Chhattisgarh

Jashpur

CC/15/18

Smt. Manorma Devi - Complainant(s)

Versus

Mahindra and Mahindra - Opp.Party(s)

M.K. Shriwash

26 Aug 2016

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/15/18
( Date of Filing : 16 Nov 2015 )
 
1. Smt. Manorma Devi
Village Banderchuna teh. Kunkuri dsit. jashpur
Jashpur
Chhattisgarh
...........Complainant(s)
Versus
1. Mahindra and Mahindra
Mahindra and Mahindra Finance Company Ltd. Mukhaya shakha
Jashpur
Chhattisgarh
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE B.P.Pandey PRESIDENT
 HON'BLE MR. Sanjay Soni MEMBER
 HON'BLE MRS. Anamika Nande MEMBER
 
For the Complainant:M.K. Shriwash, Advocate
For the Opp. Party: M.P.Tiwari, Advocate
Dated : 26 Aug 2016
Final Order / Judgement

 

 जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम, जशपुर (छ0ग0)
                                         प्रकरण क्रमांक :-CC/18/2015
                                          प्रस्तुति दिनांक :- 16/11/2015


श्रीमती मनोरमा देवी बेवा स्व. चक्रधर साय
उम्र-45 वर्ष, पेशा-गृहणी, 
निवासी ग्राम-बन्दरचुआं,
तहसील-कुनकुरी,
जिला-जशपुर (छ.ग.)                      .................परिवादी /आवेदिका
    
( विरूद्ध )

महिन्द्रा एण्ड महिन्द्रा फाईनेंस कंपनी लिमिटेड
मुख्य शाखा साधना हाउस एण्ड फकोर 
570 पी.सी.मार्ग बरली मुम्बई 400018 इंडिया
द्वारा-शाखा प्रबंधक/वैध प्रतिनिधि शाखा कार्यालय, 
पत्थलगांव, जिला जशपुर छ.ग.              .........विरोधी पक्षकार/अनावेदक

    ///आदेश///
( आज दिनांक  26/08/2016 को पारित)
    

1. परिवादी/आवेदिका ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 12 के अंतर्गत यह परिवाद विरूद्ध पक्षकार/अनावेदक के विरूद्ध सेवा में कमी करने के आधार पर आवेदिका द्वारा अदा की गई किश्त की राशि कुल 2,61,800/-रू. मय विभिन्न मदो में हुई क्षति कुल 3,24,800/-रू.  एवं माह नवम्बर से माह जुलाई 2016 तक के भविष्य में अदा की जाने वाली  किश्तों में माफ करने का आदेश दिया जाकर अदा की जाने वाली राशि को वापस दिलाए  हेतु दिनांक 16.11.2015 को प्रस्तुत किया है।


2.    अविवादित तथ्य है कि :-
1.    परिवादी के पति श्री चक्रधर साय ने मारूति स्वीप्ट वाहन क्रय किया था, जिसके लिए अनावेदक महिन्द्रा एण्ड महिन्द्रा फायनेंस कंपनी की शाखा कार्यालय पत्थलगांव से कुल 4,28,000/-रू. का वित्तीय सुविधा प्राप्त किया था। 
2.    चक्रधर साय पैकरा की दिनांक 21.06.2014 को ग्राम बन्दरचुंआ में आकस्मिक निधन हो गया।  
3. अ. परिवाद के निराकरण के लिए आवश्यक तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी/आवेदिका वाहन स्वामी/बीमित स्व. चक्रधर साय पैकरा की पत्नी है। आवेदिका के पति ने मारूति सुजूकी कंपनी का स्वप्ट डिजायर का कार क्रय किया। जिसका अनावेदक महिन्द्रा फाईनेंस कंपनी के वैध प्रतिनिधि शाखा प्रबंधक, शाखा कार्यालय पत्थलगांव जिला-जशपुर छ.ग. में विहाफ आफ द कंपनी की ओर से कार्य करते हुए कुल 4,28,000/-रू. का फाईनेंस दिनांक 04.06.2014 को चक्रधर साय पैंकरा के पक्ष में करते हुए विभिन्न मदों में तथा एक माह का एडवांस किश्त के साथ दस्तावेज चार्ज, सर्विस चार्ज एवं एम.एल.एस. की राशि चक्रधर साय पैकरा से भुगतान करवाकर पावती रसीद दे दिया। जिससे वाहन स्वामी/वाहन क्रेता का 1 वर्ष का बीमा किया गया तथा उक्त संबंध में कथन किया था कि यदि वाहन स्वामी/वाहन क्रेता की मृत्यु 1 वर्ष के अंदर हो जाती है तो शेष किश्तों को पटाना नहीं पड़ेगा, किश्त स्वतः माफ हो जाएगा। वाहन स्वामी/बीमित वाहन स्वामी चक्रधर साय पैकरा का दिनांक 21.06.2014 को अपने कर्तव्य स्थल ग्राम बन्दरचुवां में आकस्मिक निधन हो गया । जिसकी सूचना अनावेदक को दिए जाने से आवेदिका को एम.एल.एस. के तहत लाभ दिए जाने का आश्वासन देते हुए आवश्यक दस्तावेजों की मांग की गई तथा फाईनेंस कंपनी द्वारा छूट प्रदान आवेदन पत्र की प्रोफार्मा फार्म को देकर उपरोक्त दस्तावेजों को संलग्न कर प्रस्तुत करने से मृत्यु दिनांक से शेष किस्तों में छूट प्रदान किया जाएगा का वचन दिया गया। 
ब. उक्त निर्देश का पालन करते हुए निर्धारित तिथि के अंदर शाखा प्रबंधक के समक्ष प्रस्तुत करने पर आप के पति की मृत्यु बीमा के 30 दिवस के अंदर हुई है, इसलिए इसका लाभ/सुविधा आपको नहीं मिलेगा का झूठा एवं इकरार के विपरीत कथन किया जाकर उक्त वांछित दस्तावेजां को लेने से साफ इन्कार कर अंतिम मौखिक फैसला कर दिया।  जिस पर परिवादी ने अधिवक्ता नोटिस दिनांक 16.09.2015 को प्रेषित किया, किंतु आज दिनांक तक जवाब नहीं दिया गया। अनावेदक द्वारा आवेदिका के पति से एम.एल.एस. के मद में 3,523/-रू. अदा कराया गया है तथा आवेदिका के पति की मृत्यु बीमा के प्रभावशील अवधि के अंदर हो गई अतः मृत्यु दिनांक के बाद के समस्त किश्तों की राशि 4,28,000/-रू. में छूट किया जाना है जो अनावेदक द्वारा परिवादी को भय दिखाकर कि किस्तों को अदा नहीं करने पर वाहन अधिग्रहण कर लिया जाएगा तथा जमानतदार के विरूद्ध कानूनी कार्यवाही किया जाएगा से भयभीत होकर  किश्तों की राशि परिवादी अदा कर रही है। इस प्रकार अनावेदकगण द्वारा सेवा में कमी किए जाने से परिवादी को मानसिक, आर्थिक एवं शारीरिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।  अतः परिवादी/आविदका ने यह परिवाद प्रस्तुत कर अनावेदकगण से आवेदिका द्वारा अदा की गई किश्त की राशि कुल 2,61,800/-रू. मय विभिन्न मदो में हुई क्षति कुल 3,24,800/-रू.  एवं माह नवम्बर से माह जुलाई 2016 तक के भविष्य में अदा की जाने वाली  किश्तों में माफ करने का आदेश दिया जाकर अदा की जाने वाली राशि को वापस दिलाए जाने की प्रार्थना किया है। 
4. अ. अनावेदक/विरूद्ध पक्षकार ने जवाब दावा प्रस्तुत कर प्रारंभिक आपत्ति करते हुए स्वीकृत तथ्य को छोड़ कर शेष तथ्यों से इंकार करते हुए यह अभिकथन किया है कि आवेदक के आग्रह पर वित्तीय सुविधा प्राप्त करने हेतु दिनांक 04.06.2014 को एक प्रस्ताव पत्र दिया गया था ना कि वित्तीय सुविधा प्रदान की गई थी, जबकि दिनांक 24.06.2014 को दस्तावेज शुल्क सर्विस चार्ज एवं एक अग्रिम किश्त व एमएलएस कुल राशि 26,323/-रू. का भुगतान अनावेदक कंपनी को किया गया था, जिसकी रसीद क्रमांक 927505706 अनावेदक कंपनी द्वारा जारी की गई थी उसके उपरांत वित्तीय सुविधा स्वीकृत कर प्रदान की गई थी एवं वित्तीय सुविधा की राशि वाहन विक्रेता को प्रदान की गई थी। बीमा कोटक महिन्द्रा कंपनी से कराया गया था। अर्थात बीमा राशि के भुगतान किये जाने का दायित्व बीमाकर्ता कंपनी का है न कि वित्तीय सुविधा प्रदाता कंपनी की  अतः आश्वासन दिए जाने का कोई प्रश्न ही नहीं उठता है। बीमा कंपनी द्वारा अपने मानकों एवं नियमों के आधार पर बीमा राशि का भुगतान किया जाता है, इससे अनावेदक कंपनी का कोई संबंध नहीं है। 
ब. आवेदिका द्वारा अनावेदक कंपनी के साथ छल करते हुए उक्त ऋण राशि को प्राप्त किया गया है, समस्त जानकारी होने के उपरांत भी आवेदिका द्वारा अनावेदक को सही तथ्यों की जानकारी समय पर प्रदान नहीं की गई। आवेदिका को जानकारी थी कि बीमा कंपनी द्वारा बीमा प्रदान नहीं किया जावेगा एवं ऋण के भुगतान का दायित्व आवेदिका पर था इसलिए आवेदिका से किश्तों की मांग की गई जिसका भुगतान आवेदिका द्वारा किया गया। कोई भी अवैध वसूली आवेदिका से नहीं की गई है। उक्त प्रकरण आपरधिक प्रकृति का होने से माननीय न्यायालय के समक्ष प्रचलन योग्य नहीं है एवं ना ही माननीय फोरम को स्थगन आदेश देने का अधिकार प्राप्त है। आवेदिका द्वारा मात्र प्रस्ताव पत्र संलग्न किया गया है न की पावती। आवेदिका द्वारा अनावेदक कंपनी के साथ छल करते हुए एक मृत व्यक्ति के नाम पर वित्तीय सुविधा की गई एवं अब न्यायालीन प्रक्रिया का दुरूपयोग करने की मंशा से माननीय न्यायालय के समक्ष शिकायत प्रस्तुत की गई है। इस प्रकार अनावेदक ने किसी प्रकार की कोई सेवा में कमी नहीं किया है। अतः परिवादी का परिवाद सव्यय निरस्त किये जाने का निवेदन किया है। 
5. परिवाद पर उभय पक्ष के अधिवक्ता को विस्तार से सुना गया। अभिलेखगत सामग्री का परिशीलन किया गया है ।
6. विचारणीय प्रश्न यह है कि :-
क्या अनावेदक/विरूद्ध पक्षकार ने परिवादी/आवेदक के विरूद्ध सेवा में कमी किया है ? 
निष्कर्ष के आधार
विचारणीय प्रश्न का सकारण निष्कर्ष :-
7. परिवादी ने परिवाद के समर्थन में अपना शपथ पत्र एवं सूची अनुसार दस्तावेज  महामाया आटोकेयर अम्बिकापुर द्वारा जारी डिलीव्हरी रसीद की फोटो प्रति प्रदर्श च्.1, महिन्द्रा फाईनेंस शाखा कार्यलय पत्थलगांव द्वारा जारी फाईनेंस प्रपत्र दिनांक 04.06.2014 प्रदर्श च्.2, मृत्यु प्रमाण पत्र प्रदर्श च्.3, मृतक चक्रधर का वोटर आई.डी.कार्ड प्रदर्श च्.4, रमा देवी का वोटर आई.डी.कार्ड प्रदर्श च्.5एवाहन का आर सी बुक प्रदर्श च्.6,वाहन का बीमा पत्रक प्रदर्श च्.7, अधिवक्ता नोटिस प्रदर्श च्.8, कंपनी द्वारा दी गई प्रोफार्मा ग्राहक सेवा आफिस क्लेम विभाग का पत्र प्रदर्श च्.9,प्रस्तुत किया है। 
8. अनावेदक ने जवाब दावा के समर्थन में कृष्णा पाण्डेय अधिकृत प्रतिनिधि का शपथ पत्र तथा सूची अनुसार दस्तावेज लोन एग्रीमेंट दस्तावेज क्रमांक 1, सेड्यूल 1 दस्तावेज क्रमांक 2, सेड्यूल 2 दस्तावेज क्रमांक 3 प्रस्तुत किया है। 
9. परिवादी ने उसके पति चक्रधर साय पैकरा द्वारा मारूति स्वीप्ट डिजायर कार खरीदा था, जिसके लिए अनावेदक महिन्द्रा एण्ड महिन्द्रा फायनेंस कंपनी से दिनांक 04.06.2014 को 3,70,000/-रू. का फायनेंस कराया था, बताया है, जिसके समर्थन में अपना शपथ पत्र एवं महामाया आटो केयर प्राईवेट लिमिटेड का डिलीवरी रिसिप्ट/चालान दिनांक 04.06.2014 प्रदर्श च्.1, महिन्द्रा फायनेंस शाखा कार्यालय पत्थलगांव  द्वारा जारी फायनेंस प्रपत्र दिनांक 04.06.2014 प्रदर्श च्.2 की फोटोप्रति प्रस्तुत की है। दस्तावेजी प्रमाण से परिवादी के पति चक्रधर साय पैकरा ने महामाया आटो केयर प्राईवेट लिमिटेड अम्बिकापुर से मारूति कंपनी की स्वीप्ट डिजायर कार क्रय करने के लिए महिन्द्रा फायनेंस से 3,70,000/-रू. का फाईनेंस कराया जिसकी कुल राशि 4,28,500/-रू. 23 किश्तों में तय हुई थी स्पष्ट हुआ है। 
10. परिवादी ने शपथ पत्र से समर्थित परिवाद में बताया है कि उसके पति चक्रधर साय पैकरा की दिनांक 21.06.2014 को ग्राम बंदरचुआ में आकस्मिक निधन हो गया। परिवादी ने ग्राम पंचायत  बंदरचुआ का मृत्यु प्रमाण पत्र पंजीयन क्रमांक 7 दिनांक 09.07.2014 की फोटोप्रति प्रस्तुत की है। जिसमें दिनांक 21.06.2014 को चक्रधर साय की मृत्यु होना उल्लेखित है। अनावेदक ने परिवादी के उक्त तथ्य को जवाब दावा में इंकार नहीं किया है। दस्तावेजी साक्ष्य के आधार पर स्वीकार किया गया होना जवाब की कण्डिका 5 में बताया है। इस प्रकार प्रमाणित की गई है कि परिवादी के पति चक्रधर साय पैकरा की दिनांक 21.06.2014 को मृत्यु हो गई । 
11. शपथ पत्र से समर्थित परिवाद की कण्डिका 4 में वचन किया गया है कि दिनांक 04.06.2014 को अनावेदक की शाखा पत्थलगांव से वाहन क्रय करने के लिए फायनेंस कराया गया । एल.एल.एस. (महिन्द्रा सुरक्षा योजना) मद में 3,523/-रू. प्राप्त कर वाहन स्वामी/क्रेता का 1 वर्ष का बीमा किया था परिवादी ने उक्त संदर्भ में प्रदर्श च्.2के दस्तावेज में एम.एल.एस. 1 वर्ष का 3,523/-रू. लिए जाने का उल्लेख होना बताया है। इस प्रकार परिवादी ने 3,523/-रू. दिनांक 04.06.2014 को अदा किया जाना बताया है, जिसकी पावती प्रदर्श च्.2का दस्तावेज होना बताया है। 
12. अनावेदक की ओर से प्रदर्श च्.2के दस्तावेज को स्वीकार करते हुए जवाब के आधारों पर तर्क किया है कि प्रदर्श च्.2के दस्तावेज परिवादी के पति को दिया गया प्रस्ताव पत्र है न कि परिवादी द्वारा जमा की गई राशि का रसीद। अनावेदक की ओर से यह तर्क भी किया गया है कि अनावेदक ने डिलवरी आर्डर दिनांक 24.06.2014 को जारी किया था । अनावेदक की ओर से दस्तावेज लोन एग्रीमेंट तथा साथ में सेड्यूल 1 एवं सेड्यूल 2 अनावेदक द्वारा सत्यापित प्रति प्रस्तुत की गई है, जिसके द्वारा बताया गया है कि लोन एग्रीमेंट दिनांक 24.06.2014 को किया गया तथा लोन एग्रीमेंट क्रमांक 3212249 दिनांक 24.06.2014 से प्रभावशील होता। 
13. अनावेदक ने उक्त दस्तावेजों के आधार पर तर्क किया है कि अनावेदक से लिए गए लोन के संबंध में डिलवरी आर्डर जारी करने की तिथि 24.06.2014 के पूर्व ही दिनांक 21.06.2014 को वाहन स्वामी/क्रेता चक्रधर साय पैकरा की मृत्यु हो गई, फलस्वरूप बीमा प्रभावशील होने के पूर्व ही बीमा धारक की मृत्यु हो गई, से बीमा का कोई लाभ बीमा धारक चक्रधर साय तथा उसकी मृत्यु के बाद उसकी पत्नी परिवादी को प्राप्त नहीं होगी। 
14. अनावेदक की ओर से तर्क किया है कि दिनांक 04.06.2014 को प्रस्ताव पत्रक दिया गया था, वित्तीय सुविधा प्रदान नहीं की गई थी। दिनांक 24.06.2014 को दस्तावेज शुल्क, सर्विस चार्ज एवं एक अग्रीम किश्त तथा एम.एल.एस. चार्ज की राशि कुल 26,323/-रू. अनावेदक कंपनी को भुगतान किया गया था, जिसका विधिवत रसीद क्रमांक 927505706 अनावेदक बीमा कंपनी द्वारा जारी की गई थी। अनावेदक फायनेंस कंपनी द्वारा बताए गए उक्त रसीद की मूल प्रति प्रकरण में प्रस्तुत नहीं की गई है। 
15. अनावेदक की ओर से तर्क किया है कि वह एक फायनेंसियल सेवा लिमिटेड कंपनी अधिनियम 1956 अंतर्गत पंजीकृत कंपनी है, वह न तो वाहन विक्रय का काम करता है न ही बीमा करने का कार्य करती है। चक्रधर साय पैकरा का बीमा कोटक महिन्द्रा कंपनी से कराई गई थी। बीमा राशि के भुगतान किए जाने का दायित्व बीमा कर्ता कंपनी का हैं । 
16. अनावेदक द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजी प्रमाण में चक्रधर साय की एम.एल.एस. हेतु राशि प्राप्त कर बीमा कोटक महिन्द्रा कंपनी से कराई गई थी दर्शाने वाला कोई प्रमाण प्रस्तुत नहीं किया है। अनावेदक द्वारा चक्रधर साय पैकरा को दिया गया दस्तावेज प्रदर्श च्.2 में कोटक महिन्द्रा कंपनी से एम.एल.एस. कराए जाने का कोई उल्लेख नहीं है, बल्कि प्रदर्श च्.2 के पत्र से महिन्द्रा फायनेंस द्वारा एम.एल.एस. 1 वर्श का 3,523/-रू. लेने के संबंध में उल्लेख है।
17. परिवादी ने सूची अनुसार दस्तावेज में उसके पति श्री चक्रधर साय पैकरा द्वारा क्रय की गई वाहन का पंजीयन प्रमाण पत्र दस्तावेज प्रदर्श च्-6 प्रस्तुत किया है, जिसके अनुसार उक्त वाहन सी.जी. 14 एम.सी. 2590 के रूप में दिनांक 08.06.2014 को रजिस्ट्रेशन अथार्टी जशपुर द्वारा पंजीबद्ध किया गया है, से स्पष्ट है कि परिवादी के पति द्वारा क्रय की गई वाहन की  दस्तावेज प्रदर्श च्-2 अनुसार महामाया आटो केयर प्राइवेट लिमिटेड में प्राप्त कर दस्तावेज क्रमांक 1 का डिलवरी../चालान दिनांक 04.06.2014 दिया था। 
18. परिवादी ने सूची अनुसार दस्तावेजों से एम.एल.एस. (महिन्द्रा सुरक्षा योजना) की प्रिमियम राशि 3,523/-रू. दिनांक 04.06.2014 को दिया जाना बताया है। मृत्यु प्रमाण पत्र दस्तावेज प्रदर्श च्-3 अनुसार चक्रधर साय की दिनांक 21.06.2014 को मृत्यु हुई है। परिवादी की ओर से एम.एल.एस. की राशि 3,523/-रू. चक्रधर साय की मृत्यु के पश्चात् भुगतान किया गया था, को दर्शाने वाला कोई प्रमाण अभिलेख पर नहीं है। अनावेदक बीमा कंपनी ने बीमा धारक चक्रधर साय पैकरा की मृत्यु के पश्चात महेन्द्रा सुरक्षा योजना अंतर्गत प्रिमियम राशि जमा की गई थी दर्शाने के लिए कोई प्रमाण प्रस्तुत नहीं किया है। फलस्वरूप दस्तावेज प्रदर्श च्-2 अनुसार एम.एल.एस. शीर्ष में 3,523/-रू. का प्रिमियम राशि एक वर्ष के लिए दिनांक 04.06.2014 को प्राप्त कर लिया था तथा दिनांक 04.06.2014 से 1 वर्ष दिनांक 03.06.2015 होता है। उक्त तिथि के पूर्व ही चक्रधर साय पैकरा की दिनांक 21.06.2014 को मृत्यु हो गई है, फलस्वरूप अनावेदक महिन्द्रा एण्ड महिन्द्रा फाईनेंस से चक्रधर साय पैकरा द्वारा वाहन खरीदने के लिए ऋण लिए जाते समय महिन्द्रा फायनेंस द्वारा दी गई एम.एल.एस. ऋण लोन सुरक्षा का लाभ मृतक चक्रधर साय पैकरा के उत्तराधिकारी/परिवादी प्राप्त करने के अधिकारी हैं। 
19. परिवादी ने तर्क किया है कि अनावेदक फाईनेंस कंपनी द्वारा एम.एल.एस. की कोई लाभ परिवादी को प्राप्त नहीं होगा तथा किश्तों का भुगतान नहीं किए जाने पर वाहन खींच कर ले जाएंगे बताया जाने पर परिवादी ने संपूर्ण किश्तों की अदायगी कर दिया है, जिसे नियमानुसार जमा की गई, से राशि पाने के अधिकारी हैं न केवल जमा की गई उक्त राशि पाने के अधिकारी हैं, बल्कि उस पर ब्याज भी पाने का अधिकारी है। 
20. अनावेदक महिन्द्रा एण्ड महिन्द्रा फाईनेंस ने परिवादी के पति को एम.एल.एस. योजना का लाभ दिया है, उसके लिए प्रिमियम 3,523/-रू. प्राप्त किया गया है तथा दिनांक 21.06.2014 को बीमा धारक चक्रधर साय पैकरा की मृत्यु हो गई है, फलस्वरूप उसकी मृत्यु के पश्चात जमा की गई शेष सभी किश्तों की राशि बीमा कंपनी देने के लिए दायित्वाधीन है जैसा कि अनावेदक ने जवाबदावा में कोटक महिन्द्रा कंपनी से बीमित होना बताया है, जिसके संबंध में परिवादी या उसके पति को कोई जानकारी दिया जाना प्रमाणित नहीं किया गया है। 
21. शपथ पत्र से समर्थित परिवाद पत्र एवं सूची अनुसार प्रस्तुत दस्तावेजों से परिवादी के पति चक्रधर साय की मृत्यु दिनांक 21.06.2014 को हो गई है, उसके पूर्व चक्रधर साय ने अनावेदक से लिए ऋण सुविधा में एक किश्त एम.एल.एस. एक वर्ष का 3,523/-रू. को सम्मिलित करते हुए 26,323/-रू. प्राप्त किया तथा चक्रधर साय की मृत्यु के पश्चात परिवादी से अनावेदक फाईनेंस कंपनी में प्रदर्श च्-2 के दस्तावेज में उल्लेखित एक किश्त की राशि 17,100/-रू. तथा 18,700/-रू. की 22 किश्त कुल 4,28,500/-रू. प्राप्त किया है । परिवादी ने समय पर प्रिमियम की राशि जमा की है, फलस्वरूप परिवादी से दिनांक 21.06.2014 के पश्चात प्रिमियम के शेष किश्त लिया जाकर अनावेदक फाईनेंस कंपनी ने परिवादी के विरूद्ध सेवा में कमी किया है हम पाते हैं, तद्नुसार विचारणीय प्रश्न का निष्कर्ष प्रमाणिन होना में हम देते हैं। 
22. अनावेदक फाइनेंस कंपनी ने परिवादी को उसके पति द्वारा ली गई ऋण की किश्त की अदायगी नहीं किया है का कोई अभिकथन नहीं है। परिवादी ने संपूर्ण किश्तों का समय पर अदायगी कर दिया है बताया गया है, से परिवादी दिनांक 21.06.2014 के पश्चात् अनावेदक फाईनेंस कंपनी में जमा की गई शेष सभी किश्तों को अनावेदक से प्राप्त करने के अधिकारी है। 
23. अनावेदक फाईनेंस कंपनी के बताए अनुसार एम.एल.एस. की सुविधा कोटक महिन्द्रा से अनावेदक से कराया था, को अनावेदक कोटक महिन्द्रा से ऋण की शेष किश्त की राशि प्राप्त करने के लिए स्वतंत्र है। 
24. परिवादी ने अनावेदक फाईनेंस कंपनी में जमा की गई किश्त की राशि, आने-जाने में हुई क्षति 6,000/-रू., अधिवक्ता नोटिस का खर्च 2,000/-रू., पोस्टल आर्डर एवं न्यायालयीन शुल्क 5,000/-रू. कुल 4,74,400/-रू. अनावेदक से दिलाए जाने योग्य होना निवेदन किया है। 
25. अनावेदक के विरूद्ध धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 अंतर्गत प्रस्तुत परिवाद में उक्त अधिनियम की धारा 14 के अनुसार निर्देश देने वाला आदेश किए जाने योग्य पाते हुए अनावेदक के विरूद्ध प्रस्तुत परिवाद को हम स्वीकार करते हैं तथा निम्नलिखित निर्देश देते हैं :-
अ. अनावेदक/विरूद्ध पक्षकार, परिवादी द्वारा उसके पति चक्रधर साय पैकरा की मृत्यु के पश्चात् जमा की गई समस्त किश्तों की कुल राशि 4,28,500/-रू. (चार लाख अट्ठाईस हजार पांच सौ रूपये) एक माह के भीतर  परिवादी को भुगतान करे। 
ब. अनावेदक/विरूद्ध पक्षकार प्रतिकर के रूप में  25,000/-रू. (पच्चीस हजार रूपये) 1 माह के भीतर परिवादी को भुगतान करेगा। 
स. अनावेदक/विरूद्ध पक्षकार, परिवादी को परिवाद व्यय 2,000/-रू. (दो हजार रूपये) का भुगतान एक माह के भीतर करेगा। 

     (श्रीमती अनामिका नन्दे)                                       (संजय कुमार सोनी)                                            (बी0पी0पाण्डेय)
               सदस्य                                                                सदस्य                                                             अध्यक्ष
  जिला उपभोक्ता विवाद प्रति.                                जिला उपभोक्ता विवाद प्रति.                         जिला उपभोक्ता विवाद प्रति.
       फोरम जशपुर (छ0ग0)                                         फोरम जशपुर ़(छ.ग.)                                फोरम जशपुर (छ0ग0)

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE B.P.Pandey]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. Sanjay Soni]
MEMBER
 
[HON'BLE MRS. Anamika Nande]
MEMBER

Consumer Court Lawyer

Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!
5.0 (615)

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!

Experties

Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes

Phone Number

7982270319

Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.