न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, चन्दौली।
परिवाद संख्या 56 सन् 2015ई0
लालता पुत्र हरिलाल निवासी सरने ददवापर पो0 नियमताबाद थाना अलीनगर जिला चन्दौली।
...........परिवादी बनाम
मालिक बाबा ट्रैक्टर एजेन्सी चन्दौली।
.............................विपक्षी
उपस्थितिः-
रामजीत सिंह यादव, अध्यक्ष
लक्ष्मण स्वरूप सदस्य
निर्णय
द्वारा श्री रामजीत सिंह यादव,अध्यक्ष
1- परिवादी ने यह परिवाद विपक्षी से ड्रम लादने की पट्टी की कीमत रू0 5000/- तथा शारीरिक,मानसिक,आर्थिक क्षति की क्षतिपूर्ति हेतु रू0 50000/- तथा वाद व्यय,भागदौड हेतु रू0 50000/- मय 15 प्रतिशत व्याज के साथ दिलाये जाने हेतु प्रस्तुत किया है।
2- संक्षेप में परिवादी की ओर से कथन किया गया है कि परिवादी कृषि कार्य हेतु हालैण्ड ट्रैक्टर 3630,50 हार्सपावर सुपर माडल लेने के लिए विपक्षी के एजेंसी पर गया। परिवादी दिनांक 14-8-2015 को अपने खाता संख्या 618202010010568 से रू0 750000/-निकाल कर विपक्षी के खाते में जमा कर ट्रैक्टर की डिलेवरी प्राप्त किया। परिवादी उक्त पैसा अपनी जमीन बेचकर रखा था। परिवादी को विपक्षी ने न्यू हालैण्ड ट्रैक्टर सुपर 3630 लेने पर छूट व सामान देने का प्रलोभन दिया था। विपक्षी ने परिवादी को ट्रैक्टर की डिलेवरी करते समय टायर नं0 16928 व पुली,11फार वाला हल,बम्फर व मोटी छतरी दिया किन्तु ड्रम लादने की पट्टी व कई सामान नहीं दिया,और ट्रैक्टर का सेल लेटर व बीमा के कागजात 15 दिन बाद देने के लिए कहा। परिवादी 15 दिन बाद विपक्षी के यहॉं ट्रैक्टर का सेल लेटर,बीमा का कागजात ड्रम लादने की पट्टी लेने गया तो विपक्षी ने पुनः परिवादी को 15 दिन बाद आकर उपरोक्त कागजात लेने को कहा। परिवादी बराबर विपक्षी के एजेन्सी पर सेललेटर एवं बीमा के कागजात,रजिस्ट्रेशन का कागज लेने के लिए दौडता रहा जिससे परिवादी को मानसिक आघात एवं आर्थिक क्षति हुई। परिवादी अपने ट्रैक्टर का सेल लेटर एवं बीमा कागजात,रजिस्ट्रेशन कागज को लेने के लिए विपक्षी के एजेंसी पर प्रतिष्ठित व्यक्तियों के साथ पहुंचा तो विपक्षी परिवादी से नाजायज तौर पर अतिरिक्त रू0 15000/- की मांग करने लगा जिसे परिवादी ने देने से इन्कार कर दिया तो विपक्षी ने उपरोक्त कागजात देने से मना कर दिया। तत्पश्चात परिवादी ने ट्रैक्टर के सेल लेटर,बीमा कागजात एवं रजिस्ट्रेशन कागज देने हेतु कानूनी नोटिस दिया तो विपक्षी ने उपरोक्त कागजात देने को कहा लेकिन दिया नहीं। इस प्रकार विपक्षी ने जानबूझकर परिवादी की घोर उपेक्षा करके सेवा में कमी किया है। अतः परिवादी ने यह परिवाद दाखिल किया है।
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3- विपक्षी की ओर से जबाबदावा प्रस्तुत करके संक्षेप में कथन किया गया है परिवादी ने विपक्षी के यहॉं से न्यू हालैण्ड ट्रैक्टर सुपर 3630 रू0 750000/-में क्रय किया और उक्त धनराशि विपक्षी के खाते में जमा किया तब परिवादी को ट्रैक्टर,पुली,फार वाला हल,बम्फर,छतरी के साथ सुपुर्द किया गया और ट्रैक्टर से सम्बन्धित कागजात को पंजीयन हेतु परिवहन कार्यालय चन्दौली में भेज दिया गया और परिवहन विभाग से पंजीकृत होने पर सम्बन्धित कागजात आर0सी0 बुक आदि प्राप्त होने पर तत्काल परिवादी को अवगत कराया गया कि वह अपना सेल लेटर,आर0सी0बुक एवं बीमा सम्बन्धित कागजात ले जाय लेकिन परिवादी की नीयत खराब रही और विपक्षी को परेशान करने की नीयत से एक अन्य यंत्र ड्रम लादने की पट्टी की मांग करने लगा जबकि ड्रम लादने की पट्टी की कोई बात नहीं हुई थी और न ही उक्त यंत्र कृषि यंत्र है। परिवादी से विपक्षी द्वारा कोई अतिरिक्त धनराशि की मांग नहीं की गयी है।परिवादी एक मुकदमे बाज व्यक्ति है और बेजा मंसूबो को अंजाम देते हुए ड्रम लादने की पट्टी एवं रू0 15000/- की अतिरिक्त मांग की गलत कहानी बनाते हुए मुकदमा दाखिल किया गया है। परिवादी ने विपक्षी को अपने अधिवक्ता से गलत नोटिस भेजवाया है, जिसका जबाब पत्र दिनांक 30-10-2015 के द्वारा परिवादी को दिया गया और आग्रह किया गया कि वे अपना समस्त कागजात विपक्षी के यहॉं से ले जाय। किन्तु परिवादी अपना कागजात नहीं ले गया और परिवादी ने काल्पनिक आधार पर मुकदमा दाखिल किया है, जो निरस्त किये जाने योग्य है।
4- परिवादी की ओर से परिवादी लालता का शपथ पत्र दाखिल किया गया है तथा दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में फेहरिस्त के साथ ट्रैक्टर के डिलेवरी चालान की छायाप्रति,काशी गोमती संयुक्त ग्रामीण बैंक के पासबुक की छायाप्रति,नोटिस की छायाप्रति एवं रजिस्ट्री रसीद की मूल प्रति तथा ट्रैक्टर के इंजन नम्बर व चेचिस नम्बर की पेन्सिल कापी दाखिल की गयी है। विपक्षी की ओर से फेहरिस्त के साथ शर्तनामा/बेचीनामा की छायाप्रति,डिलेवरी चालान की छायाप्रति,संतुष्टि पत्र एवं आपूर्ति चालान की छायाप्रति,वारंटी रजिस्ट्रेशन कार्ड की छायाप्रति,बिल की छायाप्रति,बीमा की छायाप्रति,आर0सी0 की छायाप्रति,बैंक स्टेटमेन्ट की छायाप्रति, ट्रैक्टर के रेट की छायाप्रति तथा ड्रावर पट्टी एवं सीट कवर के रेट हेतु कोटेशन दाखिल है।
5- उभय पक्ष के अधिवक्तागण की बहस सुनी गयी है। पक्षकारों द्वारा दाखिल लिखित बहस तथा पत्रावली का सम्यक रूपेण परिशीलन किया गया।
6- प्रस्तुत मामले में यह स्वीकृत तथ्य है कि परिवादी ने विपक्षी ट्रैक्टर एजेंसी से रू0 7,50000/- में एक हालैण्ड ट्रैक्टर 50 हार्सपावर का खरीदा है। परिवादी का अभिकथन है कि विपक्षी ने जब ट्रैक्टर की डिलेवरी दिया तो ड्रम लादने की पट्टी व अन्य कई सामान नहीं दिया तथा विपक्षी ने परिवादी से सेल लेटर तथा रजिस्ट्रेशन व बीमा के कागजात 15 दिन बाद देने की बात कही थी किन्तु परिवादी के बार-बार जाने के बावजूद विपक्षी न तो उक्त कागजात दिया और न ही ड्रम
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लादने की पट्टी व अन्य समान दिया, बल्कि इस हेतु रू0 15000/- की मांग किया। तब परिवादी ने विपक्षी को कानूनी नोटिस दिया इसके बावजूद जब विपक्षी ने कागजात व ट्रैक्टर का सामान परिवादी को नहीं दिया तब उसने यह दावा दाखिल किया। इसके विपरीत विपक्षी का अभिकथन है कि परिवादी द्वारा ट्रैक्टर खरीदने के बाद उससे सम्बन्धित कागजात पंजीयन हेतु परिवहन कार्यालय चन्दौली में भेज दिया गया था और जब पंजीयन व बीमा के कागजात विपक्षी को प्राप्त हो गया तो उसने तुरन्त परिवादी से सम्पर्क करके आग्रह किया कि वह अपना सेल लेटर,आर0सी0बुक एवं बीमा से सम्बन्धित कागजात ले जाय लेकिन परिवादी की नीयत खराब थी और उसने कागजात नहीं लिया तथा विपक्षी को परेशान करने की नीयत से ड्रम लादने की पट्टी की मांग करने लगा जबकि इस पट्टी को देने की कोई बात पक्षकारों के बीच नहीं हुई थी और न ही यह पट्टी कोई कृषि यंत्र होता है। विपक्षी का अभिकथन है कि परिवादी एक मुकदमेबाज व्यक्ति है और उसने झूठे व बेबुनियाद अभिकथनों के साथ परिवाद दाखिल किया है जो निरस्त किये जाने योग्य है।
7- परिवादी ने अपने अभिकथनों के समर्थन में शपथ पत्र दिया है और इस शपथ पत्र में भी उसने कहा है कि विपक्षी ने ट्रैक्टर के साथ ड्रम लादने की पट्टी व कई सामान नहीं दिया था तथा बार-बार जाने के बावजूद ट्रैक्टर से सम्बन्धित सेल लेटर तथा बीमा एवं रजिस्ट्रेशन के कागजात नहीं दिया और इसके लिए रू0 15000/- की मांग करता रहा। इस शपथ पत्र के खण्डन में विपक्षी की ओर से कोई शपथ पत्र दाखिल नहीं है। स्वयं विपक्षी की ओर से जो ट्रैक्टर के बेचीनामा की छायाप्रति कागज संख्या 11ग/1 है उसके पुस्त पर स्पष्ट रूप से लिखा गया है कि सीट कवर तथा ड्रावर पट्टी बाकी है। इस प्रकार स्वयं विपक्षी द्वारा दाखिल साक्ष्य से ही यह सिद्ध है कि विपक्षी ने परिवादी को ट्रैक्टर का सीट कवर तथा ड्रावर पट्टी नहीं दिया है। अतः विपक्षी का यह अभिकथन असत्य सिद्ध हो जाता है कि ड्रम लादने की पट्टी देने की कोई बात नहीं हुई थी। विपक्षी का यह अभिकथन है कि जब ट्रैक्टर के बीमा तथा रजिस्ट्रेशन के कागजात प्राप्त हो गये तो परिवादी को कहा गया कि वह गाडी के समस्त कागजात ले जाय लेकिन परिवादी स्वयं कभी कागजात नहीं ले गया। विपक्षी के अधिवक्ता द्वारा यह तर्क दिया गया कि उक्त कागजात की छायाप्रति पत्रावली में दाखिल की गयी है और मूल कागजात अब भी विपक्षी के पास है जिन्हें परिवादी जब चाहे ले सकता है विपक्षी का तर्क है कि परिवादी ने जानबूझकर विपक्षी को परेशान करने की नियत से यह परिवाद दाखिल किया है किन्तु विपक्षी के उपरोक्त तर्क में कोई बल नहीं पाया जाता है क्योंकि यह बात विश्वास योग्य प्रतीत नहीं होती है कि कोई व्यक्ति रू0 7,50000/-खर्च करके ट्रैक्टर खरीदे और उसके कागजात स्वयं न ले,क्योंकि बिना कागजात के ट्रैक्टर चलाने में निश्चित रूप से परिवादी को परेशानी होगी। यदि परिवादी ने कागजात नहीं लिया तो विपक्षी को पंजीकृत डाक से भी परिवादी को कागजात भेज सकता था, किन्तु उसने ऐसा नहीं किया। अतः फोरम की राय में
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यह नहीं माना जा सकता है कि विपक्षी ने ट्रैक्टर के कागजात देने हेतु परिवादी को बुलाया और परिवादी स्वयं कागजात लेने नहीं गया बल्कि समस्त साक्ष्यों के परिशीलन से यही निष्कर्ष निकलता है कि विपक्षी ने तयशुदा ड्रावर पट्टी तथा सीट कवर एवं गाडी का सेल लेटर तथा रजिस्ट्रेशन व बीमा के कागजात परिवादी को नहीं दिया। इस प्रकार विपक्षी द्वारा सेवा में कमी की गयी है जिससे स्वाभाविक रूप से परिवादी को शारीरिक मानसिक एवं आर्थिक क्षति कारित हुई है। अतः फोरम की राय में इसके लिए परिवादी को विपक्षी से रू0 5000/- बतौर क्षतिपूर्ति दिलाया जाना न्यायोचित प्रतीत होता है इसके अतिरिक्त परिवादी को आवागमन एवं वाद व्यय के रूप में रू0 1000/- तथा ट्रैक्टर के ड्रावर पट्टी,सीट कवर,सेल लेटर तथा बीमा व रजिस्ट्रेशन के कागजात दिलाया जाना न्यायोचित प्रतीत होता है और इस प्रकार परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य पाया जाता है।
आदेश
परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह आज से 2 माह के अन्दर परिवादी को शारीरिक,मानसिक एवं आर्थिक क्षति की क्षतिपूर्ति हेतु रू0 5000/-(पांच हजार) आवागमन एवं वाद व्यय के रूप में रू0 1000/-(एक हजार)अदा करें, तथा इसी अवधि में परिवादी को उसके ट्रैक्टर हेतु ड्रावर पट्टी व सीट कवर तथा ट्रैक्टर से सम्बन्धित सेल लेटर,रजिस्ट्रेशन व बीमा के कागजात भी सुपुर्द कर दे। यदि उक्त अवधि में विपक्षी ऐसा नहीं करता है तो परिवादी क्षतिपूर्ति व वाद व्यय की उपरोक्त धनराशि के अतिरिक्त वाहन के रजिस्ट्रेशन व बीमा में जो भी खर्च हो वह धनराशि तथा ड्रावर पट्टी व सीट कवर का मूल्य जो विपक्षी द्वारा दाखिल कागजात के मुताबिक रू0 1050/- है, भी निर्णय की तिथि से पैसा अदा करने की तिथि तक 8 प्रतिशत साधारण वार्षिक व्याज सहित विपक्षी से प्राप्त करने का अधिकारी होगा।
(लक्ष्मण स्वरूप) (रामजीत सिंह यादव)
सदस्य अध्यक्ष
दिनांकः25-10-2017