Uttar Pradesh

StateCommission

A/2010/1256

Oriental Bank Of Commerce - Complainant(s)

Versus

Mahaveer Singh - Opp.Party(s)

Prasant Kumar Tiwari

12 Apr 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2010/1256
( Date of Filing : 22 Jul 2010 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Oriental Bank Of Commerce
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Mahaveer Singh
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Rajendra Singh PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 12 Apr 2022
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

सुरक्षित

अपील संख्‍या-1256/2010

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, बिजनौर द्वारा परिवाद संख्‍या-144/2008 में पारित निर्णय दिनांक 24.06.2010 के विरूद्ध)

ओरियंटल बैंक आफ कामर्स संशोधित पंजाब नेशनल बैंक ब्रांच

फुलसन्‍दा जिला बिजनौर द्वारा मैनेजर।            ......अपीलार्थी@विपक्षी

बनाम

महावीर सिंह(मेजर) पुत्र खुशीराम निवासी फुलसन्‍दी पोस्‍ट फुलसन्‍दा

व अन्‍य।                                    .....प्रत्‍यर्थीगण/परिवादी

समक्ष:-

1. मा0 श्री राजेन्‍द्र सिंह, सदस्‍य।

2. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित  : श्री उपेन्‍द्र सिंह, विद्वान

                            अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित   : श्री एच0के0 श्रीवास्‍तव, विद्वान

                            अधिवक्‍ता।

दिनांक 23.05.2022

मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

1.   परिवाद संख्‍या 144/2008 महावीर सिंह बनाम ओरियंटल बैंक आफ कामर्स में पारित निर्णय/आदेश दि. 24.06.2010 के विरूद्ध यह अपील प्रस्‍तुत की गई है। परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार करते हुए बैंक को निर्देशित किया गया है कि परिवाद को रू. 175000/- उसके खाता संख्‍या 5477 में ट्रांसफर करें, 30 दिन की अवधि के पश्‍चात परिवादी 6 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से ब्‍याज प्राप्‍त करने के लिए अधिकृत होगा।

2.   परिवाद के तथ्‍य इस प्रकार हैं कि विपक्षी बैंक में परिवादी का खाता संख्‍या 5477 है, जिसमें गन्‍ने का भुगतान आता है और अपनी बचत का पैसा जमा करता है। परिवादी के लड़के ओमकार ने एक बार दो लाख रूपये का ऋण कारोबार हेतु प्राप्‍त किया था, जिसमें परिवादी गारंटर था। उक्‍त ऋण के गारंटर के रूप में विपक्षी ने विभिन्‍न दस्‍तावेजों पर अंगूठा लगवा

-2-

लिए थे। ओमकार के पास डेढ़ बीघा कृषि भूमि है और अन्‍य कोई संपत्ति नहीं है। ओमकार द्वारा ऋण की अदायगी न करने पर गारंटर के रूप में उसके खाते से पैसा निकाल लिया और खाता बंद कर दिया तथा अदेयता प्रमाणपत्र जारी कर दिया, इसलिए परिवादी के खाते से निकाली गई राशि को वापस प्राप्‍त करने के लिए परिवाद प्रस्‍तुत किया गया।

3.   बैंक का कथन है कि वादी ने अपने पुत्र द्वारा लिए गए ऋण की गारंटी दी थी। बैंक द्वारा अंकन रू. 450000/- का कैश क्रेडिट लिमिट तथा अंकन रू. 180000/- का ट्रम लोन स्‍वीकार किया था। परिवादी ने गारंटी दी थी। ऋण बकाया होने के कारण परिवादी के खाते से परिवादी ने स्‍वेच्‍छा से यह राशि ट्रांसफर कराई है, उसके द्वारा स्‍वेच्‍छा से गारंटी प्रपत्रों पर हस्‍ताक्षर किए गए हैं।

4.   दोनों पक्षकारों के साक्ष्‍य पर विचार करने के पश्‍चात जिला उपभोक्‍ता मंच द्वारा यह निष्‍कर्ष दिया गया कि वादी के खाते से बगैर उसकी अनुमति के धनराशि अन्‍य खाते में ट्रांसफर कर बैंक ने सेवा में कमी की है। तदनुसार उपरोक्‍त वर्णित आदेश पारित किया गया।

5.   इस निर्णय व आदेश को इन आधारों पर चुनौती दी गई है कि जिला उपभोक्‍ता मंच द्वारा पारित निर्णय विधि विरूद्ध है। परिवादी ने बतौर गारंटर इस आशय की सहमति दी थी कि उसके खाते से ऋण की वसूली की जा सकती है, इसलिए जिला उपभोक्‍ता मंच द्वारा पारित निर्णय अपास्‍त होने योग्‍य है।

6.   दोनों पक्षकारों के विद्वान अधिवक्‍ताओं को सुना। प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश व पत्रावली का अवलोकन किया गया।

 

-3-

7.   अपीलार्थी बैंक को यह तथ्‍य स्‍वीकार है कि उनके द्वारा परिवादी के खाते से राशि आहरित की गई है, परन्‍तु बैंक का कथन है कि यह राशि इसलिए आहरित की गई है‍ कि परिवादी ने बतौर गारंटर बैंक को अधिकृत किया था तथा उसके खाते से उसके पुत्र द्वारा लिए गए ऋण की वसूली की जा सकती है। गारंटी करार की प्रति पत्रावली पर एनेक्‍सर संख्‍या 07 के रूप में मौजूद है, जिस पर महावीर सिंह का अंगूठा निशानी है। इस करार में स्‍पष्‍ट उल्‍लेख है कि परिवादी के खाते में जमा राशि पर बैंक का धारणाधिकार होगा और बैंक परिवादी के खाते में जमा राशि को मुजरा करने के लिए अधिकृत होगा, अत: स्‍पष्‍ट है कि स्‍वयं परिवादी द्वारा एक करार के तहत बैंक को अधिकृत किया गया है कि उसके पुत्र द्वारा लिए गए ऋण की राशि का भुगतान यदि उसके पुत्र द्वारा नहीं किया जाता तब परिवादी के खाते में जो राशि जमा है उसका उपयोग बैंक द्वारा किया जा सकता है और बैंक द्वारा इस करार के अनुसार ही परिवादी के खाते में जमा राशि का उपयोग उसके पुत्र द्वारा लिए गए ऋण के बदले में किया गया है। बैंक द्वारा की गई समस्‍त कार्यवाही विधिसम्‍मत है। जिला उपभोक्‍ता मंच द्वारा पारित निर्णय विरूद्ध है, अत: अपील स्‍वीकार होने योग्‍य है।

आदेश

8.   अपील स्‍वीकार की जाती है। जिला उपभोक्‍ता मंच द्वारा पारित निर्णय व आदेश अपास्‍त किया जाता है। परिवाद खारिज किया जाता है।

     उभय पक्ष अपना-अपना अपीलीय व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

          आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की

 

 

 

 

-4-

वेबसाइड पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

         

       (राजेन्‍द्र सिंह)                      (सुशील कुमार)                                                                                                                                                 सदस्‍य                             सदस्‍य

निर्णय आज खुले न्‍यायालय में हस्‍ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित किया गया।

 

        (राजेन्‍द्र सिंह)                      (सुशील कुमार)                                                                                                                                                  सदस्‍य                             सदस्‍य         

राकेश, पी0ए0-2

कोर्ट-2

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Rajendra Singh]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
JUDICIAL MEMBER
 

Consumer Court Lawyer

Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!
5.0 (615)

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!

Experties

Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes

Phone Number

7982270319

Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.