Uttar Pradesh

Hamirpur

CC/99/2015

LOTAN PRASAD GUPTA - Complainant(s)

Versus

MANAGER B.S.N.L. HAMIRPUR - Opp.Party(s)

SURESH CHANDRA SAHOO

26 Aug 2016

ORDER

FINAL ORDER
DISTRICT CONSUMER DISPUTES REDRESSAL FORUM
HAMIRPUR
UP
COURT 1
 
Complaint Case No. CC/99/2015
 
1. LOTAN PRASAD GUPTA
MO- THOK UNCHA, NEAR RAMLEELA GROUND, SUMERPUR
HAMIRPUR
UTTAR PRADESH
...........Complainant(s)
Versus
1. MANAGER B.S.N.L. HAMIRPUR
HAMIRPUR
HAMIRPUR
UTTAR PRADESH
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SHRI RAM KUMAR PRESIDENT
 HON'BLE MR. SHRI BRAJESH KUMAR MISHRA MEMBER
 HON'BLE MRS. HUMERA FATMA MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
Dated : 26 Aug 2016
Final Order / Judgement

                                         दायरा तिथि- 12-10-2015

                                              निर्णय तिथि- 26-08-2016

  समक्ष- जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष, फोरम हमीरपुर (उ0प्र0)

   उपस्थिति-  श्री रामकुमार                     अध्यक्ष,

              श्रीमती हुमैरा फात्मा              सदस्या

  परिवाद सं0- 99/2015 अन्तर्गत धारा-12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 

लोटन प्रसाद गुप्ता पुत्र श्री रामखिलावन गुप्ता मु0 थोक उँछा (रामलीला मैदान के पास) कस्बा व परगना सुमेरपुर, जिला हमीरपुर।                                                                                                                

                                                     .....परिवादी।

                        बनाम

1- जिला प्रबंधक महोदय भारत संचार निगम लि0 जिला हमीरपुर।

2- उपमण्डलाधिकारी महोदय हमीरपुर भारत संचार निगम लि0 हमीरपुर।

 

                                                        ........विपक्षीगण।

                       निर्णय

द्वारा- श्री, रामकुमार,पीठासीन अध्यक्ष,

       परिवादी ने यह परिवाद विपक्षीगण से प्रतितोष के रूप में मु0 7000/- मय 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज तथा वाद व्यय के मद में मु0 5000/- रू0 दिलाये जाने हेतु विपक्षीगण के विरूद्ध उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत प्रस्तुत किया है।

       परिवाद पत्र में परिवादी का कथन संक्षेप में यह है कि उसने विपक्षी भारत संचार निगम लि0 हमीरपुर से लैण्डलाइल टेलीफोन सं0 231171 दि0 08-01-97 को रसीद सं0 193 से 2000/- रू जमा करके लिया था। आवश्यकता न रहने पर परिवादी ने उक्त टेलीफोन कटवा दिया। जिस पर विभाग ने डिफाल्टर  नोटिस दि0 05-09-14 को मु0 1495.24/- की भेजी तो परिवादी ने दि0 16-10-14 को मु0 1496/- रू0 विभाग में जमा कर दिया। उसी दिन विभाग ने धरोहर राशि वापस करने की कार्यवाही की तथा विभागीय प्रक्रिया के उपरान्त धनराशि विपक्षीगणों के पास आ गई। जिसकी जानकारी परिवादी को दि0 16-10-14 को दिये प्रार्थना पर हुई। दि0 25-01-15 को पता करने पर मालूम हुआ कि दि 20-01-15 को धनराशि विभाग को प्राप्त हो चुकी है तब परिवादी ने विपक्षी सं0 2 को रजिस्टर्ड डाक से एक प्रार्थना पत्र दि0 17-03-15 भेजा। उक्त धनराशि प्राप्त न होने पर परिवादी उसने दि 04-06-15 को जरिये अधिवक्ता एक नोटिस भी विपक्षीगण को भेजी, लेकिन विपक्षीगण द्वारा 2000/- की उक्त धनराशि परिवादी को नहीं दी गई। उक्त धनराशि वापस न करने विपक्षीगण द्वारा घोर लापरवाही की गई। इस कारण परिवादी को मजबूर होकर परिवाद फोरम में दायर करना पड़ा।

                                  (2)

       विपक्षीगण ने परिवाद पत्र के विरूद्ध अपना जवाबदावा पेश करके परिवादी का परिवाद गैर कानूनी बताया है तथा खारिज होने योग्य है।  परिवादी ने विभागीय सक्षम अधिकारियों को पक्षकार नहीं बनाया है तथा उसने टेलीफोन कटवा दिया। इसलिए वह विपक्षी का उपभोक्ता भी नहीं रहा तथा  फोरम को बीएसएनएस को विरूद्ध सुनवाई का क्षेत्राधिकार प्राप्त नहीं है। परिवादी द्वारा जमा धनराशि 2000/- में से 840/- रू0 इंस्टोलेशन चार्ज काटकर मु0 1160/- रू0 की अकाउण्ट पेयी चेक सं0 272890 दि0 06-11-15 रजिस्टर्ड डाक द्वारा परिवादी को भेजी जा चुकी है और परिवादी को प्राप्त भी हो चुकी है। इसलिए परिवाद खारिज किये जाने योग्य है।

परिवादी ने अभिलेखीय साक्ष्य में सूची कागज सं0 4 से 06 अभिलेख, तथा स्वयं का शपथपत्र कागज सं0 16 दाखिल किया है।

      विपक्षीगण ने अभिलेखीय साक्ष्य में सूची कागज सं0 18 से 03 अभिलेख तथा सी0पी0 दुबे मण्डलीय अभियन्ता  का शपथपत्र कागज सं- 17 दाखिल किया है।

      परिवादी तथा विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्तागण की बहस को विस्तार से सुना तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त अभिलेखीय साक्ष्य का भलीभॉति परिशीलन किया।

उपरोक्त के विवेचन से यह स्पष्ट है कि परिवादी  ने टेलीफोन की सुविधा प्राप्त् करने के लिए विपक्षी सं0 1 के कार्यालय में आवेदन दिया था। उसे दि0 08-01-97 को सिक्योरिटी मनी 2000/- रू0 जमा करके रसीद सं0 193 जारी की गई थी। समस्च औपचारिकतायें पूर्ण करने पर परिवादी के घर पर टेलीफोन न0 23171 लग गया। उक्त टेलीफोन को परिवादी ने कटवा दिया। लेकिन किस तारीख को कटवा दिया उसा उल्लेख परिवाद पत्र में नहीं किया है।

विपक्षी ने दि0 05-09-14 को डिफाल्टर नोटिस परिवादी को भेजा तब परिवादी ने दि0 16-10-14 को रू0 1496/- जमा कर दिया था। तत्पश्चात सिक्योरिटी मनी 2000/- रू0 में से 1160/- रू0 का अकाउण्ट पेयी चेक नं0 272890  दि0 06-11-15 को परिवादी के पते पर विपक्षी द्वारा  भेजा दिया गया। परिवादी का यह विवाद है कि उसे 840 कम भुगतान किया गया। इस पर विपक्षी का यह कथन है कि 840/- रू0 टेलीफोन का इंस्टोलशन शुल्क काटा गया है। इससे साबित है कि अब कोई बकाया विपक्षीगण के पास नही रह गया है। सिक्योरिटी मनी विलम्ब से इसलिये परिवादी को भेजी गई क्योंकि इसी बीच भारत सरकार ने B.S.N.L. की कैश मैनेजमेन्ट सेवा I.C.I.C.I. बैंक को दे दिया था तथा अन्य पूरे प्रदेश के जिलों से भुगतान के अधिकार वापस ले लिया था। ऑन लाइन पेमेन्ट करने के लिए विपक्षीगण बराबर परिवादी से अनुरोध करते रहे कि अपना बैंक अकाउण्ड नम्बर दे दें, जिससे पेमेन्ट भेज दिया जावे। लेकिन परिवादी ने बैंक अकाउण्ट नम्बर

                           (3)

न देकर प्रस्तुत परिवाद दाखिल कर दिया है। सिक्योरिटी मनी की शेष धनराशि रू0 1160/- परिवादी की लापरवाही के कारण उसे विलम्ब से मिली।

उपरोक्त के अतिरिक्त परिवादी का यदि कोई विवाद शेष है तो वह धारा 7-B टेलीफोन एक्ट के अन्तर्गत अपना दावा सक्षम न्यायालय में दायर कर सकता है। टेलीफोन एक्ट 413 व 443 के अन्तर्गत आने वाले टेलीफोन से सम्बन्धित सभी विवादों का निपटारा केन्द्र सरकार द्वारा नियुक्त आरबीट्रेशन द्वारा किया जायेगा। माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्णीत दृष्टान्त (2009) 8 S.C.C पेज 481 जनरल मैनेजर टेलीफोन बनाम एम0 कृष्णन एवम् अन्य में यही सिद्धान्त प्रतिपादित किया है। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा-3 के अनुसार टेलीफोन से सम्बन्धित विवादों को सुनने का क्षेत्राधिकार इस फोरम को प्राप्त नहीं है। तद्नुसार परिवाद खारिज किये जाने योग्य है।

                       -आदेश-

परिवादी का परिवाद खारिज किया जाता है। उभय पक्ष खर्चा मुकदमा अपना- अपना वहन करेंगे। पत्रावली बाद आवश्यक कार्यवाही दाखिल दफ्तर हो।

 

            (हुमैरा फात्मा)                   (रामकुमार)   

              सदस्या                        अध्यक्ष 

       यह निर्णय आज खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित व दिनांकित करके उद्घोषित किया गया।

 

            (हुमैरा फात्मा)                   (रामकुमार)   

                  सदस्या                       अध्यक्ष 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. SHRI RAM KUMAR]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. SHRI BRAJESH KUMAR MISHRA]
MEMBER
 
[HON'BLE MRS. HUMERA FATMA]
MEMBER

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