Vishnu Saini filed a consumer case on 07 Apr 2015 against Mahatma Gandhi Engineering in the Jaipur-IV Consumer Court. The case no is CC/838/2013 and the judgment uploaded on 11 May 2015.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जयपुर चतुर्थ, जयपुर
पीठासीन अधिकारी
डाॅ. चन्द्रिका प्रसाद शर्मा, अध्यक्ष
डाॅ. अलका शर्मा, सदस्या
श्री अनिल रूंगटा, सदस्य
परिवाद संख्या:-838/2013 (पुराना परिवाद संख्या 748/2011)
श्री विष्णु सैनी पुत्र श्री मनोहरलाल सैनी, जाति माली, निवासी- डाबला, तहसील नीमकाथाना, जिला सीकर (राजस्थान) ।
परिवादी
बनाम
महात्मा गांधी इंजीनियरिंग काॅलेज, षिवदासपुरा, टोंक रोड, जयपुर जरिये प्राधिकृत अधिकारी ।
विपक्षी
उपस्थित
परिवादी की ओर से श्री राजेष कुमार सैनी/श्री सुमेर सैनी, एडवोकेट
विपक्षी की ओर से श्री एम.एस.बैग, एडवोकेट
निर्णय
दिनांकः- 07.04.2015
यह परिवाद, परिवादी द्वारा विपक्षी के विरूद्ध दिनंाक 11.04.2011 को निम्न तथ्यों के आधार पर प्रस्तुत किया गया हैः-
परिवादी ने विपक्षी महाविद्यालय में प्रवेष लेने के लिए आवेदन किया था और परिवादी ने विपक्षी महाविद्यालय में दिनंाक 30.08.2010 को 20,000/-रूपये एवं दिनांक 04.09.2010 को 20,000/-रूपये एवं कोषन मनी 5,000/-रूपये अर्थात् कुल 45,000/-रूपये जमा करवाये थे । परिवादी को विपक्षी महाविद्यालय में मैकेनिकल ब्रांच में प्रवेष दिया जाकर सैक्षन डी व रोल नम्बर 40 आवंटित किया गया था। परिवादी विपक्षी महाविद्यालय में नियमित विद्यार्थी के रूप में अध्ययनरत् रहा । परिवादी ने बोर्ड आॅफ टैक्निकल एज्यूकेषन, राजस्थान, जोधपुर में एनरोल हेतु नियत फीस 10,000/-रूपये भी जमा करवा दी थी । लेकिन परिवादी को बताया गया कि उसका एनरोल विपक्षी महाविद्यालय द्वारा की गई तकनीकी खामी के कारण नहीं हो पाया हैं । इसलिए विपक्षी महाविद्यालय की लापरवाही के कारण परिवादी प्रथम सेमेस्टर की परीक्षा में नहीं बैठ सका । जिसके लिए विपक्षी महाविद्यालय उत्तरदायी हैं और यह विपक्षी महाविद्यालय का सेवादोष हैं तथा इस सेवादोष के आधार पर परिवादी अब विपक्षी महाविद्यालय से परिवाद के मद संख्या 09 में अंकित सभी अनुतोष प्राप्त करने का अधिकारी हैं ।
विपक्षी महाविद्यालय की ओर से दिये गये जवाब में कथन किया गया है कि परिवादी द्वारा 45,000/-रूपये फीस के रूप में जमा कराना स्वीकार हैं । परिवादी को एनरोलमेन्ट नम्बर 10म्प्डळब्म्ड3ग्ज्061 दिया गया था और उसे एडमिषन कार्ड भी प्राप्त हो चुका था । परन्तु परिवादी ने जान-बूझकर परीक्षा नहीं दी । इसके लिए विपक्षी महाविद्यालय का कोई सेवादोष नहीं हैं । अतः परिवाद, परिवादी निरस्त किया जावें ।
परिवाद के तथ्यों की पुष्टि में परिवादी श्री विष्णु सैनी ने स्वयं के शपथ पत्र के साथ कुल 08 पृष्ठ दस्तावेज प्रदर्ष-1 से प्रदर्ष-10 प्रस्तुत किये । जबकि जवाब के तथ्यों की पुष्टि में विपक्षी महाविद्यालय की ओर से प्राधिकृत अधिकारी श्री राजीव जैन एवं श्री ओमप्रकाष जोषी के शपथ पत्र एवं प्रदर्ष-1 से प्रदर्ष-15 दस्तावेज प्रस्तुत किये गये ।
बहस अंतिम सुनी गई एवं पत्रावली का आद्योपान्त अध्ययन किया गया ।
प्रस्तुत प्रकरण में परिवादी का कथन है कि उसने विपक्षी महाविद्यालय में ’मैकेनिकल ब्रांच’ में प्रवेष लेकर दिनंाक 30.08.2010 एवं 04.09.2010 को क्रमषः 20,000/-रूपये एवं 25,000/-रूपये अर्थात् कुल 45,000/-रूपये जमा कराये थे । और बोर्ड आॅफ टैक्नीकल एज्यूकेषन, राजस्थान, जोधपुर में एनरोल होने के लिए 10,000/-रूपये फीस जमा कराई थी । लेकिन विपक्षी महाविद्यालय ने परिवादी का एनरोलमेन्ट नम्बर नहीं मिलने के कारण उसे प्रथम सेमेस्टर की परीक्षा में बैठने से मना कर दिया । लेकिन विपक्षी महाविद्यालय की ओर से प्रस्तुत दस्तावेज प्रदर्ष-1 ।कउपेेपवद ब्ंतक, प्रदर्ष-2 म्गंउपदंजपवद थ्वतउ 2010.2011 एवं प्रदर्ष-3 ब्वदपितउंजपवद व ि।चचसपबंजपवद थ्वतउ वित म्दतवससउमदज - म्सपहपइपसपजल.2010.2011 में परिवादी का एनरोलमेन्ट नम्बर दर्ज हैं । और ये तीनों दस्तावेज इस तथ्य के प्रतीक और प्रमाण हैं कि परिवादी को विपक्षी महाविद्यालय के प्रयास के आधार पर एनरोेेेेेलमेन्ट नम्बर मिल चुका था । इसलिए परिवादी का यह कथन कि एनरोलमेन्ट नम्बर के अभाव में उससे प्रथम सेमेस्टर की परीक्षा में बैठने से रोका गया, सही माने जाने योग्य नहीं हैं । इसके अतिरिक्त विपक्षी महाविद्यालय की ओर से प्रस्तुत प्रदर्ष-4 से प्रदर्ष-14 दस्तावेज वे दस्तावेज हैं जो यह बताते हैं कि परिवादी परीक्षा के दौरान उपस्थित रहा है और उसने विपक्षी महाविद्यालय की विभिन्न विषयों की कक्षाओं में समय समय पर उपस्थिति दी हैं । इसलिए विपक्षी महाविद्यालय द्वारा परिवादी को प्रथम सेमेस्टर की परीक्षा में बैठने से किसी प्रकार से रोका गया हो, यह तथ्य माने जाने योग्य नहीं हैं बल्कि परिवादी को एनरोलमेन्ट नम्बर मिल गया था और उसने विपक्षी महाविद्यालय में उक्त पाठ्यक्रम के च्मतपवके में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई थी । इसलिए स्वयं परिवादी ने परीक्षा से अनुपस्थित रहकर परीक्षा नहीं दी हैं । इसमें विपक्षी महाविद्यालय का कोई सेवादोष नहीं हैं ।
अतः उपरोक्त समस्त विवेचन के आधार पर परिवादी विपक्षी महाविद्यालय के विरूद्ध कोई अनुतोष प्राप्त करने का अधिकारी नहीं हैं और परिवाद, परिवादी विपक्षी महाविद्यालय के विरूद्ध अस्वीकार किया जाता हैं ।
आदेश
अतः उपरोक्त समस्त विवेचन के आधार पर परिवाद, परिवादी विपक्षी महाविद्यालय के विरूद्ध निरस्त किया जाता हैं ।
अनिल रूंगटा डाॅं0 अलका शर्मा डाॅ0 चन्द्रिका प्रसाद शर्मा
सदस्य सदस्या अध्यक्ष
निर्णय आज दिनांक 07.04.2015 को पृथक से लिखाया जाकर खुले मंच में हस्ताक्षरित कर सुनाया गया ।
अनिल रूंगटा डाॅं0 अलका शर्मा डाॅ0 चन्द्रिका प्रसाद शर्मा
सदस्य सदस्या अध्यक्ष
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