राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
मौखिक
अपील सं0-2630/2015
(जिला उपभोक्ता आयोग, इटावा द्वारा परिवाद सं0-24/2009 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 27-11-2015 के विरूद्ध)
डॉ0 सुरेश बौद्ध पुत्र श्री शंकर लाल निवासी बसरेहर किल्ली रोड, थाना-बसरेहर, जिला इटावा।
...........अपीलार्थी/विपक्षी।
बनाम
महावीर पुत्र श्री कल्यान सिंह निवासी ग्राम दुगावली, थाना-बसरेहर, जिला इटावा।
............ प्रत्यर्थी/परिवादी।
समक्ष:-
1. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. मा0 श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: कोई नहीं।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक :- 31-07-2024.
मा0 श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 की धारा-15 के अन्तर्गत, जिला उपभोक्ता आयोग, इटावा द्वारा परिवाद सं0-24/2009 महावीर बनाम डॉ0 सुरेश बौद्ध में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 27-11-2015 के विरूद्ध योजित अपील पर बल देने के लिए कोई उपस्थित नहीं है।
परिवाद के तथ्यों के अनुसार अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा परिवादी की पुत्रवधू अनुपम के इलाज में लापरवाही के फलस्वरूप उसकी हालत खराब हो गई, जिसका इलाज अन्तत: आगरा में कराना पड़ा। विद्वान जिला आयोग ने इस आधार पर परिवाद स्वीकार करते हुए अंकन 1,55,000/- रू0 क्षतिपूर्ति की अदायगी का आदेश पारित किया है कि विपक्षी डॉक्टर एक झोलाछाप डॉक्टर है और योग्य चिकित्सक नहीं है। उसके द्वारा इलाज में लापरवाही बरतने का तथ्य साबित है।
तदनुसार विद्वान जिला आयोग ने निम्नलिखित आदेश पारित किया :-
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'' परिवाद विपक्षी के विरूद्ध 1,55,000/- रू0 की वसूली हेतु स्वीकार किया जाता है। इस धनराशि पर वाद योजन की तिथि से वास्तविक भुगतान की तिथि तक 7 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज भी देना होगा, विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि उपरोक्तानुसार धनराशि निर्णय के एक माह में परिवादी को अदा करे। ''
पीठ द्वारा स्वयं पत्रावली का सम्यक् रूप से परिशीलन किया गया तथा प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश का अवलोकन किया गया।
अपील के ज्ञापन में अपीलार्थी का केवल यह कथन है कि उसके द्वारा इलाज नहीं किया गया, परन्तु यह साबित करने में वह असफल रहा है कि अपीलार्थी एक वैध योग्यताधारक चिकित्सक है। अपीलार्थी का यह भी कथन है कि वह डॉ0 भीमराव अम्बेडकर ज्वाइंट हास्पिटल (मेल), इटावा में भर्ती था, जिसका मेडिकल सर्टिफिकेट प्रस्तुत किया गया था, जिसमें बेड रेस्ट की अनुमति दी गई थी। बेड रेस्ट करने का उल्लेख होने मात्र से यह नहीं माना जा सकता कि यथार्थ में अपीलार्थी द्वारा कोई कार्यवाही निष्पादित नहीं किया गया। बेड रेस्ट का उल्लेख अस्पताल में भर्ती होना नहीं माना जा सकता। इसलिए अपील में लिए गए आधार बलहीन व सारहीन होने के कारण स्वीकार योग्य नहीं है।
अत: उपरोक्त समस्त तथ्य एवं परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए हम इस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं कि विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित आदेश में किसी प्रकार के हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है और वर्तमान अपील तदनुसार निरस्त होने योग्य है।
आदेश
वर्तमान अपील निरस्त की जाती है। जिला उपभोक्ता आयोग, इटावा द्वारा परिवाद सं0-24/2009 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 27-11-2015 की पुष्टि की जाती है।
अपील व्यय उभय पक्ष अपना-अपना स्वयं वहन करेंगे।
अपीलार्थी द्वारा यदि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा-15 के अन्तर्गत कोई धनराशि जमा की गई हो तो वह सम्पूर्ण धनराशि मय अर्जित ब्याज के
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सम्बन्धित जिला आयोग को विधि अनुसार शीघ्रातिशीघ्र प्रेषित कर दी जाए ताकि विद्वान जिला आयोग द्वारा प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश के सन्दर्भ में उक्त धनराशि का विधि अनुसार निस्तारण किया जा सके।
उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्ध करायी जाय।
वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
दिनांक :- 31-07-2024.
प्रमोद कुमार,
वैय0सहा0ग्रेड-1,
कोर्ट नं.-3.