Uttar Pradesh

StateCommission

A/2006/1802

Eicher Motors Ltd. - Complainant(s)

Versus

Mahesh Pandey - Opp.Party(s)

Arun Tandan

03 Jul 2023

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2006/1802
( Date of Filing : 28 Jul 2006 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Eicher Motors Ltd.
A
...........Appellant(s)
Versus
1. Mahesh Pandey
A
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 03 Jul 2023
Final Order / Judgement

                                                 (सुरक्षित)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-1802/2006

(जिला आयोग, गोरखपुर द्वारा परिवाद संख्‍या-157/2005 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 17.6.2006 के विरूद्ध)   

 

1. आयशर मोटर लि0, लक्ष्‍मी प्‍लाजा, 44 ए, कैण्‍ट रोड, लखनऊ।

2. दि ग्रीन फील्‍ड आटो प्रा0लि0, रिप्रिजेंटेटिव आयर मोटर लि0, गोरखपुर।

3. आटो फाइनेन्‍स कंपनी, लक्ष्‍मी प्‍लाजा, लखनऊ द्वारा जोनल मैनेजर।

अपीलार्थीगण/विपक्षी सं0-1, 2 व 4

                                               बनाम            

1. महेश पाण्‍डेय पुत्र स्‍व0 श्री काशी नाथ पाण्‍डेय, ग्राम किशुनपाली, पोस्‍ट लाहिलपार, जिला देवरिया।

2. बनारस आटो मोबाइल्‍स, रामनगर, वाराणसी, द्वारा प्रोपराइटर।

       प्रत्‍यर्थीगण/परिवादी/विपक्षी सं0-3

समक्ष:-                            

1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्‍याय, सदस्‍य।

अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित : श्री अरूण टण्‍डन, विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित          :श्री काशीनाथ शुक्‍ला, विद्वान अधिवक्‍ता।

दिनांक:  28.07.2023

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य  द्वारा उद्घोषित                                                 

निर्णय

1.         परिवाद संख्‍या-157/2005, महेश पाण्‍डेय बनाम आयशर मोटर लि0 तथा तीन अन्‍य में विद्वान जिला आयोग, गोरखपुर द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 17.6.2006 के विरूद्ध यह अपील प्रस्‍तुत की गई है। विद्वान जिला आयोग ने परिवादी द्वारा अदा की गई मार्जिन मनी अंकन 1,70,000/-रू0 दो माह के अंदर अदा करने का आदेश दिया है साथ ही पंजीकरण में खर्च राशि अंकन 30,650/-रू0, बीमा प्राप्‍त करने में खर्च राशि अंकन 31,286/-रू0, बॉडी मरम्‍मत में खर्च राशि अंकन 21,302/-रू0 को भी वापस करने का आदेश दिया है।

2.         परिवाद के तथ्‍यों के अनुसार परिवादी ने विपक्षी सं0-2 के यहां से विपक्षी सं0-1 द्वारा निर्मित 35.25 मॉडल गलैक्‍सी ट्रक क्रय किया और मार्जिन मनी के रूप में अंकन 1,70,000/-रू0 जमा किए शेष राशि विपक्षी सं0-4 से फाइनेन्‍स कराई, परन्‍तु यह ट्रक क्रय करने के पश्‍चात से ही खराब रहने लगा। इंजन बदलने तक का काम विपक्षीगण द्वारा किया गया और बाद में इस वाहन को अपने कब्‍जे में ले लिया गया। इस मध्‍य में परिवादी द्वारा रजिस्‍ट्रेशन करवाया गया, बीमा करवाया गया एवं मरम्‍मत में धनराशि खर्च की गई, इसलिए उपभोक्‍ता परिवाद प्रस्‍तुत किया गया।

3.         विपक्षीगण का कथन है कि आर.सी. के अनुसार इस वाहन में गाड़ी का पूरा लोड 25 टन का है, जिसमें से गाड़ी का वजन 8 टन एवं 17 टन से अधिक का माल लोड नहीं किया जा सकता था। 35.25 माडल की गाड़ी दिनांक 18.8.2004 को परिवहन आयुक्‍त के आदेश से विक्रय करने की अनुमति दी गई थी, इसलिए इस तारीख से पहले इस माडल का ट्रक विक्रय नहीं किया जा सकता था। ओवर लोडिंग के कारण गाड़ी खराब हुई है।

4.         दोनों पक्षकारों की साक्ष्‍य पर विचार करने के पश्‍चात विद्वान जिला आयोग द्वारा यह निष्‍कर्ष दिया गया कि वर्तमान में परिवादी ट्रक का प्रयोग नहीं कर रहा है, उसका कब्‍जा विपक्षी के पास है, इसलिए परिवादी द्वारा जमा एवं खर्च उपरोक्‍त वर्णित राशियों को अदा करने का आदेश पारित किया है।

5.         इस निर्णय/आदेश को इन आधारों पर चुनौती दी गई है कि विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश विधि विरूद्ध है। परिवादी पर अंकन 9,15,547/-रू0 बकाया थे, उसके द्वारा केवल एक किश्‍त राशि का भुगतान किया गया। कब्‍जे का अधिकार हमेशा अपीलार्थीगण के पास मौजूद  रहा है। परिवादी ने अधिक भार का लादान किया है, इसलिए गाड़ी खराब हुई है। परिवादी द्वारा जो राशि पंजीकरण आदि में खर्च की गई है, वह परिवादी का दायित्‍व था, इसलिए इन राशियों को अदा करने का आदेश नहीं दिया जा सकता था।

6.         अपीलार्थीगण तथा प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता को सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।

7.         स्‍वंय अपील के ज्ञापन में इस तथ्‍य को स्‍वीकार किया गया है कि परिवादी को केवल 25 टन लोड की गाड़ी विक्रय की गई थी, जबकि परिवाद पत्र मे कथन किया गया है कि उनके द्वारा उच्‍च श्रेणी के ट्रक को क्रय करने का सव्‍ंयवहार किया गया था। विद्वान जिला आयोग ने अपने निर्णय/आदेश में इन बिन्‍दुओं पर विस्‍तृत साक्ष्‍य की व्‍याख्‍या करते हुए निष्‍कर्ष दिया है कि वाहन क्रय करने के पश्‍चात ही खराब हो गया, इस वाहन का इंजन तक बदला गया और उसके बाद वाहन का कब्‍जा प्राप्‍त कर लिया गया, इस निष्‍कर्ष को चुनौती नहीं दी गई है। इस वाहन का कब्‍जा अपीलार्थीगण के पास नहीं है, अपितु परिवादी के ही पास है। इस वाहन का प्रयोग किसी भी आर्थिक लाभ के लिए नहीं कर रहा है। परिवादी ने यह ट्रक जीविकोपार्जन के लिए क्रय किया था, इसलिए व्‍यापारिक संव्‍यवहार की श्रेणी में नहीं आता है। अत: जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश में हस्‍तक्षेप करने का कोई आधार नहीं है। तदनुसार प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त होने योग्‍य है।

आदेश

8.         प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त की जाती है।

          पक्षकार व्‍यय भार स्‍वंय अपना-अपना वहन करेंगे।

           प्रस्‍तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्‍त जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित सम्‍बन्धित जिला आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए।

          आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

 

 

(सुधा उपाध्‍याय)                           (सुशील कुमार)

  सदस्‍य                                  सदस्‍य

 

लक्ष्‍मन, आशु0,

    कोर्ट-3

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY]
MEMBER
 

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