(मौखिक)
विविध वाद संख्या-157/2022
पी.एन.सी. कोल्ड स्टोरेज (प्रा0) लि0 बनाम महेश चन्द्र कुलश्रेष्ठ तथा एक अन्य
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय/आदेश
13.07.2022
यह प्रकीर्ण आवेदन, रिजवीन संख्या-125/2010 को खारिज करने के आदेश दिनांक 07.12.2021 को रिकाल कर पुन: मूल नम्बर पर पुनर्स्थापित करने हेतु प्रस्तुत किया गया है।
आवेदक के विद्वान अधिवक्ता श्री एस.के. श्रीवास्वतव उपस्थित हैं। विपक्षी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। अत: केवल आवेदक के विद्वान अधिवक्ता को सुना गया।
यह सही है कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत अनुपस्थिति में खारिज की गई अपील को पुनर्स्थापित करने की स्पष्ट व्यवस्था नहीं है, परन्तु अदम पैरवी में खारिज परिवाद या अपील एक प्रक्रियात्मक आदेश है, इसलिए प्रक्रियात्मक आदेश को न्यायहित में रिकाल किया जा सकता है।
किसी भी विधिक प्रावधानों का उद्देश्य वादकारी को सर्वोत्तम हित लाभ प्रदान करना है। जिला उपभोक्ता आयोग या राज्य उपभोक्ता आयोग के द्वारा यदि अदम पैरवी में कोई परिवाद, अपील या रिवीजन खारिज की जाती है तब इस आदेश को अपास्त कराने के लिए कोई व्यक्ति जनपद से राज्य उपभोक्ता आयोग तथा राज्य उपभोक्ता आयोग से राष्ट्रीय उपभोक्ता उपाउपभभोक्ता आयोग के समक्ष याचना करने के लिए उपस्थित हों निश्चित रूप से विधि की यह मंशा नहीं हो सकती। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम एक कल्याणकारी व्यवस्था है और कल्याणकारी व्यवस्था का उद्देश्य सुगम एवं सहज कार्यवाही अमल में लाना है न कि
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कठोर एवं वादकारियों के प्रति दण्डात्मक। इस आयोग से राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग के समक्ष उपस्थित होना वहां पर अधिवक्ता नियुक्त कर आर्थिक वहन सहन करना तथा अपनी निजी दिनचर्या के कार्यो को छोड़कर दिल्ली तक आना व जाना निश्िचित रूप से प्रताड़नात्मक/दण्डात्मक कार्यवाही होगी, इसलिए न्याय के उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए आवश्यक है कि अनुपस्थिति में खारिज की गई अपील, परिवाद या रिवीजन को इस आयोग द्वारा ही मूल नम्बर पर पुनर्स्थापित किया जाए। अत: विविध वाद स्वीकार होने योग्य है।
प्रस्तुत विविध वाद स्वीकार किया जाता है। मूल रिवीजन संख्या-125/2010 में पारित प्रश्नगत आदेश दिनांक 07.12.2021 निरस्त किया जाता है। मूल रिवीजन संख्या-125/2010 को अपने मूल नम्बर पर पुनर्स्थापित करते हुए पत्रावली गुणदोष के आधार पर सुनवाई हेतु दिनांक 13.09.2022 को सूचीबद्ध की जाए। इस आदेश की एक प्रमाणित प्रति मूल रिवीजन संख्या-125/2010 में भी रखी जाए।
पत्रावली दाखिल दफ्तर की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुशील कुमार) (विकास सक्सेना)
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
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