Rajasthan

Kota

CC/64/2013

Vedh Ashok kumar sharma - Complainant(s)

Versus

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Mahesh kumar sharma

20 Jan 2016

ORDER

वैध अशोक कुमार शर्मा
बनाम
         मै. वालमार्ट ई. प्रा. लि., नई दिल्ली एवं दून स्कूटर इण्डिया, देहरादून (उत्तराखण्ड)
परिवादी संख्या 64/13 


   

 20.01.2016     दोनों पक्षों को सुना जा चुका है। पत्रावली का अवलोकन किया गया। 
परिवादी ने विपक्षीगण का संक्षेप में यह दोष बताया है कि विपक्षी दून स्कूटर इण्डिया (निर्माता) द्वारा निर्मित स्कूटर डी.एस.आई. जूम वाईवा विपक्षी मै. वालमार्ट इण्डिया प्रा.लि.(विक्रेता) से  26999/-रूपये अदा करके जर्ये बिल नं. 66694713010 खरीदा था उस समय ही उसके मैन हैण्डिल में बैलेंस की तकनीकी खराबी थी जिसे विपक्षी (विक्रेता)के निर्देश पर उनके अधिकृत सर्विस सेन्टर (मोबाईक सर्विस सेन्टर शाॅप नं 18 तलवण्डी चैराहा कोटा) पर अगले दिन दिखाया था जिसने बताया कि वह खराबी बनावटी है। बेकलाईट के बक्स में भी छेद हो रहे थे। इस बारे में विपक्षी-विके्रता के सेल्स मेन ने कहा कि पार्टस आने पर बदल देंगे लेकिन बार-बार बताने पर भी समस्या ठीक नहीं की। उसके बाद वाहन में अन्य समस्याऐं जेैसे शोकर चिपकने, उनमें से आयल निकलने, लाईट व इग्निशन सिस्टम खराब हो जाने, क्लच खराब होने, बैट्री बोक्स पर सीट अड़ने, बैट्री में से काला तरल पदार्थ निकलने एवं 15 कि.मी. चलने के बाद ही बेट्री डिस्चार्ज हो जाने आदि समस्याऐं आ गई जिनके बारे मेें विपक्षी-विक्रेता के सेल्स मेन को बताया गया जिसने केवल इग्निशन स्विच को बदला अन्य समस्याऐं ठीक नहीं की जबकि प्रत्येक सर्विस पर 150/-रूपये प्राप्त किये। विपक्षीगण ने परिवादी को निर्माण-दोष से ग्रसित स्कूटर बेचा तथा उसकी समस्याओं का निराकरण भी नहीं किया। विपक्षीगण को लीगल नोटिस भी भेजा गया, इसके बावजूद केाई समाधान नहीं किया गया। विपक्षीगण के कृत्य से परिवादी को शारिरिक व मानसिक पीड़ा के साथ-साथ आर्थिक नुकसान हुआ है। 
विपक्षी विक्रेता के जवाब का सार है कि परिवादी ने स्कूटर व्यवसायिक उद्देश्य के लिये खरीदा था क्योंकि वह केवल होल-सेल व्यापारी व व्यवसायी को ही प्रोडक्ट बेचते हैं, इसलिये परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत चलने योग्य नहीं है। परिवादी ने जब वाहन खरीदा तब उसमें कोई भी खराबी नहीं थी। परिवादी ने वाहन के संबंध में उनको कभी कोई शिकायत नहीं की। यदि वाहन में कोई निर्माण-दोष है या उसकी मरम्मत करने में सर्विस सेन्टर ने कमी की है तब इसके लिये वह उत्तरदायी नहीं है। अपितु निर्माता ही उत्तरदायी है। उन्हें अनावश्यक पक्षकार बनाया गया है। उनका कोई सेवा-दोष भी नहीं है। 
विपक्षी निर्माता को रजिस्टर्ड डाक से नोटिस भेजा गया । इसके बावजूद उपस्थित नहीं होने पर कानूनी उपधारणा नोटिस मिलने की गई तथा उसके विरूद्ध एक-पक्षीय कार्यवाही के आदेश दिये गये।
परिवादी ने साक्ष्य में अपने शपथ-पत्र के अलावा वाहन खरीद बिल, यूजर मेनुअल, विपक्षीगण को प्रेषित नोटिस, पोस्टल रसीद आदि की प्रतियां पेश की हैं। विपक्षी विके्रता ने साक्ष्य में स्टोरकीपर-प्रकाश दवानी का शपथ-पत्र प्रस्तुत किया है। 
हमनें विचार किया। 
विपक्षी विके्रता की यह आपत्ति सारवान है कि परिवाद इस मंच के सुनवाई-योग्य नहीं है क्योंकि परिवादी ने वाहन खरीद का जो बिल पेश किया है उस पर ही यह शर्त अंकित है कि बेची गई वस्तु व्यक्तिगत उपयोग के लिये नहीं है केवल होल-सेल व्यवसाय या रिसेल के ही उपयोग में ली जा सकती है तथा जो वस्तु व्यवसाय के लिये या रिसेल के लिये खरीदी गई उसके किसी दोष के संबंध में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत केे्रता उपभोक्ता नहीं है। इसी आधार पर परिवाद खारिज होने योग्य है। 
यदि गुण-दोष पर देखा जाये तो भी परिवादी यह सिद्ध नहीं कर सका है कि खरीदे गये वाहन में कोई निर्माण-दोष है क्योंकि इस संबंध में किसी विशेषज्ञ की कोई जाॅंच रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की गई है। परिवादी ने वाहन में समस्या होने की शिकायत विपक्षी विके्रता को करने का भी कोई दस्तावेजी प्रमाण प्रस्तुत नहीं किया है जो सर्विस कूपन प्रस्तुत किये गये हैं उन पर भी ऐसा कोई अंकन नहीं है कि सर्विस कराते समय समस्याएंे बताई गई थी जिनका निराकरण नहीं किया गया। परिवादी ने अधिकृत सर्विस सेन्टर को पक्षकार भी नहीं बनाया है।
उपरोक्त विवेचन से हम पाते है कि परिवाद खारिज होने योग्य है। अतः परिवाद खारिज किया जाता है।   
आदेश खुले मंच में सुनाया गया। पत्रावली फैसल शुमार होकर रिकार्ड में जमा हो।


(महावीर तॅंवर)                        (भगवान दास)
   सदस्य                                अध्यक्ष
 

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