Rajasthan

Kota

CC/239/2012

Dinesh sharma - Complainant(s)

Versus

MAIPL, MNC, Marketing Manager - Opp.Party(s)

Manish Kumar Gupta

05 Oct 2015

ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, कोटा (राजस्थान)।
परिवाद संख्या:- 239 /12

दिनेश शर्मा पुत्र जगन्नाथ शर्मा आयु 42 साल जाति ब्राहमण निवासी ग्राम चैपडखेडी तहसील दीगोद जिला कोटा, राजस्थान।                                                                                                   -परिवादी

                    बनाम

01.    मैनेजर, मार्केटिंग, मक्तेशियम अगान इण्डिया, प्राईवेट लिमिटेड     ( ड।प्च्स्) (बहुराष्ट्रीय कंपनी) नानकराम गुडा गाचीबोली     हैदराबाद 500032
02.    प्रोपराइटर, मैसर्स मालव कृषि सेवा केन्द्र बूढादीत तहसील     दीगोद जिला कोटा राजस्थान।                    -विपक्षीगण

समक्ष:-
भगवान दास     ः    अध्यक्ष
हेमलता भार्गव    ः    सदस्य
    परिवाद अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986
उपस्थित:-
01.    श्री मनीष कुमार गुप्ता, अधिवक्ता, परिवादी की ओर से। 
02.    श्री यशवन्त विजय, अधिवक्ता, विपक्षीगण की ओर से। 
 

            निर्णय             दिनांक 05.10.2015
         
         परिवादी ने विपक्षीगण के विरूद्ध उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 12 के अन्तर्गत लिखित परिवाद प्रस्तुत कर संक्षेप में उनका यह सेवा-दोष बताया है कि उसके द्वारा उसके पिता के कब्जे काश्त की 33 बीघा कृषि भूमि वाके ग्राम चैपडखेडी में दिनांक 03.07.11 को सोयाबीन की बुवाई की थी। जिसमें फसल के साथ खरपतवार पैदा हो गई, जिसके नष्ट करने हेतु विपक्षी संख्या 1 द्वारा निर्मित ऐजिल एवं क्लूमेन नामक दवा दिनांक 20.07.11 को विपक्षी सं. 2 से खरीदी थी, उसमें बताया गया था कि खरपतवार नष्ट करने हेतु यह दवा बहुत अच्छी है केवल खरपतावार को ही नष्ट करती है फसल को नष्ट नहीं करती है। ब्रोशर एवं विक्रेता के निर्देशानुसार दिनांक 22.07.11 को 33 बीघा की सोयाबीन की फसल  में उक्त दवा का छिडकाव किया गया, जिससे करीब 6 दिन में पूरी फसल नष्ट हो गई, जिसकी सूचना विपक्षी सं. 2 को दी गई, जिसने संतोषप्रद जवाब नहीं दिया। जिला कृषि विस्तार अधिकारी कोटा को भी सूचना दी गई। विपक्षी ने कोई सुनवाई नहीं की। परिवादी ने अधिवक्ता के माध्यम से विपक्षीगण को कानूनी नोटिस भेजा, जिसके जवाब में बताया गया कि इसकी जांच-कार्यवाही की जा रही है, परिवादी को नुकसान की सहायता दी जावेगी। विपक्षीगण द्वारा गलत एवं घटिया दवाई देने से परिवादी को लगभग चार लाख रूपये की फसल का नुकसान हुआ, इसके अलावा जुताई, पिलाई, बीज, खाद आदि में काफी खर्च हुआ मानसिक संताप हुआ । विपक्षी सं. 1 ने परिवादी के गांव में आकर गलती स्वीकार की तथा उनकी दवाई के प्रयोग से किसानों को हुई क्षति के पेटे 3,800/- रूपये प्रति बीघा के हिसाब से क्षति-पूर्ति अदा की, लेकिन परिवादी को क्षति-पूर्ति अदायगी करने के लिये शपथ-पत्र तथा अंडर टेकिंग प्रस्तुत करने का दबाव दिया। परिवादी ने 3,800/- रूपये प्रति बीधा के हिसाब से क्षति-पूर्ति लेना स्वीकार नहीं किया तो कोई राशि नहीं दी गई, जबकि अन्य किसानों को क्षति-पूर्ति उक्त दर से अदा की गई।  

    विपक्षीगण की ओर से प्रस्तुत जवाब का सार है कि परिवादी ने स्वेच्छा से दवाई खरीदी। उनकी दवाई उच्च क्चालिटी की है। परिवादी ने दवा खरीदने, उसका उपयोग करने व फसल हेतु खाद, सिचाई, दवा के प्रयोग,  उसकी रीति आदि के बारे में निश्चित विवरण नहीं दिया है। दवा का प्रयोग व्यवसायिक उद्धेश्य के लिये किया गया, इसलिये परिवाद चलने योग्य नहीं है। जवाब में यह भी उल्लेख किया गया कि जिन कास्तकारों की फसल का नुकसान हुआ, उसका सर्वे कृषि अधिकारियों द्वारा किया गया तथा कृषि विभाग की सिफारिश व सलाह के आधार पर ही उनके द्वारा अनुमोदित दर से किसानों को मुआवजे का भुगतान किया गया । कृषि विभाग के सर्वे की लिस्ट में परिवादी का नाम नहीं है जिससे स्पष्ट है कि परिवादी की किसी फसल का कोई नुकसान नहीं हुआ, इसलिये परिवादी कोई मुआवजा पाने का अधिकारी नहीं है । परिवाद चलने योग्य नहीं है। कोई घटिया उत्पाद या सेवा-दोष नही किया। 

    परिवादी ने साक्ष्य में अपने शपथ-पत्र के अलावा उसके गांव के अन्य कृषक सत्य नारायण शर्मा, रामप्रसाद गोस्वामी, छीतर लाल मेघवाल व चन्द्र प्रकाश शर्मा आदि के शपथ-पत्र प्रस्तुत किये है, इसके अलावा विपक्षी सं. 2 से खरीद की गई दवाई का बिल, विपक्षीगण को प्रेषित कानूनी नोटिस, पोस्टल रसीद,ए/डी, नकल जमाबंदी, विपक्षी का प्राप्त जवाब आदि की प्रति प्रस्तुत की । 

    विपक्षीगण ने साक्ष्य में कोई शपथ-पत्र या दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किये।  

        हमने दोनो पक्षों की बहस सुनी। पत्रावली का अवलोकन किया। 

    विपक्षीगण ने जवाब में स्वीकार किया है कि परिवादी ने विपक्षी सं. 2 से बिल संख्या 4708 दिनांक 20.07.11 के जरिये दवा की खरीद की थी। जवाब में यह भी स्वीकार किया है कि विपक्षी सं. 1 खरपतवार नाशक दवाई की निर्माता कंपनी है तथा विपक्षी सं. 2 दवाई को बेचने का लाइसेन्सी है। 

    जवाब में यह भी स्वीकार किया गया है कि विपक्षी सं. 1 द्वारा निर्मित खरपतवार नाशक दवाई के प्रयोग से किसानों की फसल को नुकसान हुआ, उसका सर्वे कृषि विभाग द्वारा कराया गया तो कृषि विभाग की लिस्ट व उनके द्वारा अनुमोदित दर के आधार पर किसानों को भी मुआवजा दिया गया है। 

    विपक्षीगण की यह भी कहानी है कि कृषि विभाग के सर्वे की लिस्ट में परिवादी की कृषि भूमि व फसल का कोई विवरण नहीं है, इसलिये परिवादी कोई मुआवजा पाने का अधिकारी नहीं है। लेकिन विपक्षीगण ने कृषि विभाग की सर्वे लिस्ट प्रस्तुत नहीं की है जिसके आधार पर किसानों की फसल के नुकसान बाबत् उनकी राय से मुआवजा दिया गया था, जिससे उनकी इस कहानी की पुष्टि हो सकती थी कि उस लिस्ट में परिवादी की कृषि भूमि व फसल अंकित नहीं है, जबकि परिवादी ने अपने शपथ-पत्र के अलावा अपने ही गांव के अन्य कृषक सत्यनारायण शर्मा, रामप्रसाद गोस्वामी के भी शपथ-पत्र प्रस्तुत किये है जिनसे परिवादी की कहानी की पुष्टि होती है कि उनके अलावा परिवादी ने भी विपक्षी सं. 1 द्वारा निर्मित खरपतवार नाशक दवाई एजिल एवं क्लूमेन  विपक्षी सं. 2 से खरीदी थी तथा उसका उपयोग करने से परिवादी के खेत की समस्त सोयाबीन की फसल नष्ट हो गई, विपक्षी सं. 1 ने अपनी गलती स्वीकार करते हुये 3,800/- रूपये प्रति बीघा के हिसाब से नुकसान की भरपाई हेतु भुगतान किया, लेकिन अंडर टेकिंग व शपथ-पत्र नही देने से परिवादी को मुआवजा नहीं दिया गया। इस प्रकार परिवादी की साक्ष्य से  सिद्ध है कि परिवादी ने खरपतवार नाशक दवाई विपक्षी सं. 2 से खरीद की थी जिसके उपयोग से उसकी सम्पूर्ण सायोबीन की फसल नष्ट हुई थी तथा उसे कोई मुआवजा नहीं दिया गया, जबकि अन्य कृषकों के समान वह भी मुआवजा पाने का अधिकारी है। 

    मुआवजा अदायगी का उत्तरदायित्व विपक्षी सं. 1 निर्माता कंपनी का है।  विपक्षी सं. 2 दवा का विक्रेता मात्र है, इसलिये उसका कोई उत्तरदायित्व नहीं हैै। 

    अतः परिवादी का परिवाद विपक्षी सं. 2 के विरूद्ध खारिज किये जाने योग्य है तथा विपक्षी सं. 1 के विरूद्ध स्वीकार किये जाने योग्य है। 

                     आदेश 
    परिवादी दिनेश शर्मा का परिवाद परिवादी संख्या 1 के विरूद्ध स्वीकार किया जाकर निर्देश दिये जाते है कि वह परिवादी की 33 बीघा कृषि भूमि में बोई गई सोयाबीन की फसल के कंपनी द्वारा निर्मित दवा से हुये नुकसान के पेटे 3,800/- रूपये प्रति बीघा की दर से मुआवाजे की राशि, परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से संपूर्ण भुगतान करने की तिथि तक 9 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज सहित परिवादी को भुगतान किया जावे। इसके अलावा मानसिक संताप की भरपाई हेतु 3,000/- रूपये एवं परिवाद व्यय हेतु 2,000/- रूपये अदा किये जावे। परिवादी का परिवाद विपक्षी सं. 2 के विरूद्ध खारिज किया जाता है। 

   (हेमलता भार्गव)                                 (भगवान दास)  
      सदस्य                                         अध्यक्ष
 
     निर्णय आज दिनंाक 05.10.2015 को लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया। 
                                     
     सदस्य                                           अध्यक्ष           

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