Chhattisgarh

Durg

CC/114/2014

Smt. Mangtin Bai & 1 other - Complainant(s)

Versus

Manager, Durg Rajnandgaon Gramin Bank - Opp.Party(s)

Mr. A.K.Pathak

16 Feb 2015

ORDER

DISTRICT CONSUMER DISPUTES REDRESSAL FORUM, DURG (C.G.)
FINAL ORDER
 
Complaint Case No. CC/114/2014
 
1. Smt. Mangtin Bai & 1 other
Khairjhiti
Durg
C.G.
...........Complainant(s)
Versus
1. Manager, Durg Rajnandgaon Gramin Bank
Durg
Durg
C.G.
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MRS. मैत्रेयी माथुर् PRESIDENT
 HON'BLE MRS. शुभा सिंह MEMBER
 
For the Complainant:Mr. A.K.Pathak, Advocate
For the Opp. Party:
ORDER

                                                   प्रकरण क्र.सी.सी./14/114

                                                                                                   प्रस्तुती दिनाँक 07.04.2014

 

1. श्रीमती मंगतीन बाई जौजे-खुनूराम पाटिल, आयु-50 वर्ष,

2. खुनूराम पाटिल आ श्री समारू, आयु-60 वर्ष,

दोनो निवासी-ग्राम खैरझिटी, तह. धमधा, जिला-दुर्ग (छ.ग.)                                                        - - - -     परिवादीगण

विरूद्ध

शाखा प्रबंधक, दुर्ग-राजनांदगांव ग्रामीण बैंक, शाखा धमधा, तह. धमधा, जिला-दुर्ग (छ.ग.)                         - - - -        अनावेदक

 

आदेश

(आज दिनाँक 16 फरवरी 2015 को पारित)

श्रीमती मैत्रेयी माथुर-अध्यक्ष

                                परिवादीगण द्वारा अनावेदक से जमा की गई चेक की राशि 14,838रू. मय ब्याज, मानसिक कष्ट हेतु 50,000रू., वाद व्यय व अन्य अनुतोष दिलाने हेतु यह परिवाद धारा-12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अंतर्गत प्रस्तुत किया है।

परिवाद-

                                (2) परिवादीगण का परिवाद संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादीगण के द्वारा अनावेदक बैंक, से ऋण प्राप्त किया था, उपरोक्त ऋण को नियमानुसार चेक व नगद राशि के माध्यम से जमा किया गया था, किंतु परिवादीगण के द्वारा जो चेक अनावेदक बैंक के शाखा कार्यालय मे जमा किया गया था, उसे उसके खाते में जमा नहीं किया गया एवं उसे अतिरिक्त राशि अदा करने हेतु सूचना पत्र जारी कर दिया गया। परिवादीगण के द्वारा जब सूचना प्राप्ति के पश्चात अपने खाते की जांच करवाई तो यह ज्ञात हुआ कि उनके द्वारा जो चेक दिनंाक 08.02.2008 केा अपने खाते में जमा किया था, उस राशि का इंद्राज उनकी पासबुक में एवं खाते मे दर्शित नहीं किया गया। परिवादीगण के किसान क्रेडिट कार्ड नंबर 15632 खाता क्र.305 में दिनंाक 08.02.2008 में कुल 14,838रू. का इंद्राज नहीं किया गया, परिवादीगण के द्वारा यह जानकारी अनावेदक को मौखिक प्रदान करते हुए लिखित सूचना मुख्या प्रबंधक दुर्ग-राजनांदगांव ग्रामीण बैंक शाखा राजनांदगांव को दि.22.02.13 को प्रदान कर दी गई। परिवादीगण के द्वारा प्रेषित सूचना प्राप्त करने के पश्चात भी परिवादी के द्वारा अपने बैंक खाते में उक्त राशि जो कि दि.08.02.08 को अनावेदक बैंक में जमा की गई थी की प्रविष्टि नहीं की गई। परिवादीगण के द्वारा अपने अधिवक्ता के माध्यम से दि.24.07.14 को एक विधिक नोटिस प्रेषित किया गया, जिसकी प्राप्ति के पश्चात भी अनावेदक के द्वारा नोटिस का कोई जवाब नहीं दिया गया। अनावेदक का उपरोक्त कृत्य सेवा में कमी की श्रेणी में आता है। अतः परिवादीगण को अनावेदक से अपने खाते मे जमा की गई चेक राशि 14,838रू. तथा दि.08.02.2008 से ब्याज, आर्थिक, मानसिक क्षतिपूर्ति स्वरूप 50,000रू., वाद व्यय व अन्य अनुतोष दिलाया जावे।

जवाबदावाः-

                                (3) अनावेदक का जवाबदावा इस आशय का प्रस्तुत है कि परिवादी द्वारा दिनांक 08.02.2008 को दो चेक बैंक मे जमा किए थे, पहला चेक 2832रू. तथा दूसरा चेक क्र.14006रू. का था। दोनों चेकों की कुल राशि 16,838रू. का परिवादी द्वारा गलत योग 14,838रू. किया है। राशि 16,838रू. का समयोजन उसके खाते में बैंक ने संशोधित कर इंद्राज किया है। राशि 14438रू. या 14838रू. का कोई भी संव्यवहार नहीं हुआ है। अनावेदक ने परिवादी के द्वारा दो चेक के जोड़ को 14,838रू. के स्थान पर 16,838रू. जमा तथा इंद्राज किया है तब 14,838रू. या 14438रू. का गलत इंद्राज संभव ही नहीं है। परिवादीगण द्वारा लिपिकीय त्रुटि से भ्रमित होते हुए यह परिवाद प्रस्तुत किया है। अनावेदक द्वारा किसी प्रकार से सेवा मे कमी नहीं की है।

 

                                (4) उभयपक्ष के अभिकथनों के आधार पर प्रकरण मे निम्न विचारणीय प्रश्न उत्पन्न होते हैं, जिनके निष्कर्ष निम्नानुसार हैं:-

1.             क्या परिवादी, अनावेदक जमा की गई चेक की राशि 14,838रू. मय ब्याज प्राप्त करने का अधिकारी है?                                                                                               नहीं

2.             क्या परिवादी, अनावेदक से मानसिक परेशानी के एवज में 50,000रू. प्राप्त करने का अधिकारी है?    नहीं

3.             अन्य सहायता एवं वाद व्यय?                                         आदेशानुसार परिवाद खारिज

 

 निष्कर्ष के आधार

                                (5) प्रकरण का अवलोकन कर सभी विचारणीय प्रश्नों का निराकरण एक साथ किया जा रहा है। 

फोरम का निष्कर्षः-

                                (6) प्रकरण का अवलोकन करने पर हम यह पाते है कि जहां एक ओर परिवादी ने तर्क किया है कि अनावेदक ने उसके द्वारा जमा की गई राशि 14,838रू. को खाते में इंद्राज नहीं किया, वहीं अनावेदक का तर्क है कि दि.08.02.2008 को परिवादी ने दो चेक जमा किये थे, दोनों चेक का कुल योग 16,838रू. होता था, जिसको कि परिवादी के खाते में इंद्राज किया गया है, चूंकि बैंक ने एनेक्चर डी.1 अनुसार उक्त दस्तावेज की प्रति प्रस्तुत की है, फलस्वरूप हम ऐसी स्थिति नहीं पाते हैं कि अनावेदक द्वारा किसी भी प्रकार की सेवा में निम्नता या व्यवसायिक दुराचरण किया गया है।

(7) फलस्वरूप हम परिवादी का दावा स्वीकार करने का समुचित आधार नहीं पाते हैं, अतः खारिज करते हैं।

(8) प्रकरण के तथ्य एवं परिस्थितियों को देखते हुए पक्षकार अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MRS. मैत्रेयी माथुर्]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MRS. शुभा सिंह]
MEMBER

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