राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
सुरक्षित
अपील सं0-३६१/२००३
(जिला फोरम, कानपुर नगर द्वारा परिवाद सं0-५१०/२००१ में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक ०८-०१-२००३ के विरूद्ध)
डेस्क टू डेस्क कोरियर एण्ड कारगो लि0, एक पब्लिक लिमिटेड कम्पनी, रजिस्टर्ड कार्यालय डी.टी.डी.सी हाउस नं0-३, विक्टोरिया रोड, बंग्लौर, द्वारा सहायक मण्डलीय प्रबन्धक, स्थानीय कार्यालय - रोहित भवन, सप्रू मार्ग, लखनऊ।
..................... अपीलार्थी/विपक्षी।
बनाम्
१. शत्रुघन सोनेजा पुत्र स्व0 एल0पी0 सोनजी निवासी ११८/१६६, कौशल पुरी, पो0आ0 नजीराबाद, कानपुर नगर, यू.पी.।
.................... प्रत्यर्थी/परिवादी।
२. श्री धर्मेन्द्र, ब्रान्च मैनेजर, डी.टी.डी.सी., कानपुर।
३. अभिजीत बनर्जी, एरिया मैनेजर, डी.टी.डी.सी., लखनऊ।
४. श्री हेमन्त आनन्द, रीजनल मैनेजर, डी.टी.डी.सी.।
५. पियूष उपाध्याय, रीजनल मैनेजर, डी.टी.डी.सी., नई दिल्ली।
६. लॉरेन्स जोसेप, असिस्टेण्ट जनरल मैनेजर, डी.टी.डी.सी., मुम्बई।
७. के0एन0 राघवेन्द्र, सीनियर कारपोरेट मैनेजर, डी.टी.डी.सी., बंग्लौर।
८. सुभाष चक्रवर्ती, एम0डी0, डी.टी.डी.सी., बंग्लौर।
................... प्रत्यर्थीगण/विपक्षीगण सं0-१ लगायत ७ (प्रोफार्मा रेस्पोण्डेण्ट)।
समक्ष:-
१- मा0 न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
२- मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित :- श्री सत्य प्रकाश पाण्डेय विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थीगण की ओर से उपस्थित :- कोई नहीं।
दिनांक : १०-०६-२०१६.
मा0 न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
यह अपील उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम १९८६ की धारा-१५ के अन्तर्गत परिवाद सं0-५१०/२००१ शत्रुघन सोनेजा बनाम धर्मेन्द्र आदि में जिला फोरम, कानपुर द्वारा पारित निर्णय दिनांक ०८-०१-२००३ के विरूद्ध उक्त परिवाद की विपक्षी डेस्क टू डेस्क कोरियर एण्ड कारगो
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लिमिटेड, पब्लिक लिमिटेड कम्पनी द्वारा प्रस्तुत की गयी है।
जिला फोरम, कानपुर नगर ने अपने आक्ष्ोपित निर्णय एवं आदेश दिनांक ०८-०१-२००३ के द्वारा उपरोक्त परिवाद को स्वीकार करते हुए समस्त विपक्षीगण अर्थात् अपीलार्थी/विपक्षी एवं प्रत्यर्थीगण/उत्तरदातागण ०२ लगायत ०८ को आदेश दिया कि वे परिवादी/उत्तरदाता को वाद व्यय सहित सभी मदों में कुल मिलाकर २०,०००/- रू० निर्णय की तिथि से ०२ माह के अन्दर भुगतार करें और यदि निर्धारित समय में विपक्षीगण भुगतान नहीं करते हैं तो उपरोक्त धनराशि पर निर्णय के दिनांक से १० प्रतिशत वार्षिक ब्याज भी उपरोक्त विपक्षीगण देंगे।
अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी/विपक्षी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री सत्य प्रकाश पाण्डेय उपस्थित आये। प्रत्यर्थीगण/उत्तरदातागण की ओर से कोई उपस्थित नहीं आया है। परिवादी/उत्तरदाता को नोटिस दिनांक ०५-०९-२०१४ को रजिस्टर्ड डाक से भेजी गयी है, परन्तु रजिस्टर्ड लिफाफा अदम तामील वापस प्राप्त नहीं हुआ है। अत: परिवादी/उत्तरदाता पर नोटिस का तामीला पर्याप्त है, फिर भी वह उपस्थित नहीं हुआ है। अत: एक पक्षीय रूप से विद्वान अधिवक्ता अपीलार्थी को सुनकर अपील का निस्तारण किया जा रहा है।
अपीलार्थी/विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि परिवादी/उत्तरदाता का डाकेट ३३/-रू० सेवा शुल्क के साथ उसके कोरियर सेवा से बॉम्बे भेजने के लिए प्राप्त किया, परन्तु ट्रान्जिट में डाकेट कहीं खो गया अथवा चोरी हो गया और गन्तव्य स्थान पर नहीं पहुँचा। अपीलार्थी/विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि उक्त डाकेट खोने से परिवादी/उत्तरदाता को कोई क्षति नहीं हुई है, यह जिला फोरम ने अपने आक्षेपित आदेश में भी माना है।
अपीलार्थी/विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि कन्साइनमेण्ट नोट की शर्त सं0-१५ में यह स्पष्ट उल्लेख है कि अपीलार्थी/विपक्षी का दायित्व १००/- रू० तक ही तब तक सीमिति है जब तक कि कन्साइनर कन्साइनमेण्ट का उच्चतर मूल्य घोषित न करे और उसका रिस्क सरचार्ज अदा न करे। अत: कन्साइनमेण्ट की शर्त सं0-१५ के अनुसार अपीलार्थी/विपक्षी का क्षतिपूर्ति हेतु दायित्व मात्र १००/- रू० तक ही सीमित है। अत: जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित अवार्ड अनुचित और विधि विरूद्ध है।
अपीलार्थी/विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता ने अपने तर्क के समर्थन में माननीय सर्वोच्च
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न्यायालय द्वारा भारती निटिंग कम्पनी बनाम डी.एच.एल. वर्ल्डवाइड एक्सप्रेस कोरियर डिवीजन आफ एयरफ्राइट लि0 में पारित निर्णय दिनांक ०९-०५-१९९६ की कम्प्यूटर प्रति प्रस्तुत की है।
हमने अपीलकर्ता के विद्वान अधिवक्ता के तर्कों पर विचार किया है एवं आक्षेपित निर्णय एवं एवार्ड का अवलोकन किया है।
जिला फोरम के आक्षेपित निर्णय के अवलोकन से स्पष्ट है कि जिला मंच के समक्ष अपीलार्थी/विपक्षी की ओर से यह कथन किया गया कि उत्तरदाता/परिवादी ने विपक्षीगण को यह सूचना नहीं दी थी कि लिफाफे के अन्दर क्या है। कन्साइनमेण्ट नोट में उल्लिखित शर्त संख्या-१५ निम्नलिखित है :-
‘’ DTDC Liability
In the event of damage or loss or mis-delivery of a shipment, the maximum liability assumed by DTDC on a shipment is limited to Rs. 100 unless the sender declares a higher value as “ declared value for carriage ” and also pays the applicable Risk Surcharge thereof as “ Carriers Risk ” at the time of tendering the shipment. ‘’
पत्रावली पर इस बात का कोई साक्ष्य नहीं है कि उत्तरदाता/परिवादी ने विपक्षीगण को यह सूचित किया था कि लिफाफे के अन्दर क्या है अर्थात् ड्राफ्ट व फार्म ३१ है तथा इसका मूल्य १००/- रू० से अधिक है, जबकि कन्साइनमेण्ट की धारा-१५ के अनुसार ऐसा उल्लिखित किये जाने और उसके सम्बन्ध में रिस्क सरचार्ज अदा किए जाने की दशा में ही अपीलार्थी/विपक्षी का दायित्व १००/- रू० से अधिक की क्षतिपूर्ति हेतु ही बनेगा। अपीलार्थी/विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा प्रस्तुत माननीय सर्वोच्च न्यायालय के उपरोक्त निर्णय में भी ऐसा ही मत व्यक्त किया गया है।
अत: उपरोक्त विवेचन के आधार पर हम इस मत के हैं कि प्रश्नगत कन्साइनमेण्ट हेतु अपीलार्थी/परिवादी का दायित्व क्षतिपूर्ति हेतु १००/- रू० तक ही सीमित है। अत: जिला फोरम ने जो २०,०००/- रू० क्षतिपूर्ति निर्धारित की है वह विधि अनुकूल नहीं है। तद्नुसार जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय एवं अवार्ड अपास्त करते हुए १००/- रू० क्षतिपूर्ति निर्धारित किया जाना उचित है। साथ ही उत्तरदाता/परिवादी को वाद व्यय के रूप में १,०००/- रू० दिलाया जाना
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उचित होगा। उपरोक्त निष्कर्ष के आधार पर वर्तमान अपील आंशिक रूप से स्वीकार किए जाने योग्य है।
आदेश
वर्तमान अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। जिला फोरम, कानपुर नगर द्वारा परिवाद सं0-५१०/२००१ में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक ०८-०१-२००३ को संशोधित करते हुए अपीलार्थी/विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह १००/- रू० उत्तरदाता/परिवादी को क्षतिपूर्ति अदा करे। साथ ही वह उत्तरदाता/परिवादी को १,०००/- रू० वाद व्यय के मद में भी अदा करेगा। उपरोक्त धनराशि का भुगतान अपीलार्थी/विपक्षी निर्णय की तिथि से ०२ माह के अन्दर उत्तरदाता/परिवादी को अवश्य करेगा। ऐसा न करने पर उत्तरदाता/परिवादी को ०६ प्रतिशत वार्षिक की दर से साधारण ब्याज भी उपरोक्त सम्पूर्ण धनराशि पर निर्णय की तिथि से अदायगी की तिथि तक देने हेतु अपीलार्थी/विपक्षी उत्तरदायी होगा।
पक्षकारों को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्ध करायी जाये।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान)
अध्यक्ष
(उदय शंकर अवस्थी)
सदस्य
प्रमोद कुमार
वैय0सहा0ग्रेड-१,
कोर्ट-१.