Uttar Pradesh

Azamgarh

CC/143/2013

MAN BAHADUR SINGH - Complainant(s)

Versus

MAHINDRA TRACTORS - Opp.Party(s)

SHUBH KARAN SINGH

20 Apr 2022

ORDER

 

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग- आजमगढ़।

परिवाद संख्या 143 सन् 2013

प्रस्तुति दिनांक 12.09.2013

                                                                                               निर्णय दिनांक 20.04.2022

मानबहादुर सिंह पुत्र स्वo देवनरायन सिंह निवासी मौजा खुरसू पोस्ट नरसिंहपुर तहसील- लालगंज, जिला- आजमगढ़।

     .........................................................................................परिवादी।

बनाम

  1. महिन्द्रा टैक्टर्स फार्म इक्वीपमेण्ट सेक्टर अकुर्ली रोड कान्दीबली(ईस्ट) मुम्बई 400101 द्वारा एम.डी.।
  2. श्री केवल आटो मोबाईल मेहनगर जिला आजमगढ़ (उoप्रo) द्वारा स्वामी।
  3. काशी गोमती संयुत ग्रामीण बैंक शाखा पल्हना आजमगढ़।      
  4. विपक्षीगण।

उपस्थितिः- कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष” तथा गगन कुमार गुप्ता “सदस्य”

  •  

कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष”

परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में यह कहा है कि वह पेशे से एक कृषक है। कृषि के अलावा उसके पास कोई दूसरा जीविकोपार्जन का साधन नहीं है। विपक्षी संख्या 01 महिन्द्रा ट्रैक्टर की कम्पनी है तथा विपक्षी संख्या 02 विपक्षी संख्या 01 के एजेन्सी/शाखा है, जिसके माध्यम से बैंकों के लोन द्वारा कृषकों को ट्रैक्टर उपलब्ध कराती है। विपक्षी संख्या 02 परिवादी के पास गया और उसने विपक्षी संख्या 01 द्वारा निर्मित ट्रैक्टर की काफी खूबियां बताया और बैंक लोन द्वारा परिवादी को 245, 25 एच.पी. महिन्द्रा ट्रैक्टर उपलब्ध करा दिया, जिसके लिए उसने मुo3,88,000/- रुपया भी प्राप्त किया। विपक्षी संख्या 02 ने परिवादी को कोई विक्रय पत्र नहीं दिया और मांग करने पर विश्वास दिलाया कि बैंक शाखा द्वारा विक्रय पत्र मिल जाएगा, लेकिन आज तक विक्रय पत्र नहीं मिला, जिसके कारण परिवादी अपनी उक्त गाड़ी का न तो पंजीकरण ही करा पाया और न ही बीमा करा पाया। परिवादी का ट्रैक्टर खड़ा है उससे कोई आमदनी नहीं मिल रही है। बैंक का ऋण बढ़ता चला जा रहा है। सेल लेटर न मिलने के कारण परिवादी ने इसकी शिकायत काशी गोमती संयुत ग्रामीण बैंक में किया तो तत्कालीन शाखा प्रबन्धक ए.के. श्रीवास्तव ने कहा कि उसे विपक्षी संख्या 02 से सेल लेटर लेकर दिया जाएगा, लेकिन आजतक परिवादी को सेल लेटर नहीं मिला। वर्तमान समय में विपक्षी संख्या 02 बन्द हो गयी है इसलिए उसके यहाँ से सेल लेटर मिलना सम्भव नहीं है। परिवादी ने विपक्षी संख्या 01 को दिनांक 09.05.2013 को कानूनी नोटिस भेजा था जिसके जवाब में परिवादी को बताया गया था कि वह सम्बन्धित क्षेत्र से डिटेल प्राप्त करके सूचित करेगा, लेकिन उसने भी आजतक परिवादी के अधिवक्ता को कोई सूचना नहीं दिया। परिवादी ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से तत्कालीन शाखा प्रबन्धक ए.के.श्रीवास्तव को भी लीगल नोटिस भेजा था लेकिन उन्होंने भी कोई उत्तर नहीं दिया। परिवादी ने बैंक के क्षेत्रीय कार्यालय को भी सूचना दिया था कि बिना सेल लेटर के ही विपक्षी संख्या 02 को पेमेण्ट कर दिया गया है। इसलिए बैंक परिवादी के ऋण पर कोई ब्याज न लगावे लेकिन वह भी ब्याज लगाता चला जा रहा है। जिससे परिवादी को काफी मानसिक, शारीरिक व आर्थिक क्षति उठानी पड़ रही है। अतः विपक्षी संख्या 01 से परिवादी की सम्बन्धित ट्रैक्टर का सेल लेटर दिलाया जाए और विपक्षीगण से उक्त ऋण पर लगने वाला ब्याज परिवादी को दिलाया जाए अथवा विपक्षी संख्या 01 को निर्देशित किया जाए कि वह परिवादी के ट्रैक्टर को लेकर बैंक का सम्पूर्ण बकाया अदा कर दें तथा परिवादी ने जो रुपया ट्रैक्टर के मद मे बैंक में जमा किया है उसे परिवादी को वापस कर दें। शारीरिक, मानसिक व आर्थिक क्षति हेतु परिवादी को मुo 50,000/- रुपया विपक्षी से दिलाया जाए।     

परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।

प्रलेखीय साक्ष्य में परिवादी ने कागज संख्या 7/1 कानूनी नोटिस जवाब की छायाप्रति, कागज संख्या 13/1 श्री केवला आटोमोबाइल्स द्वारा जारी बिल कोटेशन की छायाप्रति तथा कागज संख्या 13/02व03 रजिस्ट्री रसीद व लीगल नोटिस की छायाप्रति प्रस्तुत किया है।

कागज संख्या 15क² विपक्षी संख्या 03 द्वारा जवाबदावा प्रस्तुत किया गया है, जिसमें उसने परिवाद पत्र के कथनों से इन्कार किया है। अतिरिक्त कथन में उसने यह कहा है कि परिवादी का परिवाद मनगढ़न्त एवं बेबुनियाद है। विपक्षी काशी गोमती संयुत ग्रामीण बैंक की स्थापना दि रिजनल रूरल बैंक्स ऐक्ट-1976 के अधीन हुई है जिसका प्रधान कार्यालय वाराणसी उoप्रo में स्थित है तथा अन्य के साथ ही साथ एक शाखा पल्हना जिला आजमगढ़ में भी स्थित है। मामले के तथ्य इस प्रकार हैं कि माह अक्टूबर 2008 में परिवादी एवं महेन्द्र सिंह पुत्र श्री श्याम नरायन सिंह निवासी ग्राम जमुई पोस्ट पल्हलना तहसील लालगंज जिला आजमगढ़ ने विपक्षी संख्या 03 से सम्पर्क किया और कहा कि उन्हें कृषि कार्य हेतु ट्रैक्टर व इसके अन्य साधन खरीदने के लिए ऋण की आवश्यकता है जिस पर विपक्षी संख्या 03 द्वारा परिवादी एवं अन्य लोगों से आवश्यक जानकारी लेने के बाद उन्हें उनके वांछित ऋण के सम्बन्ध में औपचारिकताओं से अवगत कराया गया। पुनः परिवादी एवं महेन्द्र सिंह ने विपक्षी संख्या 03 सम्पर्क किया और कहे कि व महिन्द्रा ट्रैक्टर मॉडल 245, 25 हॉर्स पॉवर व इसके अन्य साधन इसके अधिकृत विक्रेता मेo केवला आटोमोबाइल्स मेहनगर जिला आजमगढ़ से खरीदना चाहते हैं और यह भी कहे कि उक्त फर्म के प्रोपराइटर से परिचित हैं तथा उन्हें विपक्षी संख्या 02 से ट्रैक्टर व इसके साधन खरीदने पर कई अतिरिक्त सुविधाएं भी प्राप्त होगी, जिस पर विपक्षी संख्या 03 ने अपनी अनापत्ति जाहिर किया। परिवादी एवं श्री महेन्द्र सिंह ने यह भी बताया कि उन्हें वांछित ट्रैक्टर व इसके अन्य साधनों की कुल कीमत रु. 3,88,000/- है जिसमें से वे रु. 2,90,000/- ऋण लेना चाहते हैं एवं शेष रकम वे मार्जिन मनी के तौर पर लगाएंगे। परिवादी एवं श्री महेन्द्र सिंह द्वारा आवश्यक सारी औपचारिकताओं को पूर्ण किए जाने पर परिवादी एवं श्री महेन्द्र सिंह के संयुक्त नाम से उपरोक्त उद्देश्य हेतु रु. 2,90,000/- का सावधि ऋण मय 13.50% सालाना मय अर्धवार्षिक अन्तराल के मंजूर किया गया। इस ऋण की अदायगी मय ब्याज तथा दीगर खर्चों के 17 समान अर्धवार्षिक किश्तों में किया जाना तय हुआ तथा शर्त यह भी थी कि किन्हीं दो किश्तों की अदायगी में चूक होने की सूरत में कुल बकाया रकम एकमुश्त देय हो जाएगी। ऋण की समस्त औपचारिकताएं पूरी होने के उपरान्त परिवादी एवं श्री महेन्द्र सिंह के अनुरोध पर आपूर्तिकर्ता के नाम उनके कोटेशन दिनांक 20.10.2008 के मुताबिक परिवादी एवं श्री महेन्द्र सिंह को उपरोक्त ट्रैक्टर व इसके अन्य साधन आपूर्ति कर बैंक में बिल प्रस्तुत करने हेतु विपक्षी संख्या 03 बैंक द्वारा आपूर्ति आदेश दिनांक 25.10.2008 जारी कर परिवादी को प्राप्त कराया गया। आपूर्ति आदेश के अनुपालन में आपूर्तिकर्ता ने अपने कोटेशन दिनांक 20.10.2008 के मुताबिक परिवादी व श्री महेन्द्र सिंह को उपरोक्त ट्रैक्टर व इसके अन्य साधनों की आपूर्ति कर बैंक में बिल दिनांक 03.11.2008 वास्ते रु. 3,88,000/- प्रस्तुत किया तथा परिवादी एवं श्री महेन्द्र सिंह अपने ट्रैक्टर व इसके अन्य साधनों के साथ बैंक में उपस्थित हुए एवं समस्त सामानों को अपनी सन्तुष्टि के अनुसार प्राप्त किए। जिसके सम्बन्ध में संतुष्टि प्रमाण पत्र दिनांक 04.11.2008 हस्ताक्षरित व निष्पादित करते हुए आपूर्तिकर्ता को भुगतान करने का निवेदन किए जिस पर बैंक द्वारा ऋण रकम 2,90,000/- एवं मार्जिन मनी मिलाकर 3,88,000/- रुपए का आपूर्तिकर्ता को दिनांक 04.11.2008 को भुगतान कर दिया गया जिसे आपूर्तिकर्ता ने प्राप्त करना स्वीकार किया। उपरोक्त भुगतान के बाद विपक्षी संख्या 03 ने आपूर्तिकर्ता को पत्र दिनांक 04.11.208 प्रेषित कर एक सप्ताह के अन्दर ट्रैक्टर का बीमा व पंजीकरण प्रस्तुत करने हेतु निर्देशित किया गया एवं इस आशय की मुख्य ऋणीगण को भी हिदायत दी गयी और ट्रैक्टर का बीमा व रजिस्ट्रेशन कराकर बैंक में प्रस्तुत करना था, लेकिन परिवादी ने ऐसा नहीं किया। परिवादी द्वारा ऐसा न करने पर उन्हें इस सम्बन्ध में एक पत्र दिनांक 10.02.2009 जारी किया गया। उसके पश्चात् परिवादी द्वारा परिवादी के पास एवं आपूर्तिकर्ता के पास अनेक पत्र आदि प्रेषित कर बीमा व पंजीकरण का अभिलेख उपलब्ध कराने हेतु अनुरोध किया गया परन्तु वे उपलब्ध नहीं कराए। परिवादी एवं महेन्द्र सिंह ने बैंक की निर्धारित किश्तें नहीं जमा किया जिसके बाद बैंक द्वारा मांग नोटिस दिनांक 25.08.2009, 28.09.2010 आदि जारी की गयी। परिवादी द्वारा परिवाद पत्र में जो भी कथन किए गए हैं वे सब महज अदायगी से बचने के लिए किए गए हैं, जो बिल्कुल ही गलत व काल्पनिक तथा ऑफ्टरथॉट हैं। वर्तमान समय में परिवादी व सहकर्जदार के विरुद्ध विपक्षी संख्या 03 बैंक का रुपए 85,361/- व ब्याज आदि बकाया है। ऐसी स्थिति में परिवाद सव्यय निरस्त किया जाए तथा विपक्षी बैंक को खर्चा खास पाने के लिए मुश्तहक किया जाए।    

विपक्षी संख्या 03 द्वारा अपने जवाबदावा के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।

प्रलेखीय साक्ष्य में विपक्षी संख्या 03 द्वारा कागज संख्या 19/1 लोन प्रार्थना पत्र की प्रमाणित छायाप्रति, कागज संख्या 19/2 ट्रैक्टर के कोटेशन की प्रमाणित छायाप्रति, कागज संख्या 19/3 डिमाण्ड प्रामिसरी नोट की प्रमाणित छायाप्रति, कागज संख्या 19/4 सप्लाई ऑर्डर की प्रमाणित छायाप्रति, कागज संख्या 19/5 सप्लायर को भुगतान करने के बाउचर की प्रमाणित छायाप्रति, कागज संख्या 19/6 सप्लायर द्वारा प्रस्तुत बिल की प्रमाणित छायाप्रति, कागज संख्या 19/7 सन्तुष्टि प्रमाण पत्र की प्रमाणित छायाप्रति, कागज संख्या 19/8 रजिस्ट्रेशन व बीमा की प्रमाणित छायाप्रति, कागज संख्या 19/9 रजिस्ट्रेशन व बीमा की प्रमाणित छायाप्रति, कागज संख्या 19/10 रजिस्ट्रेशन व बीमा के सन्दर्भ में पत्र की प्रमाणित छायाप्रति, कागज संख्या 19/11 डिमाण्ड नोटिस की प्रमाणित छायाप्रति, कागज संख्या 19/12 बैंक द्वारा जारी ऋण वसूली नोटिस की प्रमाणित छायाप्रति, कागज संख्या 19/13 जमानतदार को बैंक द्वारा जारी ऋण वसूली नोटिस की प्रमाणित छायाप्रति, कागज संख्या 19/14 रजिस्ट्रेशन व बीमा की प्रमाणित छायाप्रति, कागज संख्या 19/15 स्टेटमेन्ट ऑफ एकाउन्ट की असलप्रति प्रस्तुत किया गया है।

बहस के दौरान पुकार कराए जाने परिवादी तथा विपक्षी संख्या 03 के विद्वान अधिवक्ता उपस्थित आए। शेष सभी विपक्षीगण अनुपस्थित रहे। परिवादी तथा विपक्षी संख्या03 के विद्वान अधिवक्ताओं ने अपना-अपना बहस सुनाया। बहस सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया। जवाबदावा के पैरा 28 के अवलोकन से यह स्पष्ट है कि कथित कर्ज बैंक से दो लोगों के नाम से लिया गया था, एक महेन्द्र सिंह के नाम से और एक मानबहादुर सिंह के नाम से था। लेकिन महेन्द्र सिंह को वादी मुकदमा नहीं बनाया गया है। ऐसी स्थिति में यह याचना नॉन ज्वाइंडर ऑफ पार्टीज के दोष से बाधित है। अतः हमारे विचार से परिवादी कोई भी अनुतोष पाने के लिए हकदार नहीं है।

 

 

 

 

 

आदेश

                                                           परिवाद पत्र खारिज किया जाता है। पत्रावली दाखिल दफ्तर हो।

 

 

 

 

                                                                         गगन कुमार गुप्ता                कृष्ण कुमार सिंह  

                                                      (सदस्य)                              (अध्यक्ष)

 

     दिनांक 20.04.2022

                                                  यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।

 

 

 

                                            गगन कुमार गुप्ता                कृष्ण कुमार सिंह

                                                               (सदस्य)                             (अध्यक्ष)

 

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