Uttar Pradesh

StateCommission

A/251/2021

Bhoop Devi - Complainant(s)

Versus

Madhyanchal Vidyut Vitran Nigam Limited - Opp.Party(s)

Vishnu Kumar Mishra

28 Nov 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/251/2021
( Date of Filing : 15 Apr 2021 )
(Arisen out of Order Dated 06/02/2021 in Case No. C/36/2018 of District Bareilly-I)
 
1. Bhoop Devi
Bareily
...........Appellant(s)
Versus
1. Madhyanchal Vidyut Vitran Nigam Limited
Bareily
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 
PRESENT:
 
Dated : 28 Nov 2022
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-251/2021

(मौखिक)

(जिला उपभोक्‍ता आयोग-प्रथम, बरेली द्वारा परिवाद संख्‍या 36/2018 में पारित आदेश दिनांक 06.02.2021 के विरूद्ध)

भूप देवी पत्‍नी ओमकार छावनी अशरफ खां, निवासी थाना प्रेम नगर, जिला-बरेली, उ0प्र0।

                            ........................अपीलार्थी/परिवादिनी

बनाम

1. मध्‍यांचल विद्युत वितरण निगम लि0 विद्युत नगरीय वितरण खण्‍ड द्वितीय 35वी0 रामपुर बाग बरेली द्वारा अधिशाषी अभियन्‍ता।

2. मध्‍यांचल विद्युत वितरण निगम लि0 विद्युत नगरीय वितरण खण्‍ड द्वितीय 35वी0 रामपुर बाग बरेली 243001 द्वारा सहायक अभियन्‍ता।

3. मध्‍यांचल विद्युत वितरण निगम लि0 विद्युत नगरीय वितरण खण्‍ड उप खण्‍ड किला बरेली उ0प्र0 243001 द्वारा अवर अभियन्‍ता।

4. विद्युत वितरण निगम लि0 विद्युत नगरीय वितरण खण्‍ड उपखण्‍ड किला बरेली उ0प्र0 243001 द्वारा सहायक अभियन्‍ता।                         

                             ...................प्रत्‍यर्थीगण/विपक्षीगण

समक्ष:-

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री विष्‍णु कुमार मिश्रा,  

                            विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थीगण की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।

दिनांक: 28.11.2022

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

प्रस्‍तुत अपील अपीलार्थी भूप देवी द्वारा इस न्‍यायालय के सम्‍मुख जिला उपभोक्‍ता आयोग-प्रथम, बरेली द्वारा परिवाद संख्‍या-36/2018 भूप देवी बनाम मध्‍यांचल विद्युत वितरण निगम लि0 व तीन अन्‍य में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 06.02.2021 के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गयी है।

प्रश्‍नगत निर्णय और आदेश के द्वारा जिला उपभोक्‍ता आयोग ने उपरोक्‍त परिवाद खारिज किया है।

मेरे द्वारा  अपीलार्थी  की  ओर  से  उपस्थित  विद्वान  अधिवक्‍ता                 

 

 

-2-

श्री विष्‍णु कुमार मिश्रा को सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों का अवलोकन किया गया।

संक्षेप में वाद के तथ्‍य इस प्रकार हैं कि परिवादिनी विपक्षीगण की उपभोक्‍ता है, जो अपने विद्युत बिलों का भुगतान समय से करती रही है। परिवादिनी को विपक्षीगण के कार्यालय द्वारा दिनांक 11.08.2017 को 46002/-रू0 का विद्युत बिल दिया गया, जिस पर परिवादिनी को आपत्ति हुई। इस संबंध में परिवादिनी द्वारा लिखित व मौखिक शिकायत की गयी, परन्‍तु विपक्षीगण द्वारा कोर्इ कार्यवाही नहीं की गयी। परिवादिनी द्वारा विपक्षी संख्‍या-4 को दिनांक 05.09.2017 को लिखित शिकायत स्‍पीड पोस्‍ट द्वारा प्रेषित की गयी, परन्‍तु विपक्षी संख्‍या-4 द्वारा कोई कार्यवाही न किये जाने पर उक्‍त शिकायती प्रार्थना पत्र की स्थिति की जानकारी प्राप्‍त करने हेतु आर0टी0आई0 के अन्‍तर्गत दिनांक 10.10.2017 को स्‍पीड पोस्‍ट द्वारा आवेदन प्रस्‍तुत किया, परन्‍तु कोई कार्यवाही नहीं की गयी। अत: क्षुब्‍ध होकर परिवादिनी द्वारा विपक्षीगण के विरूद्ध जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख परिवाद योजित करते हुए वांछित अनुतोष की मांग की गयी।

विपक्षीगण की ओर से जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख उत्‍तर पत्र प्रस्‍तुत किया गया तथा कथन किया गया कि परिवादिनी का संयोजन सं0 9670374000 एलएमवी प्रथम घरेलू 2.0 किलोवाट भार का स्‍वीकृत है। परिवादिनी द्वारा अन्तिम भुगतान दिनांक 22.05.2017 को 843/-रू0 का किया गया था। परिवादिनी के परिसर पर लगे विद्युत मीटर की रीडिंग दिनांक 09.06.2018 तक 10727 यूनिट थी तथा यह कि परिवादिनी पर दिनांक 09.06.2018 तक पिछला बकाया जोड़कर 54,381/-रू0 का विद्युत बिल बकाया था। परिवादिनी को नियमानुसार बिल भेजे गये हैं, परन्‍तु परिवादिनी द्वारा दिनांक 22.05.2017 के बाद अब तक कोई भी बिल अदा नहीं किया गया है। परिवाद निरस्‍त होने योग्‍य है।

विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍यों/प्रपत्रों पर विचार करने के उपरान्‍त अपने निर्णय में बिन्‍दुवार सभी तथ्‍यों की विस्‍तृत रूप से विवेचना करते हुए  यह  निष्‍कर्ष

 

 

-3-

दिया गया कि विपक्षीगण की ओर से कोई त्रुटि परिलक्षित नहीं होती है तथा यह कि परिवादिनी विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख अपनी बातों को साबित करने में सफल नहीं रही। तदनुसार विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा प‍रिवादिनी का परिवाद खारिज किया गया।

सम्‍पूर्ण तथ्‍यों एवं परिस्थितियों पर विचार करते हुए तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध प्रपत्रों एवं जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का परिशीलन व परीक्षण करने के उपरान्‍त मैं इस मत का हूँ कि विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा समस्‍त तथ्‍यों का सम्‍यक अवलोकन/परिशीलन व परीक्षण करने के उपरान्‍त विधि अनुसार निर्णय पारित किया गया, जिसमें हस्‍तक्षेप हेतु उचित आधार नहीं हैं, न ही अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा पीठ के सम्‍मुख किसी प्रकार के साक्ष्‍य अथवा अपने कथन के समर्थन में कोई ऐसी बात बतायी जा सकी, जिससे जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय में किसी प्रकार की कोई कमी दृष्टिगत होती हो।

अतएव, प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त की जाती है।

आशुलिपि‍क से अपेक्षा की जाती है कि‍ वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

 

                           (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)           

                          अध्‍यक्ष            

जितेन्‍द्र आशु0

कोर्ट नं0-1

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 

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