Uttar Pradesh

Bareilly-II

CC/195/2022

SARVJEET KAUR - Complainant(s)

Versus

MANAGER CANRA BANK - Opp.Party(s)

MEHJABE

10 May 2024

ORDER

जिला  उपभोक्ता  विवाद  प्रतितोष आयोग- द्वितीय, बरेली।
 
  उपस्थित :- 1-  दीपक कुमार त्रिपाठी           अध्यक्ष
                     2-   दिनेश कुमार गुप्ता            सदस्य
                     
                       परिवाद सं0 : 195/2022      
श्रीमती सर्वजीत कौर पत्नी स्व. श्री भगवन्त सिंह बग्गा निवासिनी-निकट खालसा स्कूल, 34-ई., माडल टाउन थाना बारादरी, जिला बरेली।                 
                                                ..................परिवादी
                             प्रति
 
1.  केनरा बैंक, राजेन्द्र नगर शाखा, बांके बिहारी मन्दिर के सामने, बरेली 
    द्वारा शाखा प्रबन्धक।
2.  सुश्री रश्मि शर्मा शाखा प्रबंधक केनरा बैंक, राजेन्द्र नगर शाखा, बांके 
    बिहारी मन्दिर के सामने, बरेली।   
                                               .................विपक्षीगण
                          परिवाद संस्थित होने  की  तिथि 09.12.2022  
                          निर्णय उद्घोषित करने की तिथि 10.05.2024                                               
परिवादी अधिवक्ता सुश्री मेहजावीन।
विपक्षीगण अधिवक्ता श्री प्रवीन कुमार सिंह।                                                                    
                            निर्णय 
1.   उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 की धारा 35 के अंतर्गत यह परिवाद परिवादी द्वारा एफ.डी.आर. की परिपक्वता राशि रू. 1,00,094/- मयब् याज तथा शारीरिक-मानसिक क्षतिपूर्ति रू. 50,000/- दिलाए जाने हेतु दिनांक 09.12.2022 को प्रस्तुत किया गया।  
 
2.   प्रकरण में यह स्वीकृत तथ्य है कि परिवादी के पति भगवन्त सिंह बग्गा के नाम पर दिनांक 24.07.2007 को एफ.डी.आर रसीद नं. K.D./0100545           रू. 64,613/- कामधेनु जमा योजना में जमा करने हेतु जारी की गई थी।
 
3.   स्वीकृत तथ्यों के अलापा परिवाद संक्षेप में इस प्रकार हे कि प्रश्नगत एफ.डी.आर. की मूल प्रति परिवादी के पास सुरक्षित हे। उक्त सावधि जमा योजना दिनांक 24.06.2012 को परिपक्व होनी थी। तद्परांत उक्त सावधि जमा स्वतः नवीनीकृत होनी थी। उक्त जमा राशि का भुगतान परिवादी अथवा उसके पति कोई भी खातेदार प्राप्त कर सकता था। परिवादी के पति व सहखातेदार भगवन्त सिंह का स्वर्गवास दिनांक 14.02.2016 को हो गया और परिवादी को यह विश्वास था कि उक्त एफ.डी.आर. स्वतः नवीनीकृत हो रही होगी। परिवादी को धन की आवश्यकता होने पर माह जुलाई, 2022 में विपक्षी क्रमांक 1 की शाखा में गई तो विपक्षी क्रमांक 2 ने एफ.डी.आर. की फोटोप्रति लेकर परिवादी से बाद में आने को कहा। परिवादी विपक्षी क्रमांक 2 की बात पर विश्वास करके एफ.डी.आर. की फोटोप्रति देकर चली आयी तथा कुछ दिन के बाद परिवादी उक्त एफ.डी.आर. का भुगतान प्राप्त करने हेतु विपक्षी क्रमांक 2 के पास गई परन्तु विपक्षी क्रमांक 2 टालमटोल करते रहे और अंत में दिनांक 10.08.2022 को विपक्षी क्रमांक 2 ने परिवादी से कहा कि हमारी शाखा में आपकी कोई एफ.डी.आर. नहीं हे जिससे आपको उसका भुगतान किया जा सके। विपक्षी क्रमांक 2 ने परिवादी से कहा कि इस एफ.डी.आर. का भुगतान पहले ही हो चुका है। परिवादी ने विपक्षी क्रमांक 2 से जानकारी चाहीं कि उक्त एफ.डी.आर. का भुगतान कब और किस खाते में हुआ तो विपक्षी क्रमांक 2 ने परिवादी के साथ अभद्रता की और कहा कि हमारी शाखा में कोई रिकार्ड/अभिलेख उपलब्ध नहीं हे। यह एफ.डी.आर. मैनुअल बनी हुई है इसका कोई अभिलेख अब शाखा में नहीं है। इस समय शाखा पूरी तरह कम्पयूटरीकृत हो चुकी है। परिवादी ने विपक्षी क्रमांक 2 से पुनः निवेदन किया जब मूल जमा रसीद उसके पास है तो बैंक ने बिना मूल रसीद प्राप्त किए किसको ओैर किस तरह भुगतान कर दिया तब विपक्षी क्रमांक 2 ने परिवादी से पुनः अभद्रता करते हुए कहा कि हमने जो करना था कर दिया और अब तुम्हें जो करना है वह तुम करो, बैंक शाखा में तुम्हारा कोई रूपया जमा नहीं है। इस तरह विपक्षीगण ने परिवादी द्वारा जमा की गई धनराशि को बेईमानीपूर्वक हड़पकर सेवा में त्रुटि की हे। विपक्षीगण परिवादी की जमा राशि का भुगतान नहीं करना चाहता है जिसके कारण परिवादी बार-बार विपक्षीगण के पास जाने के कारण अत्यधिक शारीरिक व मानसिक कष्ट से गुजर चुकी हे। परिवादी ने दिनांक 31.08.2022 को विपक्षीगण को रजिस्टर्ड डाक से लींगल नोटिस भेजा किन्तु विपक्षीगण द्वारा न तो भुगतान किया गया और न ही कोई समुचित जवाब दिया गया। अतः परिवादी को विपक्षीगण से एफ.डी.आर. में वर्णित धनराशि रू. 1,00,094/- मय ब्याज सहित दिलाया जावे तथा शारीरिक-मानसिक-आर्थिक कष्ट की क्षतिपूर्ति रू. 50000/- एवं वाद व्यय रू. 15,000/- दिलाया जावे।             
 
4.    विपक्षीगण ने निर्णय की कंडिका क्रमांक 2 में उल्लिखित स्वीकृत तथ्यों के अलावा परिवाद पत्र में उल्लिखित शेष अभिवचनों से इंकार करते हुए प्रस्तुत, जवाबदावे में यह विरोधी अभिवचन किया है कि  परिवादी के पति द्वारा उक्त खाते को उनकी प्रार्थना पर दिनांक 05.09.2007 को बन्द कर दिया गया और रू. 362/- का ब्याज सहित रू. 64,975/- का डिमांड ड्राफ्ट सं. 482897 परिवादी के पति को दे दिया गया जैसाकि नामे पर्ची (Debit Slip)  की प्रतिलिपि में लिखा है। परिवादी की एफ.डी.आर दिनांक  24.07.2007 की है उस समय बेंक का कार्य मैनुअल था और एफ.डी.आर. भी मेनुअल बनी हुई है। इस समय बैंक शाखा पूरी तरह कम्प्यूटरीकृत हो चुकी है। खाते के ब्यौरे से स्पष्ट है कि परिवादी के पति द्वारा K.D./0100545  का खाता दिनांक 05.09.2007 को बन्द करा दिया गया था व डिमाण्ड ड्राफ्ट  सं. 482897 परिवादी के पति को दे दिया गया। एफ.डी.आर. का भुगतान बगैर एफ.डी.आर. के खातेदार के प्रार्थना पर बेंक के खातेदार के साख पर खातेदार को कर दिया जाता है ओैर इस एफ.डी.आर. का भुगतान भी इसी प्रकार हुआ है। बैंक अपने खातेदार के साथ कभी धोखाधड़ी नहीं करता हे। परिवादी 15साल तक एफ.डी.आर. को लेकर बैंक के सम्पर्क में क्यों नहीं रहा, हो सकता है कि एफ.डी.आर. का भुगतान के समय परिवादी के पति एफ.डी.आर. कहीं घर में रखकर भूल गए और परिवादी के पति की प्रार्थना पर    एफ.डी.आर. का भुगतान खातेदार को बेंक द्वारा कर दिया गया। बैंक मैनुअल में पेज 33 के पेरा सं. 12 के अनुसार रजिस्टर आदि 10वर्ष तक संरक्षित कर सकते है तथा  मैनुअल पेज सं. 34 के पैरा सं. 3.1.2.2 में स्पष्ट लिखा है कि बैंकिंग कंपनी (रिकार्ड के संरक्षण की अवधि) नियम, 1985 के तहत निर्धारित 5 से 8साल की अवधि के लिए संरक्षित कर सकते है उसके उपरांत नष्ट कर दिया जाऐगा। विपक्षीगण ने परिवादी के प्रति सेवा में कोई कमी नहीं की है। परिवादी की मॉंग निराधार है। परिवाद निरस्त किया जावे।   
 
5.    विपक्षीगण की ओर से प्रस्तुत प्रतिवादपत्र के खण्डन में प्रस्तुत आपत्ति में परिवादी ने अपने पति द्वारा खाता बन्द करने के संबंध में दिनांक        05.09.2007 को कोई प्रार्थनापत्र न दिया जाना, विपक्षीगण द्वारा जानबूझकर स्पष्ट जवाब न दिया जाना व्यक्त किया गया हे तथा यह अभिवचन किया गया हे कि परिवादपत्र के पैरा 5 में भुगतान के संबंध में किस खाते में भुगतान किया गया है, का कोई विवरण विपक्षीगण ने नहीं दिया है। विपक्षीगण के पास परिवादी के पति द्वारा खाता बन्द कराए जाने के संबंध में कोई लिखित प्रार्थनापत्र या अन्य कोई दस्तावेज नहीं हे। विपक्षीगण द्वारा प्रतिवादपत्र के साथ एफ.डी.आर. की छायाप्रति के साथ विवरण (स्टेटमेन्ट) प्रस्तुत किया गया है जिसके अनुसार धनराशि रू. 64,975/- का भुगतान किया गया है एवं लिखित कथन के पैरा-2 में भुगतान डिमाण्ड ड्राफ्ट      नं. 482897 के माध्यम से परिवादी के पति को भुगतान होने का उल्लेख है परन्तु विवरण (स्टेटमेन्ट) की प्रति में धनराशि हस्तान्तरण (ट्रांजेक्शन) होने पर उसका डिमाण्ड ड्राफ्ट संख्या का विवरण (स्टेटमेन्ट) में होना चाहिए जोकि नहीं है। प्रस्तुत लिखित कथन मिथ्या एवं बनावटी है जो निरस्त किए जाने योग्य है।         
 
6.   परिवादी ने अपने पक्ष समर्थन में स्वयं का आधारकार्ड, एफ.डी.आर. दिनांक 24.07.2007 लींगल नोटिस दिनांक 31.08.2022 प्रस्तुत किया है तथा परिवादी सर्वजीत कौर ने साक्ष्य में स्वयं के शपथपत्र पर कथन प्रस्तुत किया है।
 
7.    विपक्षीगण की ओर से जमा रसीद K.D./01/005452  दिनांक 24.07.2007 कम्प्यूट्ररीकृत खाते के व्यौरे की छायाप्रति, फोटोकापी नामे पर्ची    (Debit Slip)  दिनांक 05.09.2007 तथा बैंक की Manual of Instructions   की फोटोप्रति प्रस्तुत की गई है तथा अभिषेक पाण्डे ने साक्ष्य में शपथपत्र पर कथन प्रस्तुत किए है। 
 
8.   परिवाद के निस्तारण हेतु निम्नलिखित विचारणीय प्रश्न उत्पन्न 
    होते हैः-
     ...................................................................................................................... 
 
       प्रथम क्या विपक्षीगण ने परिवादी के प्रति सेवा में कोई कमी की है?    
      
      
 
       द्वितीय क्या परिवादी विपक्षीगण से एफ.डी.आर. की परिपक्व राशि   
       रू. 1,00,094/- ब्याज सहित तथा मानसिक व आर्थिक कष्ट की 
       क्षतिपूर्ति रू. 50,000/- प्राप्त करने का अधिकारी है?   
 
प्रथम विचारणीय प्रश्न पर विवेचना एवं निष्कर्ष     
 
9.   परिवादी सर्वजीत कौर ने परिवादपत्र में उल्लिखित अभिवचन का समर्थन करते हुए विपक्षीगण द्वारा स्वयं तथा उसके पति भगवन्त सिंह बग्गा के नाम से एफ.डी.आर. जारी किए जाने, परिपक्वता तिथि के पश्चात् नवीनीकृत होते रहना, इस बीच पति की मृत्यु हो जाने तथा धन की आवश्यकता होने पर एफ.डी.आर. की मूल प्रति लेकर भुगतान प्राप्त करने हेतु विपक्षी क्रमांक 1 की शाखा में जाने पर पूर्व में टालमटोल किया जाना तथा बाद में विपक्षी क्रमांक 2 द्वारा यह कहकर भुगतान से मना कर दिए जाने की साक्ष्य दी है कि उसके पति को राशि प्रदान कर दी गई है।  
 
10.    विपक्षीगण की ओर से शाखा प्रबंधक अभिषेक पाण्डे ने प्रस्तुत शपथपत्र पर कथनों में परिवादपत्र में उल्लिखित अभिवचनों तथा परिवादी के उक्त संबंध में दी गई साक्ष्य के खण्डन में यह साक्ष्य दी है कि परिवादी के पति द्वारा उक्त खाते को उनकी प्रार्थना पर दिनांक 05.09.2007 को बन्द करा दिया गया ओैर रू. 362/- ब्याज सहित रू. 64,975/- का डिमांड ड्राफ्ट सं. 482897 परिवादी के पति को दे दिया गया था। जैसाकि नामे पर्ची (Debit Slip) में लिखा है तथा यह भी कथन किया है कि जमा रसीद K.D./01/005452  दिनांक 24.07.2007 की बनी हुई है। उस समय बेंक का कार्य मैनुअल था। इस समय बैंक की शाखा कम्प्यूट्ररीकृत हो चुकी हे। K.D./01/005452  का खाता दिनांक 05.09.2007 को परिवादी के पति द्वारा बंद कर दिया गया था ओैर डिमांड ड्राफ्ट सं. 482897 परिवादी के पति को दे दिया गया था जैसाकि खाते के ब्यौरे से स्पष्ट हे जोकि बैंक के मुख्य कार्यालय बेंगलौर से ई-मेल से बेंक की शाखा को भेजे गए है। परिवादी को भी फैहरिश्त के साथ उपलब्ध करा दिए गए है। 
 
11.     उभयपक्ष की शपथपत्रीय साक्ष्य एवं प्रस्तुत दस्तावेजों का अवलोकन किया।
 
12.    प्रकरण में मुख्य विवाद यह है कि परिवादी ने मूल एफ.डी.आर. K.D./01/005452  स्वयं के पास होने का कथन करते हुए उक्त एफ.डी.आर. की फोटोप्रति व मूल प्रति प्रस्तुत की है तथा विपक्षीगण से उक्त एफ.डी.आर. की राशि का ब्याज सहित भुगतान चाहा हे। इसके विपरीत विपक्षीगण के अनुसार परिवादी के पति द्वारा उक्त खाता को दिनांक 05.09.2007 को बंद करा दिया गया ओैर रू. 362/- ब्याज सहित रू. 64,975/- का डिमांड ड्राफ्ट सं. 482897 परिवादी के पति को दे दिया गया। 
 
13.    विपक्षीगण की ओर से प्रस्तुत पृष्ठ क्रमांक 32 में संलग्न कम्प्यूट्रीकृत खाते के ब्यौरे के अनुसार दिनांक 05.09.2007 को परिवादी तथा उसके पति का एफ.डी.आर. खाते का ACCOUNT CLOSE किया जा चुका हे। उक्त विवरण में परिवादी द्वारा पृष्ठ क्रमांक 6 व पृष्ठ क्रमांक 31 में संलग्न एवं परिवादी द्वारा प्रस्तुत मूल एफ.डी.आर. क्रमांक K.D./01/005452 की जमा राशि उक्त खाता CLOSE  करने पर रू. 362/- ब्याज जोड़कर रू. 64,975/- परिवादी के पति को प्रदान कर दिया जाना प्रकट होता है जिसकी पुष्टि पृष्ठ क्रमांक 33 में संलग्न डिमांड ड्राफ्ट से पायी जाती है जोकि दिनांक        05.09.2007 का ही हे तथा इसमें दी गई राशि भी अंकित है।
 
14.   विपक्षीगण द्वारा प्रस्तुत BEST PRACTICE CODE  संलग्न पृष्ठ  क्रमांक 34/1 लगायत 34/4 में बैंक का समस्त सम्व्यवहार कम्प्यूट्रराइज्ड हो जाने तथा 10वर्ष के पुराने अभिलेखों को नष्ट कर दिए जाने का प्रावधान भी दिया गया हे। विपक्षीगण द्वारा पृष्ठ क्रमांक 32 में संलग्न विवरण व   पृष्ठ क्रमांक 33 में संलग्न डिमांड ड्राफ्ट बैंगलोर की मुख्य शाखा से प्राप्त किया गया दर्शित किया गया हे। उक्त दस्तावेज के खण्डन में परिवादी की ओर से कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं की गई है। अतः विपक्षीगण द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों से स्पष्ट है कि परिवादी के पति का खाता दिनांक 05.09.2007 को CLOSE कर कर दिया गया था तथा ब्याज सहित राशि डिमांड ड्राफ्ट के माध्यम से प्राप्त की जा चुकी थी। प्रकरण की परिस्थिति को देखते हुए प्रकट होता हे कि परिवादी तथा परिवादी के पति के नाम से संयुक्त रूप से जारी एफ.डी.आर. क्रमांक K.D./01/005452  दिनांक 24.07.2007 को जारी हुई और दिनांक 05.09.2007 को परिवादी के पति द्वाराCLOSEकराकर ब्याज सहित राशि प्राप्त की जा चुकी है। किन्तु परिवादी के पति ने परिवादी को उक्त संबंध में जानकारी नहीं दी थी इसलिए परिवादी ने यह मानते हुए कि चूंकि मूल एफ.डी.आर. की प्रति उसके पास है। अतः उक्त एफ.डी.आर. का भुगतान न हुआ होगा और यह वर्तमान परिवाद दायर किया है।     
 
15.   उपरोक्त विश्लेषण के आधार पर स्पष्ट है कि विपक्षीगण ने परिवादी के प्रति सेवा में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं की हे।
इस प्रकार से
 
प्रथम विचारणीय प्रश्न पर नकारात्मक निष्कर्ष प्राप्त होता है।
 
द्वितीय विचारणीय प्रश्न पर विवेचना एवं निष्कर्ष    
 
  .    प्रथम विचारणीय प्रश्न पर प्राप्त नकारात्मक निष्कर्ष के अनुसार चूॅंकि परिवादी यह प्रमाणित करने में असफल रही है कि विपक्षीगण ने परिवादी के प्रति सेवा में कोई कमी की हे। अतः परिवादी विपक्षीगण से किसी प्रकार का अनुतोष प्राप्त करने की अधिकारी होना नहीं पायी जाती हे।  इस प्रकार से द्वितीय विचारणीय प्रश्न पर भी नकारात्मक निष्कर्ष प्राप्त होता है। 
 
  .   उपरोक्त दोनो विचारणीय बिन्दुओं पर प्राप्त निष्कर्षो के परिणामस्परूप परिवादी द्वारा विपक्षीगण के विरूद्ध प्रस्तुत परिवाद खारिज किया जाता है। पक्षकार अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे। 
 
  .   पक्षकारों को निर्णयों की प्रतिलिपि निःशुल्क तत्काल उपलब्ध कराई जावे।                     
                     
 
(दिनेश कुमार गुप्ता)                       (दीपक कुमार त्रिपाठी) 
     सदस्य                                    अध्यक्ष    
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग-द्वितीय   जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग-द्वितीय 
       बरेली।                                                बरेली।                                                     
 
 
 

Consumer Court Lawyer

Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!
5.0 (615)

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!

Experties

Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes

Phone Number

7982270319

Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.