Dr. Rashmi pradeep chopra filed a consumer case on 08 Sep 2015 against Manager, D Shalet in the Kota Consumer Court. The case no is CC/225/2009 and the judgment uploaded on 09 Sep 2015.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश मंच, झालावाड,केम्प कोटा (राज)।
पीठासीन अधिकारी:- श्री नन्दलाल षर्मा, अध्यक्ष व श्री महावीर तंवर सदस्य।
प्रकरण संख्या-225/2009
डा0 रश्मि प्रदीप चैपड़ा पत्नि श्री प्रदीप चैपड़ा निवासी-डच्।56,सेवा होस्पीटल, महावीर नगर द्वितीय,कोटा।
-परिवादिनी।
बनाम
1 डी शालेट 90/27 ए मुख्य बाजार के पास,मालवीय नगर, नई दिल्ली 110 017
जरिये प्रबन्धक।
2 डेविना के डाबरा,प्रोपराइटर डी शालेट क्लब हाउस रोड,मनाली (हिमाचल प्रदेश)।
3 वी.के.टी.इंटरनेशनल,27 अनीता सदन,प्रथम तल,झालावाड रोड, कोटा जरिये
प्रबन्धक।
-विपक्षीगण।
परिवाद अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986
उपस्थिति-
1 श्री सुरेश माथुर,अधिवक्ता ओर से परिवादिनी।
2 एकतरफा।
निर्णय दिनांक 08.09.2015
प्रस्तुत परिवाद जिला मंच,कोटा में पेष हुआ तथा निस्तारण हेतु जिला मंच झालावाड केम्प कोटा को प्राप्त हुआ है।
प्रस्तुत परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 12 के तहत दिनांक 14-03-2008 को परिवादिनी ने इन अभिवचनों के साथ प्रस्तुत किया है कि विपक्षी-1 एक सेवा प्रदाता कम्पनी डी शालेट है जो इच्छुक व्यक्तियों के साथ टाइम शेयर परचेज एग्रीमेंट कर उन्हें होलीडे सेवाऐं उपलब्ध कराती है। विपक्षी-2 विपक्षी-1 के प्रोपराइटर हैं तथा विपक्षी-3 विपक्षी-1 व 2 के कोटा स्थित अधिकृत प्राधिकारी हैं। विपक्षीगण का डी
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शालेट रिसोर्ट के नाम से मनाली में एक रिसोर्ट है। उन्होंने एक स्कीम निकाली जिसके तहत निर्धारित वर्षों तक छुट्टियांँ बिताने हेतु आवास व अन्य सुविधाऐं उपलब्ध करायी जानी थीं। परिवादिनी ने विपक्षी-3 से संपर्क किया और 79,500/-रूपये दिनांक 12-12-2001 को अदा करके टाइम शेयर परचेज एग्रीमेंट निष्पादित किया जिसके तहत परिवादिनी सहित चार व्यक्तियों के लिए डी-शालेट रिसोर्ट मनाली में उक्त वर्ष से 2033 तक प्रतिवर्ष एक सप्ताह के लिए स्टूडियो अपार्टमेंट में रेड होलीडे पीरियड उपलब्ध कराया जाना था। लेकिन एग्रीमेंट निष्पादित होने के बावजूद भी विपक्षीगण ने कोई सूचना जारी नहीं की जिसके कारण परिवादिनी छुट्टियों को बिताने की सुविधा का उपयोग-उपभोग नहीं कर सकी। तत्पश्चात् परिवादिनी ने विपक्षीगण को सूचना पत्र प्रेषित किया जिस पर विपक्षीगण ने दिनंाक 27-07-2004 को कार्ड व नम्बर सूचित करते हुए अपनी गलती व लापरवाही मानते हुए 5,000/-रूपये सितम्बर 2004 तक व 5,000/-रूपये अक्टूबर 2004 तक रिफण्ड किये जाने का आश्वासन दिया किन्तु आज तक राशि का भुगतान नहीं किया है। तदोपरान्त परिवादिनी ने विपक्षीगण को दिनंाक 30-10-2007 को विधिक नोटिस दिलाया लेकिन विपक्षीगण ने न तो रकम का भुगतान किया और न ही अन्य सुविधाऐं प्रदान की हैं। परिवादिनी ने विपक्षीगण से 79,500/-रूपये मय ब्याज एवं क्षतिपूर्ति के दिलाये जाने का अनुतोष चाहा है।
विपक्षी संख्या-2 के खिलाफ एकपक्षीय कार्यवाही दिनंाक 29-02-2012 को अमल में लायी गई है। विपक्षी-1 व 3 का नवीन पता पेश नहीं किया गया है जबकि परिवादिनी को करीब 15 पेशियां दे दी गई थी। ऐसी स्थित में दिनंाक 26-02-2015 को इन दोनों की तलबी बन्द कर दी गई।
परिवाद के समर्थन में परिवादिनी ने स्वयं का षपथपत्र तथा प्रलेखीय साक्ष्य में म्ग.1 लगायत म्ग.8 दस्तावेज प्रस्तुत किये हैं।
उपरोक्त अभिवचनों के आधार पर बिन्दुवार निर्णय निम्न प्रकार है:-
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1 क्या परिवादिनी विपक्षीगण की उपभोक्ता है ?
परिवादिनी का परिवाद,षपथ-पत्र तथा पत्रावली पर उपलब्ध दस्तावेजात के आधार पर परिवादिनी विपक्षीगण की उपभोक्ता है।
2 सेवादोश ?
पत्रावली का अवलोकन किया तो स्पश्ट हुआ कि परिवादिनी ने अपने परिवाद में अंकित किया है कि उसने विपक्षी-2 के साथ टाइम शेयर परचेज एग्रीमेंट किया। इसकी पुष्टि पत्रावली पर उपलब्ध दस्तावेज 12-12-2001 से होती है लेकिन विपक्षीगण ने टाइम शेयर परचेज एग्रीमेंट के अनुसार संविदा का पालन नहीं किया और परिवादिनी को समय पर सुविधा व आवास उपलब्ध नहीं करवाया। एग्रीमेंट के अनुसार परिवादिनी सेे 79,500/-रूपये एडवान्स ले लिये गये उसके बाद भी एग्रीमेंट का निष्पादन नहीं किया। इन तथ्यों का खंडन विपक्षीगण ने अपने जवाब व साक्ष्य द्वारा किसी प्रकार नहीं किया है। फलस्वरूपतः परिवादिनी के परिवाद,शपथपत्र तथा दस्तावेजात पर अविश्वास किये जाने का कोई कारण नहीं है। अतः विपक्षीगण का सेवादोष प्रमाणित पाया जाता है।
3 अनुतोश ?
परिवादिनी का परिवाद विरूद्ध विपक्षीगण के विरूद्ध संयुक्ततः व पृथकतः स्वीकार किये जाने योग्य पाया जाता है।
आदेष
परिणामतः परिवादिनी डा0 रश्मि प्रदीप चैपड़ा का परिवाद अप्रार्थीगण के विरूद्ध संयुक्ततः व पृथकतः स्वीकार किया जाकर आदेष दिया जाता है कि:-
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01. अप्रार्थीगण परिवादीनी को 79,500/-रूपये मूल (अग्रिम राशि) अदा करे।
02. परिवादीनी को 5,000/- रूपये आर्थिक व मानसिक क्षति के अदा करे।
03. परिवादीनी को 2,000/- रूपये परिवाद व्यय अदा करे।
04. निर्णय की पालना अप्रार्थीगण निर्णय सुनाये जाने की तारीख से 2 माह के अंदर-अंदर सुनिश्चित करे।
05. निर्धारित अवधि में निर्णय की पालना में असफल रहने पर उक्त राशि पर 9ः वार्शिक ब्याज दर से ताअदाएगी संपूर्ण भुगतान पर ब्याज भीे अदा करें।
विपक्षी परिवादी को 2,000/-रूपये परिवाद व्यय के तथा 5,000/-रूपये आर्थिक एवं मानसिक क्षति के भी अदा करें। निर्णय की पालना आदेष पारित किये जाने की दिनांक से दो माह के अन्दर सुनिष्चित करें।
(महावीर तंवर) (नन्द लाल षर्मा)
सदस्य अध्यक्ष
निर्णय आज दिनंाक 08.09.2015 को लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया।
(महावीर तंवर) (नन्द लाल षर्मा)
सदस्य अध्यक्ष
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