई शिकायत जिला उद्यान अधिकारी से नहीं की है और आलू खराब होने का कोई साक्ष्‍य पत्रावली पर प्रस्‍तुत नहीं किया है। इसके विपरीत आलू रखने की निश्चित अवधि बीतने के पश्‍चात् प्रत्‍यर्थी/विपक्षी कोल्‍ड स्‍टोरेज ने अपीलार्थी/परिवादी को आलू लेने हेतु नोटिस भेजा है और उसके द्वारा  आलू  न  लेने  पर  उसके

 

-9-

अवशेष आलू की नीलामी उ0प्र0 कोल्‍ड स्‍टोरेज अधिनियम, 1976 के प्राविधान के अनुसार जिला उद्यान अधिकारी के प्रतिनिधि के समक्ष किया है। इस प्रकार प्रत्‍यर्थी/विपक्षी ने उ0प्र0 कोल्‍ड स्‍टोरेज अधिनियम, 1976 के प्राविधान और नियम का पालन कर अपीलार्थी/परिवादी के अवशेष 46 पैकेट आलू का निस्‍तारण किया है। अत: सम्‍पूर्ण तथ्‍यों, साक्ष्‍यों और परिस्थितियों पर विचार करने के उपरान्‍त हम इस मत के हैं कि जिला फोरम ने जो प्रत्‍यर्थी/विपक्षी कोल्‍ड स्‍टोरेज की सेवा में कमी नहीं माना है वह उचित और युक्तिसंगत है।

सम्‍पूर्ण तथ्‍यों और परिस्थितियों पर विचार करते हुए जिला फोरम ने अपीलार्थी/परिवादी के अवशेष 46 पैकेट आलू की नीलामी से प्राप्‍त धनराशि से कोल्‍ड स्‍टोरेज का किराया 4,320/-रू0 काटकर जो 19,057/-रू0 की धनराशि अपीलार्थी/परिवादी को मय ब्‍याज के वापस करने हेतु प्रत्‍यर्थी/विपक्षी को आदेशित किया है वह उपरोक्‍त विवेचना एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍यों के आधार पर उचित प्रतीत होता है। जिला फोरम के निर्णय में हस्‍तक्षेप हेतु उचित आधार नहीं है। अपील निरस्‍त की जाती है।

उभय पक्ष अपना-अपना वाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

 

 

 

(न्‍यायमूर्ति अख्‍तर हुसैन खान)  (विकास सक्‍सेना)  (सुशील कुमार)            

    अध्‍यक्ष                    सदस्‍य           सदस्‍य 

 

जितेन्‍द्र आशु0

कोर्ट नं0-1

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN]
PRESIDENT
 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
JUDICIAL MEMBER
 

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