Uttar Pradesh

StateCommission

A/825/2023

Daya Nand Pandey - Complainant(s)

Versus

Madhyanchal Vidyut Vitran Nigam Limited And Others - Opp.Party(s)

Pushkal Shukla

19 May 2023

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/825/2023
( Date of Filing : 17 May 2023 )
(Arisen out of Order Dated 15/11/2022 in Case No. C/2012/972 of District Lucknow-II)
 
1. Daya Nand Pandey
R/O-H.No.E-4366 Rajajipuram, Post Office-Rajajipuram,Dist.-Lucknow
...........Appellant(s)
Versus
1. Madhyanchal Vidyut Vitran Nigam Limited And Others
Through its Managing Director Dist.- Lucknow
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 
PRESENT:
 
Dated : 19 May 2023
Final Order / Judgement

( मौखिक )

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।

 

अपील संख्‍या : 825/2023

 

दयानन्‍द पाण्‍डेय

बनाम

मध्‍यांचल विद्युत वितरण निगम आदि

दिनांक : 19-05-2023

 

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित निर्णय

     परिवाद संख्‍या-927/2012 दयानंद पाण्‍डेय बनाम मध्‍यांचल विद्युत वितरण निगम आदि में जिला उपभोक्‍ता आयोग, द्धितीय, लखनऊ  द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनां‍क 15-11-2022 के विरूद्ध  यह अपील उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत इस न्‍यायालय के सम्‍मुख प्रस्‍तुत की गयी है।

     ‘’विद्धान जिला आयोग द्वारा परिवाद निरस्‍त करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया है :-

     ‘’15-11-2022

     पुकार कराई गयी। बार बार पुकार पर कोई भी पक्ष उपसिथत नहीं हुआ।

     पत्रावली के अवलोकन से स्‍पष्‍ट हो रहा है कि प्रस्‍तुत पत्रावली परिवादी पक्ष की प्रयत्‍नहीनता में दिनांक 11-09-2014 को भी निरस्‍त हो चुकी थी, लेकिन मा0 राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उत्‍तर प्रदेश के आदेश से दिनांक 19-07-2019  को पुन: अपने मूल नम्‍बर पर पुर्नस्‍थापित होते हुए प्रचलित हुई। पत्रावली के अवलोकन से स्‍पष्‍ट हो रहा है कि पुर्नस्‍थापित होने के उपरान्‍त भी पक्षकार विगत कई तिथियों से अनुपस्थित आ रहे हैं। उनका प्रकरण के निस्‍तारण में कोई रूचि नहीं है। प्रस्‍तुत परिवाद को परिवादी ने संस्थित किया है, कम से

 

-2-

कम उसे प्रकरण में रूचि लेनी चाहिए और प्रकरण के निस्‍तारण में मदद करनी चाहिए, लेकिन पत्रावली के अवलोकन से स्‍पष्‍ट हो रहा है कि उसकी खुद की उदासीनता प्रकरण की कार्यवाही में है। वह बार-बार नियत तिथियों पर अनुपस्थित रहने का अभ्‍यासी हो गया है।

     अत: मामले के सम्‍पूर्ण तथ्‍य एवं परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए प्रस्‍तुत प्रकरण पक्षों की प्रयत्‍नहीनता में निरस्‍त किया जाता है।

     पत्रावली दाखिल दफ्तर हो।‘’

     अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्‍ता श्री पुष्‍कल शुक्‍ला उपस्थित। प्रत्‍यर्थी  की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।

     अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्‍ता का तर्क है कि विद्धान जिला आयोग बिना उसे सुनवाई का अवसर प्रदान किये परिवाद को निरस्‍त कर दिया है अत: अपील स्‍वीकार करते हुए जिला आयोग के निर्णय एवं आदेश को अपास्‍त किया जावे। 

     मेरे द्वारा अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्‍ता को सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों एवं जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का भली-भॉंति परिशीलन एवं परीक्षण किया गया।

     अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्‍ता को सुनने तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध प्रपत्रों का भली-भॉंति परीक्षण एवं परिशीलन करने के पश्‍चात मैं इस मत का हूँ कि विद्धान जिला आयोग द्वारा समस्‍त तथ्‍यों का सम्‍यक अवलोकन करने के  पश्‍चात  विधि अनुसार निर्णय पारित किया गया है, जिसमें हस्‍तक्षेप हेतु उचित आधार नहीं है। अपीलार्थी/परिवादी द्वारा पर्याप्‍त अवसर दिये जाने के पश्‍चात भी जानबूझकर जिला आयोग के सम्‍मुख उपस्थित होकर अपना पक्ष प्रस्‍तुत नहीं

 

-3-

किया है जो कि अपीलार्थी/परिवादी के स्‍तर पर स्‍वयं सेवा में कमी है। तदनुसार अपील निरस्‍त  किये जाने योग्‍य है।

 

आदेश

     अपील निरस्‍त की जाती है। विद्धान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश की पुष्टि की जाती है।

     इस निर्णय एवं आदेश का अनुपालन निर्णय से 45 दिन की अवधि में किया जाना सुनिश्चित किया जावे। 

     उपभोक्‍ता सरंक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत अपील में जमा धनराशि (यदि कोई हो) तो मय अर्जित ब्‍याज सहित जिला आयोग को विधि अनुसार निस्‍तारण हेतु यथाशीघ्र प्रेषित की जावे।

     आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

 

 

(न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)

अध्‍यक्ष

 

प्रदीप मिश्रा, आशु0 कोर्ट नं0-1

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 

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