SMT SAVITA SHARMA filed a consumer case on 25 Nov 2014 against MAHIENDRA AND MAHINDRA in the Seoni Consumer Court. The case no is CC/50/2014 and the judgment uploaded on 15 Oct 2015.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम, सिवनी(म0प्र0)
प्रकरण क्रमांक 502014 प्रस्तुति दिनांक-03.06.2014
समक्ष :-
अध्यक्ष - व्ही0पी0 षुक्ला
सदस्य - वीरेन्द्र सिंह राजपूत,
श्रीमति सविता बार्इ षर्मा, पतिन
स्वर्गीय मुकुन्द षर्मा, निवासी-
गंगानगर रोड, किदवर्इ वार्ड, सिवनी
तहसील व जिला सिवनी
(म0प्र0)।...................................................................आवेदकपरिवादी।
:-विरूद्ध-:
महिन्द्रा एण्ड महिन्द्रा फायनेंषियल सर्विसेज
लिमिटेड द्वारा-श्रीमान प्रबंधक (श्री विनोद
तिवारी आत्मज श्री मनमोहन)
महिन्द्रा एण्ड महिन्द्रा फायनेंस सर्विसेज
लिमिटेड प्रानमति कालोनी, छिन्दवाड़ा
तहसील व जिला छिन्दवाड़ा
(म0प्र0)।.............................................................अनावेदकगणविपक्षीगण।
:-आदेश-:
(आज दिनांक-25.11.2014 को पारित)
द्वारा-सदस्य:-
(1) परिवादिनी ने अनावेदक के विरूद्ध धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत सेवा में कमी के आधार पर, वाहन क्रमांक-एम0पी0 22 सीएन1156, जिसका चेचिस नंबर-बी.6एच.45770 एवं इंजिन नंबर- एम.सी.बी.6एच.21220 है, वापस दिलाये जाने, मानसिक प्रताड़ना हेतु 30,000-रूपये एवं वाद-व्यय 2,000-रूपये दिलाये जाने हेतु यह परिवाद प्रस्तुत किया है।
(2) परिवादिनी का पक्ष संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादिनी ने अनावेदक से अपने परिवार के जीविकोपार्जन एवं रोजगार हेतु महिन्द्रा एण्ड महिन्द्रा कम्पनी का मेकिसमो मिनी वेन माडल अनावेदक से 2,50,000- रूपये ऋण लेकर क्रय किया था। अनावेदक द्वारा वाहन के इंजिन व चेचिस नंबर के आधार पर मार्जिन मनी 30,000-रूपये जमा करार्इ गर्इ एवं परिवादिनी को 2,50,000-रूपये का ऋण स्वीकृत किया गया। संपूर्ण ऋण मय ब्याज 45 माह में 10,200-रूपये प्रति किष्त के हिसाब से जमा करना था। उसने नवम्बर-2011 से दिसम्बर-2012 तक नियमित रूप से किष्तों का भुगतान किया। अनावेदक द्वारा परिवादिनी को किष्तों के भुगतान के उपरांत नियमित रूप से रसीद प्रदान की जाती थी, उसका दिसम्बर-2012 में स्वास्थ्य खराब हो गया, वह अनावेदक को पारिवारिक कठिनार्इयों के कारण 4-5 किष्तों का भुगतान नहीं कर पार्इ। उसने इसकी जानकारी अनावेदक को दी थी। अनावेदक द्वारा परिवादी को यह आष्वासन दिया गया था कि यदि वह षेश राषी अदा कर विलम्ब षुल्कब्याज सहित जमा कर देती है, तब उसे कोर्इ आपतित नहीं होगी। उसने वाहन के इंजिन में खराबी होने पर वाहन को सुधार हेतु छिन्दवाड़ा एजेन्सी को दिया था, अनावेदक द्वारा परिवादिनी को बिना सूचना दिये हुये छिन्दवाड़ा एजेंसी से ही वाहन जप्त कर लिया गया, जिसकी जानकारी मिलने पर परिवादिनी ने अनावेदक से संपर्क कर, वाहन छोड़ने का निवेदन किया, किन्तु अनावेदक द्वारा कोर्इ कार्यवाही नहीं की गर्इ। परिवादिनी ने अनावेदक को विलम्ब षुल्क सहित संपूर्ण किष्तें देने का प्रयास किया, किन्तु अनावेदक ने परिवादिनी को कोर्इ हिसाब नहीं दिया। अनावेदक द्वारा असत्य आधारों पर परिवादिनी के विरूद्ध कार्यवाही षुरू कर दी गर्इ, जो अनावेदक की सेवा में कमी है। अतएव परिवादिनी ने अनावेदक के विरूद्ध वाहन मेकिसमो मिनी वेन माडल पंजीयन क्रमांक-एम022सीएन 1156 है, को वापस लौटाये जाने, मानसिक प्रताड़ना हेतु 30,000-रूपये एवं वाद-व्यय 2,000- रूपये दिलाये जाने हेतु यह परिवाद प्रस्तुत किया है।
(3) अनावेदक अनुपसिथत है उसकी ओर से कोर्इ जवाब प्रस्तुत नहीं किया गया है।
(4) विचारणीय बिन्दु यह है कि:-
क्या अनावेदक द्वारा परिवादी को बिना सूचना दिये हुये वाहन क्रमांक-एम0पी022सी.एन.1156 को जप्त कर, सेवा में कमी की गर्इ है?
-:सकारण निष्कर्ष:-
(5) परिवादिनी श्रीमती सविता षर्मा ने षपथ-पत्र पर प्रकट किया कि उसने अपने परिवार के जीविकोपार्जन एवं रोजगार की दृशिट से महिन्द्रा कम्पनी का मेकिसमो मिनी वेन माडल, पंजीयन क्रमांक-एम022सीएन 1156 अनावेदक से 2,50,000-रूपये ऋण लेकर क्रय किया था। अनावेदक द्वारा उससे 30,000-रूपये मार्जिन मनी स्वरूप जमा करार्इ गर्इ। अनावेदक ने षेश 2,50,000-रूपये परिवादिनी को ऋण स्वीकृत किया था। उसने अनावेदक को संपूर्ण ऋण राषि 45 माह में 10,200-रूपये प्रति किष्त के हिसाब से राषि चुकता करने का वचन दिया था। उसने माह नवम्बर-2011 से माह दिसम्बर-2012 तक अनावेदक की स्थानीय षाखा में नियमित किष्तों का भुगतान किया एवं अनावेदक द्वारा उसे राषि का भुगतान करने पर रसीद प्रदान की गर्इ है। उसका दिसम्बर-2012 में स्वास्थ्य खराब हो गया, पारिवारिक एवं आर्थिक कठिनार्इयों के कारण वह 4-5 किष्तों का भुगतान नहीं कर पार्इ। उसने इसकी सूचना अनावेदक को व्यकितगत रूप से दी थी। अनावेदक द्वारा उसे विलम्ब से किष्तें मय ब्याज देने का निर्देष दिया गया था। उसका वाहन खराब हो गया। उसने वाहन सुधार हेतु छिन्दवाड़ा एजेंसी में दिया था। अनावेदक ने उसे बिना सूचना दिये हुये बलपूर्वक उसका वाहन जप्त कर लिया। उसने अनावेदक से संपर्क कर वाहन छोड़ने का अनुरोध किया। अनावेदक द्वारा उसे वाहन अपने पास रखने की जानकारी दी गर्इ थी। उसने वाहन का अवलोकन किया, तब यह ज्ञात हुआ कि वाहन में स्टेपनी, दो साइड ग्यास, पाना, पेचिस, केबिन सीट, कवर, पीड़े की बेंच, दरवाजे के खडडे, जैक स्टेरिंग कवर, टेप बक्सा, दरवाजों के सौक एवं कंडक्टर साइड की सीट आदि नहीं थी। उसने अपने रिष्तेदारों के माध्यम से राषि का प्रबंध किया तथा अनावेदक से षेश राषि की जानकारी चाही। अनावेदक द्वारा उसे 9-10 दिन में हिसाब देने का वचन दिया गया, किन्तु अनावेदक ने उसे हिसाब नहीं दिया।
(6) परिवादिनी ने हमारे समक्ष अनावेदक के कार्यालय में समय- समय पर मासिक किष्तें जमा की गर्इ रसीदों की छायाप्रति प्रस्तुत की हैं। परिवादिनी ने अनावेदक द्वारा दिये गये रीपेमेन्ट षेडयूल की छायाप्रति भी प्रस्तुत की है। इसके अतिरिक्त उसने अनावेदक द्वारा दिये गये नोटिस की छायाप्रति प्रस्तुत की है, जिसमें अनावेदक द्वारा परिवादिनी को उनके स्थानीय कार्यालय से संपर्क कर संपूर्ण हिसाब लेने का सुझाव दिया गया था। परिवादिनी श्रीमती सविता षर्मा ने हमारे समक्ष षपथ-पत्र पर प्रकट किया कि उसने वाहन छिन्दवाड़ा सिथत एजेंसी को सुधार हेतु दिया था। उस समय अनावेदक द्वारा बिना उसे सूचना दिये हुये वाहन बालात जप्त कर लिया गया। अनावेदक न तो हमारे समक्ष उपसिथत हुआ और न ही अनावेदक द्वारा परिवादिनी को षेश राषि के संबंध में कोर्इ जानकारी दी गर्इ। अनावेदक द्वारा परिवादिनी का वाहन छिन्दवाड़ा सिथत एजेंसी से बिना परिवादिनी को सूचना दिये हुये बालात जप्त कर लिया गया, जो अनावेदक की सेवा में कमी है। इससे परिवादिनी को जो मानसिक कश्ट हुआ, उसके लिये हम उसे 5,000-रूपये प्रतिकर की राषि दिलाया जाना उचित समझते हैं।
(7) उपरोक्त विवेचना के आधार पर हम परिवादिनी के पक्ष में निम्न आदेष पारित करते है:-
(1) अनावेदक द्वारा परिवादिनी को 15 दिवस के अंदर संपूर्ण राषि का हसाब दिया जावे। यदि परिवादिनी अनावेदक से हिसाब प्राप्त होने से तीन माह में षेश संपूर्ण राषि मय ब्याज जमा कर देता है, तब अनावेदक द्वारा परिवादिनी का वाहन उसे वापस कर दिया जाये।
(2) अनावेदक परिवादिनी को मानसिक कश्ट हेतु 5,000-रूपये (पांच हजार रूपये) अदा करे।
(3) अनावेदक परिवादिनी को 1,000-रूपये (एक हजार रूपये) वाद-व्यय अदा करे।
(4) उभयपक्ष अपना-अपना वाद-व्यय वहन करें।
(5) आदेष की एक-एक नि:षुल्क प्रतिलिपि उभयपक्ष को प्रदान की जावे।
(6) प्रकरण नंबर से निरस्त होकर दाखिल अभिलेखागार हो।
मेरे द्वारा लिखवाया गया। मैं सहमत हूं।
( वीरेन्द्र सिंह राजपूत) (व्ही0पी0 षुक्ला)
सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद
प्रतितोषणफोरम,सिवनी प्रतितोषण फोरम,सिवनी
(म0प्र0) (म0प्र0)
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