Uttar Pradesh

StateCommission

A/2001/1108

L I C - Complainant(s)

Versus

Malti devi - Opp.Party(s)

B L Jaiswal, Shri. Vikas Agrwal

09 Nov 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2001/1108
( Date of Filing : 04 Jun 2001 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. L I C
Allahabad
...........Appellant(s)
Versus
1. Malti devi
Allahabad
...........Respondent(s)
First Appeal No. A/2002/76
( Date of Filing : 10 Jan 2002 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Malti Devi
Allahabad
...........Appellant(s)
Versus
1. L I C
Allahabad
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Vikas Saxena JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 09 Nov 2022
Final Order / Judgement

(सुरक्षित)

 

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

अपील संख्‍या-1108/2001

लाइफ इन्‍श्‍योरेन्‍स कारपोरेशन आफ इंडिया, द्वारा आफिस आफ दि डिवीजनल मैनेजर, 19-ए, टैगोर टाउन, पी.बी.नं0-2030, इलहाबाद।

अपीलार्थी/विपक्षी

बनाम्  

श्रीमती मालती देवी पत्‍नी स्‍व0 बंगाली राम जायसवाल, निवासिनी ग्राम व पी.ओ. बारौत, जिला इलाहाबाद।

                            प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी

एवं

अपील संख्‍या-76/2002

श्रीमती मालती देवी पत्‍नी स्‍व0 बंगाली राम जायसवाल, निवासिनी ग्राम व पी.ओ. बारौत, जिला इलाहाबाद।

                            अपीलार्थी/परिवादिनी

बनाम्  

लाइफ इन्‍श्‍योरेन्‍स कारपोरेशन आफ इंडिया, द्वारा आफिस आफ दि डिवीजनल मैनेजर, 19-ए, टैगोर टाउन, पी.बी.नं0-2030, इलहाबाद।

                            प्रत्‍यर्थी/विपक्षी

समक्ष:-                           

1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

2. माननीय श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य।

बीमा निगम की ओर से उपस्थित      : श्री विकास अग्रवाल।

परिवादिनी की ओर से उपस्थित       : श्री नीरज पालीवाल।

                            

दिनांक:   06.12.2022

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य  द्वारा उद्घोषित                                                 

निर्णय

1.         परिवाद संख्‍या-1323/1996, श्रीमती मालती देवी बनाम लाइफ इंश्‍योरेंस कारपोरेशन आफ इंडिया में विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग, इलाहाबाद द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 02.05.2001 के विरूद्ध अपील संख्‍या-1108/2001 बीमा निगम की ओर से प्रस्‍तुत की गई है, जबकि अपील संख्‍या-76/2002 परिवादिनी की ओर से प्रतिकर की राशि को बढ़ाए जाने हेतु प्रस्‍तुत की गई है। अत: दोनों अपीलें एक ही निर्णय एवं आदेश से प्रभावित हैं, इसलिए दोनों अपीलों का निस्‍तारण एक ही निर्णय एवं आदेश द्वारा किया जा रहा है। इस हेतु अपील संख्‍या-1108/2001 अग्रणी अपील होगी।

2.         परिवाद के तथ्‍यों के अनुसार परिवादिनी के पति स्‍व0 बंगाली राम जायसवाल ने दिनांक 20.03.1990 को अंकन 1,50,000/- रूपये के लिए एक बीमा पालिसी प्राप्‍त की थी। दिनांक 28.03.1990 को संक्षिप्‍त, परन्‍तु गंभीर बीमारी के कारण उनकी मृत्‍यु हो गई। बीमा क्‍लेम प्रस्‍तुत किया गया, जो दिनांक 29.11.1994 के पत्र के माध्‍यम से नकार दिया गया, इसलिए परिवाद प्रस्‍तुत किया गया।

3.         विपक्षी का कथन है कि बीमाधारक की Chronic Mycloid Leukemia in Blast Crises से मृत्‍यु हुई है। बीमा प्रस्‍ताव भरते समय इस बीमारी को छिपाया गया। पालिसी धोखे से प्राप्‍त की गई है, इसलिए बीमा क्‍लेम नकार दिया गया।

4.         दोनों पक्षकारों की साक्ष्‍य पर विचार करने के पश्‍चात विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने यह निष्‍कर्ष दिया है कि बीमाधारक बीमा प्रस्‍ताव भरने से पूर्व गंभीर बीमारी से ग्रसित थे, यह तथ्‍य साबित नहीं है। तदनुसार बीमा अदा करने का आदेश दिया गया।

5.         इस निर्णय एवं आदेश के विरूद्ध बीमा निगम द्वारा अपील संख्‍या-1108/2001 इन आधारों पर प्रस्‍तुत की गई है कि विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने साक्ष्‍य के विपरीत निर्णय एवं आदेश पारित किया है। बीमाधारक द्वारा बीमा प्रस्‍ताव भरते समय बीमारी के तथ्‍य को छिपाया गया, इसलिए बीमा क्‍लेम देय नहीं है।

6.         इस निर्णय एवं आदेश के विरूद्ध परिवादिनी द्वारा अपील संख्‍या-76/2002 इन आधारों पर प्रस्‍तुत की गई है कि विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने बीमित धनराशि पर ब्‍याज दर कम दी गई है। ब्‍याज 18 प्रतिशत की दर से अदा करने हेतु आदेश पारित किया जाना चाहिए था।

7.         अपीलार्थी/बीमा निगम के विद्वान अधिवक्‍ता श्री विकास अग्रवाल तथा प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री नीरज पालीवाल को सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश तथा पत्रावलियों का अवलोकन किया गया।

8.         उपरोक्‍त दोनों अपीलें सुनिश्‍चित करने के लिए एक मात्र बिन्‍दु यह उत्‍पन्‍न होता है कि क्‍या बीमाधारक द्वारा बीमा प्रस्‍ताव भरते समय बीमारी के तथ्‍यों को छिपाया गया, यदि हां तो प्रभाव और यदि नहीं तब क्‍या परिवादिनी बीमित राशि पर 18 प्रतिशत की दर से ब्‍याज प्राप्‍त करने के लिए अधिकृत है ?

9.         बीमा प्रस्‍ताव की प्रति पत्रावली पर मौजूद है, जिसके अवलोकन से जाहिर होता है कि बीमा प्रस्‍ताव भरते समय बीमारी से संबंधित प्रश्‍न पूछे गए, उनका उत्‍तर नकारात्‍मक दिया गया है। पत्रावली पर मौजूद दस्‍तावेज संख्‍या-28 के अवलोकन से जाहिर होता है कि All India Institute Of Medical Sciences के अधिक्षक की ओर से शाखा प्रबंधक, भारतीय जीवन बीमा निगम को एक पत्र लिखा गया है, इस पत्र के साथ अस्‍पताल के प्रमाण पत्र की प्रति प्रस्‍तुत की गई है। अस्‍पताल में आने पर जो बीमारी बतायी गयी, उसका नाम Chronic Mycloid Leukemia in Blast Crises है। प्रमाण पत्र के अनुसार इस बीमारी की सूचना स्‍वंय बीमार व्‍यक्ति द्वारा दी गई है। इस बीमार व्‍यक्ति द्वारा बताया गया कि वह पिछले एक वर्ष से बीमार है। पिछले एक वर्ष से बीमार होने के कारण ही अपीलार्थी, बीमा निगम के विद्वान अधिवक्‍ता का यह तर्क है कि बीमा प्रस्‍ताव भरते समय बीमाधारक को बीमारी के संबंध में ज्ञान था, इसलिए इस तथ्‍य को छिपाते हुए बीमा पालिसी प्राप्‍त की गई है। चूंकि डा0 द्वारा जो सूचना दर्ज की गई, वह बीमार व्‍यक्ति से पूछने पर दर्ज की गई है, क्‍योंकि इलाज कराते समय कोई व्‍यक्ति डा0 को अपनी बीमारी की अवधि के संबंध में गलत सूचना नहीं देगा। इसी प्रकार कोई डा0 आश्‍यपूर्वक बीमारी की अवधि के संबंध में दी गई सूचना को गलत तरीके से रिकार्ड नही करेगें। अत: स्‍वंय बीमाधारक द्वारा दी गई सूचना, जिसका इंद्राज डा0 द्वारा अपने अभिलेखों में किया गया है, प्रमाणिक मानना विधिसम्‍मत है। बीमा प्रस्‍ताव भरने के तुरंत पश्‍चात बीमा धारक की 05 दिन में गंभीर बीमारी से मृत्‍यु हो जाना, इस ओर इंगित करता है कि बीमाधारक पूर्व से बीमार था, इसलिए बीमा नकारने का आधार विधिसम्‍मत है। विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने केवल बीमाधारक के एक साथी के शपथ पत्र पर विचार किया है। बीमाधारक के किसी साथी को बीमा प्राप्‍त करते समय किसी बीमारी के अस्तित्‍व की जानकारी होना अवश्‍यांभावी नहीं है। बीमाधारक के साथी द्वारा दिया गया शपथ पत्र उनकी व्‍यक्तिगत जानकारी पर आधारित नहीं है, इसलिए इस शपथ पत्र को विचार में नहीं लिया जा सकता था। अत: विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश अपास्‍त होने योग्‍य है। तदनुसार बीमा निगम की ओर से प्रस्‍तुत अपील संख्‍या-1108/2001 स्‍वीकार होने योग्‍य है एवं परिवादिनी की ओर से प्रस्‍तुत अपील संख्‍या-76/2002 निरस्‍त होने योग्‍य है।

आदेश

10.        अपील संख्‍या-1108/2001 स्‍वीकार की जाती हैं। विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 02.05.2001 अपास्‍त किया जाता है।

           अपील संख्‍या-76/2002 निरस्‍त की जाती है।

           उभय पक्ष इन अपीलों का व्‍यय स्‍वंय अपना-अपना वहन करेंगे।

           इस निर्णय एवं आदेश की मूल प्रति अपील संख्‍या-1108/2001 में रखी जाए एवं इसकी एक सत्‍य प्रति संबंधित अपील में भी रखी जाए।

           उभय पक्ष को इस निर्णय/आदेश की सत्‍यप्रतिलिपि नियमानुसार उपलब्‍ध करा दी जाये।

 

     

(विकास सक्‍सेना)                           (सुशील कुमार)

 सदस्‍य                                 सदस्‍य

 

 

लक्ष्‍मन, आशु0,

   कोर्ट-3

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
JUDICIAL MEMBER
 

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