Uttar Pradesh

Faizabad

CC/185/2011

Meera Devi - Complainant(s)

Versus

Magma Fin - Opp.Party(s)

04 Dec 2015

ORDER

DISTRICT CONSUMER DISPUTES REDRESSAL FORUM
Judgement of Faizabad
 
Complaint Case No. CC/185/2011
 
1. Meera Devi
Faizabad
...........Complainant(s)
Versus
1. Magma Fin
Faizabad
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE MR. CHANDRA PAAL PRESIDENT
 HON'BLE MRS. MAYA DEVI SHAKYA MEMBER
 HON'BLE MR. VISHNU UPADHYAY MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER


जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम फैजाबाद ।
        
        


उपस्थित -     (1) श्री चन्द्र पाल, अध्यक्ष
(2) श्रीमती माया देवी शाक्य, सदस्या
(3) श्री विष्णु उपाध्याय, सदस्य


परिवाद सं0-185/2011

मीरा देवी पत्नी सरजू सरन तिवारी निवासी शिवनगर कालोनी बाईपास रायबरेली रोड फैजाबाद                                                          .................परिवादिनी   
                                       बनाम


1-    शाखा प्रबन्धक मैग्मा फिनकार्प लि0 पितई का पुरवा फैजाबाद इलाहाबाद रोड सन्त आटो मोबाइल के ऊपर जिला व शहर प्रतापगढ़।
2-    मैनेजिंग डायरेक्टर मैग्मा फिनकार्प लिमिटेड 24 पार्क स्ट्रीट कोलकाता 7000161    ।                                                                                                                                                                                                        ................विपक्षीगण
        
निर्णय दिनाॅंक 04.12.2015    


                    
                                                                                                                    निर्णय 

उद्घोषित द्वारा: श्री चन्द्र पाल, अध्यक्ष

      परिवादिनी ने यह परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध नो ड्यूज दिलाने तथा क्षतिपूर्ति दिलाये जाने हेतु योजित किया है।
                        संक्षेप में परिवादिनी का केस इस प्रकार है कि परिवादिनी द्वारा वर्ष 2006 में मु0 40,000=00 नकद जमा कर शेष मु0 3,87,000=00 आई.सी.आई.सी.आई.बैंक लि0 की शाखा लखनऊ से वाहन ऋण लेकर वाहन संख्या यू0पी0 42/टी0 4538 पिकअप मालभार वाहन अमित आटो सेल्स फैजाबाद से खरीदा था। परिवादिनी को वाहन ऋण का भुगतान 56 किश्तों में मय ब्याज 8,860=00 प्रति किश्त के हिसाब से 

                                                                                                (  2  )
अदा करना था, परन्तु परिवादिनी द्वारा मेहनत करके 56 किश्तों के बजाय मात्र 50 किश्तों में ही ऋण अदा कर दिया गया। किश्तों की अदायगी के दरमियान आई.सी.आई.सी.आई. बैंक लिमिटेड द्वारा काफी किश्तें भुगतान प्राप्त करने के बाद 1 सितम्बर 2009 को वाहन ऋण की अदायगी के बाबत सम्पूर्ण पत्रावली विपक्षीगणों को हस्तानान्तरित कर दी गई तथा परिवादिनी को इसकी सूचना 15 सितम्बर 2009 को दे दी गयी तो परिवादिनी द्वारा बाकी शेष किश्तों की अदायगी विपक्षीगणों को की जाने लगी। सम्पूर्ण अदायगी की समाप्ति के बाद परिवादिनी द्वारा विपक्षीगणों से मार्च 2011 से स्टेटमेंट व नो ड्यूज प्रमाण-पत्र बाबत वाहन संख्या-यू0पी0 42टी0 4538 पिकअप की माॅंग की गई तो विपक्षीगणों द्वारा मु0 80,000=00 की माॅंग अनाधिकृत तरीके से की जाने लगी तो परिवादिनी परेशान होकर अपने अधिवक्ता द्वारा विधिक नोटिस दि0 11.04.2011 को भेजा तो नोटिस प्राप्त करने के बाद विपक्षीगण के एजेन्ट परिवादिनी से मु0 80,000=00 के स्थान पर केवल मु0 37,000=00 की माॅंग करने लगे तो परिवादिनी ने उन्हें वाहन ऋण की सम्पूर्ण अदायगी की रसीदें दिखाते हुए कोई बकाया न होने की बात बतायी और पुनः नो ड्यूज की माॅंग की तो विपक्षी के एजेन्ट व शाखा प्रबन्धक द्वारा परिवादिनी का वाहन गुण्डों द्वारा जबरन खींच लेने की धमकी दी गयी जिससे परिवादिनी का वाहन संचालन अवरूद्ध हो गया है। इस प्रकार विवश होकर परिवादिनी को यह परिवाद प्रस्तुत करना पड़ा। 
                            विपक्षीगण ने अपने जवाबदावे में परिवादिनी के कथन से इन्कार किया है और कहा है कि परिवादिनी ने गलत तथ्यों पर परिवाद योजित किया है जो संधारण योग्य नहीं है। परिवादिनी का परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा-(2) (डी) से बाधित है। परिवादिनी ने पिकअप को व्यवसायिक दृष्टि से लिया था। परिवादिनी ने वाहन संख्या-यू0पी0 42/टी0 4538 का जो भुगतान किया है, वह विलम्ब से किया है।
                            मैं परिवाद में उपलब्ध साक्ष्य तथा पत्रावली का अवलोकन किया। परिवादिनी ने विपक्षी सं0-1 का पता जिला व शहर प्रतापगढ़ दर्शित किया है तथा विपक्षी सं0-2 का पता 24 पार्क स्ट्रीट कोलकाता का पता दर्शित किया है। इस प्रकार परिवादिनी का परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा-11 (2) (क) से बाधित है क्योंकि विपक्षीगण का पता जनपद फैजाबाद का नहीं दिया हुआ है। वाद कारण भी जनपद फैजाबाद में उत्पन्न नहीं हुआ है। परिवादिनी ने अपने परिवाद में यह  नहीं  लिखा  है  कि  पिकअप  नं0-यू0पी0 42 टी0/4538  अपने तथा अपने 

                                                                                            (  3  )
परिवार के जीवनयापन के लिए लिया था। पिकअप का प्रयोग भाड़ा ढोने या सवारी ढोने के लिए होता है जो व्यवसायिक होता है। इस प्रकार व्यवसायिक दृष्टि से उपयोग किये जा रहे वाहन से सम्बन्धित परिवाद की सुनवाई जिला फोरम के न्यायालय में नहीं हो सकता है। परिवादिनी को 56 किश्तों में मु0  8,860=00 प्रति किश्त देना था। विपक्षी ने जो कागजात प्रेषित किये हैं उसके अनुसार परिवादिनी ने किश्तों का भुगतान 3123 दिन विलम्ब से किया है। मेरे विचार से परिवादिनी ने 56 किश्तों के स्थान पर 50 किश्तों में भुगतान कर दिया है इसलिए 3123 दिन विलम्ब का कोई प्रश्न नहीं रह जाता है। परिवादिनी ने अपना समस्त ऋण विपक्षीगण को अदा कर दिया है। परिवादिनी के ऊपर कोई ऋण विपक्षीगण का शेष नहीं रह जाता है। चूॅंकि विपक्षीगण का पता जनपद प्रतापगढ़ व कोलकाता का है इसलिए उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा-11 (2) (क) के तहत वाद कारण यहाॅं उत्पन्न नहीं होता है तथा व्यवसायिक वाहन है। इस प्रकार परिवादिनी का परिवाद खारिज किये जाने योग्य है। 
                                                                             आदेश
    
                                    परिवादिनी का परिवाद खारिज किया जाता है।
    
( विष्णु उपाध्याय )                ( माया देवी शाक्य )              (  चन्द्र पाल  )
            सदस्य               सदस्या                          अध्यक्ष

निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 04.12.2015 को खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित एवं उद्घोषित किया गया। 


           (विष्णु उपाध्याय)         (माया देवी शाक्य)              ( चन्द्र पाल )
                सदस्य                 सदस्या                      अध्यक्ष

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE MR. CHANDRA PAAL]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MRS. MAYA DEVI SHAKYA]
MEMBER
 
[HON'BLE MR. VISHNU UPADHYAY]
MEMBER

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