राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
(मौखिक)
अपील संख्या :1820/2000
(जिला मंच, प्रथम मुरादाबाद द्धारा परिवाद सं0-738/1998 में पारित निर्णय/ आदेश दिनांक 16.6.2000 के विरूद्ध)
Videocon International Ltd., R-7/5, Rajendra Nagar, Ghaziabad, through Ser. Man. Ager, & Managing Director.
........... Appellant/Opp. Party
Versus
1 Mahendra Kr. Sexena, Deputy ganj, Malti Nagar, Thanad Nagfani, Moradabad.
2 Electronic House, Animal Hospital, Court Road, Moradabad
.......... Respondents/Complainant
समक्ष :-
मा0 श्री जितेन्द्र नाथ सिन्हा, पीठासीन सदस्य
अपीलार्थी के अधिवक्ता : श्री अरूण टण्डन
प्रत्यर्थी के अधिवक्ता : कोई नहीं।
दिनांक : 03.11.2015
मा0 श्री जे0एन0 सिन्हा, पीठासीन सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
परिवाद सं0 738/1998 महेन्द्र कुमार सक्सेना बनाम इलैक्ट्रोनिक्स हाऊस व अन्य में जिला मंच, प्रथम मुरादाबाद द्वारा दिनांक 16.6.2000 को निर्णय पारित करते हुए निम्नलिखित आदेश पारित किया गया कि,
"8- विपक्षीगण को आदेश दिया जाता है कि आदेश की सूचना के एक माह में विपक्षीगण परिवादी का फ्रिज वापस लेकर कम्पनी के नियमानुसार वारन्टी के साथ नया फ्रिज दें अथवा उसका मूल्य 8500.00 रू0 वापस करें। प्रत्येक अवस्था में दिनांक 27.10.1998 से फ्रिज बदलने के दिनांक तक अथवा उसका मूल्य 8500.00 रू0 वापस देने के दिनांक तक 8500.00 रू0 पर 18 प्रतिशत वार्षिक ब्याज क्षतिपूर्ति के रूप में भुगतान करें। परिवाद व्यय 1000.00 रू0 भुगतान करें। दोनों विपक्षीगण को भुगतान का उत्तरदायित्व संयुक्त रूप से एवं पृथक-पृथक होगा। विपक्षी सं0-1 परिवादी का 300.00+850.00 कुल रू0 1150.00 तथा उस पर दिनांक 27.10.1998 से भुगतान के दिनांक तक 18 प्रतिशत वार्षिक ब्याज भी भुगतान करें।"
उक्त वर्णित आदेश से क्षुब्ध होकर विपक्षी/अपीलार्थी की ओर से वर्तमान अपील योजित किया गया है।
अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री अरूण टण्डन उपस्थित आये। प्रत्यर्थी की ओर से सूचना के बावजूद भी कोई उपस्थित नहीं है। यह
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अपील वर्ष-2000 से पीठ के समक्ष विचाराधीन है। अत: अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता को सुना तथा प्रश्नगत निर्णय व उपलब्ध अभिलेखों का गम्भीरता से परिशीलन किया गया।
परिवाद पत्र का अभिवचन संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी ने विपक्षी सं0-1 से दिनांक 17.5.1995 को एक वीडियोकौन फ्रिज रू0 8500.00 में खरीदा और उसकी पॉच साल की वारण्टी दी गई थी, उपरोक्त वर्णित फ्रिज दो वर्ष के पश्चात ही खराब हो गया, जिसकी शिकायत परिवादी ने विपक्षी सं0-1 से की, परन्तु विपक्षी ने कोई कार्यवाही नहीं की और शिकायत के चार माह बाद मैकेनिक शुल्क 150.00 जमा करा ली और न तो रसीद दी और बाद में मैकेनिक भेजकर कम्प्रेशर निकलवा कर मंगा लिया और दो माह बाद डुप्लीकेट कम्प्रेशर परिवादी के फ्रिज में लगवा दिया गया और उससे रू0 850.00 ले लिया गया, परन्तु फिर भी फ्रिज नहीं चला और उसकी शिकायत करने पर विपक्षी सं0-1 द्वारा कोई ध्यान नहीं दिया गया, अत: परिवादी द्वारा विपक्षी की सेवा की कमी के दृष्टिगत जिला मंच के समक्ष फ्रिज का मूल्य, मरम्मत शुल्क एवं क्षतिपूर्ति का अनुतोष दिलाये जाने हेतु परिवाद प्रस्तुत किया गया।
विपक्षी सं0-1 की ओर से जिला मंच के समक्ष परिवाद का विरोध किया गया और यह अभिवचित किया गया कि शिकायत कालबाधित है एवं बिजली के उतार चढाव के कारण ही परिवादी का कम्प्रेशर खराब हुआ है, जिसे बदलकर नया लगा दिया गया था, जो सुचारू रूप से कार्य कर रहा था, किसी विशिष्ट दोष का उल्लेख नहीं किया गया है एवं परिवाद झूठे तथ्यों पर आधारित है और निरस्त किये जाने योग्य है।
विपक्षी सं0-2 की ओर से अपनी लिखित आपत्ति प्रस्तुत कर यह अभिवचित किया गया है कि परिवादी ने उनके यहॉ कोई शिकायत नहीं की थी और न ही कोई नोटिस दिया था, शिकायत मित्या तथ्यों पर योजित हुई है, जब तक निर्माण दोष न हो, फ्रिज बदला नहीं जा सकता है एवं वारण्टी काल में विपक्षी सं0-2 सेवा करने को तैयार है एवं परिवाद पोषणीय नहीं है और निरस्त किये जाने योग्य है।
उभय पक्ष के अभिवचन एवं उपलब्ध अभिलेखों पर विचार करते हुए जिला मंच द्वारा उपरोक्त वर्णित निर्णय/आदेश पारित किया गया, जिससे क्षुब्ध होकर वर्तमान अपील योजित है।
वर्तमान प्रकरण में जिला मंच द्वारा विपक्षीगण के संदर्भ में इस आशय का आदेश पारित किया गया है कि आदेश की सूचना के एक माह में विपक्षीगण परिवादी का फ्रिज वापस लेकर कम्पनी के नियमानुसार वारन्टी के साथ नया
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फ्रिज दें अथवा उसका मूल्य 8500.00 रू0 वापस करें। प्रत्येक अवस्था में दिनांक 27.10.1998 से फ्रिज बदलने के दिनांक तक अथवा उसका मूल्य 8500.00 रू0 वापस देने के दिनांक तक 8500.00 रू0 पर 18 प्रतिशत वार्षिक ब्याज क्षतिपूर्ति के रूप में भुगतान करें। परिवाद व्यय 1000.00 रू0 भुगतान करें। दोनों विपक्षीगण को भुगतान का उत्तरदायित्व संयुक्त रूप से एवं पृथक-पृथक होगा। विपक्षी सं0-1 परिवादी का 300.00+850.00 कुल रू0 1150.00 तथा उस पर दिनांक 27.10.1998 से भुगतान के दिनांक तक 18 प्रतिशत वार्षिक ब्याज भी भुगतान करें। अपीलार्थी की ओर से यह तर्क प्रस्तुत किया गया है कि ब्याज की दर जो 18 प्रतिशत अंकित है, वह अधिक है एवं 18 प्रतिशत ब्याज दर उस स्थिति में प्रदान की जानी चाहिए जबकि सेवा में कमी के दृष्टिगत अपीलार्थी/विपक्षी की ओर से घोर लापरवाही की गई हो, परन्तु वर्तमान प्रकरण में ऐसा नहीं है। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा जो ब्याज के संदर्भ में तर्क प्रस्तुत किया गया है उसमें बल पाया जाता है। जिला पीठ द्वारा जो 18 प्रतिशत ब्याज दिलाये जाने हेतु आदेश पारित किया गया है, उसको 18 प्रतिशत के स्थान पर 04 प्रतिशत किया जाना न्यायसंगत एवं उचित प्रतीत होता है। अपील अंशत: स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अंशत: अपील स्वीकार करते हुए जिला मंच, प्रथम मुरादाबाद द्वारा परिवाद सं0 738/1998 महेन्द्र कुमार सक्सेना बनाम इलैक्ट्रोनिक्स हाऊस व अन्य में पारित आदेश दिनांक 16.6.2000 में 18 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर के स्थान पर 04 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर संशोधित की जाती है।
(जे0एन0 सिन्हा)
पीठासीन सदस्य
हरीश आशु.,
कोर्ट सं0-3