View 1677 Cases Against Mahindra & Mahindra
PUSHPA GUPTA filed a consumer case on 28 Feb 2022 against MAHINDRA & MAHINDRA in the Azamgarh Consumer Court. The case no is CC/203/2013 and the judgment uploaded on 28 Feb 2022.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग- आजमगढ़।
परिवाद संख्या 203 सन् 2013
प्रस्तुति दिनांक 21.12.2013
निर्णय दिनांक 28.02.2022
पुष्पा गुप्ता आयु लगभग 54 वर्ष पत्नी वीरेन्द्र कुमार गुप्ता निवासी मुहल्ला फराशटोला (घमण्डीदास का हाता) तहसील व पोस्ट- सदर, शहर व जिला- आजमगढ़।
......................................................................................परिवादिनी।
बनाम
महिन्द्रा एण्ड महिन्द्रा फाइनेन्सिंग सर्विसेज लिमिटेड पंजीकृत कार्यालय द्वितीय तल साधना हाउस, महिन्द्रा टावर के बगल में 570पी.बी. मार्ग वर्ली मुम्बई 400018 द्वारा शाखा प्रबन्धक शाखा हरबंशपुर महिन्द्रा एण्ड महिन्द्रा फाइनेन्सिंग सर्विसेज लिमिटेड पोस्ट सदर जिला आजमगढ़
उपस्थितिः- कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष” तथा गगन कुमार गुप्ता “सदस्य”
गगन कुमार गुप्ता “सदस्य”
परिवादिनी ने अपने परिवाद पत्र में यह कहा है कि वह स्वरोजगार हेतु महिन्द्रा एण्ड महिन्द्रा कम्पनी का पिकअप खरीदने के लिए विपक्षी से ऋण लेने का निवेदन की तो विपक्षी द्वारा परिवादिनी से समस्त कागजात लेकर सभी औपचारिकताओं व कार्यवाहियों को पूरा करके दिनांक 28.11.2002 को एग्रीमेन्ट नं. ए0026265 द्वारा परिवादिनी को मुo 1,30,000/- रुपए का ऋण दिया गया। जिससे परिवादिनी वाहन चेचिस नं.23एफ42567, इंजन नम्बर ए 2029727 खरीदी जिसका पंजीयन नं. उoप्रo 50एफ1615 था। परिवादिनी ने वाहन अपने व अपने परिवार की जीविका हेतु ली थी। परिवादिनी की वाहन उसके पति चलाते थे, जिससे अर्जित आय से परिवार का पालन-पोषण और ऋण का चुकता किया जाता था। ऋण करार के मुताबिक माह जनवरी, 2003 से वाहन के ऋण की 36 किश्तों में प्रतिमाह 5024/- रुपया के हिसाब से अदा करके कुल 1,75,825/- रुपया चुकता करना था। परिवादिनी ने क्रमशः दिनांक 06.01.2003 को 5400/- व दिनांक 01.02.2003 को 5400/- व दिनांक 12.03.2003 को 5500/- व दिनांक 19.04.2003 को 5400/- व दिनांक 26.05.2003 को 5396/- व दिनांक 12.07.2003 को 5460/- व दिनांक 05.11.2003 को 4000/- व दिनांक 26.12.2003 को 1500/- व दिनांक 30.12.2003 को 2000/- व दिनांक 31.12.2003 को 400/- रुपया अदा की। इस प्रकार 12 माह में कुल 40,456 रुपया परिवादिनी ने विपक्षी को अदा किया। दिनांक 17.01.2004 को परिवादिनी के घर मे आग लग गयी जिससे उसके घर में रखा पूरा सामान जल गया, जिस कारण से परिवादिनी जनवरी व फरवरी 2004 की किस्त समय से अदा नहीं कर पायी। विपक्षी के शाखा प्रबन्धक ने कहा कि अब तुम ऋण अदा नहीं कर पाओगी इसलिए गाड़ी जब्त होगी और फिर दिनांक 20.02.2001 को विपक्षी ने परिवादिनी के वाहन को अपने कब्जे में ले लिया। दिनांक 23.02.2004 को जब परिवादिनी विपक्षी के कार्यालय हरबंशपुर गयी तो शाखा प्रबन्धक ने बताया कि वाहन का टेक्निकल मुआयना करा लिया गया है वाहन का सेकेण्ड हैण्ड न्यूनतम विक्रय मूल्य 1,40,000/- रुपया तय किया गया जिसका विक्रय करके प्राप्त राशि को बकाया रकम में समयोजित कर लिया जाएगा। उसके बाद परिवादिनी के ऋण खाता का नोड्यूज प्रमाण पत्र दे दिया जाएगा। परिवादिनी पुनः विपक्षी के कार्यालय गयी तो शाखा प्रबन्धक ने बताया कि परिवादिनी का वाहन 1,40,000/- रुपए में बेच दिया गया है। समस्त कागजात हेड ऑफिस भेजा गया है, पांच-छः माह बाद आकर नोड्यूज प्रमाण पत्र ले लेना। छः-सात माह बाद जब परिवादिनी गयी तो विपक्षी ने न्योड्यूज प्रमाण पत्र देने से मना कर दिया। अतः विपक्षी को आदेशित किया जाए कि वह परिवादिनी को उसके वाहन के विक्रय मूल्य 1,40,000/- रुपया को समायोजित करके अनुबन्ध का नोड्यूज दे अथवा वाहन उस नवीन अवस्था में वापस करे व कागजात सहित 20 पन्नों का हस्ताक्षरित चेकबुक वापस करें, तब परिवादिनी नियमानुसार समस्त ऋण माह प्रतिमाह आदेशानुसार चुकता कर देगी। साथ ही विपक्षी को यह भी आदेशित किया जाए कि वह परिवादिनी को शारीरिक, मानसिक व आर्थिक पीड़ी हेतु 50,000 रुपया व वाद व्यय 7000/- रुपया अदा करे।
परिवादिनी द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
प्रलेखीय साक्ष्य में परिवादिनी ने कागज संख्या 9ग² दीप आटो मोबाइल्स द्वारा जारी इनवायस की छायाप्रति, कागज संख्या 10ग² सर्टिफिकेट ऑफ रजिस्ट्रेशन की छायाप्रति तथा कागज संख्या 12ग² आवश्यक दस्तावेज के विवरण सम्बन्धी प्रपत्र की छायाप्रति प्रस्तुत किया है।
कागज संख्या 16क² विपक्षी द्वारा जवाबदावा प्रस्तुत किया गया है, जिसमें उसने परिवाद पत्र के कथनों से इन्कार किया है। इसका बाद उसने यह कहा है कि परिवादिनी उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आती है। परिवादिनी का मामला फोरम द्वारा पोषणीय नहीं है। परिवादिनी द्वारा परिवाद पत्र में उल्लिखित वाहन विपक्षी जो एक विधि मान्य वित्तीय संस्था है, से समस्त विदिक औपचारिकता पूर्ण करने पश्चात् अनुबन्ध शर्तों को पढ़ व समझकर अनुबन्ध कर ऋण 1,75,582/- रुपया मय ब्याज 36 किश्तों में प्रत्येक माह
मुo 5024/- रुपए अदा करना था। परिवादिनी द्वारा उक्त ऋण अदा किए जाने की शर्तों के अनुरूप समय से किस्तें जमा नहीं की गयीं, जिसके कारण परिवादिनी के ऋण खाते में अनुबन्ध शर्तों के अनुसार दाण्डिक ब्याज व ब्याज जुड़ता गया। परिवादिनी द्वारा प्रथम वर्ष में ऋण किस्ते व्यतिक्रम के साथ जमा होती रही, किस्तें में व्यतिक्रम के बारत बराबर परिवादिनी को सूचित किया जाता रहा उक्त ऋण धनराशि मु कुल मुo 40456/- रुपए जमा किया गया है। प्रथम वर्ष सन् 2003 के बाद परिवादिनी द्वारा किसी भी किस्त की अदायगी नहीं की गयी। जिससे परिवादिनी का खाता डिफाल्टर की श्रेणी में आ गया। इसके बाबत अनेकों बार मौखिक रूप से व लिखित रूप से सूचना परिवादिनी को दी गयी और बकाया किस्ते जमा करने को कहा गया परन्तु परिवादिनी द्वारा कोई ऋण की किस्त जमा नहीं की गयी। विपक्षी द्वारा बार-बार किस्तों की मांग पर परिवादिनी द्वारा दिनांक 22.02.2004 को स्वयं अपने पति (ड्राइवर) से उक्त वाहन विपक्षी के कार्यालय पर यह कहते हुए पहुँचवाया गया कि ऋण किस्ते जमा करने में असमर्थ हूँ इसलिए वित्तपोषित वाहन आप अपने कब्जे में ले लें ऐसी दशा में अनुबन्ध शर्तों के अधीन आवश्यक कागजात तैयार कराकर परिवादिनी के पति का हस्ताक्षर बनवाकर वाहन विपक्षी अपने कब्जे में ले लिया। तत्पश्चात् ऋण अनुबन्धों के तहत वाहन कब्जे में लेकर निर्धारित अवधि तक रखने के पश्चात् परिवादिनी को लिखित सूचना दी गयी कि यदि वाहन किस्ते जमाकर नहीं ले जाती हैं तो अनुबन्ध शर्तों के तहत वाहन का मूल्यांकन कराकर वाहन अन्य ग्राहक को जरिए बोली लगाकर अधिकतम बोली पर विक्रय कर प्राप्त धन ऋण खाते में जमा कर दिया जाएगा। बकाया किस्ते जमाकर वाहन निर्धारित एक माह के अन्दर ले जाए की नोटिस प्राप्त करने के पश्चात् परिवादिनी द्वारा वाहन किस्ते अदा कर नहीं ले गयी। ऐसी दशा में अनुबन्धों के तहत नियमानुसार वित्त पोषित वाहन अधिकृत वैल्यू पर मूल्यांकर कराकर वाहन अधिकतम बोली पर 1,40,000/- रुपए में विक्रय कर उक्त धनराशि परिवादिनी के ऋण खाता में समायोजित कर दिया गया। अब भी परिवादिनी के ऋण खाते में धनराशि अवशेष है, जिसे परिवादिनी द्वारा अनुबन्ध शर्तों के तहत देय है। शेष ऋण जमा करने के पश्चात् ही अदेय प्रमाण पत्र विपक्षी द्वारा जारी किया जा सकता है। परिवादिनी द्वारा सर्वथा ऋण अनुबन्ध शर्तों का घोल उल्लंघन किया गया है। ऐसी स्थिति में परिवाद खारिज होने योग्य है। अतः खारिज किया जाए।
विपक्षी द्वारा अपने जवाबदावा के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
प्रलेखीय साक्ष्य के रूप में विपक्षी द्वारा किसी भी प्रकार का कोई भी प्रपत्र प्रस्तुत नहीं किया गया है।
बहस के दौरान पुकार कराए जाने पर विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता उपस्थित आए तथा परिवादिनी या उनके विद्वान अधिवक्ता अनुपस्थित रहे। विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता ने अपना बहस सुनाया। बहस सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया। चूंकि पत्रावली काफी पुरानी है। इसका न्याय निर्णयन किया जाना ही विधि रूप से आवश्यक भी है। परिवादिनी ने अपने परिवाद पत्र में यह प्रार्थना की है कि विपक्षी उसके वाहन के विक्रय मूल्य 1,40,000/- रुपया को समायोजित करके अनुबन्ध नं. ए0026265 दिनांकित 28.11.2002 का नोड्यूज दे अथवा वाहन उस नवीन अवस्था में वापस करे व कागजात सहित 20 पन्नों का हस्ताक्षरित चेकबुक वापस करें, तब परिवादिनी नियमानुसार समस्त ऋण माह प्रतिमाह आदेशानुसार चुकता कर देंगे। जबकि विपक्षी ने अपने जवाबदावा की धारा 10 में यह कहा है कि वह प्रश्नगत वाहन को अपने कब्जे में लेकर उसका विक्रय करने से प्राप्त धनराशि को परिवादिनी के ऋण खाते में समायोजित कर दिया है तथा परिवादिनी पर कितना बकाया शेष है इसका उसने कहीं भी उल्लेख नहीं किया है। ऐसी स्थिति में विपक्षी द्वारा अदेयता प्रमाण पत्र जारी न करना उसकी सेवा में कमी को दर्शाता है। अतः हमारे विचार से परिवाद स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
परिवाद स्वीकार किया जाता है तथा विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादिनी को प्रश्नगत वाहन के ऋण के सन्दर्भ में नोड्यूज (अदेयता) प्रमाण पत्र जारी कर उसे अन्दर 30 दिन अदा करे।
गगन कुमार गुप्ता कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
दिनांक 28.02.2022
यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।
गगन कुमार गुप्ता कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes
Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.