राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
(मौखिक)
अपील संख्या-2677/2018
एक्सिस बैंक लिमिटेड
बनाम
महेश पाण्डेय पुत्र श्री केशव राम पाण्डेय
दिनांक: 08.08.2024
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील इस न्यायालय के सम्मुख अनेकों तिथियों पर पूर्व में अपीलार्थी के अधिवक्ता की अनुपस्थिति के कारण स्थगित की जाती रही। अन्ततोगत्वा दिनांक 08.09.2022 को निम्न आदेश पारित किया गया:-
''08-9-2022
पुकार की गई। अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री अमित जायसवाल एवं श्री मुकुट बिहारी त्रिपाठी का नाम वाद सूची में अंकित है, परन्तु वे अनुपस्थित हैं। प्रत्यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री अनिल कुमार पाण्डेय उपस्थित है। तद्नुसार अदम पैरवी में अपील खारिज की जाती है। अंतरिम आदेश यदि लागू हो, तो समाप्त किया जाता है।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।''
उपरोक्त आदेश के विरूद्ध अपीलार्थी बैंक द्वारा माननीय राष्ट्रीय आयोग के सम्मुख पुनरीक्षण याचिका संख्या-2867/2023 योजित की गयी, जो माननीय राष्ट्रीय आयोग द्वारा दिनांक 14.06.2024 को निम्न आदेश के द्वारा अंतिम रूप से निस्तारित की गयी:-
“Learned counsel for the petitioner states that there has been 109 days of delay with respect to filing this Revision Petition and he has filed IA/16150/2023 seeking condonation of delay with respect to the same.
The same has been objected by the learned counsel for the respondent.
Learned counsel for the petitioner also states that unfortunately there has been one non-appearance before the learned State
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Commission on 08.09.2022 as a sequel to which the appeal was dismissed for non-prosecution. He had no scope to explain the appellant’s version before the learned State Commission against the order dated 20.09.2018 passed by the learned District Forum granting substantial relief which, as per him, beyond the pleadings by the learned District Forum.
Learned counsel for the respondent also fairly states that it is a fact that on account of absence of appellant’s counsel on 08.09.2022, the appeal was dismissed for non-prosecution. He also states that the matter pertains to dishonoring of a cheque for payment of premium with respect to the insurance policy held by the complainant with OP Bank. The policy had lapsed and that the petitioner was subjected to loss as well as mental agony.
Considering the submission made, Subject to payment of Rs. 50,000/- to the complainant and depositing of Rs. 10,000/- in the Legal Aid Account of learned State Commission, within a period of four weeks, the order of learned State Commission dated 08.09.2022 is set aside and Appeal No. 2677 of 2018 is restored to its original number.
Learned State Commission is requested to consider the matters as per law.
All the parties are directed to appear before the learned State Commission on 08.08.2024 and the petitioner is directed to produce proof of payment as well as deposit before the learned State Commission on that date.
Learned counsel for the petitioner also argues IA/16149/2023 seeking grant of stay on the execution proceedings on the order of learned District Forum. Considering the submission made, the execution proceedings, if any, with respect to the order of learned District Forum in CC/51/2017 vide order dated 20.09.2018 are stayed until 08.08.2024.
With these directions, RP/2867/2023 stands disposed of.”
उपरोक्त आदेश द्वारा माननीय राष्ट्रीय आयोग के परिप्रेक्ष्य में अपीलार्थी के अधिवक्ता को इस न्यायालय के सम्मुख उपस्थित होना था, साथ ही जमा के संबंध में आवश्यक दस्तावेज भी प्रस्तुत किया जाना था। अपीलार्थी बैंक के अधिवक्ता पुन: आज अनुपस्थित हैं, उनके कनिष्ठ सहायक श्री सौरभ त्रिपाठी अधिवक्ता उपस्थित हैं, जिनके द्वारा अपील स्थगित किए जाने की प्रार्थना की
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गयी।
अपील स्थगन का घोर विरोध प्रत्यर्थी के अधिवक्ता श्री आनन्द भार्गव द्वारा किया गया तथा अवगत कराया गया कि वास्तव में बैंक द्वारा अवैधानिक रूप से की गयी प्रक्रिया को विगत अनेकों वर्ष से प्रत्यर्थी/परिवादी को परेशान किए जाने के कारण अपील का निस्तारण सुनिश्चित नहीं हो पा रहा है। यह भी कथन किया कि आज प्रत्यर्थी/परिवादी श्री महेश पाण्डेय माननीय राष्ट्रीय आयोग के आदेश के अनुपालन में स्वयं उपस्थित हैं, जो जिला बलरामपुर से इस आयोग के सम्मुख आज उपस्थित हुए हैं।
मेरे द्वारा जिला उपभोक्ता आयोग का निर्णय एवं अपील पत्रावली में उपलब्ध तथ्यों को संज्ञान में लेने के उपरान्त एवं प्रत्यर्थी के अधिवक्ता को विस्तार से सुनने के पश्चात् यह पाया गया कि विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग के निर्णय में न तो कोई विधिक त्रुटि है, न ही अनियमितता तथा जिला उपभोक्ता आयोग का निर्णय पूर्ण विवेचन व तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए पारित किया गया है।
समस्त तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए एवं विशेष रूप से इस तथ्य को कि माननीय राष्ट्रीय आयोग के आदेश का भी अनुपालन अपीलार्थी बैंक द्वारा सुनिश्चित नहीं किया गया एवं प्रत्यर्थी/परिवादी को नाहक परेशान किया रहा है, प्रस्तुत अपील न सिर्फ अदम पैरवी में निरस्त की जाती है, वरन् अपीलार्थी बैंक को आदेशित किया जाता है कि वह दो सप्ताह की अवधि में प्रत्यर्थी/परिवादी, जो जिला बलरामपुर से इस आयोग के सम्मुख उपस्थित हुए हैं, को हर्जाना धनराशि 20,000/-रू0 (बीस हजार रूपए) का भुगतान एवं जिला उपभोक्ता आयोग के निर्णय एवं आदेश दिनांक 20.09.2018 का अनुपालन एक माह की अवधि में सुनिश्चित करे।
तदनुसार प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है।
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आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
जितेन्द्र आशु0
कोर्ट नं0-1