प्रकरण क्र.सी.सी./14/156
प्रस्तुती दिनाँक 26.05.2014
जसवंत सिंह यादव आ.श्री राम लोचन सिंह यादव, आयु-49, निवासी-ब्लाक 5/ए, सड़क 6,9,सेक्टर-6, भिलाई तह. व जिला-दुर्ग (छ.ग.) - - - - परिवादी
विरूद्ध
1. शाखा प्रबंधक, बिरला सनलाईफ इंश्योरेस कंपनी लि.मि, चैहान स्टेट, सुपेला, भिलाई तह व जिला-दुर्ग (छ.ग.) पंजीकृत कार्यालय-वन इंडियाबुल्स सेंटर, टावर 1, 15एवं 16 फ्लोर, ज्यूपिटर मिल कंपाउंड, सेनापति बापत मार्ग, एल्फिन स्टोन रोड, मुंबई 400013,
2. आनंद सिंह एजेंट बिरला सन लाईफ इंश्योरेंस कंपनी लि.मि, द्वारा शाखा प्रबंधक, धमतरी, जिला-धमतरी (छ.ग.)
3. शाखा प्रबंधक, भारतीय स्टेट बैक, सेक्टर4, भिलाई तह व जिला-दुर्ग (छ.ग.)
- - - - अनावेदकगण
आदेश
आज दिनाँक १२ मार्च 2015 को पारित
श्रीमती मैत्रेयी माथुर-अध्यक्ष
परिवादी द्वारा अनावेदक से बी.एस.एन.आई प्लान अंतर्गत निवेश की गई राशि 20,000रू. मय ब्याज, मानसिक कष्ट क्षतिपूर्ति, वाद व्यय व अन्य अनुतोष दिलाने हेतु यह परिवाद धारा-12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अंतर्गत प्रस्तुत किया है।
(2) प्रकरण मंे स्वीकृत तथ्य है कि परिवादी के द्वारा अनावेदक क्र.1 से बी.एस.एन.आई प्लान पालिसी क्र 005741684 क्रय किया गया था जिसकी परिपक्वता तिथि 31.08.65 थी।
परिवाद-
(3) परिवादी का परिवाद संक्षेप में इस प्रकार है कि अनावेदक क्र.2 के द्वारा अनावेदक क्र.1 की बीमा पाॅलिसी क्रय करनें हेतु परिवादी को प्रलोभित कर उक्त बीमा पाॅलिसी में निवेश करनें को प्रोत्साहित किया गया अनावेदक क्र.2 का सलाहकार कोड बी.एफ.5061है। अनावेदक क्र.2 द्वारा परिवादी से मासिक प्रीमियम की किश्त दि.31.08.12 को 2,000रू प्राप्त की गई तथा परिवादी के पक्ष में अनावेदक क्र.1 के द्वारा पाॅलिसी क्र 005741684 जारी की गई जिसकी परिपक्वता तिथि दि.31.08.65 थी, जिसमें15 वर्ष भुगतान अवधि के लिए बीमा राशि 2,64,255रू तथा अन्य लाभ 2,98,343.89रू है तथा बीमा धारक का पुत्र नाॅमिनी है। परिवादी के द्वारा अनावेदक क्र.3 के माध्यम से प्रतिमाह प्रीमियम की राशि उसके खाता क्र 10030019499 से कटौती कर अनावेदक क्र.1 कोप्रेषित करनें सूचित किया गया था, जिसकी हर माह कटौती की जाती थी। अनावेदक क्र.1 के द्वारा परिवादी को उक्त पाॅलिसी दि.30.04.15 को टर्मिनेट कर दी गई है तथा दिनंाक01.10.13 को अपनें पत्र क्र 005741684 के माध्यम से चेक क्र 950385 राशि 2000.01रू संलग्न कर वापस परिवादी को प्रेषित कर दिया गया। परिवादी के द्वारा एक लिखित आपत्ति कि पालिसी रद्द करने की कोई सूचना परिवादी को अनावेदक क्र.1 के द्वारा क्यो न दिए जाने के संबध में की गई परंतु अनावेदक क्र.1 के द्वारा उसका कोई जवाब परिवादी कोप्रदान नहीं किया गया, इस प्रकार परिवादी के द्वारा अपनें अधिवक्ता के माध्यम से अनावेदकगण को नोटिस दिनांक 21.03.14को प्रेषित कराया गया जिसका कोई जवाब परिवादी के द्वारा नहीं दिया गया। इस प्रकार अनावेदकगण के द्वारा की गई सेवा में कमी के लिए परिवादी को जमा राशि 20,000रू राशि जमा दिनांक से भुगतान दिनांक तक 12 प्रतिशत की दर से मय ब्याज, शारीरिक, आर्थिक तथा मानसिक क्षतिपूर्ति हेतु 10,000रू दिलाए जानें हेतु यह परिवाद प्रस्तुत किया गया।
जवाबदावाः-
(4) अनावेदक क्र1 का जवाबदावा इस आशय का प्रस्तुत है कि परिवादी जसवंत सिंह यादव /बीमित के द्वारा अनावेदक बीमा कंपनी को प्रपोजल फार्म भरकर जमा किया गया था जिसके अंर्तगत परिवादी के नाम पर बीमा पाॅलिसी क्र 005741684, प्लान-बी.एस.एल.आई. विजन प्लान प्रीमियम राशि 2,000रू लेकर प्रदान किया गया था। परिवादी के द्वारा समय पर प्रीमियम राशि का भुगतान न किए जानें के कारण परिवादी के पक्ष में जारी प्लान निरस्त किया गया है चंकि समयसीमा संविदा का आधार होनें से परिवादी की उक्त बीमा पाॅलिसी का भुगतान समय पर न होनें से पाॅलिसी लैप्स हुई है। पाॅलिसी अनावेदक तथा परिवादी के मध्य एक विधिक संविदा होती है जिसके नियम एवं शर्ते दोनेंा पक्षों पर बंधनकारी होते है। परिवादी के द्वारा बीमा पाॅलिसी के नियमों एवं शर्तों के अधीन प्रीमियम राशि समय पर अदा नहीं की गईं अतः परिवादी की पाॅलिसी समय पर प्रीमियम राशि अदा न किए जानें के कारण लैप्स हुई है, परिवादी द्वारा प्रीमियम अदायगी के सबंध में प्रस्तुत बैंकिंग विवरण को फोरम के समक्ष बिना मुहर व हस्ताक्षर के प्रस्तुत किया गया है। अनावेदक के द्वारा परिवादी के प्रति किसी प्रकार सेवा मे कमी एवं व्यवसायिक कदाचरण नहंी किया गया है अतः परिवादी के द्वारा प्रस्तुत परिवाद सव्यय निरस्त किया जावे।
(5) उभयपक्ष के अभिकथनों के आधार पर प्रकरण मे निम्न विचारणीय प्रश्न उत्पन्न होते हैं, जिनके निष्कर्ष निम्नानुसार हैं:-
1. क्या परिवादी, अनावेदक से बी.एस.एन.आई. प्लान अंतर्गत जमा की गई राशि 20,000रू मय ब्याज प्राप्त करने का अधिकारी है? हाँ/नहीं
2. क्या परिवादी, अनावेदक से मानसिक परेशानी के एवज में 10,000रू. प्राप्त करने का अधिकारी है? हाँ/नहीं
3. अन्य सहायता एवं वाद व्यय? आदेशानुसार परिवाद स्वीकृत/खारिज
निष्कर्ष के आधार
( 6) प्रकरण का अवलोकन कर सभी विचारणीय प्रश्नों का निराकरण एक साथ किया जा रहा है।
फोरम का निष्कर्षः-
(7) प्रकरण का अवलोकन कर हम यह पाते है कि इस प्रकरण में अनावेदक नें जवाब दावा प्रस्तुत नहीं किया है केवल प्रारंभिक आपत्ति इस आशय की प्रस्तुत की है कि परिवादी नें निराधार परिवाद प्रस्तुत किया है। परिवादी से समय से प्रीमियम नही अदा किया इसलिए पविादी का बीमा लैप्स हुआ उक्त विवाद उपभोक्ता विवाद न होनें से इस फोरम के क्षेत्राधिकार अंतर्गत नहीं आता है। परिवादी नें बैंक डीटेल्स प्रस्तुत नहीं किए हैं।
(8) परिवादी के तर्क के अनुसार दि.31.08.12 को प्रीमियम की राशि अदा की गई थी अनावेदक क्र.3 परिवादी के सेविंग अकाउंट नंबर 10030019499 से प्रतिमाह प्रीमियम की राशि कटौती करनें के बावत अनावेदक क्र.3 को भी सूचित किया था, उक्त प्रीमियम की कटौती प्रतिमाह परिवादी उक्त बैंक अकाउंट से होती थी यद्यपि परिवादी के द्वारा पाॅलिसी लिया जाना निर्विवादित है परंतु परिवादी नें अपनें खाते से लगातार प्रीमियम की राशि अदा की है उस संबंध में कोई दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किया है। परिवादी के द्वारा जो पासबुक से संबंधित दस्तावेज प्रस्तुत किया गया है उसमें केवल दिनंाक 30.11.12 तक की प्रविष्टि है जिससे यह सिद्ध नहीं होता कि परिवादी के खाते से अभिकथित बीमा के प्रीमियम की रकम कट कर अनावेदक बीमा कंपनी को प्राप्त हुई है। वस्तुतः उक्त पासबुक दि.30.11.12 की प्रविष्टि में 2391.00रू की शेष हैं। अतः उक्त दस्तावेज से 10 माह की प्रीमियम राशि कटनें का इंद्राज किया जाना सिद्ध नहीं होता है। जबकि परिवादी का यह कर्तव्य था कि वह अभिकथित तिथियों के संबंध में पासबुक आवश्यक रूप से प्रस्तुत करता ।
(9) उपरोक्त कारणों से यदि अनावेदक नें अभिकथत कार्यवाही कर परिवादी को राशि रिफण्ड की है तो उससे अनावेदक द्वारा परिवादी के प्रति सेवा में कमी एवं व्यावसायिक कदाचरण किया जाना सिद्ध नहीं होता है।
(10) उपरोक्त कारणों से यद्यपि अनावेदक के प्रारंभिक आपत्ति स्वीकार नहीं की जा सकती है परंतु उपरोक्त परिस्थिती में हम परिवादी का परिवाद स्वीकार करनें का कोई समुचित आधार भी नहीं पाते है एवं प्रस्तुत परिवाद खारिज करते हैं।
(11) प्रकरण के तथ्य एवं परिस्थितियों को देखते हुए पक्षकार अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।