सुरक्षित
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
परिवाद संख्या-197/2013
श्रीमती निगार उस्मानी पत्नी अब्दुल खालिक, निवासी फ्लैट नं0-ए/5, तृतीय तल, सराय आगा मीर, लखनऊ।
परिवादिनी
बनाम्
1. मैनेजिंग डायरेक्टर, महिन्द्रा एण्ड महिन्द्रा लि0, मार्केटिंग आफिस, तृतीय तल, महेन्द्रा टावर्स, अकुर्ली रोड, कांदीवली (ई0) मुम्बई-400101 ।
2. मैनेजर शिव आटो कार इण्डिया प्रा0 लि0, सी-22, लोहिया नगर, निकट शिवा स्कूटर गाजियाबाद।
3. मैनेजर, नारायण आटो सर्विस सेन्टर, लखनऊ ब्रांच, फैजाबाद रोड, लखनऊ।
विपक्षीगण
समक्ष:-
1. माननीय श्री जितेन्द्र नाथ सिन्हा, पीठासीन सदस्य।
2. माननीय श्री संजय कुमार, सदस्य।
परिवादिनी की ओर से उपस्थित : श्री हेमराज मिश्रा, विद्वान अधिवक्ता।
विपक्षी संख्या-1 की ओर से उपस्थित : श्री आलोक सिन्हा, विद्वान अधिवक्ता।
विपक्षी संख्या-2 की ओर से उपस्थित : श्री इसार हुसैन, विद्वान अधिवक्ता।
विपक्षी संख्या-3 की ओर से उपस्थित : श्री काशी नाथ शुक्ला, विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक 20.12.2016
मा0 श्री संजय कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
यह परिवाद, परिवादिनी द्वारा धारा-17 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत विपक्षीगण के विरूद्ध इस आशय से योजित किया गया है कि वह परिवादिनी के प्रश्नगत वाहन को बदलकर नया वाहन उपलब्ध करायें अथवा प्रश्नगत वाहन क्रय करने हेतु रू0 21,00,000/- वाहन क्रय करने की तिथि से मय 18 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ दें तथा आर्थिक व मानसिक सन्ताप हेतु रू0 15,00,000/- एवं वाद व्यय के रूप में रू0 20,000/- दिलाये जाने हेतु योजित किया गया है।
परिवाद पत्र का अभिवचन इस प्रकार है कि परिवादिनी ने विपक्षी संख्या-2 से एक लग्जरी गाड़ी महिन्द्रा रक्सटॉन RX 270 XVT-RX7 चेचिस नम्बर MAIPA45AZD6B43272 मूल्य 21,00,000/- में खरीदी। गाड़ी खरीदने हेतु परिवादिनी ने बैंक आफ बड़ौदा, शाखा फैजाबाद से रू0 16,00,000/- का ऋण लिया। परिवादिनी ने प्रश्नगत वाहन निजी कार्य हेतु क्रय किया था। प्रश्नगत वाहन क्रय करने की तिथि से एक वर्ष की अवधि हेतु वारण्टी में था, तथा वारण्टी अवधि में ही प्रश्नगत वाहन में हार्न का बजना बन्द हो गया था तथा म्यूजिक सिस्टम ने भी ठीक से कार्य करना बन्द कर दिया था एवं प्रश्नगत वाहन की क्लच प्लेट मात्र 8100 किलोमीटर वाहन चलाने के बाद खराब हो गयी, जो कि वारण्टी अवधि में हीं खराब हुई, जिसकी मरम्मत कराने हेतु प्रश्नगत वाहन को लखनऊ स्थित नारायन आटो सर्विस सेन्टर, विपक्षी संख्या-3 के यहां ले जाना पड़ा, परन्तु उक्त खराबी को दूर नहीं किया जा सका। प्रश्नगत वाहन की क्लच प्लेट बार-बार खराब होती है और बार-बार उसे सर्विस सेन्टर ले जाना पड़ता है, इस पर सर्विस सेन्टर के कर्मचारियों द्वारा बताया गया कि उक्त वाहन में मैन्यूफैक्चरिंग डिफेक्ट है, इस कारण बार-बार क्लच प्लेट में खराबी आ रही है। दिनांक 15.11.2013 को उक्त वाहन का क्लच प्लेट वाहन चलते समय जल गया, जिससे वाहन सड़क के किनारे टकराकर क्षतिग्रस्त हो गया। उक्त वाहन को परिवादिनी ने दिनांक 18.11.2013 को विपक्षी के सर्विस सेन्टर नारायण आटो सर्विस सेन्टर में ले जाकर खड़ा कर दिया, जिसके कारण परिवादिनी को मानसिक एवं शारीरिक कष्ट हुआ, अत: विपक्षीगण के कृत्य से क्षुब्ध होकर परिवादिनी ने उपरोक्त अनुतोष हेतु वर्तमान परिवाद योजित किया।
विपक्षी सं0-1 की ओर से प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत करते हुए परिवाद का विरोध किया गया और यह कहा गया कि प्रश्नगत वाहन विपक्षी संख्या-1 द्वारा परिवादिनी को सीधे क्रय नहीं किया गया था, प्रश्नगत वाहन विपक्षी संख्या-2 को रि-सेल हेतु विक्रय किया गया था, इस प्रकार परिवादिनी विपक्षी संख्या-2 की उपभोक्ता है। विपक्षी संख्या-1 द्वारा यह भी अभिवचित किया गया कि प्रश्नगत वाहन में आई त्रुटियों के सम्बन्ध में परिवादिनी ने कोई साक्ष्य दाखिल नहीं किया है। परिवादिनी ने स्वंय स्वीकार किया है कि प्रश्नगत वाहन उसने बिजनेस परपज हेतु खरीदा है, जो कि उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आता है। परिवादिनी ने प्रश्नगत वाहन अच्छी स्थिति मे और पूर्ण संतुष्टि में प्राप्त किया था। परिवादिनी द्वारा यह साक्ष्य भी प्रस्तुत नहीं किया गया है कि प्रश्नगत वाहन में निर्माण सम्बन्धी दोष है। विपक्षी संख्या-1 द्वारा यह भी अभिवचित किया गया कि परिवादिनी ने प्रश्नगत वाहन का प्रयोग बुकलेट में दिये गये निर्देशों के अनुसार नहीं किया है, इसके बावजूद विपक्षी द्वारा प्रश्नगत वाहन की कमियों जैसे म्यूजिक सिस्टम और हार्न आदि की समस्या को वारण्टी अवधि में ही दूर किया गया। परिवादिनी ने दिनांक 28.04.2013 को उक्त वाहन में क्लच की शिकायत की थी, उस समय वाहन 8315 किलोमीटर चल चुका था, जो खराब ड्राइविंग के कारण क्लच खराब हुआ था। दूसरी बार दिनांक 19.11.2013 को भी वाहन क्लच प्लेट की शिकायत पर आया, उस समय वहन 33393 किलोमीटर चल चुका था, वह भी गलत तरीके से ड्राइविंग के कारण क्लच खराब हुआ था। विवेचना के दौरान पाया गया कि क्लच पर दबाव दिये जाने के कारण क्लच जल गया है। परिवादिनी द्वारा दिनांक 14.12.2013 को वाहन रिपेयर के लिए दिया गया और वाहन को रिपेयर करके परिवादिनी को दिनांक 18.12.2013 को सूचित किया गया कि वाहन ले जायें, परन्तु परिवादिनी उक्त वाहन नहीं ले गयी, जिसके लिए विपक्षी जिम्मेदार नहीं है। परिवादिनी ने मैन्यूफैक्चरिंग डिफेक्ट के सम्बन्ध में कोई एक्सपर्ट रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की है। दिनांक 11.08.2014 की रिपोर्ट के अनुसार विपक्षी संख्या-1 क्षतिपूर्ति के लिए जिम्मेदार नहीं है, क्योंकि प्रश्नगत रिपोर्ट में इंजीनियर का नाम नहीं है और वह किस कम्पनी में कार्यरत है, यह भी नहीं लिखा है। अत: परिवाद गलत तथ्यों पर आधारित है।
विपक्षी सं0-2 की ओर से प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत करते हुए परिवाद का विरोध किया गया और यह कहा गया कि परिवादिनी ने प्रश्नगत वाहन विपक्षी संख्या-2 से दिनांक 08.03.2013 को खरीदा था। विपक्षी संख्या-2, विपक्षी संख्या-1 महिन्द्रा एण्ड महिन्द्रा लि0 का पंजीकृत विक्रेता है। विपक्षी संख्या-2 का निवास गाजियाबाद में है तथा लखनऊ में विपक्षी संख्या-2 का कोई कार्यालय नहीं है। गाड़ी के मूल्य के सम्बन्ध में कोई विवाद नहीं है। इस प्रकार विपक्षी संख्या-2 के खिलाफ कोई आरोप नही है, इसलिए परिवाद खण्डित किये जाने योग्य है। परिवादिनी ने अपने परिवाद में यह आरोप लगाया है कि विपक्षी संख्या-1 व 2 यह जानते थे कि गाड़ी में निर्माण सम्बन्धी दोष है, फिर भी उसे परिवादिनी को बेचा गया, यह तर्क खण्डित किये जाने योग्य है, क्योंकि परिवाद के आधारों से यह स्पष्ट होता है कि वाहन में हार्न एवं म्यूजिक सिस्टम खराब है, परन्तु यह किस तिथि से खराब है, इसे स्पष्ट नहीं किया गया है। परिवादिनी ने उपरोक्त डिफेक्ट की समस्या के लिए विपक्षी संख्या-2 से सम्पर्क नहीं किया। परिवादिनी को विपक्षी संख्या-1 के पंजीकृत शॉप से सम्पर्क करना चाहिये था, जिससे उनकी समस्या को दूर किया जाना सम्भव होता। अत: प्रश्नगत वाहन में आये डिफेक्ट से विपक्षी संख्या-2 का कोई सम्बन्ध नहीं है। विपक्षी संख्या-2 द्वारा यह भी अभिवचित किया गया कि हर समय उपभोक्ता समस्या दिखाने आते हैं और उनकी समस्या को दूर किया जाता है। परिवादिनी एक व्यावसायिक महिला है, वह वाहन का प्रयोग व्यावसायिक उद्देश्य से करती है, वाहन मे खराबी आने के कारण उसे हानि हुई है। इस प्रकार वाहन व्यावसायिक दृष्टिकोण से क्रय किया गया था।
विपक्षी सं0-3 की ओर से आपत्ति प्रस्तुत करते हुए परिवाद का विरोध किया गया और यह कहा गया कि परिवादिनी ने महेन्द्रा एण्ड महेन्द्रा के अधिकृत डीलर, विपक्षी संख्या-2 से गाड़ी खरीदी है, जो कि विपक्षी संख्या-3 से सम्बन्धित नहीं है। गाड़ी व्यावसायिक उद्देश्य हेतु खरीदी गयी, जिसका उल्लेख परिवादिनी ने परिवाद पत्र में किया है। प्रश्नगत वाहन में हार्न का न बनना सही है तथा म्यूजिक सिस्टम का न बजना गलत है। हार्न की शिकायत को दूर कर दिया गया था। परिवादिनी की गाड़ी विपक्षी संख्या-3 (नारायण आटो सर्विस सेन्टर, लखनऊ ब्रांच, फैजाबाद रोड, लखनऊ) के यहां लायी गयी और उसी समय पूर्ण संतुष्टि में गाड़ी में आई कमी को दूर कर दिया गया। प्रश्नगत वाहन कुशल ड्राइवर के न चलाये जाने के कारण क्लच प्लेट खराब हो गया है। प्रश्नगत वाहन 33393 किलोमीटर चलने के बाद विपक्षी संख्या-3 (नारायण आटो सर्विस सेन्टर, लखनऊ ब्रांच, फैजाबाद रोड, लखनऊ) के वर्कशाप पर दिनांक 19.11.2013 को मरम्मत हेतु आया था, क्योंकि उक्त वाहन में क्लच प्लेट खराब हो गयी थी, जिसकी मरम्मत पूर्ण संतुष्टि में वारण्टी अवधि में ही नि:शुल्क किया गया। प्रश्नगत वाहन कुशल ड्राइवर के न चलाये जाने के कारण क्लच प्लेट बार-बार खराब हो रहा है, प्रश्नगत वाहन में कोई मैन्युफैक्चरिंग डिफेक्ट नहीं है। परिवादिनी ने विपक्षी संख्या-3 से कोई अनुतोष नहीं चाहा है, इसलिए विपक्षी संख्या-3 के विरूद्ध परिवाद खण्डित होने योग्य है।
परिवादिनी ने अपने कथन के समर्थन में साक्ष्य के रूप में परिवहन विभाग उ0प्र0 द्वारा जारी पंजीयन प्रमाण पत्र, मोटर इन्श्योरेन्स कवर नोट, शिवा आटो कार (इण्डिया) प्रा0लि0 द्वारा जारी रिटेल इन्वाइस तथा डिलीवरी चालान दिनांक 08.03.2013 तथा चेक दिनांक 01.03.2013 धनराशि 18,83,975/-, व्हीकल हिस्ट्री दिनांक 28 अप्रैल 2013, 05 जुलाई 2013, 28 जून 2013, 30 सितम्बर 2013, 19 अक्टूबर 2013 तथा विधिक नोटिस दिनांक 21.11.2013 एवं शपथपत्र तथा व्हीकल हिस्ट्री दिनांक 27 जून 2014, 13 मार्च 2014, 14 मार्च 2014, 20 दिसम्बर 2013, 17 अक्टूबर 2013, 03 जुलाई 2013 तथा 06 मई 2013 तथा यूनिटक टेस्टिंग इक्यूपमेंट एण्ड टूल्स दिनांक 11.08.2014 एवं व्हीकल कण्डीशन रिपोर्ट फार्म/जॉब रिकार्ड आदि प्रपत्र की छायाप्रति दाखिल किये गये।
विपक्षी संख्या-1 द्वारा अपने कथन के समर्थन में साक्ष्य के रूप में शपथपत्र, यू0पी0 मोटर वर्क्स द्वारा जारी रिटेल इन्वाइस दिनांक 28.02.2013, रिपेयर आर्डर दिनांक 28.02.2013, यू0पी0 मोटर वर्क्स व्हीकल कार्ड इन्सपेक्शन चेक शीट दिनांक 08.04.2013, यू0पी0 मोटर वर्क्स द्वारा जारी गेट पास दिनांक 08.04.2013, रिटेल इन्वाइस दिनांक 28.02.2013, रिपेयर आर्डर दिनांक 28.04.2013, यू0पी0 मोटर वर्क्स व्हीकल कार्ड इन्सपेक्शन चेक शीट दिनांक 27.04.2013, गेट पास दिनांक 28.04.2013, रिटेल इन्वाइस दिनांक 28.02.2013, प्रि-इन्वाइस दिनांक 13.12.2013, रिपेयर आर्डर दिनांक 19.11.2013 तथा यू0पी0 मोटर वर्क्स व्हीकल कार्ड इन्सपेक्शन चेक शीट दिनांक 26.04.2013, गेट पास दिनांक 20.12.2013 तथा रेक्सटन थर्मल इन्सीडेंट लखनऊ, व्हीकल डिटेल दिनांक 24 अप्रैल 2015 के फोटोग्राफ आदि प्रस्तुत की गयी।
परिवादिनी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री हेमराज मिश्रा तथा विपक्षी संख्या-1 की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री आलोक सिन्हा एवं विपक्षी संख्या-2 की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री इसार हुसैन तथा विपक्षी संख्या-3 की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री काशीनाथ शुक्ला उपस्थित हैं, अत: उभय पक्ष की बहस सुनी गयी एवं उपलब्ध अभिलेखों एवं साक्ष्यों का गम्भीरता से परिशीलन किया गया।
परिवादिनी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा तर्क प्रस्तुत किया गया कि परिवादिनी ने विपक्षी संख्या-2 से एक लग्जरी गाड़ी महिन्द्रा रक्सटॉन RX 270 XVT-RX7 चेचिस नम्बर MAIPA45AZD6B43272 मूल्य 21,00,000/- में बैंक आफ बड़ौदा, शाखा फैजाबाद से रू0 16,00,000/- की वित्तीय सहायता लेकर खरीदी थी। परिवादिनी द्वारा वाहन का प्रयोग निजी कार्य हेतु किया जा रहा था। प्रश्नगत वाहन एक वर्ष की वारण्टी अवधि में था, तथा वारण्टी अवधि में ही प्रश्नगत वाहन में तकनीकि खराबियां (हार्न का न बजना तथा म्यूजिक सिस्टम का न बजना) थीं, अत: वाहन ने 8100 किलोमीटर चलने के बाद ठीक से कार्य करना बन्द कर दिया, जिसकी सर्विसिंग विपक्षी संख्या-3, नारायण आटो सर्विसे सेन्टर ले जान करानी पड़ी, परन्तु वाहन ठीक नहीं हो सका, क्योंकि वाहन में निर्माण सम्बन्धी दोष होने के कारण खराबियां आ रहीं थीं। वाहन दिनांक 15.11.2013 को चलते-चलते अनियंत्रित होकर सड़क के किनारे टकरा गया, जिसके कारण परिवादिनी की जान खतरे में पड़ गयी और वाहन क्षतिग्रस्त हो गया। परिवादिनी एक काराबारी महिला है, उसने वाहन अपने आने-जाने के लिए खरीदा था, परन्तु वाहन बार-बार खराब होने के कारण उसे वाहन को ठीक कराने हेतु सर्विसे सेंटर ले जाना पड़ता था, परन्तु इसके बावजूद वाहन ठीक नहीं हो पाता था, क्योंकि वाहन में निर्माण सम्बन्धी दोष था। प्रश्नगत वाहन में दिनांक 27.06.2014 को पुन: क्लच प्लेट खराब हो गये। दिनांक 11.08.2014 को वाहन को यूनिटेक टेस्टिंग इक्यूपमेंट एण्ड टूल्स, कैसरबाग लखनऊ के यहां ले जाया गया, जिसने वाहन में मैन्यूफैक्चरिंग डिफेक्ट होना बताया, जिसके कारण परिवादिनी को मानसिक एवं शारीरिक कष्ट हुआ तथा आर्थिक हानि उठानी पड़ी, इसलिए उपरोक्त अनुतोष दिलाये जाने योग्य है।
विपक्षी संख्या-1, 2 व 3 के विद्वान अधिवक्ता ने अपना-अपना तर्क प्रस्तुत करते हुए कहा कि परिवादिनी ने प्रश्नगत वाहन विपक्षी संख्या-2 से खरीदा था। परिवादिनी ने प्रश्नगत वाहन में मैन्यूफैक्चरिंग डिफेक्ट होने का कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया है। परिवादिनी के कथन के अनुसार उसने प्रश्नगत वाहन कामर्शियल परपज हेतु खरीदा था, इसलिए परिवाद पोषणीय नहीं है। परिवाद पत्र से स्पष्ट है कि परिवादिनी ने बार-बार केवल क्लच प्लेट की शिकायत का उल्लेख किया है, जबकि परिवादिनी ने पूर्ण संतुष्टि में वाहन को प्राप्त किया था। परिवादिनी ने बुकलेट में दिये गये निर्देशों का पालन नहीं किया है और उसके अनुसार वाहन का प्रयोग नहीं किया है। इसके बावजूद भी विपक्षी द्वारा प्रश्गनत वाहन में आई खराबी को ठीक किया गया। प्रश्नगत वाहन दिनांक 28.04.2013 को लाया गया, तब वाहन 8315 किलोमीटर चल चुका था तथा दिनांक 19.11.2013 को जब वाहन लाया गया तब 33393 किलोमीटर वाहन चल चुका था। वाहन में आई कमी को ठीक किये जाने पर इंजीनियर को पता चला कि क्लच पर दबाव पड़ने के कारण क्लच जल गया था, इससे स्पष्ट है कि क्लच जलने में परिवादिनी ही जिम्मेदार है। इसमें विपक्षी की सेवा में कोई कमी नहीं है। यूनिटेक टेस्टिंग इक्यूपमेंट एण्ड टूल्स दिनांक 11.08.2014 विश्वसनीय साक्ष्य नहीं है, क्योंकि इसमें इंजीनियर का नाम अंकित नहीं है तथा पद का कोई जिक्र नहीं है। इन्जन में कोई डिफेक्ट नहीं है, थरमल इन्सीडेंट में दाहिने तरफ का शीशा टूटा हुआ था। अत: विपक्षीगण द्वारा कोई सेवा में कमी नहीं की गयी है।
सम्पूर्ण पत्रावली का परिशीलन किया गया, जिससे यह विदित होता है कि परिवादिनी ने विपक्षी संख्या-2 से एक लग्जरी गाड़ी महिन्द्रा रक्सटॉन RX 270 XVT-RX7 चेचिस नम्बर MAIPA45AZD6B43272 मूल्य 21,00,000/- में क्रय किया था। उक्त वाहन को क्रय करने की तिथि से एक वर्ष की वारण्टी अवधि भी प्रदान की गयी थी। वारण्टी अवधि में ही उक्त वाहन में हार्न तथा म्यूजिक सिस्टेम खराब हो गया। उक्त वाहन को लगभग 8100 किलोमीटर चलाने के बाद वाहन का क्लच भी खराब हो गया, जिसकी मरम्मत के लिए सर्विस सेण्टर पर परिवादिनी ने वाहन को भेजा। विपक्षी द्वारा वाहन में आई त्रुटियों को दूर किया गया। प्रश्नगत वाहन दिनांक 19.11.2013 को 33393 किलोमीटर चल चुका था। वाहन का क्लच प्लेट जल चुका था, जिसके कारण वाहन सड़क के किनारे टकराकर दुर्घटनाग्रस्त हो गया। प्रश्नगत प्रकरण में वाहन के मैन्यूफैक्चरिंग डिफेक्ट से सम्बन्धित कोई जॉंच रिपोर्ट नहीं है। परिवादिनी द्वारा यूनिटेक टेस्टिंग इक्यूपमेंट एण्ड टूल्स के CEO श्री अशोक अग्रवाल द्वारा निर्गत प्रमाण पत्र दिनांक 11.08.2014 लिखित तर्क के साथ प्रस्तुत किया गया, जिसमें यह नहीं बताया गया है कि गाड़ी संख्या-UP 32 ER 8444 किस तारीख को जॉंच करने के लिए वर्कशाप में आयी तथा किस पार्ट में कब से डिफेक्ट था। इस रिपोर्ट से यह भी स्पष्ट नहीं है कि वाहन क्रय करने के तुरन्त बाद वाहन की जॉच करायी गयी थी तथा डिफेक्ट मैन्यूफैक्चरिंग से सम्बन्धित था। प्रश्नगत रिपोर्ट में जॉच किसी इंजीनियर द्वारा किया जाना नहीं पाया जाता है। CEO द्वारा प्रमाणित प्रमाण पत्र की छायाप्रति दाखिल की गयी है, परन्तु इसके साथ कोई शपथपत्र प्रस्तुत नहीं किया गया है। प्रमाण पत्र की छायाप्रति का साक्ष्य में कोई न्यायिक महत्व नहीं है। अत: परिवादिनी द्वारा प्रस्तुत प्रमाण पत्र विश्वसनीय साक्ष्य नहीं है। परिवादिनी यह साबित नहीं कर पायी है कि वाहन क्रय करते समय उसमें मैन्यूफैक्चरिंग डिफेक्ट था। अत: परिवादिनी अपना कथन साबित करने में असमर्थ रही है। इस प्रकार सम्पूर्ण विवेचना के बाद पीठ इस निष्कर्ष पर पहुँचती है कि प्रश्नगत वाहन का क्लच प्लेट, उचित तरीके से प्रयोग न किये जाने के कारण ही जल गया था, जिसके लिए विपक्षीगण उत्तरदायी नहीं है। अत: परिवादिनी कोई अनुतोष प्राप्त करने की अधिकारिणी नहीं है। तदनुसार प्रस्तुत परिवाद निरस्त होने योग्य है।
आदेश
परिवाद निरस्त किया जाता है।
उभय पक्ष इस परिवाद का व्यय स्वंय वहन करेंगे।
उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्ध करा दी जाये।
(जितेन्द्र नाथ सिन्हा) (संजय कुमार)
पीठासीन सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0, कोर्ट-2