Final Order / Judgement | (सुरक्षित) राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ। परिवाद सं0 :- 27/2016 Dr. Shoma Sen House No. B-147, C.R. Park, New Delhi-110009 - Complainant
Versus Major S.D. Singh Medical College & Hospital Through Medical Superintendent, Bewar Road, Fatehgarh, Farrukhabad, Uttar Pradesh-209601. - Respondent
समक्ष - मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य
- मा0 श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य
उपस्थिति: परिवादी के विद्वान अधिवक्ता:- कोई नहीं विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता:- कोई नहीं दिनांक:-04.06.2024 माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित निर्णय - यह परिवाद विपक्षी मेडिकल कॉलेज के विरूद्ध अंकन 22,00,000/-रू0 10 प्रतिशत ब्याज के साथ प्राप्त करने के लिए, मानसिक प्रताड़ना के मद में 11,00,000/-रू0 प्राप्त करने के लिए एवं परिवाद व्यय के रूप में 1,00,000/-रू0 प्राप्त करने के लिए प्रस्तुत किया गया है।
- परिवाद के तथ्यों के अनुसार परिवादिनी जो स्वयं एक डॉक्टर है, के मुवक्किल की माता श्रीमती रानी सेन अमल 80 वर्ष विपक्षी अस्पताल में 9 मई 2012 को 9:50 पी0एम0 पर भर्ती करायी गयी थी, जिन्हें आईसीयू में भर्ती किया गया था। डॉक्टर डी0आर0 काजिम द्वारा मरीज को देखा गया। मेरे मुवक्किल द्वारा डी काजिम को बताया गया। ड्रिप्स में पोटेशियम मिलायी गयी और खुद दवा क्रय करने के लिए चला गया। विपक्षी द्वारा रात्रि में निम्नलिखित दवा देने के लिए कहा गया:-
Seven Pints of IV fluids 3DNS and 3RL and 3 NS along with Cifran and metrogyl. - इसके पश्चात अनेक इंजेक्शन परीक्षण के लिए भेजे गये, परंतु रिपोर्ट 4 पी0एम0 पर प्राप्त की गयी, जिन्हें द्वारा 9 बजे सायं देखा गया। यह देरी स्वयं में गंभीर लापरवाही को दर्शित करती है। विशेषता तब जब कि मरीज आई0सी0यू0 में भर्ती है। इसके पश्चात मरीज को Three pints One DNS one RL and one NS with no potassium दिया गया। मरीज तत्समय बैठी हुई थी तथा यह लग रहा था कि CBS CNS RS RENAL अच्छी स्थिति में थे। मरीज 12:30 बजे शौचालय में गयी और वहीं पर उनकी मृत्यु हो गयी। 11 मई को 1 बजे मृत्यु की घोषणा की गयी। ऐसा इसलिए हुआ कि मरीज को गंभीर INTRACELLULAR Hpokalemia बीमारी थी, इसलिए शौच करते समय Cardiac Arrest हुआ। 9 पीएम पर रिपोर्ट लिखाने के बाद डॉक्टर द्वारा 10 MEQ दी गयी जो अत्यधिक देरी से दी गयी तथा अत्यधिक कम थी, जबकि 10 से 20 MEQ पोटेशियम दी गयी। ड्रिप से ही तथा प्रत्येक ड्रिप में दी जानी चाहिए थी। यह भी कथन किया गया कि डायरिया, वोमिटिंग, फीवर के कारण समाप्त हो जाती है तथा उच्च तापमान में जैसा कि मई में फर्रूखाबाद मे होता है।
- इस प्रकार 24 घंटे की देरी से Hpokalemia का इलाज प्रारंभ किया गया, जो लापरवाही को स्थापित करता है।
- मृत्यु का कारण Severe Anemia Acute Gastroenteritis तथा HTN बताया गया, उन्हें Cardiac बीमारी नहीं थी। केवल सिक्स ग्राम एनीमिया तथा जिसका इलाज संभव था। मरीज की मृत्यु का कारण Gastroenteritis का गलत प्रबंधन तथा इस प्रकार परिवादिनी के क्लाइंट के साथ धोखा एवं लापरवाही कारित की! विपक्षी के कार्य की शिकायत एथिक्स कमेठी को भी की गयी (MCI)
- परिवाद पत्र के समर्थन में डॉक्टर सोमा सेन द्वारा ही शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया तथा इलाज से संबंधित दस्तावेज प्रस्तुत किये गये।
- विपक्षी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ। बहस करने के लिए परिवादी की ओर से भी कोई उपस्थित नहीं है। बहस करने के उद्देश्य से परिवादी की ओर से अधिवक्ता उपस्थित हुए, परंतु उनकी ओर से कोई बहस नहीं की गयी। पूर्व तिथि को यह कथन किया गया था कि परिवादिनी खुद बहस करेगी, परंतु बहस के लिए उपस्थित नहीं है।
- प्रस्तुत केस में विनिश्चय के लिए सर्वप्रथम विनिश्चायक बिन्दु यह उत्पन्न होता है कि क्या परिवादिनी अपने मुवक्किल की माता रानी सेन के इलाज के संबंध में बरती गयी लापरवाही के कारण स्वयं परिवाद प्रस्तुत करने के लिए सक्षम है? उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 12 के अनुसार कोई उपभोक्ता परिवाद निम्नलिखित के द्वारा प्रस्तुत किया जा सकता है-
- उपभोक्ता जिसे सेवा प्रदान की गयी है।
- मान्य उपभोक्ता संघ
- जहां एक ही हित रखने वाले बहुत से उपभोक्ता हों।
- भारत संघ और राज्य सरकार
- परिवादिनी उपरोक्त में से किसी भी श्रेणी में नहीं आती। वह स्वयं उपभोक्ता नहीं है। वह मान्य उपभोक्ता संघ की सदस्य भी नहीं है, इसलिए परिवादिनी को यह परिवाद प्रस्तुत करने का अधिकार प्राप्त नहीं है। डॉक्टर की लापरवाही के संबंध में घटना स्वयं प्रमाण है, के आधार पर कोई सबूत मौजूद नहीं है, इसलिए विशेषज्ञ रिपोर्ट प्राप्त की गयी, जो पत्रावली पर मौजूद है, जिसमें पाया गया कि डॉक्टर द्वारा इलाज में कोई लापरवाही नहीं की गयी। अत: लापरवाही का तथ्य स्थापित नहीं है।
आदेश परिवाद खारिज किया जाता है। आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे। (सुधा उपाध्याय)(सुशील कुमार) सदस्य सदस्य संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट 3 | |