Uttar Pradesh

Azamgarh

CC/75/2014

ASHOK KUMAR - Complainant(s)

Versus

MANAGER BOB - Opp.Party(s)

ONKAR NATH

15 Mar 2022

ORDER

 

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग- आजमगढ़।

परिवाद संख्या 75 सन् 2014

प्रस्तुति दिनांक 02.04.2014

                                                                                               निर्णय दिनांक 15.03.2022

अशोक कुमार अग्रवाल आयु लगभग 50 वर्ष पुत्र स्वर्गीय माधेप्रसाद अग्रवाल निवासी मोहल्ला सदावर्ती (शान्ति मार्केट) चौक आजमगढ़।       

     .........................................................................................परिवादी।

बनाम

  1. शाखा प्रबन्धक बैंक ऑफ बड़ौदा, दामोदर भवन चौक, आजमगढ़।
  2. महाप्रबन्धक, बैंक ऑफ बड़ौदा प्रधान कार्यालय सूरज प्लाजा-1 सयाजीगंज, बड़ौदा, गुजरात।       
  3. विपक्षीगण।

उपस्थितिः- कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष” तथा गगन कुमार गुप्ता “सदस्य”

  •  

कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष”

परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में यह कहा है कि दिनांक 22.03.2007 को विपक्षी संख्या 01 बैंक ऑफ बड़ौदा आजमगढ़ की शाखा में एक आवर्ती खाता पांच वर्षों के लिए खोला था, जिसकी मासिक किस्त 3,000/- रुपया प्रतिमास थी, उस खाते का नं. 09550300006159 था। खाता खोलने के बाद कुछ मासिक किस्तों को परिवादी द्वारा समय से जमा नहीं किया जा सका, बल्कि देर से जमा किया गया था। परिवादी ने सम्पूर्ण किश्तों का भुगतान कर दिया है। दिनांक 24.03.2012 को परिवादी ने उपरोक्त खाते की परिपक्वता राशि को अपने बचत बैंक खाते में हस्तान्तरित करने के लिए प्रार्थना पत्र दिया था। विपक्षी संख्या 01 ने परिवादी के बचत खाते में दिनांक 26.03.2012 को मुo 1,86,253/- रुपया हस्तान्तरित किया। दिनांक 27.03.2012 को परिवादी को सर्वप्रथम यह ज्ञात हुआ कि विपक्षी संख्या 01 ने परिपक्वता राशि से काफी कम रुपया परिवादी के बचत खाता में हस्तान्तरित किया। परिवादी ने विपक्षी संख्या 01 को एक शिकायती प्रार्थना पत्र दिया था जिसका उत्तर विपक्षी संख्या 01 ने दिया कि जो भी कटौती की गयी है वह बैंक के नियमों के अनुसार हुई है। विपक्षी संख्या 01 का जो जवाब परिवादी के शिकायती प्रार्थना पत्र के सम्बन्ध में परिवादी को मिला उसमें दिनांक 22.03.2007 से ही पेनाल्टी शुल्क व सेवा अधिकार लगाया गया है जो कानूनन गलत है। अतः उपरोक्त आवर्ती जमा खाते की पूरी जाँच कर जो रकम परिवादी को कम दिया गया है उसे उसको मय सूद कानूनी दिलवाया जाए। 

परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।                                                     प्रलेखीय साक्ष्य में परिवादी द्वारा कागज संख्या 14/1 बैंक ऑफ बड़ौदा द्वारा भेजी गयी सूचना की छायाप्रति, कागज संख्या 14/2व3 बैंक ऑफ बड़ौदा द्वारा परिवादी को दिए गए पत्र की छायाप्रति तथा कागज संख्या 14/4ता14/6 आर.डी. कैलकुलेशन डिटेल की छायाप्रति प्रस्तुत किया गया है।

कागज संख्या 7क² विपक्षीगण द्वारा जवाबदावा प्रस्तुत किया गया है, जिसमें उसने परिवाद पत्र के कथनों से इन्कार किया है तथा परिवाद पत्र के पैरा 06 के कथन को स्वीकार किया है। परिवाद पत्र की धारा 07 का कथन विपक्षीगण को हरगिज स्वीकार नहीं है, क्योंकि दिनांक 22.03.2012 को परिवादी के खाता में कोई विलम्ब शुल्क नहीं लगाया गया है, बल्कि माह अप्रैल, 2012 की किश्त एवं उसके बाद की किश्तें समय से न जमा होने के कारण विलम्बित अवधि के लिए न जमा की गयी किश्तों की रकम पर विलम्ब शुल्क एवं सेवा कर लगाया गया है। शेष कथनों से इन्कार किया है। अतिरिक्त कथन में उसने यह कहा है कि परिवादी को परिवाद पत्र प्रस्तुत करने का कोई अधिकार हासिल नहीं था। परिवादी विपक्षी संख्या 01 के यहाँ दिनांक 22.03.2007 को अपने नाम से पांच वर्ष की अवधि के लिए आवर्ती जमा खाता संख्या 09550300006159 खोला जिसकी प्रतिमाह देय किश्त की रकम रु. 3,000/- प्रतिमाह एवं देय ब्याज 08.25% सलाना रही और परिपक्वता तिथि 22.03.2012 रही। परिपक्वता के उपरान्त विपक्षीगण द्वारा समस्त किश्तों की नियमित अदायगी करने पर परिपक्वता मूल्य रू. 2,21,257/- मात्र देय था परन्तु शर्त यह थी कि-

  • किसी भी माह के लिए देय उस माह की अन्तिम तिथि या उसके पूर्व तक जमा होना आवश्यक है।
  • विलम्ब की दशा में रु. 01.50% प्रतिमाह (दिनांक 14.01.2011 तक एवं उसके बाद 02.00% प्रतिमाह) की दर से विलम्ब शुल्क लिया जाए।
  • विलम्ब शुल्क के उद्देश्य से माह के अंश को भी पूरा माह माना जाएगा।

परिवादी ने दिनांक 22.03.2007 को आवर्ती खाता खोलने के उपरान्त माह अप्रैल, 2012 की किश्त नहीं जमा किया एवं काफी विलम्ब से इसे माह जून, 2012 में जमा किया एवं इसी प्रकार लगभग समस्त किश्तों की अदायगी में विलम्ब किया। परिवादी द्वारा जमा की गयी रकम का तारीखवार विवरण विपक्षीगण द्वारा प्रस्तुत किया गए स्टेटमेन्ट ऑफ अकाउन्ट में भलीभाँति प्रदर्शित है। दिनांक 22.03.2007 को आवर्ती खाता की परिपक्वता के उपरान्त परिवादी द्वारा दिनांक 24.03.2012 को अपने आवर्ती जमा खाता की रकम को अपने बचत खाता में जमा किए जाने हेतु अनुरोध किया गया जिस पर विलम्ब की अवधि पर विलम्ब शुल्क एवं नियमानुसार देय सेवा कर का आकलन एवं ऐसी रकम की कटौती कर के विपक्षीगण द्वारा दिनांक 26.03.2012 को परिवादी के आवर्ती खाता के विरुद्ध देय रकम रुपए 1,86,253/- मात्र परिवादी के बचत खाता में अन्तरित कर दी गयी एवं इससे परिवादी को सूचित करते हुए उसके द्वारा प्रस्तुत बचत खाता की पासबुक पर दर्ज कर दिया गया। कालान्तर में परिवादी द्वारा अपने आवर्ती खाता के विरुद्ध कम भुगतान की गयी रकम की शिकायत करते हुए शिकायती पत्र दिनांक 03.04.2012 को प्रेषित किया गया, जिस पर विपक्षी संख्या 01 द्वारा उक्त शिकायत की जाँच करके भुगतान की गयी रकम को सही पाते हुए दिनांक 10.04.2012 को परिवादी के शिकायती पत्र का उत्तर प्रेषित कर दिया गया। उसके पश्चात् परिवादी ने बैंकिंग लोकपाल, उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखण्ड के समक्ष इस आवर्ती खाता के विरुद्ध कम भुगतान किए जाने की शिकायत याचिता दिनांक 22.04.2012 प्रस्तुत किया जिसकी नोटिस मिलने पर विपक्षीगण द्वारा समुचित उत्तर एवं अभिलेख प्रस्तुत कर दिए गए। जहाँ तक आवर्ती खाता पर विलम्ब शुल्क लगाए जाने का प्रश्न है, इससे सम्बन्धित शर्तों परिवादी को प्रदान की गयी पासबुक पर पूरी तरह से मुद्रित है। जहाँ तक विलम्ब शुल्क की दर का प्रश्न है, यह दर परिवादी का खाता खुलने से लगायत दिनांक 14.01.2011 तक विलम्बित राशि पर रु. 01.50% प्रतिमाह रही एवं बाद में बैंक के पारिपत्रों द्वारा यह दर विलम्बित राशि पर रु. 02.00% प्रतिमाह हो गयी थी तथा इसी के अनुसार विलम्ब शुल्क लिया गया। जहाँ तक विलम्ब शुल्क पर सेवा कर लिए जाने का प्रश्न है, ‘फाइनेन्स ऐक्ट, 1994’ के अधीन वर्ष 2001 से ही विलम्ब शुल्क आदि चार्ज किए जाने की स्थिति में उस पर 10% की दर से सेवा कर लिए जाने का प्रावधान रहा। परिवादी के खाता पर प्रारम्भ में सेवा मूल्य का 10% सेवा कर व सेवा कर पर एजूकेशन सेस 02% तथा सेवा कर पर ही सेकेण्डरी एण्ड हाईअर एजूकेशन सेस 01% अधिभार लिया गया एवं बाद में यह दर बढ़कर दिनांक 01.04.2011 से सेवा मूल्य का 12% सेवा कर व सेवा कर पर एजूकेशन सेस 02% अधिभार तथा सेवा कर पर ही सेकेण्डरी एण्ड हाईअर एजूकेशन सेस 01% अधिभार हो गयी, जिसके अनुसार विलम्ब शुल्कि व सेवा कर तथा अधिभार लगाए गए। उपरोक्त समस्त के सम्बन्ध में बैंक के सूचना बोर्ड पर सूचनाएं प्रदर्शित की जाती हैं। परिवाद गलत आधार पर प्रस्तुत किया गया है। अतः खारिज किया जाए। 

विपक्षीगण द्वारा अपने जवाबदावा के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।

प्रलेखीय साक्ष्य में विपक्षीगण द्वारा कागज संख्या 12/1व2 स्टेटमेन्ट ऑफ अकाउन्ट, कागज संख्या 12/3व4 नोडल अधिकारी बैंक ऑफ बड़ौदा लखनऊ को लिखे गए पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 12/4ता12/7 आर.डी. कैलकुलेशन डिटेल की छायाप्रति, कागज संख्या 12/8ता12/18 बैंकिंग एण्ड अदर फाईनेन्सियल सर्विसेस से सम्बन्धित नियम का प्रपत्र, कागज संख्या 12/19व21/1व21/2 आवर्ती जमाराशि खाते नियम सम्बन्धी पासबुक तथा कागज संख्या 21/3व4 अकाउन्ट लेजर रिपोर्ट प्रस्तुत किया गया है।

बहस के दौरान पुकार कराए जाने पर उभय पक्षकारों के विद्वान अधिवक्ता उपस्थित आए तथा उभय पक्षकारों के विद्वान अधिवक्ताओं ने अपना-अपना बहस सुनाया। बहस सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया। विपक्षी द्वारा बैंकिंग एवं अदर फाईनेन्सियल सर्विसेस की जो रिपोर्ट प्रस्तुत किया गया है उसके पैरा ‘C’ में यह लिखा है कि 10% सेवा कर व सेवा कर पर एजूकेशन सेस 02% तथा सेवा कर पर ही सेकेण्डरी एण्ड हाईअर एजूकेशन सेस 01% अधिभार लिया गया है। जो पासबुक विपक्षी द्वारा प्रस्तुत किया गया है उसमें आवर्ती जमा राशि खाते के नियम 04 में यह प्रावधान किया गया है कि किस्तों की अदायगी किसी भी कैलेण्डर महीने के लिए किस्त की रकम उस महीने के अन्तिम कार्य-दिवस पर या उससे पहले अदा की जानी जरूरी है, जमाकर्ता द्वारा मासिक किस्त समय पर न भरी जाने पर तीन वर्ष या उससे कम की जमा राशियों के लिए प्रत्येक 100/- रुपए पर प्रतिमाह 1.50 रुपए की दर से बकाया किस्त/किस्तों पर ब्याज लगाया जाएगा, ऐसे ब्याज की गणना के लिए महीने के कुछ दिन भी पूरे महीने के रूप में माने जाते हैं। देय कैलेण्डर माह में जमा कराई गई किस्त को समय पर जमा कराई गई किस्त के रूप में माना जाएगा। वैकल्पिक रूप से जमाकर्ता परिपक्वता तक खाते को पूरी तरह नियमित किए बिना (बकाया किस्तों की राशि व दण्ड-स्वरूप-ब्याज दिए बिना) खाता चालू रख सकता है, परन्तु इस मामले में पूरी अवधि के लिए मासिक गुणनफल के आधार पर संविदागत दर से ब्याज दिया जाएगा अर्थात् ऐसे मामलों में तिमाही चक्रवृद्धि आधार पर ब्याज का भुगतान नहीं किया जाएगा। इस प्रकार बैंक से जिस नियम के तहत परिवादी को आवर्ती खाते की परिपक्वता अवधि पर जिस धनराशि का भुगतान किया है उसके विषय में उसके पासबुक पर भी नियम दे दिए गए हैं, लेकिन परिवादी ने उन नियमों का अनुपालन नहीं किया। अतः उन नियमों, बैंकिंग एवं अदर फाईनेन्सियल सर्विसेस की रिपोर्ट के पैरा ‘C’ तथा कागज संख्या 12/6 आर.डी. डिटेल में इन्स्टालमेन्ट एमाउन्ट को सन् 2014-15 के तहत ही उसको भुगतान किया गया है। इस प्रकार बैंक ने याची को जो भुगतान किया है वह बैंक के नियमों के अनुसार किया गया है। ऐसी स्थिति में हमारे विचार से परिवाद स्वीकार होने योग्य नहीं है।

  

                                           आदेश

                                                            परिवाद पत्र खारिज किया जाता है। पत्रावली दाखिल दफ्तर हो।

     

 

 

 

                                                                         गगन कुमार गुप्ता                कृष्ण कुमार सिंह   

                                                       (सदस्य)                            (अध्यक्ष)

      दिनांक 15.03.2022

                                              यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।

 

 

 

                                              गगन कुमार गुप्ता                  कृष्ण कुमार सिंह

                                                                (सदस्य)                               (अध्यक्ष)

 

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