Kaveri devi filed a consumer case on 26 Aug 2015 against Manager, Bhartiya Jeevan Beema Nigam ltd. in the Kota Consumer Court. The case no is CC/154/2009 and the judgment uploaded on 26 Aug 2015.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष, मंच, झालावाड केम्प कोटा ( राजस्थान )
पीठासीनः-
01. नंदलाल शर्मा ः अध्यक्ष
02. महावीर तंवर ः सदस्य
परिवाद संख्या:-154/09
कावेरी देवी पत्नी स्व. सत्यनारायण जोशी आयु 52 साल जाति ब्राहमण निवासी केयर आफ रामकुमार श्रृंगी, श्रृंगी किराना के सामने, छावनी रामचन्द्रपुरा, कोटा मकान नं. 197 डी थाना गुमानपुरा, कोटा, राजस्थान। परिवादिया
बनाम
भारतीय जीवन बीमा निगम लिमिटेड, जर्ये मुख्य प्रबंधक, (दावा) भारतीय जीवन बीमा निगम, मंडल कार्यालय, अजमेर, राजस्थान। अप्रार्थी
प्रार्थना पत्र अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986
उपस्थिति:-
01. श्री पूरण मल शर्मा, अधिवक्ता,परिवादिया की ओर से ं।
02. श्री एम0पी0मित्तल, अधिकवक्ता, अप्रार्थी की ओर से।
निर्णय दिनांक 26.08.2015
परिवादिया का यह परिवाद जिला मंच कोटा से स्थानान्तरण होकर वास्ते निस्तारण जिला मंच, झालावाड, केम्प कोटा को प्राप्त हुआ, जिसमें अंकित किया परिवादिया के पति सत्यनारायण जोशी पुत्र शिवदयाल जोशी आयु 58 साल निवासी रावतभाटा झालर बावडी चार भुजा जी मंदिर के पास जिला चित्तोंड राजस्थान में निवास करते थे, जिनकी मृत्यु दिनांक 30.12.07 को साढे चार बजे सांय अपने मकान की छत पर बनी पानी की टंकी का पानी देखने गये थे कि अचानक छत से पांव स्लिप हो गया और छत से गिर गये जिससे दुर्घटनाग्रस्त हो गये जिन्हे घर से अस्पताल रावभाटा दिखाया तो हाल अत्यधिक खराब होनके कारण उन्हे एम0बी0एस0 हास्पीटल कोटा मेडिकल कालेज कोटा में रेफर कर दिया, जहाॅ ईलाज के दौरान दिनांक 30.12.07 को साढे छः बजे सांय मृत्यु हो गई। परिवादिया ने अपने स्व0 पति का पोस्टमार्टम नही करवाया। परिवादिया के स्व0 पति ने अपने जीवन काल में निम्न पालिसियां ली जिसमें उसे नोमिनी नियुक्त किया हुआ था:-
पालिसी स. बीमित राशि बीमित अवधि
01. 184114102 75,000/- 13.04.99
02. 182655305 25,000/- 28.03.2021
03. 181102514 50,000/- 12.04.08 जो0 पा0
04. 180058051 50,000/- 28.03.08
05. 180255465 25,000/- 14.02.10 जो0 पा0
06. 180769769055 50,000/- 15.03.12
परिवादिया ने समस्त औपचारिकताऐं पूर्ण कर दुर्घटना बीमा बीमा क्लेम अप्रार्थी के यहाॅ पेश किया, जिसका भुगतान अप्रार्थी ने आज तक नहीं किया। अप्रार्थी ने परिवादिया का दुर्घटना बीमा क्लेम का भुगतान न कर उसकी सेवामें कमी की है, इसलिये परिवादिया को अप्रार्थी से दुर्घटना बीमा क्लेम मय ब्याज, मानसिक संताप, परिवाद खर्च दिलवाया जावे।
अप्रार्थी ने परिवादिया के परिवाद का विरोध करते हुये जवाब पेश किया उसमें अंकित किया कि परिवादिया की प्रथम पालिसी विजयनगर से ली थी, 6 नम्बर पर दर्ज पालिसी के नम्बर गलत है। जिसे संशोधित करना चाहिये। परिवादिया को पालिसी के मूल बीमाधन मय बोनस का भुगतान किया गया है। परिवादिया को दुर्घटना हित लाभ के संबंध में बीमाधारी की दुर्घटना के संबंध में प्रथम सूचना रिर्पोट,पोस्टमार्टम रिर्पोट व अंतिम रिर्पोट पुलिस अप्रार्थी को भिजवाने के लिये कहा था जो परिवादिया ने अप्रार्थी को नही दिये इसलिये परिवादिया के दुर्घटना हितलाभ के बारे में विचार नहीं किया जा सका और उसको दुर्घटना हितलाभ का भुगतान नहीं किया गया। परिवादिया ने जो दुर्धटना हितलाभ व ब्याज बताया है वह गलत है व उसे देय नहीं है। परिवादिया को किसी भी प्रकार की मानसिक क्षति नहीं हुई। परिवादिया दुर्घटना हितलाभ प्राप्त करने की अधिकारणी नहीं है। परिवादिया का परिवाद सव्यय खाारिज किये जाने योग्य है।
उपरोक्त अभिकथनों के आधार पर बिन्दुवार हमारा निर्णय निम्न प्रकार हैः-
01. आया परिवादिया अप्रार्थी की उपभोक्ता है ?
परिवादिया के परिवाद, शपथ-पत्र, बीमा पालिसियों से परिवादिया, अप्रार्थी की उपभोक्ता है।
02. आया इस मंच को परिवादिया का परिवाद सुनने का क्षैत्राधिकार है या नहीं ?
उभय पक्षों को सुना गया। पत्रावली का अध्य्यन अवलोकन किया गया तो स्पष्ट हुआ कि परिवादी अपने परिवाद में यह अंकित किया है कि मृतक सत्यनारायण रावता भाटा झालर बावडी चार भुजा मंदिर के पास जिला चित्तोडगढ में निवास करता था और वही उसकी मृत्यु हुई है। यद्यपि वाद कारण रावत भाटा में उत्पन्न हुआ है परन्तु अप्रार्थी ने इसका विरोध नहीं किया है इसलिये क्षैत्राधिकार के बिन्दु पर अप्रार्थी की सहमति मानी जाकर इस मंच को सुनवाई का क्षैत्राधिकार है।
03. आया अप्रार्थी ने सेवा दोष किया है ?
उभय पक्षों को सुना गया। पत्रावली में उपलब्ध दस्तावेजी रेकार्ड का अवलोकन किया गया तो स्पष्ट हुआ कि यह निर्विवाद तथ्य है कि परिवादिया के स्व. पति सत्यनारायण ने 6 बीमा पालिसियां मय बोनस दुर्घटना हितलाभ अप्रार्थी से प्राप्त की और उसमें परिवादिया नोमिनी है और बीमाधन मय बोनस के भुगतान कर दिया। इससे आगे उभय पक्ष में मत भेद है परिवादिया पक्ष कहता है कि अप्रार्थी ने उसे पालिसियों के भुगतान में दुर्घटना हितलाभ का भुगतान नहीं किया, जो किया जाना चाहिये, दूसरे अप्रार्थी का निवेदन है कि परिवादिया ने बीमाधारी की दुर्घटना के संबंध में प्रथम सूचना रिर्पोट,पोस्टमार्टम रिर्पोट व अंतिम रिर्पोट पुलिस, अप्रार्थी को भिजवाने के लिये कहा था जो उसने अप्रार्थी को नही दिये, इसलिये परिवादिया के दुर्घटना हितलाभ के बारे में विचार नहीं किया जा सका और उसको दुर्घटना हितलाभ का भुगतान नहीं किया गया। एफ.आई.आर., पोस्ट मार्टम रिपोर्ट और अंतिम रिर्पोट के बारे में स्वयं परिवादियाने स्वीकार किया है कि एफ.आई. आर. दर्ज नहीं कराई, पोस्ट मार्टम नहीं करवाया और बिना एफ.आई.आर. के अंतिम रिर्पोट प्रस्तुत करने का प्रश्न ही नही होता, इसलिये इन तीनों ही दस्तावेजात को पेश नहीं किया गया। चूूंकि अप्रार्थी इन तीनों ही दस्तावेजात को सारवान साक्ष्य मानता है, इसलिये मृत्यु प्राकृतिक थी या दुर्घटनावश थी यह बिन्दु विवादस्पद रहा और इसलिये दुर्घटना हितलाभ नहीं दिया गया। यद्यपि बीमाधन प्राप्त करने के लिये परिवादिया इंकार नहीं करती है परन्तु दुर्घटना हितलाभ के लिये उसकी आपत्ति है दूसरी तरफ अप्रार्थी का कथन भी मानने योग्य है कि बिना आधारभूत साक्ष्य के यह तय कैसे किया जाय कि मृत्यु दुर्धटनावश हुई है और इसलिये दुर्घटना दावा अप्रार्थी द्वारा खारिज किया गया। परन्तु अप्रार्थी के अन्य सहायक साक्ष्य या दस्तावेजों के आधार पर अपना निर्णय निकालना चाहिये था कि आया मृत्यु दुर्घटनावश थी या नहीं ? इस संबंध में परिवादी को भी अपनी साक्ष्य वह शपथ-पत्र आदि अप्रार्थी को पेश करना चाहिये था लेकिन परिवादिया ने ऐसा कोई सबूत मंच के समक्ष पेश नहीं किया जिससे यह साबित होता हो कि मृतक की मृत्यु दुर्घटनावश हुई है। ऐसी स्थिति में अप्रार्थी का कोई सेवा दोष प्रमाणित नही पाया जाता है।
04. अनुतोष ?
परिवादिया का परिवाद, अप्रार्थी के खिलाफ खारिज किये जाने योग्य है।
आदेश
01. परिवादिया कावेरी देवी का परिवाद, अप्रार्थी के खिलाफ खारिज किया जाता है। परन्तु यह निर्देश दिया जाता है कि वह अपनी साक्ष्य या दस्तावेजात के साथ दुर्घटना दावा अप्रार्थी के समक्ष पेश करे और अप्रार्थी उस पर वितृत जांच करे यह निष्कर्ष निकाले कि आया मृतक सत्यनारायण की मृत्यु दुर्घटनावश हुई या नहीं? उसके बाद भी यदि परिवादिया असंतुष्ट रहती है तो इस मंच में परिवाद पेश करने का उसका अधिकार सुरक्षित रहेगा।
02. अप्रार्थीगण आदेश की पालना निर्णय की दिनांक से दो माह के अंदर करे।
(महावीर तंवर) (नंदलाल शर्मा)
सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष
मंच,झालावाड केम्प कोटा मंच, झालावाड, केम्प कोटा।
निर्णय आज दिनांक 26.08.2015 को खुले मंच में लिखाया जाकर सुनाया गया।
सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष
मंच,झालावाड केम्प कोटा मंच, झालावाड, केम्प कोटा।
Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes
Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.