Uttar Pradesh

Azamgarh

CC/152/2009

VED PRAKASH YADAV - Complainant(s)

Versus

MAHINDRA & MAHINDRA FINANCE - Opp.Party(s)

DHIRENDRA KUMAR RAI

23 Nov 2021

ORDER

 

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग- आजमगढ़।

परिवाद संख्या 152 सन् 2009

प्रस्तुति दिनांक 24.08.2009

                                                                                              निर्णय दिनांक 23.11.2021

वेदप्रकाश यादव पुत्र बलिराम यादव, निवासी ग्राम- भदुली महम्मदल्ला, पोस्ट महम्मदल्ला, परगना- निजामाबाद, तहसील- सदर, जनपद- आजमगढ़।      

     .........................................................................................परिवादी।

बनाम

  1. महिन्द्रा एण्ड महिन्द्रा फाइनेन्स सर्विसेज लिo, महिन्द्रा टॉवर, रोड नं.-13, वर्ली मुम्बई (महाराष्ट्र) मुम्बई-18
  2. शाखा प्रबन्धक, महिन्द्रा एण्ड महिन्द्रा फाइनेन्स कंoलिo, शाखा- कार्यालय- हरिबंशपुर, दीप ऑटो मोबाईल्स के सामने, आजमगढ़।      
  3. विपक्षीगण।

उपस्थितिः- कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष” तथा गगन कुमार गुप्ता “सदस्य”

  •  

गगन कुमार गुप्ता “सदस्य”

परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में यह कहा है कि उसे अपनी व्यक्तिगत आवश्यकता हेतु एक जीप की आवश्यकता थी। जीप के लिए परिवादी के पास कीमत की सम्पूर्ण धनराशि उपलब्ध नहीं थी। जिसके लिए विपक्षी संख्या 02 से सम्पर्क किया। विपक्षी संख्या 02 के सहयोग से परिवादी को रुपये 3,50,000/- की धनराशि प्रदान की गयी, जो अग्रिम 35 माह में किस्तों में अदा की जानी थी। परिवादी ने विपक्षीगण द्वारा दिए गए ऋण धनराशि रु. 3,50,000/- तथा परिवादी ने अपने पास से लगाकर एक बोलेरो गाड़ी दीप ऑटोमोबाइल्स से खरीदा तथा उसका सहायक सम्भागीय परिवहन अधिकारी, आजमगढ़ में पंजीकरण कराया, जिस पर यू.पी. 50/एफ-3956 नंबर एलाट हुआ। उक्त वाहन का विपक्षी संख्या 02 ने यूनाइटेड इण्डिया इंश्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड से बीमा भी कराया तथा बीमा की एक प्रति परिवादी को उपलब्ध करा दी, जो दिनांक 02.04.2009 तक वैध एवं प्रभावी था। परिवादी ऋण राशि की किस्तों को नियमित भुगतान करता रहा कोई कभी असुविधा या चूक नहीं हुई। इसी बीच परिवादी अपने व्यक्तिगत कार्य से अपने उक्त वाहन से लखनऊ चला गया तथा दिनांक 23.07.2009 को रात 12.00 बजे पार्क, रोड, विधायक निवास में गाड़ी खड़ी कर विधायक जी के आवास में सोने चला गया। दिनांक 24.07.2009 को सुबह जागने पर परिवादी ने देखा कि उसकी बोलेरो जीप मौके पर नहीं थी। परिवादी ने आस-पास पूछ-ताछ किया लेकिन

गाड़ी बोलेरो जीप नं. यू.पी.50/एफ.-3956 का कुछ पता नहीं चला। परिवादी ने घटना की तुरन्त प्रथम सूचना रिपोर्ट अपराध संख्या 726/2009 थाना- हजरतगंज, जनपद- लखनऊ में अंतर्गत धारा- 379 भाoदंoविo पंजीकृत कराया, जिस पर विवेचना प्रचलित है। परिवादी की बोलेरो जीप महिन्द्रा एण्ड महिन्द्रा फाईनेन्स कंoलिo से अनुबंधित है। बीमा कराने की जिम्मेदारी विपक्षीगण को थी, जिसको न करा कर उन्होंने सेवा व शर्तों का उल्लंघन किया। पूर्व बीमा की अवधि के समाप्त होने के एक दिन पूर्व ही दिनांक 01.04.2009 को प्रार्थी विपक्षी संख्या 02 के पास गया तथा उससे इस बात का अनुरोध किया कि उसकी बोलेरो जीप का बीमा दिनांक 02.04.2009 को समाप्त हो रहा है। उसका पुनः बीमा करा दें तो विपक्षी संख्या 02 के कार्यालय के लोगों ने परिवादी को इस बात के लिए आश्वस्त किया कि बीमा कराना वित्तपोषक की जिम्मेदारी है। वह निश्चिन्त रहें, उसकी गाड़ी का बीमा करा दिया जाएगा। परिवादी उनकी बात पर विश्वास करके घर चला गया तथा पुनः माह मई, 2009 में विपक्षी संख्या 02 से सम्पर्क किया तथा उनसे अपनी गाड़ी के बीमा का कागज मांगा तो उन्होंने बताया कि संबंधित लिपिक अवकाश पर हैं। गाड़ी का बीमा हो चुका है। बाद में आकर परिवादी उसे प्राप्त कर लेगा। विपक्षी संख्या 02 ने आज कल करते-करते परिवादी को बीमा का कागज नहीं दिया। इसी बीच परिवादी के वाहन की चोरी चले जाने के पश्चात् परिवादी ने घटना की सूचना विपक्षी संख्या 02 को दिया तथा उनसे बीमा के कागज की मांग किया लेकिन उन्होंने परिवादी को बीमा का कागज नहीं दिया। परिवादी एक गरीब किसान है। वित्तपोषक द्वारा गाड़ी का बीमा न कराकर सेवा में चूक की गयी, जिसके लिए वह जिम्मेदार है। अतः विपक्षीगण को आदेशित किया जाए कि वह परिवादी को एक बोलेरो गाड़ी का मूल्य अदा करे साथ ही वह आर्थिक व मानसिक क्षति हेतु मुo 25,000/- रुपए भी परिवादी को अदा करे तथा अन्य अनुतोष जो न्यायालय श्रीमान् की राय में उचित हो परिवादी को दिलाया जाए।       

परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।

प्रलेखीय साक्ष्य में परिवादी ने कागज संख्या 5/1 रिपेमेन्ट सेड्यूल की छायाप्रति तथा कागज संख्या 5/2 प्रथम सूचना रिपोर्ट की छायाप्रति प्रस्तुत किया है।   

कागज संख्या 8क विपक्षीगण द्वारा जवाबदावा प्रस्तुत किया गया है, जिसमें उन्होंने परिवाद पत्र की धारा 02व03 को स्वीकार किया है व धारा 04 को अंशतः स्वीकार किया है। शेष सभी कथनों से इन्कार किया है। अतिरिक्त कथन में उन्होंने यह कहा है कि परिवादी का परिवाद पत्र असत्य एवं आधारहीन है। परिवादी को परिवाद पत्र प्रस्तुत करने का कोई विधिक अधिकार नहीं है। परिवाद पत्र उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की परिधि में नहीं आता है इसलिए पोषणीय नहीं है। परिवाद पत्र में अंकित वाहन परिवादी के अनुरोध पर विपक्षीगण जो एक वित्तीय संस्था है ऋण सम्बन्धित समस्त औपचारिकताएं पूर्ण किए जाने के पश्चात् ऋण के भुगतान व सम्बन्धित अन्य शर्तों के तहत वित्तीय संस्था व परिवादी के बीच एक लिखित अनुबन्ध किया गया। उक्त अनुबन्ध शर्तों को पढ़ने व समझने के पश्चात् परिवादी (ऋणी) व उसके गारन्टर द्वारा अपना हस्ताक्षर बनाया गया। ऋण भुगतान व अन्य शर्तों का पालन अनुबन्ध शर्तों के मुताबिक परिवादी (ऋणी) को करना था। परिवादी उक्त शर्तों के पालन हेतु विधिक रूप से बाध्य है। उक्त वाहन के वित्तपोषित किए जाने के सम्बन्ध में निष्पादित अनुबन्ध दिनांक 30.04.2008 के तहत ऋण धनराशि मुo3,50,000/- रुपए मय ब्याज भुगतान की निर्धारित तिथि एक अग्रिम किस्त जो अदा थी इसके अतिरिक्त 35 किस्तों में मय ब्याज कुल 4,44,500/- रुपए परिवादी (ऋणी) को विपक्षीगण वित्तीय संस्था को भुगतान करना था। उक्त ऋण अनुबन्ध शर्तों के तहत प्रत्येक माह की निर्धारित किस्त मुo 12,700/- रुपए निश्चित तिथि तक परिवादी (ऋणी) को अदा करना था अनुबन्ध शर्तों के तहत किस्तों का भुगतान समयावधि के अन्दर न करने पर विलम्ब से जमा किस्तों पर दाण्डिक व्याज परिवादी (ऋणी) द्वारा देय है। परिवादी ने अधिकतर किस्तें अत्यन्त विलम्ब से अदा किया जिसके कारण विलम्ब पर दाण्डिक ब्याज बढ़ता गया। परिवादी द्वारा विलम्ब से किस्ते जमा करते हुए दिनांक 05.05.2009 तक अदा किया तदुपरान्त किस्तों का भुगतान परिवादी द्वारा नहीं किया गाय। लगातार तीन किस्तों के जमा न होने की दशा में परिवादी को लिखित मांग नोटिस भेजी गयी परन्तु परिवादी ने किस्तों का भुगतान नहीं किया। इस प्रकार परिवादी डिफाल्टर की श्रेणी में आ गया। परिवादी का उक्त वाहन वित्तपोषित किए जाते समय परिवादी द्वारा उक्त वाहन की बीमा निर्धारित बीमा किस्त का भुगतान कर स्वयं यूनाइटेड इन्श्योरेन्स कं.लि. द्वारा कराया गया क्योंकि अनुबन्ध शर्तों के तहत ऋणी द्वारा अपनी स्वेच्छा से वित्तपोषित वाहन का बीमा कराया जाना था। वित्तपोषित वाहन का बीमा निर्धारित बीमा प्रीमियम जमाकर वाहन बीमित कराए जाने का पूर्ण दायित्व अनुबंध शर्तों के तहत परिवादी का है। वित्तपोषित संस्था का कोई दायित्व नहीं है। परिवादी का उक्त वाहन प्रारम्भ में दिनांक 02.04.2009 तक वैध व प्रभावी था परन्तु उक्त परिवादी द्वारा वाहन की अग्रिम अवधि का बीमा नहीं कराया गाय जिसके कारण वाहन की बीमा अवधि समाप्त हो गयी। विपक्षीगण वित्तीय संस्था द्वारा ग्राहक हित में वित्तपोषित वाहन का अग्रिम अवधि के लिए वाहन के बीमा अवधि समाप्त होने के पूर्व दिनांक 10.02.2009 को परिवादी को लिखित सूचना स्मरण पत्र के जरिए दिया बावजूद इसके बाद भी परिवादी द्वारा न तो उक्त वित्तपोषित वाहन का बीमा अग्रिम अवधि के लिए कराया गया न ही वित्तीय संस्था से सम्पर्क कर निर्धारित प्रीमियम भुगतान कर बीमा कराने का प्रयास किया। इस सम्बन्ध में पूर्व में कई बार मौखिक व लिखित सूचनाएं परिवादी को दी गयीं, लेकिन परिवादी द्वारा न तो वाहन के अग्रिम अवधि का न तो बीमा कराया गया न तो निर्धारित प्रीमियम वित्तीय संस्था को अदा किया। ऐसी दशा में विपक्षीगण का कोई उत्तरदायित्व नहीं है। परिवादी द्वारा दिनांक 05.05.2009 से वाहन के बाबत ऋण की शेष किस्तों का भुगतान नहीं किया जा रहा है। ऋण अनुबंध शर्तों के तहत शेष ऋण धनराशि मय ब्याज परिवादी के ऋण खाते में अब तक देय शेष है। परिवादी द्वारा स्वयं वाहन का बीमा न कराकर घोर त्रुटि की गयी। यदि ऐसी दशा में वाहन यदि चोरी हो गया तो उसके बाबत विपक्षीगण का कोई दायित्व नहीं है। अतः परिवाद खारिज किया जाए।      

विपक्षीगण द्वारा अपने जवाबदावा के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।

प्रलेखीय साक्ष्य में विपक्षीगण द्वारा कागज संख्या 14/1व14/2 कस्टमर स्टेटमेन्ट ऑफ एकाउन्ट रिपोर्ट की छायाप्रति, कागज संख्या 14/3 वाहन की पॉलिसी का नवीनीकरण सम्बन्धी सूचना की छायाप्रति, कागज संख्या 14/4 बीमा नवीनीकरण के सन्दर्भ में सूचना की छायाप्रति, कागज संख्या 14/5 रिमाइन्डर/नोटिस की छायाप्रति, कागज संख्या 14/6 रिपेमेन्ट सेड्यूल की छायाप्रति तथा कागज संख्या कागज संख्या 14/7व14/8 फाइनेन्स कम्पनी के टर्म्स एण्ड कन्डीशन्स की छायाप्रति प्रस्तुत किया गया है।

बहस के दौरान पुकार कराए जाने पर उभय पक्षकारों के विद्वान अधिवक्ता उपस्थित आए तथा उभय पक्षकारों के विद्वान अधिवक्ताओं ने अपना-अपना बहस सुनाया। बहस सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया। इस परिवाद में महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि गाड़ी के खरीद करते समय ही विपक्षी संख्या 02 द्वारा स्वयं यूनाइटेड इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड से बीमा भी कराया तथा एक प्रति याची को उपलब्ध कराई गयी थी। जो कि दिनांक 02.04.2009 तक वैध एवं प्रभावी थी। विपक्षीगण द्वारा प्रस्तुत कागज संख्या 14/2 के अनुसार परिवादी ने दिनांक 05.05.2009 तक अपनी किस्तों का भुगतान किया है, इससे यह प्रमाणित होता है कि दिनांक 02.04.2009 तक बीमा अवधि के समाप्त होने के उपरान्त भी बकाया किस्त परिवादी द्वारा जमा किया गया है। तब यह बात समझ से परे है कि विपक्षी संख्या 02 द्वारा यूनाइटेड इण्डिया इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड बीमा कम्पनी से बीमा का नवीनीकरण क्यों नहीं कराया, जबकि वाहन खरीदते समय विपक्षी संख्या 02 द्वारा स्वयं बीमा कराया गया था जो कि उसके खुद की सम्पत्ति की सुरक्षा के लिए आवश्यक था। बीमा नवीनीकरण नहीं कराया जाना विपक्षीगण की घोर लापरवाही व सेवा में कमी को दर्शाता है। ऐसी स्थिति में हमारे विचार से परिवाद स्वीकार होने योग्य है।

आदेश

    परिवाद पत्र स्वीकार किया जाता है तथा विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी द्वारा उक्त वाहन बोलेरो गाड़ी के निर्धारित तत्कालीन मूल्य में से विपक्षीगण अपने बकाया किस्तों की मय ब्याज धनराशि को काट करके शेष धनराशि परिवाद दाखिल करने की तिथि से अन्तिम भुगतान की तिथि तक 09% वार्षिक ब्याज की दर से अन्दर 30 दिन परिवादी को अदा करे, साथ ही विपक्षीगण परिवादी को आर्थिक व मानसिक क्षति के लिए मुo 10,000/- रुपए (रु. दस हजार मात्र) भी अदा करे।

 

 

 

 

 

                                                     गगन कुमार गुप्ता                कृष्ण कुमार सिंह   

                                    (सदस्य)                           (अध्यक्ष)

 

       दिनांक 23.11.2021

                                  यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।

 

 

 

                        गगन कुमार गुप्ता                कृष्ण कुमार सिंह

                                        (सदस्य)                               (अध्यक्ष)

 

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