Uttar Pradesh

Chanduali

CC/12/2016

Chauti Prasad - Complainant(s)

Versus

Mahindra Finance - Opp.Party(s)

12 Jul 2016

ORDER

District Consumer Disputes Redressal Forum, Chanduali
Final Order
 
Complaint Case No. CC/12/2016
 
1. Chauti Prasad
Vill- Indrapura Post- Baburi Th- Baburi Dist- Chandauli
Chandauli
UP
...........Complainant(s)
Versus
1. Mahindra Finance
Plot No 952 Subhash Park chowk GT Road Mughlshari Chandauli
Chandauli
UP
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE Ramjeet Singh Yadav PRESIDENT
 HON'BLE MRS. Shashi Yadav MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, चन्दौली।
परिवाद संख्या 12                               सन् 2016ई0
चैथी प्रसाद पुत्र रामसुमेर शर्मा निवासी इन्द्रपुरा पो0 बबुरी तहसील व जिला चन्दौली।
                                      ...........परिवादी                                                                                                                                    बनाम
महेन्द्रा फाइनेन्स बजरिये मैनेजर आफिस प्लाट नं0 च 52 सुभाष पार्क चैक जी0टी0रोड मुगलसराय चन्दौली।
                                            .............................विपक्षी
उपस्थितिः-
 रामजीत सिंह यादव, अध्यक्ष
 शशी यादव, सदस्या
                               निर्णय
द्वारा श्री रामजीत सिंह यादव,अध्यक्ष
1-    परिवादी ने यह परिवाद विपक्षी से परिवहन विभाग का देय रू0 91000/-दिलाये जाने एवं आवश्यक खर्च तथा क्षतिपूर्ति मय व्याज दिलाये जाने हेतु प्रस्तुत किया है।
2-    परिवादी की ओर से परिवाद प्रस्तुत करके संक्षेप में कथन किया गया है कि परिवादी ने  विपक्षी के यहाॅं से माह जुलाई सन् 2012 में रू0 310000/- फाइनेन्स कराकर महेन्द्रा मैक्सिको पैजेन्जर वैन राज इण्डिया आटो प्रा0लि0 कोइराजपुर वाराणसी के यहाॅं से माह जून में क्रय किया। जिसका इंजन नं. एम.सी.सी.6वी 15559 तथा चेचिस नं. सी.6सी.41014 है जिसका रजिस्ट्रेशन संख्या यू0पी0 67टी-3860 है। समस्त फाइनेन्स की धनराशि परिवादी को दिनांक 27-6-2015 तक रू0 11835/-प्रतिमाह की दर से कुल 36 किश्तों में अदा करना था। परिवादी ने प्रथम किश्त रू0 11835/- दिनांक 29-8-2012 को अदा किया जिसका रसीद संख्या 16737072 है। परिवादी माह सितम्बर,एवं अक्टूबर में बीमार हो गया जिसकी वजह से माहवार किश्त अदा नहीं कर पाया। तत्पश्चात  विपक्षी ने परिवादी को बिना सूचना दिये दिनांक 31-10-2012 को परिवादी का उपरोक्त वाहन खीच ले गये और वाहन खीचने की लिखित सूचना दिनांक 31-10-2012 को परिवादी के ड्राइवर को दिया। परिवादी ने उक्त वाहन के 3 माह का समस्त टैक्स अदा करके रजिस्ट्रेशन कराया था। परिवादी का उपरोक्त वाहन विपक्षी ने दिनांक 31-10-2012 को किसी दीगर व्यक्ति को बेच दिया, जिसका थाना कपसेठी द्वारा चालान किये जाने पर परिवादी ने भुगतान किया। परिवादी के विरूद्ध परिवहन विभाग द्वारा रू0 91000/-का रिकवरी जारी किया गया जिसके सम्बन्ध में तहसील चकिया द्वारा दिनांक 17-2-2016 को नोटिस जारी किया गया। परिवादी का उक्त वाहन अक्टूबर सन् 2012 से आजतक परिवादी के कब्जे में नहीं है। जिसके परिवहन टैक्स के अदायगी की जिम्मेदारी विपक्षी की है। इस आधार पर परिवादी द्वारा यह परिवाद दाखिल किया गया है।
3-    विपक्षी को इस फोरम द्वारा रजिस्टर्ड डाक से नोटिस भेजी गयी जो विपक्षी पर तामिल हुई किन्तु विपक्षी की ओर से न तो कोई हाजिर आया। न ही 
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जबाबदावा दाखिल किये। अतः यह परिवाद विपक्षी के विरूद्ध एक पक्षीय रूप से सुना गया।
4-    परिवादी की ओर से अपने अभिकथनों के समर्थन में परिवादी चैथी प्रसाद का शपथ पत्र दाखिल किया गया है। इसके अतिरिक्त विपक्षी द्वारा दिनांक 31-10-2012 को परिवादी का वाहन खीचकर ले जाने के सम्बन्ध में दी गयी रसीद,परिवादी द्वारा विपक्षी को लोन के प्रथम किश्त के रूप में दिनांक 29-8-2012 को अदा किये गये रू0 11835/- की रसीद, राज इण्डिया आटो प्राइवेट लि0 को परिवादी द्वारा दिनांक 10-7-2012 को अदा किये गये रू0 30000/-की रसीद,राज इण्डिया आटो प्राइवेट लि0 को दिनांक 21-5-2012 को परिवादी द्वारा अदा किये गये रू0 42000/- की मूल रसीदें दाखिल की गयी है।
5-     परिवादी के विद्वान अधिवक्ता की एक पक्षीय बहस सुनी गयी है। पत्रावली का सम्यक रूपेण परिशीलन किया गया।
6-    परिवादी ने अपने परिवाद में तथा अपने शपथ पत्र में यह कहा है कि उसने विपक्षी महिन्द्रा फाइनेंस से रू0 3,10000/- लोन लेकर वाहन क्रय किया था और लोन की अदायगी रू0 11835/- की मासिक किश्तों में 36 माह में की जानी थी। परिवादी ने दिनांक 29-8-2012 को लोन की प्रथम किश्त के रूप में रू0 11835/- विपक्षी को अदा किया, इसके बाद अस्वस्थ हो जाने के कारण माह सितम्बर व अक्टूबर की किश्तें अदा नहीं कर सका और अन्ततः दिनांक 31-10-2012 को विपक्षी परिवादी का वाहन बिना सूचना दिये खीच ले गये तथा किसी अन्य व्यक्ति को बेच दिये। इस प्रकार दिनांक 31-10-2012 से वाहन परिवादी के कब्जे में नहीं है इसके बावजूद परिवहन विभाग द्वारा प्रश्नगत वाहन के टैक्स की रिकवरी के लिए तहसील के माध्यम से रू0 91000/- अदा करने हेतु परिवादी को नोटिस जारी की गयी है जबकि दिनांक 31-10-2012 के बाद से ही उक्त वाहन परिवादी के कब्जे में न होकर विपक्षी के कब्जे में रहा है। अतः दिनांक 31-10-2012 के बाद की अवधि का देय समस्त टैक्स अदा करने की जिम्मेदारी विपक्षी की है।
7-    परिवादी द्वारा दाखिल शपथ पत्र से उसके द्वारा परिवाद में किये गये अभिकथनों की पुष्टि होती है। परिवादी की ओर से दिनांक 31-10-2012 को विपक्षी द्वारा प्रश्नगत वाहन को खीचकर ले जाने सम्बन्धी रसीद भी दाखिल की गयी है। अतः पत्रावली पर उपलब्ध समस्त साक्ष्यों से यह सिद्ध होता है कि दिनांक 31-10-2012 के बाद से प्रश्नगत वाहन परिवादी के कब्जे में नहीं है ऐसी स्थिति में उक्त अवधि के बाद वाहन से सम्बन्धित परिवहन विभाग के टैक्सों की अदायगी का दायित्व विधिक रूप से विपक्षी पर ही होगा।
8-    परिवादी द्वारा दाखिल शपथ पत्र एवं दस्तावेजी साक्ष्य अखण्डित है क्योंकि इसके विरूद्ध पत्रावली पर अन्य कोई साक्ष्य उपलब्ध नहीं है और इन साक्ष्यों से परिवादी के अभिकथनों की पुष्टि होती है ऐसी स्थिति में फोरम की राय में प्रश्नगत
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वाहन से सम्बन्धित परिवहन विभाग को दिनांक 31-10-2012 से अबतक देय समस्त टैक्सों को अदा करने का दायित्व विपक्षी का पाया जाता है और फोरम की राय में परिवादी को शारीरिक व मानसिक क्षति के एवज में रू0 2,000/- तथा वाद व्यय के रूप में रू0 1,000/- बतौर क्षतिपूर्ति दिलाया जाना भी उचित प्रतीत होता है और इस प्रकार परिवादी का परिवाद एक पक्षीय रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है।
                               आदेश
    परिवादी का परिवाद एक पक्षीय रूप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह दिनांक 31-10-2012 के बाद से अबतक प्रश्नगत वाहन रजिस्ट्रेशन संख्या यू0पी0 67 टी 3860 से सम्बन्धित परिवहन विभाग के समस्त देयों का भुगतान आज से 2 माह के अन्दर कर दें। विपक्षी को यह भी आदेशित किया जाता है कि वह इसी अवधि में परिवादी को शारीरिक मानसिक क्षति के एवज में रू0 2000/-(दो हजार) तथा वाद व्यय के रूप में रू0 1000/-(एक हजार) बतौर क्षतिपूर्ति भी अदा करे। यदि विपक्षी इस अवधि में उपरोक्त भुगतान नहीं करता है तो परिवादी विपक्षी से क्षतिपूर्ति की धनराशि पर 8 प्रतिशत साधारण वार्षिक की दर से व्याज भी प्राप्त करने का अधिकारी होगा।

(शशी यादव)                                       (रामजीत सिंह यादव)
 सदस्या                                                अध्यक्ष
                                                 दिनांक-12-7-2016

 

 

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE Ramjeet Singh Yadav]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MRS. Shashi Yadav]
MEMBER

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