(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-1709/2009
Smt. Vimla Devi w/o Sri Charanji Lal
Versus
M/S Mahendra Installment Pvt. Ltd & others
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
उपस्थिति:-
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: श्री एच0के0 श्रीवास्तव, विद्धान अधिवक्ता
प्रत्यर्थी सं0 1 की ओर से उपस्थित:- श्री संजय कुमार वर्मा, विद्धान
अधिवक्ता
प्रत्यर्थी सं0 2 एवं 3 की ओर से उपस्थित:- कोई नहीं
दिनांक :26.09.2024
माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
- परिवाद संख्या-212/2006 श्रीमती विमला देवी बनाम मै0 महेन्द्रा इन्टालमेंट प्रा0लि0 व अन्य में विद्वान जिला आयोग, रामपुर द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांक 05.09.2009 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी अपील पर अपीलार्थी एवं प्रत्यर्थी सं0 1 के विद्धान अधिवक्ता के तर्क को सुना गया। प्रत्यर्थी सं0 2 एवं 3 की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
- परिवाद इस आधार पर निरस्त किया है कि जिला उपभोक्ता आयोग, रामपुर को क्षेत्राधिकार प्राप्त नहीं है, जबकि दिनांक 24.08.2009 को जिला उपभोक्ता आयोग, रामपुर द्वारा ही यह निष्कर्ष दिया जाना चुका था कि उन्हें सुनवाई का क्षेत्राधिकार प्राप्त है। इस निष्कर्ष के बाद क्षेत्राधिकार के बिन्दु पर परिवाद खारिज करना अवैध है। तदनुसार यह निर्णय/आदेश अपास्त होने योग्य है एवं प्रकरण प्रतिप्रेषित किया जाना उचित प्रतीत होता है।
आदेश
प्रस्तुत अपील स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा परिवाद सं0-212/2006 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 05.09.2009 अपास्त जाता है तथा प्रकरण सम्बन्धित जिला उपभोक्ता आयोग को इस आग्रह के साथ प्रतिप्रेषित किया जाता है कि विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग उपरोक्त परिवाद सं0-212/2006 को अपने पुराने नम्बर पर पुनर्स्थापित कर उभय पक्ष को साक्ष्य एवं सुनवाई का अवसर प्रदान करते हुए परिवाद का गुणदोष के आधार पर निस्तारण तीन माह के अंदर करना सुनिश्चित करें।
पक्षकार दिनांक 22.11.2024 को जिला उपभोक्ता आयोग के समक्ष उपस्थित हों।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित अपीलार्थी को यथाशीघ्र विधि के अनुसार वापस की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय)(सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट 2