राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
(सुरक्षित)
अपील सं0- 342/2015
(जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, महराजगंज द्वारा परिवाद सं0- 12/2014 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 21.01.2015 के विरुद्ध)
Punjab National Bank Branch Paratwal District Maharajganj, Through its S.W.O.
………Appellant
Versus
Mahendra Gupta Son of Shri Ram Preet Gupta Aged about 39 Years Resident of Dharmouli Partawal Market, Tappa Baraicha Pargana Haveli Tehsil Sadar P.S. Shyamdeurawa District Maharajganj.
……….Respondents
समक्ष:-
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री एस0एम0 बाजपेयी,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री अम्बरीश कौशल श्रीवास्तव,
विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक:- 02.01.2023
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
1. परिवाद सं0- 12/2014 महेन्द्र गुप्ता बनाम शाखा प्रबंधक, पंजाब नेशनल बैंक में जिला उपभोक्ता आयोग, महराजगंज द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दि0 21.01.2015 के विरुद्ध यह अपील धारा 15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अंतर्गत राज्य आयोग के समक्ष योजित की गई है।
2. जिला उपभोक्ता आयोग ने परिवाद स्वीकार करते हुए बैंक को निर्देशित किया है कि प्रत्यर्थी/परिवादी के खाते से अनाधिकृत रूप से निकाले गए 25,000/-रू0 10 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज के साथ 45 दिन के अन्दर अदा करें। इसके पश्चात 18 प्रतिशत ब्याज देय होगा।
3. परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि प्रत्यर्थी/परिवादी, अपीलार्थी/विपक्षी बैंक के शाखा का खाताधारक है जिसका खाता सं0- 0830000100187752 है। अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा उक्त खाते पर ए0टी0एम0 कार्ड एवं चेक प्रत्यर्थी/परिवादी को जारी किया गया है, जिसके आधार पर प्रत्यर्थी/परिवादी ने मु0 49,000/-रू0 विड्राल के माध्यम से निकाला और दि0 10.08.2013 को ए0टी0एम0 के माध्यम से बैलेंस पता किया तो ए0टी0एम0 से बाहर निकलने के 1.42 सेकेंड बाद मोबाइल पर मैसेज आया कि मु0 15,000/- एवं मु0 10,000/- अर्थात कुल मु0 25,000/- उसके खाते से निकल गए। तब प्रत्यर्थी/परिवादी ने ए0टी0एम0 से पैसे गायब होने की शिकायत अपीलार्थी/विपक्षी बैंक से की तो अपीलार्थी/विपक्षी ने कहा कि प्रत्यर्थी/परिवादी कस्टमर केयर पर भी शिकायत नोट करा दें। अपीलार्थी/विपक्षी के निर्देशानुसार प्रत्यर्थी/परिवादी ने कस्टमर केयर पर भी शिकायत नोट कराया जिसका नं0- 60177065 है। प्रत्यर्थी/परिवादी ने अपीलार्थी/विपक्षी से कार्यवाही करने व वीडियो फोटो निकलवाने तथा पैसे को खाते में वापस करने का अनुरोध किया, किन्तु अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा प्रत्यर्थी/परिवादी को झूठा आश्वासन दिया जाता रहा। प्रत्यर्थी/परिवादी ने दि0 06.12.2013 को जरिए अधिवक्ता नोटिस दिया, किन्तु अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा कोई उत्तर नहीं दिया गया, जिससे व्यथित होकर प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा परिवाद योजित किया गया।
4. अपीलार्थी/विपक्षी ने प्रतिवाद पत्र में कथन किया गया है कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने दि0 10.08.2013 को अपने खाते से मु0 49,000/- की निकासी किया तथा उसी दिन अपने ए0टी0एम0 कार्ड नं0- 5126520016893864 का प्रयोग करते हुए ट्रांजेक्शन सं0- 668 समय 13:54 बजे पर 15,000/-रू0 व ट्रांजेक्शन सं0- 671 समय 13:58 बजे पर मु0 10,000/-रू0 पंजाब नेशनल बैंक शाखा परतावल बाजार के ए0टी0एम0 से निकाला। अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा प्रत्यर्थी/परिवादी को कभी कोई झूठा आश्वासन नहीं दिया गया और न ही बैंक में बार-बार बुलाया गया। प्रत्यर्थी/परिवादी की लापरवाही के कारण ही उसके ए0टी0एम0 कार्ड के दुरुपयोग से प्रश्नगत धनराशि निकलना सम्भव हो सकता है। अपीलार्थी/विपक्षी बैंक द्वारा प्रत्यर्थी/परिवादी की सेवा में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं की गई है। तदनुसार परिवाद निरस्त किए जाने योग्य है।
5. पक्षकारों के साक्ष्य पर विचार करने के पश्चात जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा यह निष्कर्ष दिया गया कि प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा दि0 10.08.2013 को 1:46 मिनट पर बैंक के शाखा प्रबंधक को सूचना दी गई। ए0टी0एम0 की वीडियो फुटेज प्राप्त करने का अनुरोध किया जो उपलब्ध नहीं करायी गई। इसलिए 25,000/-रू0 प्रत्यर्थी/परिवादी के खाते से अवैध रूप से निकलने का तथ्य साबित है जिसके लिए बैंक उत्तरदायी है। तदनुसार उपरोक्त वर्णित निर्णय एवं आदेश पारित किया गया।
6. इस निर्णय एवं आदेश को इन आधारों पर चुनौती दी गई है कि जिला उपभोक्ता आयोग ने तथ्य एवं साक्ष्य के विपरीत निर्णय पारित किया है। सी0सी0टी0वी0 फुटेज की आपूर्ति न करने मात्र से बैंक के स्तर से सेवा में कमी नहीं मानी जा सकती। जिला उपभोक्ता आयोग ने केस के तथ्यों के अनुसार अपना निर्णय पारित नहीं किया और प्रत्यर्थी/परिवादी के पक्ष में साक्ष्य के विपरीत निर्णय पारित किया जो अपास्त होने योग्य है।
7. हमने अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री एस0एम0 बाजपेयी एवं प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री अम्बरीश कौशल श्रीवास्तव को सुना। प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश का अवलोकन किया तथा जिला उपभोक्ता आयोग की मूल पत्रावली भी तलब किया।
8. अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का यह कथन है कि स्वयं प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा ही अपना ए0टी0एम0 का प्रयोग करते हुए दि0 10.08.2013 को 49,000/-रू0 निकाले गए और पुन: इस तिथि को 25,000/-रू0 निकाले गए। इसलिए बैंक द्वारा सेवा में कोई कमी नहीं की गई। सी0सी0टी0वी0 फुटेज उपलब्ध न कराने मात्र से बैंक को उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता।
9. जिला उपभोक्ता आयोग की मूल पत्रावली के अवलोकन से ज्ञात होता है कि प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा सी0सी0टी0वी0 फुटेज प्राप्त करने का आवेदन दिया गया कि दि0 10.08.2013 को 1 बजकर 2 मिनट पर 49,000/-रू0 निकाले गए थे और बैलेंस का भी पता किया था। 1 बजकर 42 मिनट पर मोबाइल पर मैसेज आया कि 15,000/-रू0 एवं 10,000/-रू0 कुल 25,000/-रू0 खाते से निकाल लिए गए हैं। यदि बैंक के ए0टी0एम0 का सी0सी0टी0वी0 फुटेज सुचारु रूप से संचालित होता तब इस तथ्य का ज्ञान सुगमता से हो सकता था कि क्या प्रत्यर्थी/परिवादी स्वयं अंकन 25,000/-रू0 की निकासी की है या किसी अन्य व्यक्ति द्वारा यह निकासी की गई है। प्रत्यर्थी/परिवादी ने सशपथ इस तथ्य को साबित किया है कि उसके खाते से जो 25,000/-रू0 की निकासी की गई है वह उसके द्वारा नहीं की गई। बैंक द्वारा इस शपथ पत्र का खण्डन सी0सी0टी0वी0 फुटेज उपलब्ध कराकर किया जा सकता था, परन्तु ऐसा नहीं किया गया। प्रत्यर्थी/परिवादी के अनुरोध पर भी सी0सी0टी0वी0 फुटेज उपलब्ध नहीं करायी गई। प्रत्यर्थी/परिवादी की शिकायत पर कोई जांच नहीं की गई। इसलिए बैंक के स्तर से प्रत्यर्थी/परिवादी के प्रति सेवा में कमी की गई है। जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई आधार नहीं है। तदनुसार अपील खारिज किए जाने योग्य है।
आदेश
10. अपील खारिज की जाती है। जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश की पुष्टि की जाती है। अपील में उभयपक्ष अपना-अपना व्यय स्वयं वहन करेंगे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(विकास सक्सेना) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
शेर सिंह, आशु0,
कोर्ट नं0-2