Uttar Pradesh

StateCommission

A/2006/626

Agriculture Insurance Company of India Ltd - Complainant(s)

Versus

Mahesh Chandra Gupta - Opp.Party(s)

Dinesh Kumar

05 Apr 2018

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2006/626
( Date of Filing : 13 Mar 2006 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Agriculture Insurance Company of India Ltd
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Mahesh Chandra Gupta
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Gobardhan Yadav MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 05 Apr 2018
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

सुरक्षित

अपील संख्‍या-६२६/२००६

 

(जिला मंच, बुलन्‍दशहर द्वारा परिवाद सं0-४०९/२००३ में पारित प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश दिनांक १४-०२-२००६ के विरूद्ध)

 

एग्रीकल्‍चर इंश्‍योरेंस कम्‍पनी आफ इण्डिया लिमिटेड द्वारा रीजनल इन्‍चार्ज, रीजनल आफिस, लखनऊ।

                                       ...................         अपीलार्थी/विपक्षी सं0-३.

बनाम

१. महेश चन्‍द्र गुप्‍ता पुत्र श्री बद्री प्रसाद गुप्‍ता निवासी ग्राम साबितगढ़, तहसील खुर्जा, जिला बुलन्‍दशहर।                              ....................              प्रत्‍यर्थी/परिवादी।

२. सीड प्राडक्‍शन आफिस, यू0पी0 बीज एवं तराई निगम, जिला कार्यालय निकट गंग नहर कालोनी, बुलन्‍दशहर।

३. संयुक्‍त बीज उत्‍पादन अधिकारी, उ0प्र0 बीज एवं तराई विकास निगम, क्षेत्रीय कार्यालय २/४२, एच0आई0जी0, श्रद्धापुरी, कैण्‍ट मेरठ।

                                        ....................        प्रत्‍यर्थीगण/विपक्षीगण।

समक्ष:-

१.मा0 श्री उदय शंकर अवस्‍थी, पीठासीन सदस्‍य ।

२.मा0 श्री गोवर्द्धन यादव, सदस्‍य।

 

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित        :- श्री दिनेश कुमार विद्वान अधिवक्‍ता के सहयोगी श्री 

                                   आनन्‍द कुमार भार्गव विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी/परिवादी की ओर से उपस्थित    :- श्री टी0एच0 नकवी विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी सं0-२ व ३ की ओर से उपस्थित :- कोई नहीं।

 

दिनांक : ०९-०५-२०१८.

 

मा0 श्री उदय शंकर अवस्‍थी, पीठासीन सदस्‍य द्वारा उदघोषित

 

निर्णय

      प्रस्‍तुत अपील, जिला मंच, बुलन्‍दशहर द्वारा परिवाद सं0-४०९/२००३ में पारित प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश दिनांक १४-०२-२००६ के विरूद्ध योजित की गयी है।

      संक्षेप में तथ्‍य इस प्रकार हैं कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी के कथनानुसार परिवादी एक कृषक व बीज उत्‍पादक है तथा उ0प्र0 बीज एवं तराई विकास निगम लिमिटेड बीज उत्‍पादन अधिकारी बुलन्‍दशहर से उत्‍पादन हेतु बीज क्रय करता है तथा उस बीज को अपनी खेती में बोकर व सींच कर जो भी बीज उत्‍पादन होता है उसे बीज उत्‍पादन अधिकारी बुलन्‍दशहर को अन्‍त: ग्रहण कर

 

-२-

देता है। परिवादी ने वर्ष १९९९ में गेहूँ की बीज प्रजाति यू0पी0 २६२ उत्‍पादन हेतु लिया तथा उक्‍त बीज को अपनी खेती में बोया तथा उक्‍त बीज से जो भी गेहूँ पैदा हुआ उसे ट्रैक्‍टर में लेकर बीज उत्‍पादन अधिकारी बुलन्‍दशहर के यहॉं अन्‍त: ग्रहण हेतु लाया किन्‍तु बीज उत्‍पाद न अधिकारी ने गेहूँ यह कहते हुए कि आपका गेहूँ ठीक नहीं है वापस कर दिया। परिवादी की फसल का वर्ष १९९९-२००० के लिए निगम द्वारा बीमा कराया गया था। परिवादी के गेहूँ का सेंपिल उ0प्र0 बीज एवं तराई विकास निगम के जिला व क्षेत्रीय अधिकारियों द्वारा गेहूँ तराई विकास निगम की प्रयोगशाला में भेजा गया तथा उ0प्र0 बीज एवं तराई विकास निगम की प्रयोगशाला में अंकुरण क्षमता मानकों के अनुसार नहीं पाई गई जिस कारण वर्ष १९९९-२००० में परिवादी के बीजों का अन्‍त: ग्रहण नहीं हो सका जिससे परिवादी को क्षति हुई। परिवादी के गेहूँ की फसल का अन्‍त: ग्रहण न होने के कारण बीमा क्‍लेम ५५,९२०/- रू० का प्रस्‍ताव बीमा कम्‍पनी को भुगतान हेतु भेजा गया लेकिन बीमा कम्‍पनी ने बीमा दावा का भुगतान इस आधार पर नहीं किया कि बीज प्रमाणीकरण संस्‍था द्वारा ही परीक्षण परिणाम मान्‍य है तथा निगम द्वारा चयनित प्रयोगशाला का परीक्षण परिणाम मान्‍य नहीं है। परिवादी के कथनानुसार गेहूँ का परीक्षण किस प्रयोगशाला में कराया जाय यह उत्‍तरदायित्‍व निगम का है, परिवादी का नहीं। यदि निगम ने किसी गलत प्रयोगशाला में जांच कराई है तो परिवादी इसके लिए उत्‍तरदाई नहीं है। अत: परिवादी  ने बीमा कम्‍पनी के लिए प्रार्थना पत्र लिखा लेकिन प्रार्थना पत्र देने के बाबजूद भी परिवादी का बीमा क्‍लेम नहीं दिया गया। अत: परिवाद बीज उत्‍पादन अधिकारी, यू0पी0 बीज एवं तराई निगम, जिला कार्यालय निकट गंग नहर कालोनी, बुलन्‍दशहर एवं संयुक्‍त बीज उत्‍पादन अधिकारी, उ0प्र0 बीज एवं तराई विकास निगम, क्षेत्रीय कार्यालय २/४२, एच0आई0जी0, श्रद्धापुरी, कैण्‍ट मेरठ तथा भारतीय साधारण बीमा निगम राज्‍य स्‍तरीय फसल बीमा प्रकोष्‍ठ लखनऊ के विरूद्ध बीमा दावा की धनराशि की मय ब्‍याज अदायगी एवं क्षतिपूर्ति की अदायगी हेतु योजित किया गया।  

      परिवाद के विपक्षी सं0-१ व २ की ओर से प्रतिवाद पत्र जिला मंच के समक्ष प्रस्‍तुत किया जिसमें परिवादी के बीमा दावा की देयता अपीलार्थी/विपक्षी सं0-३ की होना स्‍वीकार किया तथा यह अभिकथित किया गया कि निगम इस सम्‍बन्‍ध में उत्‍तरदाई नहीं है। अपीलार्थी/विपक्षी

 

 

-३-

सं0-३ का यह कथन है कि प्रश्‍नगत बीमा से सम्‍बन्धित नियमों के अनुसार परिवादी के बीजों का परीक्षण योजना के अन्‍तर्गत वर्णित स्‍वीकृत प्रयोगशाला यू0पी0एस0एस0सी0ए0 से कराया गया जिसमें बीज का अंकुरण ८८ प्रतिशत पाया गया जो न्‍यूनतम स्‍वीकृत ८५ प्रतिशत से अधिक था। अत: बीमा दावा स्‍वीकार नहीं किया गया।

      विद्वान जिला मंच ने प्रत्‍यर्थी/परिवादी के बीज का परीक्षण राजकीय प्रयोगशाला में कराया जाना एवं परिवादी की फसल के निर्विवाद रूप से बीमित होने एवं निगम के अध्किारी द्वारा परिवादी की फसल के बीमा का मूल्‍यांकन ५५,९२०/- रू० किए जाने के आधार पर परिवादी का परिवाद अपीलार्थी/विपक्षी सं0-३ के विरूद्ध स्‍वीकार किया तथा अपीलार्थी/विपक्षी सं0-०३ को आदेशित किया कि वह परिवादी को ५५,९२०/- रू० तथा दिनांक ०४-०९-२००१ से बीमित धनराशि पर ०६ प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्‍याज अदा करे। इसके अत‍िरिक्‍त ४,०००/- रू० बतौर क्षतिपूर्ति तथा ५००/- रू० वाद व्‍यय के रूप में दिलाए जाने हेतु भी आदेशित किया।

      इस निर्णय से क्षुब्‍ध होकर यह अपील योजित की गयी।

      हमने अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री दिनेश कुमार के सहयोगी श्री आनन्‍द भार्गव तथा प्रत्‍यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री टी0एच0 नकवी के तर्क सुने तथा उनके द्वारा प्रस्‍तुत किए गये लिखित तर्क तथा पत्रावली का अवलोकन किया। प्रत्‍यर्थी सं0-२ व ३ की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ। उल्‍लेखनीय है कि प्रश्‍नगत निर्णय में प्रत्‍यर्थी सं0-२ व ३ के विरूद्ध परिवाद निरस्‍त किया गया है तथा प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा उक्‍त निर्णय के विरूद्ध कोई अपील योजित नहीं की गई है।    

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा यह तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि विद्वान जिला मंच ने अपीलार्थी के लिखित कथन तथा अपीलार्थी द्वारा प्रस्‍तुत की गई साक्ष्‍य का उचित परिशीलन न करते हुए प्रश्‍नगत निर्णय पारित किया है। अपीलार्थी की ओर से यह तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि प्रस्‍तुत प्रकरण भारत सरकार द्वारा लागू की गई सीड क्रॉप इंश्‍योरेंस स्‍कीम जिसे उत्‍तर प्रदेश सरकार द्वारा भी लागू किया से सम्‍बन्धित है। अपीलार्थी द्वारा मात्र इस योजना का क्रियान्‍वयन योजना के नियमों एवं निर्देशों के अन्‍तर्गत सुनिश्चित कराना था।       परिवादी उ0प्र0 बीज एवं तराई विकास निगम द्वारा प्रमाणित बीज उत्‍पादक है। उक्‍त योजना के

 

 

-४-

अन्‍तर्गत बीमाधारक उ0प्र0 बीज एवं तराई विकास निगम है और उसी के पक्ष में बीमा पालिसी संख्‍या-सी0आई0आई0-१९९९ यू0पी0 २००००१२ दिनांकित १५-०१-२००० जारी की गई। परिवादी इस योजना के अन्‍तर्गत लाभार्थी है। इस प्रकार परिवादी स्‍वयं बीमाधारक नहीं है। इस योजना के प्राविधानों एवं निर्देशों के अन्‍तर्गत यू0पी0 स्‍टेट सर्टीफिकेशन एजेन्‍सी (यू0पी0एस0एस0ए0) मेरठ को ही बीजों के अंकुरण प्रतिशत की जांच करने एवं इस सम्‍बन्‍ध में प्रमाण पत्र जारी किए जाने हेतु अधिकृत किया गया है। अपीलार्थी के कथनानुसार उक्‍त योजना के निमों के अन्‍तर्गत अपीलार्थी ने यू0पी0एस0एस0सी0ए0 मेरठ के डिप्‍टी डायरेक्‍टर से खेत के निरीक्षण के उपरान्‍त बीज का अंकुरण प्रतिशत सम्‍बन्धित जांच प्रमाण पत्र प्रस्‍तुत किए जाने हेतु कहा था तथा इस सन्‍दर्भ में उ0प्र0 बीज एवं तराई विकास निगम को भी पत्र दिनांकित १४-०६-२००० द्वारा सूचित किया गया था। उपरोक्‍त पत्र दिनांकित १४-०६-२००० की फोटोप्रति अपीलार्थी ने श्री एस0 पटनायक रीजनल मैनेजर के शपथ पत्र के साथ संलग्‍नक प्रपत्र ३८ के रूप में दाखिल की है। अपीलार्थी का यह भी कथन है कि बीमा दावा प्रत्‍यर्थी सं0-२ व ३ द्वारा प्रेषित किया गया जिसकी फोटोप्रति उक्‍त शपथ पत्र के साथ संलग्‍न प्रपत्र सं0-३९ व ४० के रूप में दाखिल की गई है। यू0पी0एस0एस0सी0ए0 मेरठ द्वारा प्रश्‍नगत बीजों की अंकुरण क्षमता के सन्‍दर्भ में प्रस्‍तुत किए गये प्रमाण पत्र दिनांकित २६-०७-२००० उक्‍त शपथ पत्र के साथ संलग्‍न प्रपत्र सं0-४२ के रूप में दाखिल किया है जिसमें जांच के उपरांत अंकुरण क्षमता ८८ प्रतिशत दर्शित की गई है। अपीलार्थी का यह भी कथन है कि यू0पी0एस0एस0सी0ए0 ने उक्‍त जांच आख्‍या की सूचना उ0प्र0 बीज एवं तराई विकास निगम को भी अपने पत्र दिनांकित २६-०७-२००० द्वारा प्रेषित की। अपीलार्थी का यह भी कथन है कि उ0प्र0 बीज एवं तराई विकास निगम द्वारा भी प्रश्‍नगत बीजों की अंकुरण क्षमता के सन्‍दर्भ में अपनी प्रयोगशाला से जांच कराकर प्रमाण पत्र जारी किया गया, जिसमें प्रश्‍नगत बीजों की अंकुरण क्षमता ८३ प्रतिशत बताई गई। इस जांच आख्‍या के आधार पर उ0प्र0 बीज एवं तराई विकास निगम ने परिवादी के बीमा दावे के भुगतान हेतु अपनी संस्‍तुति अपने पत्र दिनांकित ०८-०८-२००० द्वारा प्रेषित की। इस संस्‍तुति पत्र एवं प्रमाण पत्र की फोटोप्रतियॉं अपीलार्थी द्वारा प्रस्‍तुत उपरोक्‍त शपथ पत्र के साथ संलग्‍नक ४३ एवं ४४ के रूप में दाखिल की गई हैं।

 

 

-५-

 

अपीलार्थी का यह कथन है कि प्रस्‍तुत बीमा पालिसी के अन्‍तर्गत उ0प्र0 बीज एवं तराई विकास निगम द्वारा प्रस्‍तुत किया गया प्रमाण पत्र प्रश्‍नगत बीमा दावे के सन्‍दर्भ में महत्‍वहीन है क्‍योंकि उक्‍त बीमा योजना के अन्‍तर्गत मात्र यू0पी0एस0एस0सी0ए0 ही बीजों की अंकुरण क्षमता की जांच हेतु अधिकृत है। अपीलार्थी बीमा निगम उक्‍त योजना के प्राविधानों से बाध्‍य है। अपीलार्थी की ओर से यह तर्क भी प्रस्‍तुत किया गया कि प्रश्‍नगत बीमा योजना के अन्‍तर्गत उ0प्र0 बीज एवं तराई विकास निगम स्‍वयं बीमाधारक है और स्‍वयं अपने द्वारा निर्धारित प्रयोगशाला से जांच कराकर प्रश्‍नगत बीजों की अंकुरण क्षमता के विषय में प्रमाण पत्र प्रस्‍तुत करके बीमा दावा स्‍वीकृत किए जाने की संस्‍तुति प्रस्‍तुत की गई है। उत्‍तर प्रदेश बीज एवं तराई विकास निगम का यह कृत्‍य विधिक रूप से मान्‍य नहीं होगा और न ही न्‍यायोचित होगा।

प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा यह तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि यह तथ्‍य निर्विवाद है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी प्रश्‍नगत बीमा योजना के अन्‍तर्गत लाभार्थी है। यह तथ्‍य भी निर्विवाद है कि उक्‍त योजना के अन्‍तर्गत प्रत्‍यर्थी/परिवादी की बीजों की फसल के नुकसान की क्षतिपूर्ति प्रत्‍यर्थी/परिवादी को की जानी है। यह तथ्‍य भी निर्विवाद है कि उ0प्र0 बीज एवं तराई विकास निगम के अधिकारियों द्वारा परिवादी के बीजों की फसल इस आधार पर ग्रहण नहीं की गई कि उ0प्र0 बीज एवं तराई विकास निगम द्वारा राजकीय प्रयोगशाला में बीजों के नमूने का परीक्षण कराए जाने पर अंकुरण क्षमता मानक से कम पाई गई जबकि अपीलार्थी का यह कथन है कि अपीलार्थी द्वारा अपनी प्रयोगशाला में बीजों के नमूने का परीक्षण कराए जाने पर बीजों की क्षमता का प्रतिशत मानक से अधिक पाया गया। महत्‍वपूर्ण प्रश्‍न यह है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी की फसल का नुकसान उ0प्र0 बीज एवं तराई विकास निगम द्वारा बीजों को स्‍वीकार न किए जाने के कारण निर्विवाद रूप से हुआ तथा यह दायित्‍व परिवादी का नहीं है कि किस प्रयोगशाला से उसे बीजों का परीक्षण कराया गया। ऐसी परिस्थिति में परिवादी को हुई क्षति की क्षतिपूर्ति का भुगतान स्‍वीकार न किये जाने का कोई औचित्‍य नहीं है।

उल्‍लेखनीय है कि अपीलार्थी ने श्री एस0 पटनायक रीजनल मैनेजर के शपथ पत्र के साथ प्रश्‍नगत बीमा पालिसी से सम्‍बन्धित प्रस्‍ताव पत्र की फोटोप्रति पृष्‍ठ सं0-१ के रूप में दाखिल है,

 

 

-६-

जिसमें बीमाधारक के रूप में उ0प्र0 बीज एवं तराई विकास निगम दर्शित है। प्रश्‍नगत बीमा से सम्‍बन्धित पालिसी तथा भारत सरकार द्वारा जारी किए गये नियमों एवं निर्देशों के फोटोप्रतियॉं शपथ पत्र के साथ संलग्‍न पृष्‍ठ सं0-३ लगायत ३६ के रूप में दाखिल की गई हैं, जिनके अवलोकन से यह विदित होता है कि प्रश्‍नगत बीमा पालिसी के अन्‍तर्गत बीजों की अंकुरण क्षमता के प्रतिशत से सम्‍बन्धित जांच आख्‍या यू0पी0एस0एस0सी0ए0 द्वारा प्रस्‍तुत की जानी थी। प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता यह स्‍पष्‍ट नहीं कर सके कि उ0प्र0 बीज एवं तराई विकास निगम द्वारा निर्धारित प्रयोगशाला में प्रश्‍नगत बीजों की जांच स्‍वयं बीमाधारक उ0प्र0 बीज एवं तराई विकास निगम द्वारा निर्धारित प्रयोगशाला में बीमा योजना के किस प्राविधान के अन्‍तर्गत कराई गई।  

यह तथ्‍य निर्विवाद है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी के बीजों की फसल उ0प्र0 बीज एवं तराई विकास निगम के अधिकारियों द्वारा कथित रूप से मानक के अनुरूप न पाए जाने के आधार पर स्‍वीकार न किए जाने के कारण प्रत्‍यर्थी/परिवादी को आर्थिक क्षति हुई किन्‍तु प्रस्‍तुत प्रकरण में प्रत्‍यर्थी/परिवादी की इस क्षतिपूर्ति की अदायगी का दायित्‍व प्रश्‍नगत बीमा योजना के अन्‍तर्गत ही निर्धारित किया जा सकता है। यदि प्रश्‍नगत बीमा योजना के अन्‍तर्गत निर्धारित नियमों का अनुपालन न करते हुए किसी अनधिकृत प्रयोगशाला द्वारा प्रश्‍नगत बीजों की अंकुरण क्षमता का प्रतिशत निर्धारित किया गया तो उक्‍त प्रयोगशाला द्वारा प्रस्‍तुत की गई आख्‍या प्रश्‍नगत बीमा पालिसी के अन्‍तर्गत महत्‍वहीन होगी। यह तथ्‍य निर्विवाद है कि अपीलार्थी ने प्रश्‍नगत योजना के अन्‍तर्गत अधिकृत यू0पी0एस0एस0सी0ए0 द्वारा प्रश्‍नगत बीजों की अंकुरण क्षमता के सन्‍दर्भ में प्रमाण पत्र प्राप्‍त किया और उक्‍त प्रमाण पत्र में अंकुरण क्षमता निर्धारित मानक से अधिक ८८ प्रतिशत पाई गई। ऐसी परिस्थिति में अपीलार्थी द्वारा बीमा दावा स्‍वीकार न किया जाना त्रुटिपूर्ण नहीं माना जा सकता। हमारे विचार से अपीलार्थी द्वारा बीमा दावा स्‍वीकार न करके सेवा में कोई त्रुटि नहीं की गई है। हमारे विचार विचार से प्रस्‍तुत प्रकरण में उ0प्र0 बीज एवं तराई विकास निगम के अधिकारियों द्वारा प्रश्‍नगत बीमा पालिसी के प्राविधानों के अनुसार प्रश्‍नगत बीजों की जांच कराया जाना सुनिश्चित न कराकर अपनी प्रयोगशाला में बीजों की जांच कराकर त्रुटिपूर्ण कार्य किया गया है। विद्वान जिला मंच ने पत्रावली पर उपलब्‍ध साक्ष्‍य एवं

 

 

-७-

पक्षकारों के अभिकथनों का उचित परिशीलन न करते हुए एवं इस तथ्‍य पर ध्‍यान न देते हुए कि बीमा पालिसी के अन्‍तर्गत निर्धारित नियमों के अन्‍तर्गत ही दायित्‍व निर्धारण किया जाना था, प्रश्‍नगत निर्णय पारित किया है। ऐसी परिस्थिति में हमारे विचार से प्रश्‍नगत निर्णय त्रुटिपूर्ण होने के कारण अपास्‍त किए जाने योग्‍य है। अपील तद्नुसार स्‍वीकार किए जाने योग्‍य है।     

आदेश

            प्रस्‍तुत अपील स्‍वीकार की जाती है। जिला मंच, बुलन्‍दशहर द्वारा परिवाद सं0-४०९/२००३ में पारित प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश दिनांक १४-०२-२००६ अपास्‍त करते हुए परिवाद निरस्‍त किया जाता है।  

इस अपील का व्‍यय-भार उभय पक्ष अपना-अपना वहन करेंगे।

पक्षकारों को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्‍ध करायी जाय।

 

 

                                              (उदय शंकर अवस्‍थी)

                                                पीठासीन सदस्‍य

 

                                                                                                                

                                                (गोवर्द्धन यादव)

                                                   सदस्‍य

 

 

 

 

प्रमोद कुमार

वैय0सहा0ग्रेड-१,

कोर्ट-३.

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'BLE MR. Gobardhan Yadav]
MEMBER

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