Uttar Pradesh

StateCommission

A/1360/2019

Shriram Transport Finance Co. Ltd - Complainant(s)

Versus

Mahendra Pratap Singh - Opp.Party(s)

Yatish Gupta

16 Dec 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1360/2019
( Date of Filing : 26 Nov 2019 )
(Arisen out of Order Dated 30/09/2019 in Case No. C/45/2014 of District Faizabad)
 
1. Shriram Transport Finance Co. Ltd
Chennai
...........Appellant(s)
Versus
1. Mahendra Pratap Singh
Ambedkar Nagar
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 
PRESENT:
 
Dated : 16 Dec 2022
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-1360/2019

(मौखिक)

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, अयोध्‍या द्वारा परिवाद संख्‍या 45/2014 में पारित आदेश दिनांक 30.09.2019 के विरूद्ध)

1. मै0 श्रीराम ट्रांसपोर्ट फाइनेंस कं0लि0 द्वारा रीजनल मैनेजर, तृतीय तल, मोकाम्बिका काम्‍पलेक्‍स नं0-4, लेडी देसिका रोड, माईलापुर-चेन्‍नई

2. मै0 श्रीराम ट्रांसपोर्ट फाइनेंस कं0लि0, द्वारा ब्रांच मैनेजर, ब्रांच आफिस-श्री गणेश काम्‍पलेक्‍स, नवीन सब्‍जी मण्‍डी के पीछे, रोड नं0-28, सिटी-फैजाबाद व जिला-अयोध्‍या

                         ........................अपीलार्थीगण/विपक्षीगण  

बनाम

महेन्‍द्र प्रताप सिंह पुत्र देवदत्‍त सिंह निवासी- ग्राम-मुस्‍तफाबाद, परगना-मिझौड़ा, तहसील-भीटी, जिला-अम्‍बेडकर नगर

                                  ...................प्रत्‍यर्थी/परिवादी

समक्ष:-

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष।

अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित : श्री विष्‍णु कुमार मिश्रा,  

                               विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।

दिनांक: 16.12.2022

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

प्रस्‍तुत अपील इस न्‍यायालय के सम्‍मुख जिला उपभोक्‍ता आयोग, अयोध्‍या द्वारा परिवाद संख्‍या-45/2014 महेन्‍द्र प्रताप सिंह बनाम श्रीराम ट्रान्‍सपोर्ट फाइनेन्‍स क0लि0 व एक अन्‍य में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 30.09.2019 के विरूद्ध योजित की गयी है।

विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा परिवाद अंशत: स्‍वीकार करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया गया है:-

'' परिवादी का परिवाद अंशत: स्‍वीकार तथा अंशत: खारिज किया जाता है।

परिवादी विपक्षी संख्‍या-1 से बीमा किस्‍त के रुप में आधिक लिये गये 25,275=00 रुपया को  मय  9  प्रतिशत  साधारण  वार्षिक  ब्‍याज

 

 

-2-

परिवाद दायर करने की तिथि से ता अदायगी प्राप्‍त करने का अधिकारी होगा। विपक्षी संख्‍या-1 परिवादी को उक्‍त धनराशि निर्णय एवं आदेश की तिथि से एक माह में अदा कर देवें।

विपक्षी संख्‍या-1 ऋण धनराशि की अदायगी के पश्‍चात परिवादी को अदेयता प्रमाण पत्र अविलंब जारी करें।

परिवादी विपक्षी संख्‍या-1 से 2,000=00 रुपये वाद व्‍यय एवं 5,000=00 रुपये मानसिक क्षतिपूर्ति प्राप्‍त करने का अधिकारी होगा।''

मेरे द्वारा अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्‍ता            श्री विष्‍णु कुमार मिश्रा को सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों का अवलोकन किया गया। प्रत्‍यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।

     संक्षेप में वाद के तथ्‍य इस प्रकार हैं कि परिवादी द्वारा विपक्षी संख्‍या-1 से पिकप वाहन क्रय करने हेतु 2,20,000/-रू0 की वित्‍तीय सहायता प्राप्‍त की गयी, जिसे मय साधारण ब्‍याज के आसान किस्‍तों में विपक्षी संख्‍या-1 को अदा करता था तथा बीमा की किस्‍त भी विपक्षी संख्‍या-1 अदा करके परिवादी के ऋण खाते में समायोजित करता था। विपक्षी संख्‍या-1 द्वारा प्रथम बीमा किस्‍त 10,900/-रू0 परिवादी के ऋण खाते में दिनांक 31.07.2010 को अंकित किया गया तथा पुन: दिनांक 03.08.2010 को बीमा किस्‍त 25,275/-रू0 मात्र 4 दिन बाद परिवादी के ऋण खाते में दर्ज कर दिया तथा 25,275/-रू0 पर ब्‍याज व ओवर ड्यूज परिवादी के ऋण खाता में विपक्षी संख्‍या-1 द्वारा दर्ज किया गया। इस संबंध में परिवादी द्वारा आपत्ति करने पर विपक्षी संख्‍या-1 द्वारा अन्तिम किस्‍त के समय उक्‍त धनराशि मय ब्‍याज व ओवर ड्यूज को समाप्‍त किये जाने का आश्‍वासन दिया गया, परन्‍तु दिसम्‍बर 2013 के तृतीय सप्‍ताह में विवादित धनराशि 25,275/-रू0 व उस पर लगाये गये ब्‍याज को माफ करने से इंकार कर दिया गया तथा परिवादी को 60,000/-रू0 के भुगतान हेतु कहा गया, जिससे क्षुब्‍ध होकर परिवादी द्वारा विपक्षीगण के विरूद्ध परिवाद जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख योजित करते हुए वांछित अनुतोष की मांग की गयी।

 

 

-3-

     विपक्षीगण द्वारा जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख उत्‍तर पत्र प्रस्‍तुत किया गया तथा परिवादी के कथन से इंकार किया गया।

विपक्षीगण का कथन है कि परिवादी के साथ व्‍यापारिक उद्देश्‍य से ट्रांसपोर्ट के लिए ऋण हायर पर्चेज एग्रीमेन्‍ट के अन्‍तर्गत लेन-देन किया गया है, जिसके सन्‍दर्भ में विवाद उत्‍पन्‍न होने पर विवाद का निस्‍तारण का प्रथम अधिकार मध्‍यस्‍थ को है। परिवाद जिला फोरम के अधिकार क्षेत्र के बाहर है। परिवादी को प्रश्‍नगत वाहन हेतु 2,20,000/-रू0 की वित्‍तीय सहायता प्रदान की गयी तथा इस वित्‍तीय सहायता पर ब्‍याज                61,863/-रू0 है। इस प्रकार कुल 2,81,863/-रू0 निर्धारित 35 मासिक किस्‍तों में अदा करना था तथा परिवादी द्वारा बीमा आदि भी विपक्षी कम्‍पनी से लोन लेकर कराया गया था। इस प्रकार परिवादी को कुल चार लाख इक्‍कीस हजार रूपया विलम्‍ब शुल्‍क सहित अदा करना था, परन्‍तु परिवादी द्वारा तीन लाख इक्‍कीस हजार छ: सौ तेइस रूपया ही अदा किया गया है तथा परिवादी के ऊपर एक लाख चौरानबे हजार रूपया बकाया है।

विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍यों/प्रपत्रों पर विचार करने के उपरान्‍त यह पाया गया कि विपक्षी संख्‍या-1 द्वारा परिवादी के ऋण खाते में 25,275/-रू0 अधिक अंकित किया गया है, जिसका कोई स्‍पष्‍ट विवरण नहीं दिया गया है। परिवादी विपक्षी संख्‍या-1 से 25,275/-रू0 मय ब्‍याज प्राप्‍त करने का अधिकारी है। तदनुसार जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा प्रश्‍नगत आदेश पारित किया गया।

सम्‍पूर्ण तथ्‍यों एवं परिस्थितियों पर विचार करते हुए तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध प्रपत्रों एवं जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का परिशीलन व परीक्षण करने के उपरान्‍त मैं इस मत का हूँ कि विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा समस्‍त तथ्‍यों का सम्‍यक अवलोकन/परिशीलन व परीक्षण करने के उपरान्‍त विधि अनुसार निर्णय पारित किया गया, जिसमें हस्‍तक्षेप हेतु उचित आधार नहीं हैं, परन्‍तु मेरे विचार से जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा जो आदेशित धनराशि पर                09 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्‍याज की देयता निर्धारित की है,  उसे  कम

 

 

-4-

कर 07 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्‍याज किया जाना उचित है। इसके साथ ही जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा आदेशित वाद व्‍यय 2,000/-रू0 को कम कर 1,000/-रू0 एवं मानसिक क्षतिपूर्ति 5,000/-रू0 को कम कर 3,000/-रू0 किया जाना उचित है।

तदनुसार प्रस्‍तुत अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है तथा  जिला उपभोक्‍ता आयोग, अयोध्‍या द्वारा परिवाद संख्‍या-45/2014 महेन्‍द्र प्रताप सिंह बनाम श्रीराम ट्रान्‍सपोर्ट फाइनेन्‍स क0लि0 व एक अन्‍य में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 30.09.2019 को संशोधित करते हुए ब्‍याज की देयता 07 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्‍याज निर्धारित की जाती है तथा विपक्षी संख्‍या-1 द्वारा परिवादी को वाद व्‍यय हेतु 1,000/-रू0 एवं मानसिक क्षतिपूर्ति हेतु 3,000/-रू0 अदा करने हेतु आदेशित किया जाता है। जिला उपभोक्‍ता आयोग का शेष आदेश यथावत् रहेगा।

प्रस्‍तुत अपील में अपीलार्थीगण द्वारा जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित जिला उपभोक्‍ता आयोग को 01 माह में विधि के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए।

आशुलिपि‍क से अपेक्षा की जाती है कि‍ वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

 

                           (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)           

                          अध्‍यक्ष            

जितेन्‍द्र आशु0

कोर्ट नं0-1

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 

Consumer Court Lawyer

Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!
5.0 (615)

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!

Experties

Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes

Phone Number

7982270319

Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.