राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
मौखिक
अपील संख्या-1263/1995
नगर पालिका शिकारपुर। .........अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम्
मदन लाल पुत्र श्री भागीरथ प्रसाद। ........प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
1. मा0 श्री राम चरन चौधरी, पीठासीन सदस्य।
2. मा0 श्री राज कमल गुप्ता, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित :श्री वी0पी0 शर्मा, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित :कोई नहीं।
दिनांक 07.05.2015
मा0 श्री राज कमल गुप्ता, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
यह अपील जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम बुलन्दशहर द्वारा परिवाद संख्या 536/1994 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दि. 12.07.95 के विरूद्ध प्रस्तुत की गई है।
अपीलार्थी की तरफ से विद्वान अधिवक्ता श्री वी0पी0 शर्मा उपस्थित। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। अपीलकर्ता की बहस सुनी गई। इस केस में जिला फोरम द्वारा निम्न आदेश पारित किया गया है:-
'' प्रस्तुत परिवाद सव्यय स्वीकार किया जाता है तथा विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी को अपने प्रस्तावित निर्माण को करने की आज्ञा एक माह के अंदर प्रदान करें।
विपक्षीगण को यह भी आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी को टोकिन क्षतिपूर्ति धनराशि स्वरूप इस वाद के व्ययस्वरूप रू. 500/- भी परिवादी को एक माह के अंदर भुगतान करें।
यदि विपक्षीगण उक्त आदेशित धनराशि परिवादी को उक्त अवधि में भुगतान नहीं करेंगे तो उस दशा में विपक्षीगण परिवादी को उक्त धनराशि पर दिनांक 13.08.95 से तारीख भुगतान तक 18 प्रतिशत वार्षिक ब्याज का भुगतान करने के जिम्मेदार होंगे।''
अपीलकर्ता को सुनने तथा जिला फोरम के निर्णय एवं आदेश के अवलोकन के उपरांत हम यह पाते हैं कि जिला फोरम द्वारा जो टोकन क्षतिपूर्ति के आधार पर व वाद
-2-
व्यय के रूप में रू. 500/- अपीलकर्ता/विपक्षी के ऊपर लगाया गया है वह समाप्त किए जाने योग्य है व इसके बाद जो अंतिम पैरा में 18 प्रतिशत का ब्याज भुगतान की बात कही गई है वह भी समाप्त किए जाने योग्य है। तदनुसार अपील आंशिक रूप से स्वीकार किए जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। जिला फोरम के निर्णय/आदेश दि. 12.07.95 में जो अपीलकर्ता के ऊपर रू. 500/- टोकन क्षतिपूर्ति व वाद व्यय के रूप में लगाया गया है वह समाप्त किया जाता है। इसके बाद जो यह शर्त के रूप में आदेशित किया गया है कि उक्त समय के अंतर्गत उपरोक्त धनराशि विपक्षी नहीं देता है तो दि. 13.08.95 से 18 प्रतिशत वार्षिक ब्याज देना होगा। इस प्रकार की शर्त के साथ जो ब्याज लगाया गया है उसको भी समाप्त किया जाता है। शेष आदेश की पुष्टि की जाती है।
उभय पक्ष अपना व्यय स्वयं वहन करेंगे।
(राम चरन चौधरी) (राज कमल गुप्ता)
पीठासीन सदस्य सदस्य
राकेश, आशुलिपिक
कोर्ट-5