Uttar Pradesh

StateCommission

A/2009/101

Shah Alam - Complainant(s)

Versus

Mahindra and Mahindra Financial Service - Opp.Party(s)

H K Srivastav

05 Sep 2018

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2009/101
( Date of Filing : 21 Jan 2009 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Shah Alam
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Mahindra and Mahindra Financial Service
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Raj Kamal Gupta MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 05 Sep 2018
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

सुरक्षित

अपील संख्‍या-१०१/२००९

(जिला मंच, वाराणसी द्वारा परिवाद सं0-२७८/२००६ में पारित प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश दिनांक ०१-१२-२००८ के विरूद्ध)

शाह आलम पुत्र श्री अबू नसर निवासी मकान नं0-ई-४६९ अशोक विहार पहाडि़या, वाराणसी।                                ...................      अपीलार्थी/परिवादी।

बनाम

१. महिन्‍द्रा एण्‍ड महिन्‍द्रा फाइनेन्सियल सर्विसेज लि0, द्वितीय तल, साधना हाउस, महिन्‍द्रा टावर के पीछे, ५७० पी0बी0 मार्ग, वर्ली, मुम्‍बई।

२. महिन्‍द्रा एण्‍ड महिन्‍द्रा फाइनेन्सियल सर्विसेज लि0, ४०३/४०४ चतुर्थ तल, श्रीराम टावर, अशोक मार्ग, लखनऊ।

३. महिन्‍द्रा एण्‍ड महिन्‍द्रा फाइनेन्सियल सर्विसेज लि0, श्रीदास फाउण्‍डेशन बिल्डिंग, दी माल रोड, कैण्‍टूनमेण्‍ट, वाराणसी।        ....................        प्रत्‍यर्थीगण/विपक्षीगण।

समक्ष:-

१.मा0 श्री उदय शंकर अवस्‍थी, पीठासीन सदस्‍य ।

२.मा0 श्री राज कमल गुप्‍ता, सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित    :- श्री एच0के0 श्रीवास्‍तव विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थीगण की ओर से उपस्थित   :- श्री अदील अहमद विद्वान अधिवक्‍ता।

दिनांक : १३-०९-२०१८.

मा0 श्री उदय शंकर अवस्‍थी, पीठासीन सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

      प्रस्‍तुत अपील, जिला मंच, वाराणसी द्वारा परिवाद सं0-२७८/२००६ में पारित प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश दिनांक ०१-१२-२००८ के विरूद्ध योजित की गयी है।

      संक्षेप में तथ्‍य इस प्रकार हैं कि अपीलार्थी/परिवादी के कथनानुसार उसने अपना वाहन ट्रक सं0-यू0पी0 ७२ ए-६९७० २,६०,०००/- रू० में क्रय किया। इस ट्रक को क्रय करने हेतु उसे वित्‍तीय सहायता की आवश्‍यकता हुई, अत: अपीलार्थी ने प्रत्‍यर्थीगण की वाराणसी शाखा से दिनांक २८-०१-२००४ को १,८०,०००/- रू० की वित्‍तीय सहायता प्राप्‍त की जिसे अपीलार्थी/परिवादी को ९,३९१/- रू० प्रति माह की २४ किश्‍तों में मूल धन पर १० प्रतिशत ब्‍याज सहित लौटाना था। गाड़ी के बीमे की रकम के मद में प्रत्‍यर्थी द्वारा ५००/- रू० प्रतिमाह किश्‍त की धनराशि के अलावा भी परिवादी से बसूल किया गया। प्रत्‍यर्थी द्वारा समय से बीमे की रकम अदा नहीं की गई। गाड़ी का बीमा न होने के कारण परिवादी की गाड़ी दिनांक २०-११-२००४ से ०१-०५-२००५ तक बन्‍द रही। गाड़ी बन्‍द हो जाने के कारण परिवादी समय पर किश्‍त अदा नहीं कर सका। रू0 ५,२९४/- रू० बीमे

 

 

-२-

का जमा किए जाने के बाबजूद परिवादी ने दिनांक ०२-०५-२००५ को पुन: बीमे की धनराशि जमा की। प्रत्‍यर्थी ने दिनांक ०८-०७-२००५ को बिना कोई नोटिस दिए तथा बिना कोई कारण बताए अपीलार्थी/परिवादी की गाड़ी का कब्‍जा प्राप्‍त कर लिया जिसका अपीलार्थी/परिवादी को कोई अधिकार नहीं था। परिवादी १,८०,०००/- रू० में से ऋण की अदायगी में ९६,०००/- रू० अदा कर चुका था। शेष धनराशि किश्‍तों में जमा करने का समय बाकी था। बिना अवधि पूर्ण हुए प्रत्‍यर्थी द्वारा परिवादी की गाड़ी निरूद्ध कर ली गई। अत: प्रत्‍यर्थी द्वारा सेवा में त्रुटि अभिकथित करते हुए वाहन अथवा वाहन के मूल्‍य की वापसी तथा क्षतिपूर्ति की अदायगी हेतु परिवाद जिला मंच के समक्ष प्रस्‍तुत किया गया।

      प्रत्‍यर्थीगण द्वारा जिला मंच के समक्ष प्रतिवाद पत्र प्रस्‍तुत किया गया। प्रत्‍यर्थीगण ने प्रश्‍नगत वाहन के सन्‍दर्भ में १,८०,०००/- रू० परिवादी को ऋण प्राप्‍त कराना स्‍वीकार किया तथा यह भी स्‍वीकार किया कि यह ऋण ९,३९१/- रू० प्रति माह की २४ किश्‍तों में अदा किया जाना था। प्रत्‍यर्थीगण के कथनानुसार पक्षकारों के मध्‍य उपरोक्‍त ऋण के सन्‍दर्भ में इकरारनामा दिनांक २८-०१-२००४ को निष्‍पादित किया गया। इकरारनामा की शर्तों के अनुसार अपीलार्थी/परिवादी द्वारा ऋण की धनराशि अदा न करने पर वाहन का कब्‍जा प्राप्‍त करके प्रत्‍यर्थी फाइनेन्‍स कम्‍पनी को अधिकार था। यदि इसके बाबजूद भी शेष ऋण की अदायगी प्राप्‍तकर्ता द्वारा नहीं की जाती है तो प्रत्‍यर्थी कम्‍पनी को अधिकार था कि वाहन की नीलामी या बिक्री करके अपना ऋण बसूल ले। अपीलार्थी/परिवादी द्वारा किश्‍तों की अदायगी में त्रुटि किए जाने पर परिवादी को दिनांक १५-१२-२००४ एवं १६-०५-२००५ को नोटिस दी गई, इसके बाबजूद अपीलार्थी द्वारा किश्‍तों की अदायगी नहीं की गई। किश्‍तों की अदायगी न किए जाने पर इकरानामे की शर्तों के अनुसार अपीलार्थी/परिवादी के प्रश्‍नगत वाहन को दिनांक ०९-०७-२००५ को कब्‍जे में ले लिया गया तथा प्रत्‍यर्थी ने परिवादी को कई बार मौखिक व लिखित सूचना इस आशय की दी कि वह ऋण की अदायगी करके अपने वाहन को छुड़ा ले। प्रत्‍यर्थी कम्‍पनी ने परिवादी को दिनांक १५-१२-२००४ को इस आशय की रजिस्‍टर्ड नोटिस भेजी कि     उसके ट्रक का बीमा फरवरी माह में समाप्‍त हो रहा है, अत: अपीलार्थी बीमे की धनराशि

 

 

-३-

कार्यालय में जमा करे ताकि वाहन का बीमा अग्रिम तिथि के लिए कराया जा सके, किन्‍तु परिवादी ने कोई धनराशि जमा नहीं की। परिवादी को प्रत्‍यर्थी कम्‍पनी द्वारा दिनांक २१-०९-२००५ को टेलीग्राम भी इस आशय का भेजा गया कि वह अपने वाहन की ०२ दिन के अन्‍दर बकाया धनराशि का भुगतान प्रत्‍यर्थी को करके वाहन को रिलीज करा ले अन्‍यथा प्रत्‍यर्थी कम्‍पनी अनुबन्‍ध के अनुसार वाहन के डिस्‍पोजल की कार्यवाही सुनिश्चित करेगी। परिवादी टेलीग्राम पाने के बाद प्रत्‍यर्थी के कार्यालय में आया और निवेदन किया कि परिवादी के पास धन नहीं है, अत: प्रत्‍यर्थी वाहन का डिस्‍पोजल करके अपना धन बसूल कर ले। परिवादी के ऊपर प्रत्‍यर्थी कम्‍पनी का कुल १,६५,३६७/- रू० बकाया था। प्रत्‍यर्थी कम्‍पनी ने प्रश्‍नगत वाहन को नीलाम करने हेतु कई लोगों से कोटेशन लिए। सबसे अधिक कीमत १,६०,०००/- रू० लगाई गई। प्रत्‍यर्थी कम्‍पनी ने श्री ए0के0 श्रीवास्‍तव सर्वेयर एण्‍ड लॉस असेसर से प्रश्‍नगत वाहन का मूल्‍यांकन कराया, जिन्‍होंने अपनी आख्‍या दिनांक ३०-११-२००५ को प्रत्‍यर्थी के कार्यालय में प्रस्‍तुत की जिसमें प्रश्‍नगत वाहन का मूल्‍यांकन १,७०,०००/- रू० किया गया। प्रत्‍यर्थी ने नियमानुसार परिवादी के वाहन को १,६०,०००/- रू० बाजारू मूल्‍यांकन से विक्रय/नीलाम कर दिया तथा परिवादी के खाते में उपरोक्‍त धनराशि जमा कर दी।

      विद्वान जिला मंच ने परिवादी को ऋण से सम्‍बन्धित किश्‍तों की अदायगी में त्रुटि किए जाने का दोषी पाते हुए तथा इकरारनामे की शर्तों के अनुसार प्रश्‍नगत वाहन की बिक्री किया जाना मानते हुए प्रत्‍यर्थीगण द्वारा सेवा में कोई त्रुटि कारित किया जाना नहीं माना। तद्नुसार प्रश्‍नगत निर्णय द्वारा परिवादी का परिवाद निरस्‍त कर दिया।      

      इस निर्णय से क्षुब्‍ध होकर यह अपील योजित की गई।

हमने अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री एच0के0 श्रीवास्‍तव तथा प्रत्‍यर्थीगण की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री अदील अहमद के तर्क सुने तथा अभिलेखों का अवलोकन किया।

जिला मंच द्वारा पारित प्रश्‍नगत आदेश दिनांकित ०१-१२-२००८ के विरूद्ध यह अपील दिनांक २१-०१-२००९ को योजित की गयी है। इस निर्णय की प्रमाणित प्रतिलिपि अपीलार्थी को दिनांक ११-१२-२००८ को प्राप्‍त हुई है। अपील के प्रस्‍तुतीकरण में हुए

 

 

-४-

विलम्‍ब को क्षमा करने हेतु अपीलार्थी की ओर से प्रार्थना पत्र प्रस्‍तुत किया गया है तथा इस प्रार्थना पत्र में किए गये अभिकथनों के समर्थन में अपीलार्थी श्री शाह आलम ने स्‍वयं का शपथ पत्र प्रस्‍तुत किया है। इस शपथ पत्र में अपील के प्रस्‍तुततीकरण में हुए विलम्‍ब के सन्‍दर्भ में अपीलार्थी की ओर से अपनी आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण अपील प्रस्‍तुत करने हेतु आवश्‍यक धन की व्‍यवस्‍था न हो पाने का कारण अभिकथित किया गया है। अपीलार्थी का यह भी कथन है कि अपील के प्रस्‍तुतीकरण में जानबूझकर कोई विलम्‍ब नहीं किया गया है। अपील के प्रस्‍तुतीकरण में हुए विलम्‍ब के सम्‍बन्‍ध में अपीलार्थी की ओर से दिया गया स्‍पष्‍टीकरण सन्‍तोषजनक पाते हुए अपील के प्रस्‍तुतीकरण में हुआ विलम्‍ब क्षमा किया जाता है।

यह तथ्‍य निर्विवाद है कि अपीलार्थी/परिवादी ने प्रत्‍यर्थी फाइनेन्‍स कम्‍पनी से १,८०,०००/- रू० ट्रक की खरीद हेतु दिनांक २८-०१-२००४ को ऋण प्राप्‍त किया था तथा इस ऋण की अदायगी ९,३९१/- रू० प्रति माह के हिसाब से २४ किश्‍तों में की जानी थी। स्‍वयं परिवादी के कथनानुसार किश्‍तों की अदायगी १६-०१-२००४, २९-०३-२००४, ०५-०५-२००४, २२-०९-२००४, ११-११-२००४, २४-०२-२००५ एवं १६-०३-२००५ को की गई। परिवादी के कथनानुसार इस प्रकार परिवादी ने वाहन के ऋण की अदायगी में ९६,९९१/- रू० अदा किया था तथा बीमे की अदायगी में ४,७५०/- रू० अदा किया। इस प्रकार स्‍वयं परिवादी के कथनानुसार १४ माह की अवधि में ९,३९१/- रू० प्रति माह की दर से देय कुल धनराशि १,३१,४७४/- रू० से कम जमा की गई तथा किश्‍तें भी नियमित रूप से जमा नहीं की गईं। जिला मंच के समक्ष अपीलार्थी/परिवादी ने ऐसी कोई साक्ष्‍य प्रस्‍तुत नहीं की कि बीमे की धनराशि अलग से प्रत्‍यर्थी कम्‍पनी द्वारा प्राप्‍त की जायेगी। प्रत्‍यर्थी कम्‍पनी का यह कथन है कि परिवादी द्वारा समय से बीमा न कराए जाने के कारण प्रत्‍यर्थी ने दिनांक १५-१२-२००४ को पंजीकृत डाक से नोटिस भी बीमा कराने हेतु भेजा था। नोटिस की फोटोप्रति जिला मंच के समक्ष प्रत्‍यर्थी कम्‍पनी द्वारा दाखिल की गई। अपीलार्थी ने इस नोटिस की प्राप्ति से इन्‍कार नहीं किया है। यदि बीमे की धनराशि प्रत्‍यर्थी कम्‍पनी द्वारा प्राप्‍त की जा रही थी तब स्‍वाभाविक रूप से इस नोटिस का उत्‍तर अपीलार्थी/परिवादी द्वारा प्रत्‍यर्थी को भेजा जाता किन्‍तु ऐसा कोई अभिकथन अपीलार्थी/परिवादी का नहीं है।

-५-

प्रत्‍यर्थी का यह भी कथन है कि अपीलार्थी द्वारा किश्‍तों की अदायगी नियमित रूप से न किए जाने पर प्रत्‍यर्थी कम्‍पनी द्वारा दिनांक १६-०५-२००५ को भी नोटिस भेजी गई। अपीलार्थी/परिवादी द्वारा बकाया धन की अदायगी न किए जाने के कारण इकरारनामे की शर्तों के अनुसार दिनांक ०९-०७-२००५ को प्रश्‍नगत वाहन प्रत्‍यर्थी कम्‍पनी द्वारा कब्‍जे में ले लिया गया। इस सन्‍दर्भ में इकरारनामा भी जिला मंच के समक्ष दाखिल किया गया। प्रत्‍यर्थी कम्‍पनी का यह भी कथन है कि परिवादी को दिनांक १५-१२-२००४ को पंजीकृत डाक से नोटिस इस आशय का भेजा गया कि परिवादी बकाया धन की अदायगी के उपरान्‍त प्रश्‍नगत वाहन प्राप्‍त कर ले। जिला मंच से मूल परिवाद की पत्रावली तलब की गई जिसमें इस सन्‍दर्भ में प्रत्‍यर्थी द्वारा प्रेषित नोटिस दिनांकित १५-१२-२००४ की प्रति दाखिल है तथा पंजीकृत डाक से नोटिस भेजे जाने की रसीद की फोटोप्रति भी दाखिल है। प्रत्‍यर्थी का यह भी कथन है कि पंजीकृत डाक से नोटिस की प्राप्ति के उपरान्‍त परिवादी प्रत्‍यर्थी के कार्यालय में आया तथा प्रश्‍नगत वाहन की बिक्री हेतु अपनी सहमति व्‍यक्‍त की। इस सन्‍दर्भ में अपीलार्थी द्वारा प्रत्‍यर्थी के कार्यालय में दिए गये पत्र की फोटोप्रति भी परिवाद की मूल पत्रावली में उपलब्‍ध है जिस पर परिवादी ने अपने हस्‍ताक्षर होना अस्‍वीकार नहीं किया है।

ऐसी परिस्थिति में जिला मंच का यह निष्‍कर्ष कि प्रत्‍यर्थी द्वारा सेवा में कोई त्रुटि नहीं की गई, हमारे विचार से त्रुटिपूर्ण नहीं है। अपील में बल नहीं है। अपील तद्नुसार निरस्‍त किए जाने योग्‍य है।

आदेश

            अपील निरस्‍त की जाती है। जिला मंच, वाराणसी द्वारा परिवाद सं0-२७८/२००६ में पारित प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश दिनांक ०१-१२-२००८ की पुष्टि की जाती है।

इस अपील का व्‍यय-भार उभय पक्ष अपना-अपना वहन करेंगे।

पक्षकारों को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्‍ध करायी जाय।

 

      (उदय शंकर अवस्‍थी)                      (राज कमल गुप्‍ता)

        पीठासीन सदस्‍य                             सदस्‍य

                                                                                                                                                                                                            प्रमोद कुमार,

वैय0सहा0ग्रेड-१, 

कोर्ट-२.

 

 
 
[HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'BLE MR. Raj Kamal Gupta]
MEMBER

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