प्रकरण क्र. १८८/२०१३
प्रस्तुती दिनाँक 24.08.13
प्रकाश चंद्र गुप्ता आ.स्व. श्री रामलाल गुप्ता, आयु-57 वर्ष, निवासी-1 ‘ए’ स्ट्रीट-48, सेक्टर-8, भिलाई, जिला-दुर्ग (छ.ग.)
- - - - आवेदक
विरूद्ध
महेन्द्रा रिसोर्ट मैरिज पैलेस, द्वारा-संचालक/प्रोप्राईटर, धमधा रोड, करहीडीह चैक, दुर्ग, जिला-दुर्ग (छ.ग.)
- - - - अनावेदक
आवेदक द्वारा श्री अनुराग ठाकर अधिवक्ता।
अनावेदक द्वारा श्री तिरूमलेश अधिवक्ता।
आदेश
(आज दिनाँक 27 सितंबर 2014 को पारित)
1/ आवेदक द्वारा अनावेदक के खिलाफ धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अंतर्गत विवाह कार्यक्रम हेतु बुक कराए गए मैरिज पैलेस की बुकिंग राशि आवेदक को प्रदान न कर सेवा में कमी के लिए कुल 75,000रू. की क्षतिपूर्ति एवं अन्य अनुतोष दिलवाये जाने हेतु यह परिवाद प्रस्तुत किया गया।
2/ प्रकरण में निर्विवादित तथ्य है कि आवेदक की पुत्री का विवाह दि.21.5.13 को होना तय हुआ था जिसके लिए आवेदक के द्वारा अनावेदक को 75,000रू. दिनांक 05.04.13 को नकद प्रदान कर दिनांक 21.5.13 के लिए मैरिज पैलेस वैवाहिक कार्यक्रम हेतु बुक कराया गया था।
3/ आवेदक का आवेदन सारांश में यह है कि, आवेदक की पुत्री का विवाह दि.21.5.13 को होना तय हुआ था जिसके लिए आवेदक के द्वारा अनावेदक को 75,000रू. दिनांक 05.04.13 को नकद प्रदान कर दिनांक 21.5.13 के लिए बुक कराया गया। अनावेदक के द्वारा राशि प्राप्त कर एक रसीद क्र.0017 आवेदक को प्रदान की गई। अनावेदक के द्वारा दिनांक 18.05.13 केा फोन कर उक्त बुकिंग निरस्त कर दी गई, आवेदक से कहा गया कि दिनांक 19.5.13 एवं दि.20.5.13 केा एम.एल.ए. प्रतिमा चंद्राकर के द्वारा मैरिज पैलेस की बुकिंग पूर्व से कराई गई है, चूंकि दि.20.5.13 केा देर रात्रि तक कार्यक्रम चलेगा अतः दि.21.5.13 को आवेदक को मैरिज पैलेस नहीं दिया जा सकता। अनावेदक के द्वारा आवेदक से क्षमा याचना की गई तथा बुकिंग हेतु प्रदान की गई राशि 75,000रू. कार्यालय मे आकर वापस प्राप्त कर लेनें का कथन आवेदक से किया गया। अनावेदक के द्वारा दो दिन पूर्व बुकिंग कैंसिल कर देनें के कारण मई माह में विवाह का सीजन होनें के कारण तत्काल अन्य भवन किराए पर नहंी मिल पाया। अतः आवेदक को अपनी पुत्री का विवाह अन्य स्थल गायत्री शक्ति पीठ में करना पड़ा। विवाह कार्यक्रम में गर्मी का मौसम होने के कारण आवेदक एवं उनके आगंतुकों को अत्याधिक परेशानियमों का सामना कराना पड़ा आवेदक के द्वारा व्यस्तता के कारण रकम प्राप्त करने के लिए अनावेदक से तुरंत संपर्क नहंी कर पाया। किंतु कुछ दिनों पश्चात आवेदक के द्वारा कई बार अनावेदक के कार्यालय मे जाकर बुकिंग राशि वापसी हेतु संपर्क किया गया। अनावेदक के द्वारा आवेदक को झूठे आश्वासन देकर गुमराह किया गया एवं राशि वापस न होनें के उपरांत आवेदक के द्वारा दि.22.7.13 को अधिवक्ता नोटिस प्रेषित कराया गया जिसे अनावेदक के द्वारा प्राप्त कर लेनें के उपरांत भी आवेदक को किसी नोटिस का जवाब नहीं दिया गया। अतः आवेदक के द्वारा मेरिज पैलेस की बुकिंग की राशि 75,000रू. पर दिनांक 05.4.13 से अदायगी दिनांक तक ब्याज मानिसिक आर्थिक क्षति के लिए 10,000रू. एवं वाद व्यय 5,000रू. अनावेदक से दिलाए जानें हेतु यह परिवाद प्रस्तुत किया गया।
4/ अनावेदक के द्वारा निर्विवादित तथ्य पर आपत्ति न कर यह अभिवचन किया गया कि दिनांक 21.05.13 को भवन आवेदक के कार्यक्रम हेतु तैयार था। अनावेदक द्वारा कभी भी आवेदक से भवन बुकिंग कैसिलेशन की बात नहीं की और न ही राशि लौटानें के संबंध मे बात की गई थी, तथा आवेदक स्वयं के लाभ के लिए अनावेदक को नोटिस भिजवाकर अनावेदक से राशि प्राप्त करना चाहता है। अनावेदक के द्वारा विशेष कथन मे यह अभिवचन किया गया कि कई वर्षो से अनावेदक के द्वारा विवाह एवं अन्य कार्यक्रमों के लिए भवन किराए पर देता रहा है। अनावेदक के द्वारा शहर के प्रतिष्ठित व्यक्तियों के कार्यक्रम होते रहते है। भवन की बुकिंग के समय जब राशि प्राप्ति की रसीद काटी जाती है तो साथ में परिसर आरक्षण नियमावली भी दी जाती है, जो आवेदक को नियमतः प्रदान की गई थी। आवेदक नें अपनें नोटिस मे कहीं भी जिक्र नहंी किया गया है कि नियमावली क्र.3 के अनुसार बुकिंग राशि किसी भी कारण से वापस नहंी होगी। अनावेदक नें फोन पर या व्यक्तिगत रूप से बुकिंग कैंसिल नहीं की थी। विवाह हेतु बुकिंग दि.21.05.13 के पूर्व आवेदक के द्वारा अनावेदक केा किसी प्रकार से लिखित मे बुकिंग कैंसिल करनें का निवेदन नहंी किया है। आवेदक के स्वयं के व्यक्तिगत कारणों से दिनंाक 21.05.13 को विवाह कार्यक्रम स्थगित हुआ था अनावेदक नें उक्त दिनांक को पूरी तैयारी करके रखी थी। आवेदक के द्वारा कार्यक्रम स्थगित करनें से अनावेदक केा कई प्रकार के नुकसान जैसे कि फूल सज्जा, बंगाली पंडाल डेकोरेशन, रसोईयों आदि का नुकसान उठाना पड़ा था जिसका पूर्ण जिम्मेदार आवेदक है। उक्त दिनंाक को किसी अन्य व्यक्ति का समारोह नहंी हो पाया क्येांकि भवन आवेदक के नाम से बुक था। अतः आवेदक द्वारा प्रस्तुत आवेदन सव्यय निरस्त कर अनावेदक को आवेदक से बुकिंग कैसिल से हुए नुकसान की क्षतिपूर्ति भी दिलाई जावे।
5/ आवेदक द्वारा अपने पक्ष के समर्थन में स्वयं का शपथ पत्र एवं सूची अनुसार दस्तावेज प्रस्तुत किये गये हैं। अनावेदक द्वारा अपने जवाबदावा के समर्थन में श्री अमरजीत चावला प्रो.महिन्द्रा रिसोर्ट मैरिज पैलेस, दुर्ग का शपथ पत्र एवं सूची अनुसार दस्तावेज प्रस्तुत किये गये हैं।
6/ उभयपक्ष द्वारा किये गये अभिवचनों के आधार पर निम्न विचारणीय प्रश्न उत्पन्न होते हैं -
1. क्या अनावेदक द्वारा मैरिज पैलेस बुकिंग राशि आवेदक को न प्रदान कर सेवा मे कमी एवं व्यावसायिक कदाचरण किया है?
2. सहायता एवं व्यय।
निष्कर्ष के आधार
विचारणीय प्रश्न क्रमांक - 1
7/ अनावेदक की ओर से मुख्य रूप से आपत्ति कर यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि आवेदक नें स्वयं के व्यक्तिगत कारणों से कार्यक्रय स्थगित किया जिससे आवेदक को काफी नुकसान उठाना पड़ा था अनावेदक के द्वारा आवेदक की पुत्री के विवाह के लिए मैरिज हाल पूर्ण रूप से तैयार किया गया था तथा आवेदक को मैरिज रिसोर्ट की समस्त जानकारी प्रदान कर दी गई थी। आवेदक के द्वारा बुकिंग कैंसिल करनें के उपरांत रिसोर्ट उस दिनंाक को पूर्ण रूप से खाली था। आवेदक कभी भी अनावेदक के पास राशि वापसी हेतु नही आया। आवेदक के द्वारा बुकिंग अचानक कैंसिल कर देनें पर अनावेदक केा आर्थिक एवं मानसिक क्षति हुई थी। अनावेदक के द्वारा प्रदर्श डी 1 की कंडिका 3 ओर ध्यान आकृष्ट करते हुए यह भी तर्क दिया गया किसी भी कारण से बुकिंग कैंसिल होने पर जमा राशि वापस नही की जावेगी।
उक्त तर्क के परिपेक्ष्य मे आवेदक के द्वारा तर्क दिया गया कि दिनंाक 18.05.13 को अनावेदक के द्वारा आवेदक को अचानक सूचित किया गया कि दि.19.05.13 एवं दि.20.05.13 को किसी अन्य व्यक्ति के द्वारा मैरिज पैलेस को पूर्व से ही बुक कराया गया है चूंकि वैवाहिक कार्यक्रम देर रात्रि तक चलेगा अतः आवेदक को मैरिज प्लेस नही दिया जा सकता उक्त कथन की पुष्टि आवेदक के द्वारा शपथपत्र से की गई है एवं अनावेदक के द्वारा उक्त कथन के खण्डन में ऐसा कोई दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किया गया। आवेदक के द्वारा दस्तावेज क्र.2 की ओर ध्यान आकृष्ट करते हुए यह भी तर्क दिया गया कि वैवाहिक कार्यक्रम मे किसी प्रकार का फेलबदल न करते हुए दि.21.05.13 को ही आवेदक की पुत्री का विवाह हुआ था इस तर्क की पुष्टि आवेदक के द्वारा प्रस्तुत गायत्री शक्ति पीठ चेरेटेबल ट्रस्ट की रसीद अनुक्रमांक 728 के द्वारा होती है। आवेदक के द्वारा 4,000रू. का वैवाहिक कार्यक्रम हेतु भुगतान किया गया था। अनावेदक के द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज प्रदर्श डी.1 के अनुसार यदि कोई भी शर्त हेा तो उसमे दोनों पक्षो की सहमति आवश्यक है किंतु अनावेदक के द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज में आवेदक के हस्ताक्षर नहंी है उपरोक्त विवेचन से स्पष्ट होता है कि आवेदक के द्वारा वैवाहिक कार्यक्रम में फेरबदल नहीं किया गया तथा दि.21.05.13 को निर्धारित तिथि पर ही विवाह अन्य स्थल से किया गया। प्रकरण में अनावेदक के द्वारा ऐसा कोई दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किया गया जिससे यह प्रकट हो कि दि.19.05.13 एवं दि.20.05.13 को मेरिज हाॅल में किसी प्रकार का कार्यक्रम नहीं था, अनावेदक के द्वारा उक्त तिथि को कार्यक्रम संपन्न नहीं होनें के संबंध में कोई दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किया गया तथा इसके अतिरिक्त अनावेदक द्वारा पंजीकृत नोटिस का जवाब भी आवेदक को प्रदान नहंी किया गया। आवेदक द्वारा मा.राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग, नई दिल्ली द्वारा प्रतिपादित न्याय दृष्टांत जे.आर मिढ़ा विरूद्ध प्रीमियर आॅटोमोबाईल्स लि.मि. सी.पी.जे. 2000-1-36, सुभाष खुराना विरूद्ध सत्यप्रकाश सेठी, सी.पी.जे. 2008-4-43 एवं सुरिंदर कुमार विरूद्ध बाबा माखन शाह लोबाना फाऊंडेशन, सी.पी.जे.2005-4-36 प्रस्तुत किया गया।
8/ संपूर्ण विवेचन के उपरांत हम इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि अनावेदक के द्वारा आवेदक को मैरिज पैलिस बुकिंग राशि प्रदान न कर सेवा मे कमी एवं व्यावसायिक कदाचरण किया गया।
विचारणीय प्रश्न क्रमांक - 3
सहायता एवं वाद व्यय
9/ उपरोक्त संपूर्ण विवेचना के परिपेक्ष्य में आवेदक की ओर से प्रस्तुत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 का आवेदन, अनावेदक के विरूद्ध परिवाद प्रमाणित पाया जाता है। आवेदक के पक्ष में तथा अनावेदक के विरूद्ध निम्नानुसार आदेश पारित किया जाता है -
1. आदेश दिनांक से एक माह के भीतर अनावेदक द्वारा आवेदक को
75,000रू. (पचहत्तर हजार रूपये) अदा करे।
2. उक्त राशि पर परिवाद प्रस्तुती दिनांक27.09.14 से पूर्ण भुगतान तक अनावेदक द्वारा आवेदक को 7 प्रतिशत वार्षिक दर से ब्याज अदा किया जावे।
3. अनावेदक, आवेदक को मानसिक कष्ट 5,000रू. (पांच हजार रूपये) भी अदा किया जायेगा।
4. आवेदक का वाद व्यय 1,000रू.(एक हजार रूपये) स्वीकार किया जाता
है, जिसे अनावेदक द्वारा अदा किया जावेगा।
आदेश पारित।