Uttar Pradesh

StateCommission

A/579/2019

Bareilly Development Authority - Complainant(s)

Versus

Mahipal Singh - Opp.Party(s)

V.P. Srivastava

30 May 2023

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/579/2019
( Date of Filing : 07 May 2019 )
(Arisen out of Order Dated 12/02/2019 in Case No. C/79/2017 of District Bareilly-II)
 
1. Bareilly Development Authority
Bareilly Through Vice Chairman
...........Appellant(s)
Versus
1. Mahipal Singh
S/O Sri Girvar Singh R/O 335 Nekpur Madhinath Bareilly
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 HON'BLE MR. Rajendra Singh JUDICIAL MEMBER
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 30 May 2023
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

(मौखिक)                                                                                  

अपील संख्‍या:-579/2019

बरेली विकास प्राधिकरण, बरेली द्वारा उपाध्‍यक्ष

                                              ........... अपीलार्थी/विपक्षी

बनाम              

महीपाल सिंह पुत्र श्री गिरवर सिंह, निवासी-335, नेकपुर मढ़ीनाथ बरेली।

…….. प्रत्‍यर्थी/परिवादी

समक्ष :-

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष

मा0 श्री राजेन्‍द्र सिंह, सदस्‍य

मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्‍य                       

अपीलार्थी के अधिवक्‍ता         : श्री वी0पी0 श्रीवास्‍तव

प्रत्‍यर्थी के अधिवक्‍ता          : श्री संजय कुमार श्रीवास्‍तव

दिनांक :- 30-5-2023

मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

प्रस्‍तुत अपील, जिला उपभोक्‍ता आयोग, दि्वतीय बरेली द्वारा परिवाद सं0-79/2017 महीपाल सिंह बनाम बरेली विकास प्राधिकरण व एक अन्‍य में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 12.02.2019 के विरूद्ध योजित की गई है।

जिला उपभोक्‍ता आयोग ने प्रत्‍यर्थी/परिवादी को आवंटित अवास सं0-1/5 का विक्रय पत्र निष्‍पादत करने के लिए प्राधिकरण को आदेशित किया है, साथ ही प्रत्‍यर्थी/परिवादी को भी आदेशित किया गया है कि वि‍क्रय पत्र निष्‍पादन से पूर्व अपने दायित्‍वों को पूर्ण करें। अतिरिक्‍त भूमि के सम्‍बन्‍ध में यह निर्देश दिया गया है कि आवंटन के समय जो दर प्रचलित थी, उसी दर के अनुसार अतिरिक्‍त भूमि की कीमत वसूली की जाए।

इस निर्णय एवं आदेश को अपीलार्थी/प्राधिकरण द्वारा इन आधारों पर चुनौती दी गई है कि जिला उपभोक्‍ता आयोग ने तथ्‍य और विधि के

-2-

विपरीत निर्णय पारित किया है। प्रत्‍यर्थी/परिवादी का यह कथन असत्‍य है कि 11.67 वर्ग मीटर भूमि प्रत्‍यर्थी/परिवादी के प्‍लॉट से लगी हुई नहीं है एवं इस भूमि की कीमत को अदा करने के लिए प्रत्‍यर्थी/परिवादी उत्‍तरदायी है। परिवाद समय अवधि से भी बाधित था, इसलिए जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा अवैध निर्णय पारित किया गया है। जिला उपभोक्‍ता आयोग को मूल्‍य के बारे में किसी प्रकार का निर्देश देने का अधिकार प्राप्‍त नहीं है, इसलिए यह निर्णय/आदेश अपास्‍त होने योग्‍य है।

दोनों पक्षकारों की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्‍तागण को  सुना तथा प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश व पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों का अवलोकन किया।

जिला उपभोक्‍ता आयोग ने अपने आदेश में स्‍पष्‍ट उल्‍लेख किया है कि विक्रय पत्र निष्‍पादित करने से पूर्व प्रत्‍यर्थी/परिवादी अपने दायित्‍वों को पूर्ण करें, अत: स्‍पष्‍ट है कि सर्वप्रथम प्रत्‍यर्थी/परिवादी का यह दायित्‍व होगा कि वह उस पर देय राशि प्राधिकरण को अदा करें, उसके पश्‍चात ही प्राधिकरण द्वारा विक्रय पत्र का निष्‍पादन किया जायेगा, अत: निर्णय के इस भाग में हस्‍तक्षेप करने की कोई आवश्‍यकता नहीं है।

इस अपील के निस्‍तारण के लिए दि्वतीय विवादित बिन्‍दु यह है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी के भूखण्‍ड से लगी हुई भूमि जो प्रत्‍यर्थी/परिवादी को ही आवंटित करने योग्‍य है और जिसकी व्‍यवस्‍था आवंटन के समय ही ब्रोशर में मौजूद रहती है, का मूल्‍य किस दर से प्राप्‍त किया जाए। अपीलार्थी/प्राधिकरण के विद्वान अधिवक्‍ता का यह तर्क कि मूल्‍य निर्धारित करने का कार्य जिला उपभोक्‍ता आयोग का नहीं है, क्‍योंकि मूल्‍य का निर्धारण प्राधिकरण द्वारा ही किया जा सकता है। परन्‍तु प्रस्‍तुत केस के स्थिति सामान्‍य स्थिति नहीं है, किसी भी सामान्‍य आवंटन पर मूल्‍य का निर्धारण निश्चित रूप से प्राधिकरण द्वारा किया

-3-

जाता है, परन्‍तु प्रस्‍तुत केस में प्राधिकरण द्वारा अतिरिक्‍त भूमि प्रत्‍यर्थी/परिवादी को आवंटित की जा रही है और उस भूमि का मूल्‍य मॉगा जा रहा है, अत: उस भूमि का मूल्‍य प्राकृतिक न्‍याय के सिद्धांतों के अनुसार वही होना चाहिए, जो मूल रूप से आवंटित भूखण्‍ड का रहा है अत: इस सम्‍बन्‍ध में भी निर्णय एवं आदेश में हस्‍तक्षेप करने का कोई आधार नहीं है।

चूंकि प्राधिकरण द्वारा विक्रय पत्र का निष्‍पादन नहीं किया गया है, इसलिए प्रत्‍यर्थी/परिवादी को वाद कारण निरंतर रूप से बना हुआ है। अत: परिवाद समय अवधि से बाधित नहीं कहा जा सकता है।

आदेश

प्रस्‍तुत अपील खारिज की जाती है।

प्रस्‍तुत अपील को योजित करते समय यदि कोई धनराशि अपीलार्थी द्वारा जमा की गयी हो, तो उक्‍त जमा धनराशि मय अर्जित ब्‍याज सहित सम्‍बन्धित जिला उपभोक्‍ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए।

आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की बेवसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

    (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)     (राजेन्‍द्र सिंह)      (सुशील कुमार)                  

            अध्‍यक्ष                             सदस्‍य             सदस्‍य                                                                                                 

 

हरीश सिंह

वैयक्तिक सहायक ग्रेड-2.,

कोर्ट नं0-1

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 
 
[HON'BLE MR. Rajendra Singh]
JUDICIAL MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
JUDICIAL MEMBER
 

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