Uttar Pradesh

StateCommission

A/1647/2016

Balaji Cold Storage - Complainant(s)

Versus

Man Singh Pal - Opp.Party(s)

B.K. Updhyay

12 Jun 2017

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1647/2016
(Arisen out of Order Dated 06/08/2007 in Case No. C/01/2003 of District Etawah)
 
1. Balaji Cold Storage
Auraiya
...........Appellant(s)
Versus
1. Man Singh Pal
Auraiya
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN PRESIDENT
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 12 Jun 2017
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील सं0- 1647/2016

                                   (मौखिक)

 

(जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, इटावा द्वारा परिवाद सं0- 01/2003 में पारित आदेश दि0 06.08.2007 के विरूद्ध)

बालाजी कोल्‍ड स्‍टोरेज एण्‍ड आइस प्‍लांट, सुनवर्सा बेकवर, इटावा उत्‍तर प्रदेश द्वारा पार्टनर वीरेन्‍द्र कुमार गुप्‍ता उर्फ वीरेन्‍द्र बाबू गुप्‍ता पुत्र श्री बच्‍चन लाल, निवासी-लोहा मण्‍डी, धर्मशाला वाली गली विधुना, जिला- औरैया।                                                                                                          

                                                   ………अपीलार्थी

बनाम

मान सिंह पाल पुत्र किशोर लाल, निवासी- कमल सिंह का पुरवा, पोस्‍ट- भिखरा, विधूना, जिला- औरैया।                                                                                                        

                                                   ………. प्रत्‍यर्थी  

समक्ष:-                       

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष। 

 

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री ब्रज कुमार उपाध्‍याय, विद्वान  

                            अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री सुशील कुमार मिश्र, विद्वान अधिवक्‍ता।  

दिनांक:-  12.06.2017

 

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष  द्वारा उद्घोषित

                                                     

निर्णय  

 

परिवाद सं0- 01/2003 मान सिंह पाल बनाम बालाजी कोल्‍ड स्‍टोरेज एण्‍ड आइस प्‍लांट में जिला फोरम, इटावा द्वारा पारित निर्णय और आदेश दि0 06.08.2007 के विरूद्ध यह अपील उपरोक्‍त परिवाद के विपक्षी बालाजी कोल्‍ड स्‍टोरेज एण्‍ड आइस प्‍लांट की ओर से धारा 15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अंतर्गत आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत की गई है।

         आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा जिला फोरम ने परिवाद विपक्षी के विरूद्ध स्‍वीकार करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया है :-

       ‘’परिवाद सव्‍यय स्‍वीकार करते हुए विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह एक माह के अन्‍दर परिवादी को आलू का मूल्‍य व क्षतिपूर्ति का रू0 70,000/- तथा वाद व्‍यय रू0 200/- का भुगतान करें। निर्धारित अवधि में अनुपालन न होने पर विपक्षी उपरोक्‍त कुल राशि पर 10 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज परिवाद प्रस्‍तुत करने की तिथि से भुगतान तक का परिवादी को अदा करेगा’’

       अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी की ओर से उनके विद्वान अधिवक्‍ता श्री ब्रज कुमार उपाध्‍याय और प्रत्‍यर्थी की ओर से उनके विद्वान अधिवक्‍ता श्री सुशील कुमार मिश्र उपस्थित आये हैं।

       मैंने उभयपक्ष के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय और आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।

       अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्‍त सुसंगत तथ्‍य इस प्रकार हैं कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी मान सिंह पाल ने उपरोक्‍त परिवाद जिला फोरम के समक्ष इस कथन के साथ प्रस्‍तुत किया है कि उसने दि0 05.04.2002 को तकपट्टी सं0- 396/66 द्वारा 66 बोरे आलू बीज के लिए अपीलार्थी/विपक्षी के कोल्‍ड स्‍टोरेज में रखा। उसके बाद दि0 18.11.2002 को जब वह विपक्षी के यहां आलू लेने गया तो बताया गया कि आलू सड़ गया है उस समय आलू का बाजार मूल्‍य 1,000/-रू0 प्रति बोरा था। अत: प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने जिला फोरम के समक्ष अपीलार्थी/विपक्षी के विरूद्ध परिवाद प्रस्‍तुत कर आलू के नुकसान की क्षतिपूर्ति दिलाये जाने का अनुरोध किया है। साथ ही मानसिक कष्‍ट हेतु क्षतिपूर्ति भी मांगा है।

       अपीलार्थी/विपक्षी को जिला फोरम द्वारा नोटिस भेजी गई, परन्‍तु नोटिस के तामीला के बाद भी अपीलार्थी/विपक्षी उपस्थित नहीं आये। अत: जिला फोरम ने एकपक्षीय रूप से कार्यवाही करते हुए आक्षेपित निर्णय और आदेश उपरोक्‍त प्रकार से पारित किया है।

       अपीलार्थी/विपक्षी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम ने आक्षेपित निर्णय और आदेश एकपक्षीय रूप से अपीलार्थी को सुनवाई का अवसर दिये बिना पारित किया है। जिला फोरम ने आलू का जो मूल्‍य निर्धारित किया है वह बहुत अधिक है।

       प्रत्‍यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश साक्ष्‍य और विधि के अनुकूल है। जिला फोरम ने जो आलू का जो मूल्‍य निर्धारित किया है वह उचित है। जिला फोरम के निर्णय में किसी हस्‍तक्षेप की आवश्‍यकता नहीं है।

       मैंने उभयपक्ष के तर्क पर विचार किया है।

       स्‍वीकृत रूप से प्रत्‍यर्थी/परिवादी 66 बोरा आलू अपीलार्थी/विपक्षी के कोल्‍ड स्‍टोरेज में रखा था, परन्‍तु अपीलार्थी/विपक्षी का कथन है कि आलू का मूल्‍य उस समय कम होने के कारण प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने आलू की निकासी नहीं प्राप्‍त की है और उसने कोल्‍ड स्‍टोरेज का भाड़ा भी नहीं दिया है।

       अपीलार्थी/विपक्षी की ओर से ऐसा कोई अभिलेख नहीं दिखाया जा सका है जिसके आधार पर यह कहा जा सके कि कोल्‍ड स्‍टोरेज का भाड़ा प्रत्‍यर्थी/परिवादी के जिम्‍मा अवशेष था और उसने भाड़ा जमा नहीं किया है। अपीलार्थी/विपक्षी ने कथित रूप से प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा आलू की डिलीवरी न लेने पर उसे कोई नोटिस नहीं भेजा है। अपीलार्थी/विपक्षी जिला फोरम से नोटिस प्राप्‍त होने के बाद भी जिला फोरम के समक्ष उपस्थित नहीं हुआ है।

  अत: सम्‍पूर्ण तथ्‍यों और साक्ष्‍यों पर विचार करने के उपरांत मैं इस मत का हूँ कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी का कथन विश्‍वसनीय है कि उसने अपना 66 बोरा आलू अपीलार्थी/विपक्षी के कोल्‍ड स्‍टोरेज में जमा किया है, परन्‍तु उसे उक्‍त आलू वापस नहीं किया गया है। जिला फोरम ने आलू का मूल्‍य 70,000/-रू0 निर्धारित किया है। वर्ष 2002 में प्रचलित मूल्‍य दर को देखते हुए मैं इस मत का हूँ कि आलू का मूल्‍य 45,000/-रू0 निर्धारित किया जाना उचित है।

  जिला फोरम ने 10 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्‍याज परिवाद प्रस्‍तुत करने की तिथि से अदायगी की तिथि तक दिया है। जिला फोरम द्वारा निर्धारित ब्‍याज दर अधिक लगती है। मेरी राय में ब्‍याज दर कम कर 06 प्रतिशत वार्षिक किया जाना उचित है।

  उपरोक्‍त निष्‍कर्ष के आधार पर अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है और जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश संशोधित करते हुए अपीलार्थी/विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह प्रत्‍यर्थी/परिवादी को 45,000/-रू0 उसके आलू की क्षतिपूर्ति हेतु प्रदान करें और इस धनराशि पर वह प्रत्‍यर्थी/परिवादी को परिवाद प्रस्‍तुत करने की तिथि से अदायगी की तिथि तक 06 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्‍याज भी दे। इसके साथ ही अपीलार्थी/विपक्षी, प्रत्‍यर्थी/परिवादी को जिला फोरम द्वारा प्रदान की गई वाद व्‍यय की धनराशि 2,000/-रू0 भी अदा करेगा।

  अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा अपील में धारा 15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत जमा धनराशि 25,000/-रू0 ब्‍याज सहित जिला फोरम को इस निर्णय के अनुसार निस्‍तारित करने हेतु प्रेषित की जाए।

 

(न्‍यायमूर्ति अख्‍तर हुसैन खान)

                                                        अध्‍यक्ष

शेर सिंह आशु0

कोर्ट नं0-1

    

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN]
PRESIDENT

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