राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
(मौखिक)
अपील संख्या :2012/1998
(जिला मंच, गाजियाबाद द्धारा परिवाद सं0-402/1994 में पारित निर्णय/ आदेश दिनांक 20.6.1998 के विरूद्ध)
Ansal Housing & Construction Limited,(M/s Ansal Housing Finance & Leasing Co. Ltd.) 15 U.G.F., Indra Prakash 21, Barakhamba Road, New Delhi. 110001 through its Director.
........... Appellant/Opp. Party
Versus
Madhusudan Kapoor S/o Sri V.K. Kapoor, R/o 139, New Gandhi Nagar Ghaziabad at Present R/o R/9/188 Rajnagar Ghaziabad.
……..…. Respondent/Complainant.
समक्ष :-
मा0 श्री जितेन्द्र नाथ सिन्हा, पीठासीन सदस्य
मा0 श्री संजय कुमार, सदस्य
अपीलार्थी के अधिवक्ता : श्री वी0एस0 बिसारिया
प्रत्यर्थी के अधिवक्ता : कोई नहीं।
दिनांक :09.11.2016
मा0 श्री जे0एन0 सिन्हा, पीठासीन सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
परिवाद सं0-402/1994 मधुसूदन कपूर बनाम अंसल हाउसिंग फाइनेश एण्ड कन्स्ट्रक्शन लिमिटेड में जिला मंच, गाजियाबाद द्वारा दिनांक 20.6.1998 को निर्णय पारित करते हुए निम्नलिखित आदेश पारित किया गया कि,
"अत: परिवादी की शिकायत को स्वीकार करते हुए विपक्षी को निर्देशित किया जाता है कि वह निर्णय के पश्चात तीन माह के भीतर आवंटित फ्लैट को आवश्यक नागरिक सुविधाओं सहित परिवादी को कब्जा दे साथ ही परिवादी की जमा राशि पर 01.5.1990 से कब्जा दिये जाने की अवधि के लिए 18, प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज अदा करें। साथ ही परिवादी के मानसिक उत्पीड़न और वाद के हर्जे खर्चे के लिए 1000.00 रूपये (एक हजार रूपये) मुआवजा अदा करें। यहॉ पर यह उल्लिखित किया जाता है कि यदि भवन के मूल्य में कोई राशि परिवादी की ओर शेष तो विपक्षी परिवादी को देय ब्याज व मुआवजे की राशि में से उसे वसूल कर सकता है।
उपरोक्त अवधि में आदेशका पाल न करने पर विपक्षी को 21, प्रतिशत की दर से ब्याज अदा करना होगा।"
-2-
उपरोक्त वर्णित आदेश से क्षुब्ध होकर विपक्षी/अपीलार्थी की ओर से वर्तमान अपील योजित की गई है।
अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री वी0एस0 बिसारिया उपस्थित आये। प्रत्यर्थी की ओर से नोटिस तामील के बावजूद भी कोई उपस्थित नहीं है। यह अपील वर्ष-1998 से पीठ के समक्ष विचाराधीन है, अत: अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता को विस्तार पूर्वक सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय व उपलब्ध अभिलेखों का गम्भीरता से परिशीलन किया गया।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा मुख्य रूप से यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि जिला मंच द्वारा प्रश्नगत आदेश के माध्यम से प्रश्नगत फ्लेट पर कब्जा दिलाये जाने हेतु आदेश पारित किया गया है, ऐसी स्थिति में जमा की गई धनराशि पर ब्याज दिलाये जाने का आदेश विधि सम्मत नहीं है और इस संदर्भ में अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा गाजियाबाद विकास प्राधिकरण बनाम शकुंतला रस्तोगी, अपील सं0-6051/2002 में मा0 उच्चतम न्यायालय द्वारा दिनांक 04.3.2009 को पारित निर्णय की फोटोप्रति की ओर पीठ का ध्यान आकर्षित कराया गया, जिसमें इस आशय का स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि जहॉ कब्जा दिलाये जाने का अनुतोष प्रदान किया गया है, वहॉ विलम्ब की बावत जमा धनराशि पर ब्याज दिलाये जाने का कोई औचित्य नहीं है और इस संदर्भ में अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता के तर्क में बल पाया जाता है, अत: पीठ के अभिमत में जिला मंच द्वारा जमा की गई धनराशि पर ब्याज दिलाये जाने हेतु जो आदेश पारित किया गया है, वह विधि सम्मत नहीं है और अपास्त किये जाने योग्य है, तद्नुसार प्रस्तुत अपील अंशत: स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील अंशत: स्वीकार करते हुए जिला मंच, गाजियाबाद द्वारा परिवाद सं0-402/1994 मधुसूदन कपूर बनाम अंसल हाउसिंग फाइनेश एण्ड कन्स्ट्रक्शन लिमिटेड में पारित आदेश दिनांक 20.6.1998 में 18 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की बावत पारित आदेश अपास्त किया जाता है तथा निर्णय/आदेश के शेष भाग की पुष्टि की जाती है।
(जे0एन0 सिन्हा) (संजय कुमार)
पीठासीन सदस्य सदस्य
हरीश आशु., कोर्ट सं0-2