Uttar Pradesh

StateCommission

A/780/2017

Raghunath Cold Storage - Complainant(s)

Versus

Mahipal - Opp.Party(s)

Alka Saxena

15 Jul 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/780/2017
( Date of Filing : 28 Apr 2017 )
(Arisen out of Order Dated 14/07/2016 in Case No. C/37/2016 of District Mainpuri)
 
1. Raghunath Cold Storage
Mainpuri
...........Appellant(s)
Versus
1. Mahipal
Mainpuri
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Rajendra Singh PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Vikas Saxena JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 15 Jul 2022
Final Order / Judgement

(सुरक्षित)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

अपील सं0 :- 780/2017

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, मैनपुरी द्वारा परिवाद सं0- 37/2016 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 15/07/2016 के विरूद्ध)

Raghu Nath Cold Storage, G.T. Road, SultanGanj, P.O-Sultan Ganj Distt.-Maipuri

  1.                                                                                       Appellant   

Versus

 

Mahipal aged about 65 years son of Sri Ram Chandra resident of Village-Bhanu, Mauja Aurendh, P.O Jagatpur Pargana & Tehsil bhogoan, distt-Mainpuri.

  •                                                                                Respondent

समक्ष

  1. मा0 श्री राजेन्‍द्र सिंह, सदस्‍य
  2. मा0 श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य

उपस्थिति:

अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता:-  सुश्री अलका सक्‍सेना 

प्रत्‍यर्थी की ओर विद्वान अधिवक्‍ता:- श्री राजीव कुमार श्रीवास्‍तव

दिनांक:-17.08.2022

माननीय श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

  1.           यह अपील एकपक्षीय निर्णय जो जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, मैनपुरी द्वारा परिवाद सं0 37 सन 2016 महिपाल सिंह बनाम प्रबंधक श्री रघुनाथ कोल्‍ड स्‍टोरेज सुलतानगंज, मैनपुरी द्वारा दिनांक 15.07.2016 को योजित की गयी है, जिसके माध्‍यम से विद्धान जिला उपभोक्‍ता फोरम ने परिवाद एकपक्षीय रूप से मंजूर करते हुए धनराशि व अन्‍य अनुतोष प्रदान किया है।
  2.          प्रत्‍यर्थी/परिवादी के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने अपीलकर्ता रघुनाथ कोल्‍ड स्‍टोरेज में रसीद क्रम सं0 1483 से 101 पैकेट तथा रसीद क्रमांक 1457 से 114 पैकेज आलू कुल 3797 दिनांक 28.02.2015 को रखा था। इसके उपरान्‍त रसीद सं0 1457 से 114 पैकेट में से 20 पैकेट आलू दिनांक 04.11.2015 को तथा 30 पैकेट आलू दिनांक 21.11.2015 को निकाल लिये थे इस प्रकार 50 पैकेट आलू निकालने के उपरान्‍त 64 पैकेट आलू बाकी रह गये थे। रसीद क्रम सं0 1483 में से 101 पैकेट तथा रसीद क्रम सं0 1457 के 64 पैकेट कुल 164 पैकेट आलू शेष बचा हुआ था कि परिवादी जब कोल्‍ड स्‍टोरेज से आलू निकासी हेतु गये तो इससे पहले विपक्षी ने 165 आलू निकालकर बेच दिये गये और यह कहा कि आप का आलू सड़ गया है। हम आलू नहीं देंगे। परिवादी ने उक्‍त आलूओं की धनराशि मु0 66,000/- रूपये व अन्‍य अनुतोष के लिए यह परिवाद प्रस्‍तुत किया। परिवाद के स्‍तर पर विपक्षी अपीलकर्ताको पंजीकृत डाक से नोटिस प्रेषित किये जाने का वर्णन है। विद्धान जिला उपभोक्‍ता फोरम द्वारा आदेश पारित किया कि विपक्षी ने परिवाद के विरूद्ध लिखित उत्‍तर दाखिल नहीं किया एवं परिवाद एकपक्षीय रूप से मंजूर करते हुए प्रश्‍नगत धनराशि की वसूली हेतु वाद आज्ञप्‍त किया गया, जिससे व्‍यथित होकर यह अपील प्रस्‍तुत की गयी है।
  3.           अपील में मुख्‍य रूप से यह आधार लिये गये हैं कि प्रश्‍नगत निर्णय मनमाने तौर पर एकपक्षीय रूप से पारित किया गया है। कोल्‍ड स्‍टोरेज के स्‍वामियों द्वारा एक सामान्‍य नोटिस, नोटिस बोर्ड पर चस्‍पा की थी, जिसमें आलू दिनांक 15 अप्रैल तक रखे जाने का आग्रह किया गया था एवं यह भी कहा गया था कि उपभोक्‍ता प्रत्‍येक दशा में माह अक्‍टूबर तक अपने आलू उठा लें। अपीलकर्ता को कोई भी नोटिस न्‍यायालय से अथवा परिवादी की ओर से नहीं मिला था ऐसा प्रतीत होता है कि परिवादी ने उपरोक्‍त दोनों नोटिस फर्जी तौर पर मैनेज कर लिया है। कोल्‍ड स्‍टोरेज की ओर से कोई भी सेवा में कमी नहीं की गयी है। इस आधार पर अपील स्‍वीकार किये जाने की प्रार्थना की गयी है।
  4.           अपीलार्थी की ओर से विद्धान अधिवक्‍ता सुश्री अलका सक्‍सेना एवं प्रत्‍यर्थी की ओर से विद्धान अधिवक्‍ता श्री राजीव कुमार श्रीवास्‍तव को विस्‍तृत रूप से सुना गया। पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त अभिलेख का अवलोकन किया गया। तत्‍पश्‍चात पीठ के निष्‍कर्ष निम्‍नलिखित प्रकार से है:-
  5.           अपीलकर्ता की ओर से अपील में मात्र एकपक्षीय रूप से वाद अग्रसारित किये जाने के संबंध में स्‍पष्‍टीकरण दिया गया है, किन्‍तु उनके द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादी को आलू वापस किये जाने अथवा न किये जाने के संबंध में कोई स्‍पष्‍टीकरण नहीं है। मात्र एक स्‍थान पर यह कहा गया है कि उनके द्वारा सामान्‍य नोटिस चस्‍पा की गयी थी कि उपभोक्‍तागण अपने आलू हरहाल में अक्‍टूबर माह तक निकाल ले, किन्‍तु यह कौन सी नोटिस थी एवं किस नोटिस बोर्ड पर लगायी गयी थी, यह स्‍पष्‍ट नहीं है। प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में यह स्‍पष्‍ट रूप से कहा है कि उनके द्वारा 20 पैकेट आलू दिनांक 04.11.2015 को तथा 30 पैकेट आलू दिनांक 21.11.2015 को निकाले गये थे, जिससे स्‍पष्‍ट है कि माह नवम्‍बर 2015 तक आलू निकाले जा रहे थे। यह परिवाद माह फरवरी 2016 में योजित किया गया, जिससे स्‍पष्‍ट होता है कि उक्‍त निकासी के 02 माह के भीतर ही यह परिवाद प्रस्‍तुत कर दिया गया था, जिससे स्‍पष्‍ट है कि माह नवम्‍बर के उपरान्‍त शीघ्रता से प्रत्‍यर्थी/परिवादी की ओर से आलू निकासी अपीलार्थी के स्‍तर से वापस नहीं किये गये अथवा आलू सही दशा में नहीं थे। अत: अपने साक्ष्‍य से अपीलार्थी यह साबित नहीं कर सके हैं कि उनके द्वारा कोल्‍ड स्‍टोरेज की सामान्‍य सेवाओं की तरह प्रत्‍यर्थी/परिवादी को उसके जमा किये गये आलू वापस किये गये थे अथवा नहीं जबकि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने अभिकथनों एवं शपथ पत्र से उस तथ्‍य को साबित किया है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी के 165 पैकेट आलू अपीलार्थी के स्‍तर से वापस नहीं किये गये थे। अत: प्रत्‍यर्थी/परिवादी उक्‍त आलूओं की धनराशि प्राप्‍त करने का अधिकारी है। विद्धान जिला उपभोक्‍ता फोरम ने उचित प्रकार से आलू की धनराशि रूपये 66,000/- वापस करने का आदेश दिया है। इस धनराशि को भी विवादित नहीं किया गया है। अत: इस धनराशि के संबंध में विद्धान जिला उपभोक्‍ता फोरम के आदेश में हस्‍तक्षेप करने का कोई उचित आधार प्रतीत नहीं होता है।
  6.           अपीलार्थी की ओर से एक तर्क यह भी दिया गया है कि 10 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज जो दिनांक 24.02.2016 से लगाया गया है, वह अत्‍यधि‍क है, इसके अतिरिक्‍त मानसिक क्‍लेश की क्षतिपूर्ति हेतु रूपये 1,000/- जो लगाये गये हैं, वह भी अनावश्‍यक है। ब्‍याज के संबंध में उक्‍त तर्क में बल प्रतीत होता है। ब्‍याज अधिनियम 1978 की धारा 3 को देखते हुए वर्तमान प्रचलित ब्‍याज की दर 07 प्रतिशत दिनांक 24.02.2016 से वास्‍तविक अदायगी तक दिलवाया जाना उचित है। तदनुसार अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार किये जाने योग्‍य है।  
  7.  

अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है। अपीलार्थी/विपक्षी को निर्देशित किया जाता है कि वह प्रत्‍यर्थी/परिवादी को इस निर्णय की तिथि से रूपये 66,000/- क्षतिपूर्ति तथा उसपर दिनांक 24.02.2016 से 07 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्‍याज की दर से भुगतान करें। इसके अतिरिक्‍त वाद व्‍यय हेतु 1000/- परिवादी को अदा करें।

               धारा 15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्‍तर्गत अपील में जमा धनराशि मु0 25,000/- रू0 मय अर्जित ब्‍याज सहित संबंधित जिला उपभोक्‍ता आयोग को नियमानुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाये।                   

                        आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

  

(विकास सक्‍सेना)(राजेन्‍द्र सिंह)

  •  

 

 निर्णय आज खुले न्‍यायालय में हस्‍ताक्षरित, दिनांकित होकर उदघोषित किया गया।

 

   (विकास सक्‍सेना)                           (राजेन्‍द्र सिंह)

  •  

 

 

      संदीप आशु0 कोर्ट नं0 2

  

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Rajendra Singh]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
JUDICIAL MEMBER
 

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