जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, नागौर
परिवाद सं. 269/2015
भागीरथ पुत्र श्री सांवताराम, जाति-माली, निवासी- मालियों का बास, जायल, तहसील- जायल व जिला-नागौर (राज.)। -परिवादी
बनाम
1. महिन्द्रा मोबाईल बल्ड सदर बाजार जायल जरिये मालिक।
2. इन्टेक्स टेक्नोलोजी (इण्डिया) लि., सत्य विहार काॅलोनी, लाल कोठी, नई विधानसभा के पास जयपुर, 302015 जरिये प्रबन्धक।
3. मैसर्स हेल्पिंग हैण्ड सर्विस, पंवार एजेन्सी के सामने, पुराना बस स्टेण्ड, दिल्ली दरवाजा, नागौर, जरिये प्रभारी।
-अप्रार्थीगण
समक्षः
1. श्री ईष्वर जयपाल, अध्यक्ष।
2. श्रीमती राजलक्ष्मी आचार्य, सदस्या।
3. श्री बलवीर खुडखुडिया, सदस्य।
उपस्थितः
1. श्री हनुमानराम, अधिवक्ता, वास्ते प्रार्थी।
2. अप्रार्थीगण की ओर से कोई नहीं।
अंतर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम ,1986
आ दे ष दिनांक 09.03.2016
1. यह परिवाद अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 संक्षिप्ततः इन सुसंगत तथ्यों के साथ प्रस्तुत किया गया कि परिवादी ने अप्रार्थी संख्या 1 से, अप्रार्थी संख्या 2 द्वारा निर्मित एक मोबाइल एम.आई.एम.ई.आई. नम्बर 911439700117011, एस.आई.एम.ई.आई. नम्बर 911439700267014 दिनांक 01.05.2015 को जरिये बिल संख्या 1547, दिनांक 01.05.2015 को 9,200/- रूपये देकर खरीद किया। जिसकी वारंटी अवधि एक वर्श थी। किन्तु कुछ दिन पष्चात् ही मोबाइल ने बराबर काम करना बंद कर दिया। इस पर अप्रार्थी संख्या 1 को षिकायत करते हुए मोबाइल दिखाया तो कहा कि बैटरी खराब है, हैण्डसेट जमा करवा दो, एक-दो दिन में सही होने पर ले जाना। दो दिन बाद परिवादी को हैण्डसेट वापस देते हुए कहा कि अब सही है। लेकिन मोबाइल में वापस समस्या षुरू हो गई। तब परिवादी दिनांक 10.09.2015 को अप्रार्थी संख्या 1 के यहां पुनः मोबाइल सहित षिकायत करने पहुंचा तो उसने अप्रार्थी ने मोबाइल को जयपुर से ठीक कराने का कहकर ले लिया तथा कहा कि दस दिन बाद मोबाइल ले जाना। दस दिन पष्चात् वे मोबाइल लेने गया तो पन्द्रह दिन का कह दिया। पन्द्रह दिन पष्चात् उसे बताया गया कि मोबाइल जयपुर से आ गया है तथा अब इसे अप्रार्थी संख्या 3 सर्विस सेंटर पर जमा करवा दो। इस पर परिवादी ने दिनांक 01.10.2015 को उक्त मोबाइल ठीक कराने के लिए अप्रार्थी संख्या 3 के यहां जमा करवा दिया। दिनांक 26.10.2015 को परिवादी अप्रार्थी संख्या 3 के पास मोबाइल लेने गया तो उसने हार्डवेयर लगाने का कहकर दो दिन बाद का कहा। दो दिन बाद परिवादी अप्रार्थी संख्या 3 के यहां गया तो उसने मोबाइल में तकनीकी खराबी होना बताते हुए कहा कि यह मोबाइल ठीक नहीं होगा। परिवादी द्वारा षिकायत करने के बावजूद अप्रार्थीगण ने वारंटी अवधि में भी मोबाइल ठीक करके नहीं दिया। अतः परिवादी को उक्त हैण्डसेट पूर्णतया दुरूस्त कर बाद संतुश्टि दिया जाये अन्यथा उसकी बिल राषि मय वाद पत्र में अंकित अनुतोश के साथ दिलायी जावे।
2. अप्रार्थीगण की ओर से कोई परिवादोतर प्रस्तुत नहीं किया गया।
3. परिवादी की ओर से अपना षपथ-पत्र एवं दस्तावेजात प्रस्तुत किये गये। अप्रार्थीगण की ओर से कोई साक्ष्य मौखिक या दस्तावेज प्रस्तुत नहीं की गई।
4. बहस अंतिम योग्य अधिवक्ता पक्षकारान सुनी गई। अभिलेख का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया।
5. परिवादी द्वारा प्रस्तुत षपथ-पत्र एव ंक्रय बिल की प्रति से यह स्पश्ट है कि परिवादी ने अप्रार्थी संख्या 1 से दिनांक 01.05.2015 को इन्टेक्स कम्पनी का मोबाइल राषि 9,200/- रूपये में खरीद किया। अप्रार्थी संख्या 2 इस मोबाइल के निर्माता है एवं अप्रार्थी संख्या 3, अप्रार्थी संख्या 2 का सेवा केन्द्र है। इस प्रकार परिवादी, तीनों अप्रार्थीगण का उपभोक्ता होना पाया जाता है।
6. ऐसा कोई अभिकथन या साक्ष्य अप्रार्थीगण की ओर से नहीं है कि मोबाइल की वारंटी अवधि एक वर्श नहीं हो। अतः परिवादी के अभिकथन एवं साक्ष्य, जिसका लेषमात्र भी खण्डन अप्रार्थीगण की ओर से नहीं है, से प्रमाणित है कि परिवादी द्वारा क्रय किये गये मोबाइल में परिवाद में अंकितानुसार त्रुटियां मोबाइल खरीदने के कुछ दिन पष्चात् ही चालू हो गई। अभिलेख पर अप्रार्थी संख्या 3 हेल्पिंग एण्ड सर्विस द्वारा जारी रसीद दिनांक 21.07.2015 अभिलेख पर है जिसके अनुसार मोबाइल में बैटरी की समस्या है। जिससे यह स्पश्ट हो रहा है कि अप्रार्थीगण द्वारा विक्रित मोबाइल दोशयुक्त था। अतः अप्रार्थीगण ने परिवादी को दोशयुक्त मोबाइल विक्रय किया व मोबाइल के दोशयुक्त होने के बावजूद भी मोबाइल को दुरूस्त कर नहीं दिया। जो अप्रार्थीगण का अनुचित सेवा व्यवहार एवं सेवा में कमी है।
7. अतः परिवाद परिवादी विरूद्ध अप्रार्थीगण स्वीकार किये जाने योग्य होना पाया जाता है।
आदेश
8. परिणामतः परिवाद परिवादी विरूद्ध अप्रार्थीगण एकल-एकल एवं संयुक्त तौर पर स्वीकार कर आदेष है किः- अप्रार्थीगण, परिवादी को उसका विवादित मोबाइल हैण्डसेट पूर्णतया दुरूस्त कर बाद संतुश्टि परिवादी को उपलब्ध करायें। दुरूस्त मोबाइल पर एक वर्श की वारंटी परिवादी द्वारा मोबाइल प्राप्त करने की तिथि से प्रारम्भ होगी। मोबाइल ठीक न होने की स्थिति में अप्रार्थीगण परिवादी को उसी माॅडल/कीमत का नया मोबाइल उपलब्ध कराये अन्यथा मोबाइल की बिल राषि 9,200/- रूपये अदा करें। अप्रार्थीगण, परिवादी को मानसिक संताप के 2,500/- रूपये एवं वाद परिव्यय के भी 2,500/- रूपये अदा करें। आदेष की पालना एक माह में की जावे। एक माह में आदेष की पालना न होने की सूरत में सम्पूर्ण राषि पर दिनांक आदेष 09.03.2015 से 9 प्रतिषत वार्शिक साधारण दर से ब्याज देय होगा।
9. निर्णय व आदेष आज दिनांक 09.03.2016 को लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया।
नोटः- आदेष की पालना नहीं किया जाना उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 की धारा 27 के तहत तीन वर्श तक के कारावास या 10,000/- रूपये तक के जुर्माने से दण्डनीय अपराध है।
।बलवीर खुडखुडिया। । ईष्वर जयपाल । ।राजलक्ष्मी आचार्य सदस्या।
सदस्य अध्यक्ष सदस्या