Ashok kumar varma filed a consumer case on 29 Sep 2015 against Manager, BSNL in the Kota Consumer Court. The case no is CC/369/2013 and the judgment uploaded on 12 Oct 2015.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, कोटा (राजस्थान)।
परिवाद संख्या:- 369 /13
अशोक कुमार वर्मा पुत्र रघुनाथ प्रसाद उम्र 53 साल निवासी म.नं. ए-10, बालाजी टाउन, खेडली फाटक, कोटा। -परिवादी
बनाम
भारत संचार निगम लिमिटेड, झालावाड रोड, कोटा जरिये महाप्रबंधक।
-विपक्षी
समक्ष:-
भगवान दास ः अध्यक्ष
महावीर तंवर ः सदस्य
हेमलता भार्गव ः सदस्य
परिवाद अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986
उपस्थित:-
01. श्री जी0एल0गुप्ता, अधिवक्ता, परिवादी की ओर से।
02. श्री पी0एस0 चैहान, अधिवक्ता, विपक्षी की ओर से।
निर्णय दिनांक 29.09.2015
परिवादी ने विपक्षी के विरूद्ध उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 12 के अन्तर्गत लिखित परिवाद प्रस्तुत कर संक्षेप में उसका यह सेवा दोष बताया है कि उसने अपने फोन नं. 2330979 पर माह सितम्बर 13 में ब्राडबैण्ड का कनेक्शन लिया था उस समय बताया गया कि सरकारी कर्मचारी होने के नाते बिल में 20 प्रतिशत रिबेट दी जायगी। उसने सरकारी कर्मचारी होने का प्रमाण-पत्र भी प्रस्तुत किया था। सितम्बर 13 में उसे 20 प्रतिशत रिबेट का बिल भेजा गया लेकिन अक्टूबर 13 में रिबेट 10 प्रतिशत ही दी गई शर्तो में परिवर्तन करने की सूचना भी उसे नहीं दी गई। उसने विपक्षी को कानूनी नोटिस भिजवाया जो प्राप्त होने के बावजूद ज्यादा ली गई रकम नहीं लौटाई गई, जवाब भी नहीं दिया गया।
विपक्षी की ओर से प्रस्तुत जवाब का सार है कि ब्राडबैण्ड दर एवं छूट के प्रावधानों में परिवर्तन सक्षम अधिकारी के द्वारा किया गया है। जिनकी व्यक्तिशः सूचना दिया जाना आवश्यक नहीं है केन्द्र सरकार के आदेशों की अनुपालना में दिनांक 30.09.13 से छूट 20 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत की गई है जो सभी उपभोक्ताओं पर एक समान रूप से लागू है। किसी शर्त का उल्लधंन नहीं किया गया ना ही सेवा में कमी की गई है।
परिवादी ने साक्ष्य में अपने शपथ-पत्र के अलावा सरकारी कर्मचारी होने का प्रमाण-पत्र,सितम्बर व अक्टूबर 13 के बिलों की प्रति, विपक्षी को प्रेषित कानूनी नोटिस की प्रति आदि दस्तावेजात की प्रति प्रस्तुत की।
विपक्षी ने साक्ष्य में लेखाधिकारी (राजस्व) बी.डी. गुप्ता के शपथ-पत्र के अलावा बी.एस.एन.एल. के ए.जी.एम. द्वारा जारी सरक्यूलर दिनांक 30.09.13 की प्रति प्रस्तुत की।
हमने दोनो पक्षों की बहस सुनी। पत्रावली का अवलोकन किया।
विपक्षी की ओर से प्रस्तुत सरक्यूलर से स्पष्ट है कि सक्षम प्राधिकारी के स्तर पर छूट में परिवर्तन किया गया है जिसे करने का उन्हे कानूनी अधिकार है। दर या छूट घटाने या बढाने को सेवा में कमी नहीं माना जा सकता, यह सभी उपभोक्ताओं पर एक सामन रूप से लागू की गई है। विपक्षी की ओर से प्रस्तुत न्यायिक दृष्टान्त पी. शंकरन कुट्टी बनाम टेलीकोम बी.एस.एन.एल. और अन्य भाग 4 (2008) सी.पी.जे. 89 (एन.सी.) में यह व्यवस्था दी गई है कि सक्षम स्तर पर माहवारी किराये में बढौतरी व फ्री काल की सीमा में कमी को सेवा-दोष नही माना जा सकता क्योंकि यह सभी उपभोक्ताओं पर समान रूप से लागू किया गया है।
उपरोक्त विवेचन के फलस्वरूप हम पाते है कि विपक्षी का कोई सेवा दोष नहीं है।
अतः परिवाद खारिज किये जाने योग्य है।
आदेश
परिवादी अशोक कुमार वर्मा का परिवाद विपक्षी के खिलाफ खारिज किया जाता है। खर्चा परिवाद पक्षकारान अपना-अपना स्वयं वहन करेगे।
(महावीर तंवर) (हेमलता भार्गव) (भगवान दास)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
निर्णय आज दिनंाक 29.09.2015 को लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया।
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
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