प्रकरण क्र.सी.सी./14/31
प्रस्तुती दिनाँक 21.01.2014
व्ही.एन.रनगिरे, आ.नारायण राव रनगिरे, आयु-63 वर्ष, निवासी-मकान नं.एल.आई.जी.2/157, हाऊसिंग बोर्ड, कैलाशनगर, वार्ड नं.14, थाना- जामुल, भिलाई, तह. व जिला-दुर्ग (छ.ग.) - - - - परिवादी
विरूद्ध
1. मैग्मा एच.डी.आई.जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमि., द्वारा-शाखा प्रबंधक, मुख्य कार्यालय-मैग्मा हाउस 24 पार्क स्ट्रीट, कोलकाता 700016 क्षेत्रीय कार्यालय मकान नं.3 चिरहुलडीह वार्ड, राजकुमार काॅलेज के सामने, एन.एच.रोड, तह. व जिला-रायपुर (छ.ग.)
2. स्था. कार्या. भिलाई-परिवर्तित पता-सुपेला घड़ी चैक, अनाल आटो के बगल में दक्षिण गंगोत्री, सुपेला, भिलाई,तह. व जिला-दुर्ग(छ.ग.)
- - - - अनावेदकगण
आदेश
(आज दिनाँक 09 मार्च 2015 को पारित)
श्रीमती मैत्रेयी माथुर-अध्यक्ष
परिवादी द्वारा अनावेदकगण से बीमा राशि 2,32,503रू. मय ब्याज, वाद व्यय व अन्य अनुतोष दिलाने हेतु यह परिवाद धारा- 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अंतर्गत प्रस्तुत किया है।
(2) प्रकरण मंे स्वीकृत तथ्य है कि अनावेदक बीमा कंपनी द्वारा वाहन क्र.सी.जी.07/टी/3908 का बीमा किया गया था।
परिवाद-
(3) परिवादी का परिवाद संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी के वाहन टाटा मैजिक इरिश क्र.सी.जी.07/टी/3908 का बीमा अनावेदक के द्वारा किया गया था, जिससे परिवादी अपनी जीविकोपार्जन किया करता था। परिवादी के द्वारा अपने वाहन को दिनांक 15-16 अक्टूबर 2013 को रात में अज्ञात व्यक्तियों के द्वारा परिवादी के वाहन को अग्नि से जला दिया गया, जिसकी परिवादी के द्वारा संबंधित थानें में रिपोर्ट दर्ज कराते हुए सूचना अनावेदक बीमा कंपनी को दी गई। अनावेदक बीमा कंपनी के द्वारा वाहन का सर्वे कराया गया तथा वाहन की परिमिट की मांग की गई तथा क्षति राशि प्रदान करने से इंकार कर दिया। परिवादी का अभिकथन है कि कि परिमिट मांग पत्र में परिवादी के वाहन व दावा की प्रविष्टियां गलत अंकित की गई है। इस प्रकार अनावेदक बीमा कंपनी द्वारा बमित वाहन की क्षतिपूर्ति न कर सेवा में कमी की गई है। अतः परिवादी को अनावेदकगण से बीमा राशि 2,32,503रू. मय ब्याज, वाद व अन्य अनुतोष दिलाया जावे।
जवाबदावाः-
(4) अनावेदक बीमा कंपनी का जवाबदावा इस आशय का प्रस्तुत है कि परिवादी के वाहन का बीमा अनावेदक के द्वारा किया गया था, किंतु परिवादी के वाहन में उसका कोई बीमित हित शेष नहीं था क्योंकि उसके द्वारा अपने वाहन को पूर्व में ही श्री रवि सिंह आ सतनाम सिंह को बेच दिया गया था, जो कि प्रथम सूचना रिर्पोट से स्पष्ट है। अनावेेदक बीमा कंपनी तथा वाहन के मालिक रवि सिंह के मध्य कोई बीमा संविदा नहीं है। प्रस्तुत प्रकरण में इंडियन मोटर टेरिफ में वर्णित जनरल रेग्युलेशन 17 का पालन नहीं किया गया है। परिवादी के वाहन का घटना दिनंाक 15-16 अक्टूबर 2013 को वाहन का परमिट नहीं था। श्री जगत रत्नानी, सर्वेयर के द्वारा वाहन में क्षतिधन का आंकलन 64,000रू. किया गया था, किंतु परिवादी के द्वारा अपना दावा वापस करने हेतु आवेदन दि.11.11.2013 को अनावेदक को दिया गया था, जिसके कारण परिवादी के दावे को बंद कर दिया गया। परिवादी, अनावेदक से किसी प्रकार के अनुतोष को पाने की पात्रता नहीं रखता, परिवादी के द्वारा प्रस्तुत परिवाद सव्यय निरस्त किया जावे।
(5) उभयपक्ष के अभिकथनों के आधार पर प्रकरण मे निम्न विचारणीय प्रश्न उत्पन्न होते हैं, जिनके निष्कर्ष निम्नानुसार हैं:-
1. क्या परिवादी, अनावेदक बीमा कंपनी से बीमा दावा राशि 2,32,503रू. मय ब्याज प्राप्त करने का अधिकारी है? नहीं
2. अन्य सहायता एवं वाद व्यय? आदेशानुसार परिवाद खारिज
निष्कर्ष के आधार
(6) प्रकरण का अवलोकन कर सभी विचारणीय प्रश्नों का निराकरण एक साथ किया जा रहा है।
फोरम का निष्कर्षः-
(7) प्रकरण का अवलोकन करने पर हम यह पाते है कि एनेक्चर एन.ए.1 की प्रथम सूचना पत्र रवि सिंह नामक व्यक्ति द्वारा लिखाई गई है, जिसमें यह उल्लेख है कि परिवादी ने चार माह पूर्व अभिकथित वाहन इस रवि सिंह नामक व्यक्ति को बेच दी है। परिवादी ने यह तथ्य अपने परिवाद पत्र में क्यों छुपाया इस संबंध में परिवादी मौन है, अतः यह नहीं माना जा सकता कि परिवादी स्वच्छ हाथों से न्याय मांगने आया है।
(8) प्रथम सूचना पत्र एनेक्चर एन.ए.1 में यह भी उल्लेख है कि रवि सिंह नामक व्यक्ति रात में अपने घर के सामने वाहन खड़ी की थी और जब रात्रि में उठकर देखा तो उसकी वाहन जल रही थी, अर्थात् घटना स्थल भी उक्त रवि सिंह के घर के सामने का है, न कि परिवादी के घर के समाने का। परिवादी ने इस संबंध में कोई संतोषप्रद स्पष्टीकरण नहीं दिया था कि उसने ऐसा शपथ पत्र क्यांे दिया है कि उसने चालक के घर के सामने अभिकथित वाहन खड़ी की थी, परिवादी ने कहीं भी यह सिद्ध नहीं किया है कि उक्त रवि सिंह परिवादी का चालक था। अतः निश्चित रूप से परिवादी ने असत्य आधारों पर परिवाद प्रस्तुत किया है, यदि रवि सिंह वास्तव में चालक होता तो प्रथम सूचना पत्र परिवादी द्वारा लिखाई गई होती या परिवाद पत्र में इस संबंध में उल्लेख होता, फलस्वरूप रवि सिंह वाहन का चालक है न कि उक्त वाहन का खरीरदार। परिवादी द्वारा अभिकथित वाहन का परमिट भी प्रस्तुत नहीं किया गया है, इस स्थिति में दावा अस्वीकार करने में अनावेदक बीमा कंपनी ने कोई त्रुटि नहीं की है।
(9) अनावेदक द्वारा एनेक्चर एन.ए.3 प्रस्तुत किया गया है, जिसके अनुसार परिवादी द्वारा अपना बीमा दावा वापस विड्राॅ करने के संबंध में आवेदन है, ऐसा आवेदन परिवादी ने क्यों दिया था, इस संबंध में कारण बताया ही नहीं है, साथ ही उक्त दस्तावेज परिवादी ने स्वयं प्रस्तुत नहीं किये हैं।
(10) उपरोक्त स्थिति में हम यह पाते हैं कि घटना के समय परिवादी ने अभिकथित वाहन चार माह पहले रवि सिंह नामक व्यक्ति को बिक्री कर दी थी और रवि सिंह के घर के सामने खड़ी थी, जहां आग लगी थी। परिवादी ने सर्वेयर रिपोर्ट एनेक्चर एन.ए.4 के अनुसार अभिकथित वाहन का परमिट भी नवीनीकरण नहीं कराया था और फिर केस विड्राॅ करने का आवेदन किया और इन आधारों पर यदि अनावेदक बीमा कंपनी ने दावा खारिज किया है तो उसे सेवा में निम्नता एवं व्यवसायिक दुराचरण नहीं कहा जा सकता।
(11) फलस्वरूप हम परिवादी का परिवाद स्वीकार करने का समुचित आधार नहीं पाते हैं, परिवाद खारिज करते हैं।
(12) प्रकरण के तथ्य एवं परिस्थितियों को देखते हुए पक्षकार अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।