(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-325/2010
यू.पी. पावर कारपोरेशन लिमिटेड बनाम महबूब इकबाल
समक्ष:-
1. माननीय श्री राजेन्द्र सिंह, सदस्य।
2. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
दिनांक: 28.11.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-249/2008, महबूब इकबाल बनाम विद्युत विभाग में विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग, बिजनौर द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांक 25.1.2010 के विरूद्ध प्रस्तुत की गई अपील पर अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री इसार हुसैन को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/पत्रावली का अवलोकन किया गया। प्रत्यर्थी की ओर से बहस के लिए कोई उपस्थित नहीं है, यद्यपि नोटिस की तामील हो चुकी है।
2. विद्वान जिला आयोग ने परिवाद स्वीकार करते हुए परिवादी के विरूद्ध जारी मांग पत्र अंकन 80,992/-रू0 को निरस्त किया है।
3. परिवाद के तथ्यों के अनुसार परिवादी मुस्लिम जूनियर हाईस्कूल का पूर्व प्रबंधक है, इस स्कूल में विद्युत प्रयोग के लिए दिनांक 27.9.2008 को अंकन 57,491/-रू0 का डिमांड नोटिस भेजा गया था, इसके पूर्व भी परिवादी को विद्युत कनेक्शन सं0-4307/046057 के संबंध में डिमांड नोटिस भेजी जा रही थी। परिवादी द्वारा अपने कार्यकाल के दौरान दिनांक 30.3.2003 को अंकन 3150/-रू0 जमा कराकर पी.डी. करा लिया गया था, इसके बावजूद डिमांड नोटिस भेजा रहा है।
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4. विपक्षी का कथन है कि परिवादी को दो किलोवाट का विद्युत कनेक्शन जारी किया गया है। परिवादी पर सितम्बर 2009 तक अंकन 80,992/-रू0 बकाया हैं। कनेक्शन जारी करते समय परिवादी स्कूल का प्रबंधक था, इस पद से हटने की कोई सूचना विभाग को नहीं दी गई। इस तथ्य को स्वीकार किया गया कि परिवादी ने अंकन 3150/-रू0 जमा कर पी.डी. रसीद प्राप्त की थी, इसके पश्चात उपभोक्ता ने पी.डी. से संबंधित कोई कार्यवाही नहीं की गई।
5. विद्वान जिला आयोग ने दोनों पक्षों की साक्ष्य पर विचार करने के पश्चात यह निष्कर्ष दिया कि चूंकि परिवादी द्वारा पी.डी. शुल्क जमा कर दिया गया था तब इसके पश्चात विभाग को बिल जारी करने का कोई अधिकार नहीं था। तदनुसार उपरोक्त वर्णित निर्णय/आदेश पारित किया गया।
6. इस निर्णय/आदेश के विरूद्ध प्रस्तुत की गई अपील के ज्ञापन में वर्णित तथ्यों तथा मौखिक बहस का सार यह है कि परिवाद दिनांक 4.12.2008 को प्रस्तुत किया गया है। विद्युत शुल्क की वसूली के लिए मांग पत्र जारी किया गया था। परिवादी द्वारा मीटर वापस नहीं लौटाया गया, इसलिए पी.डी. नहीं किया गया। पी.डी. दिनांक 29.10.2009 को किया गया है।
7. स्वंय अपील में ज्ञापित तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए यह तथ्य स्थापित हो जाता है कि परिवादी द्वारा पी.डी. के लिए आवेदन दिया गया था तथा पी.डी. शुल्क भी जमा किया गया था, परन्तु विद्युत मीटर न लौटाने के कारण विच्छेदन की कार्यवाही नहीं की जा सकी, इस स्थिति में भी विद्युत विभाग अधिकतम 06 माह की अवधि तक सामान्य/न्यूनतम विद्युत शुल्क वसूल करने के लिए अधिकृत था न कि
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उस सम्पूर्ण अवधि के लिए जिस दौरान विद्युत मीटर नहीं लौटाया गया। अत: पी.डी. के लिए आवेदन प्रस्तुत करने की तिथि से 06 माह की अवधि तक विद्युत विभाग न्यूनतम विद्युत शुल्क वसूल करने के लिए अधिकृत है न कि सम्पूर्ण अवधि के लिए। तदनुसार विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश संशोधित होने और प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
8. प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश इस प्रकार परिवर्तित किया जाता है कि परिवादी द्वारा पी.डी. शुल्क जमा करने के पश्चात केवल 06 माह की अवधि तक उससे न्यूनतम विद्युत शुल्क वसूल किया जा सकता है, इसके पश्चात कोई शुल्क वसूलनीय नहीं है।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित सम्बन्धित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0, कोर्ट-2